< ایوب 19 >
تا به کی میخواهید عذابم بدهید و با سخنانتان مرا خرد کنید؟ | 2 |
२“तुम कब तक मेरे प्राण को दुःख देते रहोगे; और बातों से मुझे चूर-चूर करोगे?
پیدرپی به من اهانت میکنید و از این رفتارتان شرم نمیکنید. | 3 |
३इन दसों बार तुम लोग मेरी निन्दा ही करते रहे, तुम्हें लज्जा नहीं आती, कि तुम मेरे साथ कठोरता का बर्ताव करते हो?
اگر من خطا کردهام، خطای من چه صدمهای به شما زده است؟ | 4 |
४मान लिया कि मुझसे भूल हुई, तो भी वह भूल तो मेरे ही सिर पर रहेगी।
شما خود را بهتر از من میپندارید و این مصیبت مرا نتیجهٔ گناه من میدانید، | 5 |
५यदि तुम सचमुच मेरे विरुद्ध अपनी बड़ाई करते हो और प्रमाण देकर मेरी निन्दा करते हो,
در حالی که این خداست که مرا به چنین روزی انداخته و در دام خود گرفتار کرده است. | 6 |
६तो यह जान लो कि परमेश्वर ने मुझे गिरा दिया है, और मुझे अपने जाल में फँसा लिया है।
فریاد برمیآورم و کمک میخواهم، اما هیچکس صدایم را نمیشنود و کسی به فریادم نمیرسد. | 7 |
७देखो, मैं उपद्रव! उपद्रव! चिल्लाता रहता हूँ, परन्तु कोई नहीं सुनता; मैं सहायता के लिये दुहाई देता रहता हूँ, परन्तु कोई न्याय नहीं करता।
خدا راهم را سد کرده و روشنایی مرا به تاریکی مبدل نموده است. | 8 |
८उसने मेरे मार्ग को ऐसा रूंधा है कि मैं आगे चल नहीं सकता, और मेरी डगरें अंधेरी कर दी हैं।
او عزت و فخر را از من گرفته | 9 |
९मेरा वैभव उसने हर लिया है, और मेरे सिर पर से मुकुट उतार दिया है।
و از هر طرف مرا خرد کرده است. او مرا از پا درآورده و درخت امیدم را از ریشه برکنده است. | 10 |
१०उसने चारों ओर से मुझे तोड़ दिया, बस मैं जाता रहा, और मेरी आशा को उसने वृक्ष के समान उखाड़ डाला है।
خشم او علیه من شعلهور است و او مرا دشمن خود به حساب میآورد. | 11 |
११उसने मुझ पर अपना क्रोध भड़काया है और अपने शत्रुओं में मुझे गिनता है।
لشکریانش به پیش میتازد و بر ضد من سنگر میسازند، و گرداگردِ خیمهام اردو میزنند. | 12 |
१२उसके दल इकट्ठे होकर मेरे विरुद्ध मोर्चा बाँधते हैं, और मेरे डेरे के चारों ओर छावनी डालते हैं।
برادرانم را از من دور کرده است، و آشنایانم بر ضد من برخاستهاند. | 13 |
१३“उसने मेरे भाइयों को मुझसे दूर किया है, और जो मेरी जान-पहचान के थे, वे बिलकुल अनजान हो गए हैं।
بستگانم از من روگردانیده و همهٔ دوستانم مرا ترک گفتهاند. | 14 |
१४मेरे कुटुम्बी मुझे छोड़ गए हैं, और मेरे प्रिय मित्र मुझे भूल गए हैं।
اهل خانه و حتی خدمتکارانم با من مانند یک غریبه رفتار میکنند و من برای آنها بیگانه شدهام. | 15 |
१५जो मेरे घर में रहा करते थे, वे, वरन् मेरी दासियाँ भी मुझे अनजान गिनने लगीं हैं; उनकी दृष्टि में मैं परदेशी हो गया हूँ।
خدمتکارم را صدا میکنم، حتی به او التماس مینمایم، ولی او جوابم را نمیدهد. | 16 |
१६जब मैं अपने दास को बुलाता हूँ, तब वह नहीं बोलता; मुझे उससे गिड़गिड़ाना पड़ता है।
نَفَسم برای زنم مشمئزکننده است، و برادرانم طاقت تحمل مرا ندارند. | 17 |
१७मेरी साँस मेरी स्त्री को और मेरी गन्ध मेरे भाइयों की दृष्टि में घिनौनी लगती है।
بچههای کوچک هم مرا خوار میشمارند و وقتی مرا میبینند مسخرهام میکنند. | 18 |
१८बच्चे भी मुझे तुच्छ जानते हैं; और जब मैं उठने लगता, तब वे मेरे विरुद्ध बोलते हैं।
حتی نزدیکترین دوستانم از من منزجرند و آنانی که دوستشان میداشتم از من روگردان شدهاند. | 19 |
१९मेरे सब परम मित्र मुझसे द्वेष रखते हैं, और जिनसे मैंने प्रेम किया वे पलटकर मेरे विरोधी हो गए हैं।
از من پوست و استخوانی بیش نمانده است، به زحمت از چنگ مرگ گریختهام. | 20 |
२०मेरी खाल और माँस मेरी हड्डियों से सट गए हैं, और मैं बाल-बाल बच गया हूँ।
آه ای دوستان، به من رحم کنید، زیرا دست خدا بر من سنگین شده است. | 21 |
२१हे मेरे मित्रों! मुझ पर दया करो, दया करो, क्योंकि परमेश्वर ने मुझे मारा है।
چرا شما هم مثل خدا مرا عذاب میدهید؟ آیا از خوردن گوشت بدنم سیر نشدهاید؟ | 22 |
२२तुम परमेश्वर के समान क्यों मेरे पीछे पड़े हो? और मेरे माँस से क्यों तृप्त नहीं हुए?
ای کاش میتوانستم درد دلم را با قلمی آهنین برای همیشه در دل سنگ بنویسم. | 23 |
२३“भला होता, कि मेरी बातें लिखी जातीं; भला होता, कि वे पुस्तक में लिखी जातीं,
२४और लोहे की टाँकी और सीसे से वे सदा के लिये चट्टान पर खोदी जातीं।
اما من میدانم که رهانندهام زنده است و سرانجام بر زمین خواهد ایستاد؛ | 25 |
२५मुझे तो निश्चय है, कि मेरा छुड़ानेवाला जीवित है, और वह अन्त में पृथ्वी पर खड़ा होगा।
و میدانم حتی بعد از اینکه بدن من هم بپوسد، خدا را خواهم دید! | 26 |
२६और अपनी खाल के इस प्रकार नाश हो जाने के बाद भी, मैं शरीर में होकर परमेश्वर का दर्शन पाऊँगा।
من خود با این چشمانم او را خواهم دید! چه امید پرشکوهی! | 27 |
२७उसका दर्शन मैं आप अपनी आँखों से अपने लिये करूँगा, और न कोई दूसरा। यद्यपि मेरा हृदय अन्दर ही अन्दर चूर-चूर भी हो जाए,
چطور جرات میکنید به آزار من ادامه دهید و بگویید: «مقصر خودش است»؟ | 28 |
२८तो भी मुझ में तो धर्म का मूल पाया जाता है! और तुम जो कहते हो हम इसको क्यों सताएँ!
از شمشیر مجازات خدا بترسید و بدانید که او شما را داوری خواهد کرد. | 29 |
२९तो तुम तलवार से डरो, क्योंकि जलजलाहट से तलवार का दण्ड मिलता है, जिससे तुम जान लो कि न्याय होता है।”