< ایوب 17 >
روحم در هم شکسته، پایان زندگی من فرا رسیده و قبر آماده است تا مرا در خود جای دهد. | 1 |
मेरी जान तबाह हो गई मेरे दिन हो चुके क़ब्र मेरे लिए तैय्यार है।
مسخرهکنندگان دور مرا گرفتهاند. آنها را در همه جا میبینم. | 2 |
यक़ीनन हँसी उड़ाने वाले मेरे साथ साथ हैं, और मेरी आँख उनकी छेड़छाड़ पर लगी रहती है।
هیچکس بر بیگناهی من گواهی نمیدهد زیرا تو ای خدا، به ایشان حکمت ندادهای تا بتوانند مرا یاری دهند. ای خدا، نگذار آنها پیروز شوند. | 3 |
ज़मानत दे, अपने और मेरे बीच में तू ही ज़ामिन हो। कौन है जो मेरे हाथ पर हाथ मारे?
क्यूँकि तूने इनके दिल को समझ से रोका है, इसलिए तू इनको सरफ़राज़ न करेगा।
کسی که برای منفعت خویش بر ضد دوستانش سخن گوید، فرزندانش کور خواهند شد. | 5 |
जो लूट की ख़ातिर अपने दोस्तों को मुल्ज़िम ठहराता है, उसके बच्चों की आँखें भी जाती रहेंगी।
خدا مرا مایهٔ تمسخر مردم گردانیده است و آنها به صورتم تف میاندازند. | 6 |
उसने मुझे लोगों के लिए ज़रबुल मिसाल बना दिया हैं: और मैं ऐसा हो गया कि लोग मेरे मुँह पर थूकें।
چشمانم از گریه تار شده و از من سایهای بیش باقی نمانده است. | 7 |
मेरी आँखे ग़म के मारे धुंदला गई, और मेरे सब 'आज़ा परछाईं की तरह है।
مردان درستکار وقتی مرا میبینند دچار حیرت میشوند. ولی سرانجام آدمهای بیگناه بر اشخاص نابکار پیروز خواهند شد، | 8 |
रास्तबाज़ आदमी इस बात से हैरान होंगे और मा'सूम आदमी बे ख़ुदा लोगों के ख़िलाफ़ जोश में आएगा
و پاکان و درستکاران پیش خواهند رفت و قویتر و قویتر خواهند شد. | 9 |
तोभी सच्चा अपनी राह में साबित क़दम रहेगा और जिसके हाथ साफ़ हैं, वह ताक़तवर ही होता जाएगा
اگر میتوانید استدلال بهتری ارائه کنید، گرچه در بین شما که مقابل من ایستادهاید آدم فهمیدهای نمیبینم. | 10 |
लेकिन तुम सब के सब आते हो तो आओ, मुझे तुम्हारे बीच एक भी आदमी 'अक़्लमन्द न मिलेगा।
روزهای من سپری شده، امیدهایم به باد فنا رفته و آرزوهای دلم برآورده نشده است. | 11 |
मेरे दिन तो बीत चुके, और मेरे मक़सद मिट गए और जो मेरे दिल में था, वह बर्बाद हुआ है।
دوستانم شب را روز و روز را شب میگویند! چگونه حقیقت را وارونه جلوه میدهند! | 12 |
वह रात को दिन से बदलते हैं, वह कहतें है रोशनी तारीकी के नज़दीक है।
اگر بمیرم، در تاریکی فرو رفته و قبر را پدر و کرم را مادر و خواهر خود خواهم خواند. (Sheol ) | 13 |
अगर में उम्मीद करूँ कि पाताल मेरा घर है, अगर मैंने अँधेरे में अपना बिछौना बिछा लिया है। (Sheol )
अगर मैंने सड़ाहट से कहा है कि तू मेरा बाप है, और कीड़े से कि तू मेरी माँ और बहन है
پس امید من کجاست؟ آیا کسی میتواند آن را پیدا کند؟ | 15 |
तोमेरी उम्मीद कहाँ रही, और जो मेरी उम्मीद है, उसे कौन देखेगा
نه، امیدم با من به گور میرود و با هم در دل خاک خواهیم خوابید! (Sheol ) | 16 |
वह पाताल के फाटकों तक नीचे उतर जाएगी जब हम मिलकर ख़ाक में आराम पाएँगे।” (Sheol )