< ایوب 15 >

آنگاه الیفاز تیمانی پاسخ داد: 1
ଏଥିଉତ୍ତାରେ ତୈମନୀୟ ଇଲୀଫସ୍‍ ଉତ୍ତର କରି କହିଲା,
ای ایوب، فکر می‌کردیم آدم عاقلی هستی، ولی سخنان احمقانه‌ای به زبان می‌آوری. حرفهای تو پوچ و توخالی است. 2
“ଜ୍ଞାନୀ ଲୋକ କʼଣ ଅସାର ଜ୍ଞାନରେ ଉତ୍ତର ଦେବ? ଓ ପୂର୍ବୀୟ ବାୟୁରେ ଆପଣା ଉଦର ପୂର୍ଣ୍ଣ କରିବ?
هیچ آدم حکیمی با این حرفهای پوچ از خود دفاع نمی‌کند. 3
ସେ କʼଣ ଅନର୍ଥକ କଥାରେ ଓ ନିଷ୍ଫଳ ବାକ୍ୟରେ ଯୁକ୍ତି କରିବ?
مگر از خدا نمی‌ترسی؟ مگر برای او احترامی قائل نیستی؟ 4
ହଁ, ତୁମ୍ଭେ ତ ଭୟ ଦୂର କରି ଦେଉଅଛ ଓ ପରମେଶ୍ୱରଙ୍କ ସାକ୍ଷାତରେ ଭକ୍ତି କ୍ଷୀଣ କରୁଅଛ।
حرفهای تو گناهانت را آشکار می‌سازد. تو با حیله و نیرنگ صحبت می‌کنی. 5
କାରଣ ତୁମ୍ଭର ଅପରାଧ ତୁମ୍ଭ ମୁଖକୁ ଶିଖାଉଅଛି ଓ ତୁମ୍ଭେ ଧୂର୍ତ୍ତର ଜିହ୍ୱା ପସନ୍ଦ କରୁଅଛ।
لازم نیست من تو را محکوم کنم، چون دهان خودت تو را محکوم می‌کند. 6
ତୁମ୍ଭର ନିଜ ମୁଖ ତୁମ୍ଭକୁ ଦୋଷୀ କରୁଅଛି, ମୁଁ କରୁ ନାହିଁ; ଆହୁରି, ତୁମ୍ଭ ନିଜ ଓଷ୍ଠାଧର ତୁମ୍ଭ ବିରୁଦ୍ଧରେ ସାକ୍ଷ୍ୟ ଦେଉଅଛି।
آیا تو داناترین شخص روی زمین هستی؟ آیا تو قبل از ساخته شدن کوهها وجود داشته‌ای و از نقشه‌های مخفی خدا باخبر بوده‌ای؟ آیا حکمت در انحصار توست؟ 7
ମନୁଷ୍ୟମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ତୁମ୍ଭେ କʼଣ ପ୍ରଥମଜାତ? ଅବା ପର୍ବତଗଣ ପୂର୍ବରୁ ତୁମ୍ଭେ କʼଣ ଉତ୍ପନ୍ନ ହୋଇଥିଲ?
8
ତୁମ୍ଭେ କʼଣ ପରମେଶ୍ୱରଙ୍କର ଗୁପ୍ତ ମନ୍ତ୍ରଣା ଶୁଣିଅଛ? ଓ ତୁମ୍ଭେ କʼଣ ଜ୍ଞାନ ଆତ୍ମସାତ୍‍ କରୁଅଛ?
تو چه چیزی بیشتر از ما می‌دانی؟ تو چه می‌فهمی که ما نمی‌فهمیم؟ 9
ଆମ୍ଭମାନଙ୍କୁ ଅଜଣା କେଉଁ କଥା ତୁମ୍ଭେ ଜାଣୁଅଛ? ଆମ୍ଭମାନଙ୍କର ଅବୁଝା କେଉଁ କଥା ତୁମ୍ଭେ ବୁଝୁଅଛ?
در میان ما ریش‌سفیدانی هستند که سنشان از پدر تو هم بیشتر است! 10
ପକ୍ୱକେଶ ବିଶିଷ୍ଟ ଓ ତୁମ୍ଭ ପିତା ଅପେକ୍ଷା ପ୍ରାଚୀନ ଅତି ବୃଦ୍ଧ ଲୋକେ ଆମ୍ଭମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ଅଛନ୍ତି।
آیا تسلی خدا برای تو کم است که آن را رد می‌کنی؟ ما از طرف خدا با ملایمت با تو سخن گفتیم. 11
ପରମେଶ୍ୱରଙ୍କ ସାନ୍ତ୍ୱନା-ବାକ୍ୟ ତୁମ୍ଭ ପ୍ରତି କି କ୍ଷୁଦ୍ର ବିଷୟ ଓ ତୁମ୍ଭ ସହିତ କୋମଳ ଆଳାପ କି ତଦ୍ରୂପ?
ولی تو به هیجان آمده‌ای و چشمانت از شدت عصبانیت برق می‌زنند. 12
ତୁମ୍ଭ ମନ ତୁମ୍ଭକୁ କାହିଁକି ବିପଥରେ ନେଇଯାଏ? ଓ ତୁମ୍ଭର ଚକ୍ଷୁ କାହିଁକି ମଟ୍‍ମଟ୍‍ କରେ
تو بر ضد خدا سخن می‌گویی. 13
ଯେ, ତୁମ୍ଭେ ପରମେଶ୍ୱରଙ୍କ ବିରୁଦ୍ଧରେ ଆପଣା ଆତ୍ମାକୁ ଉଠାଉଅଛ ଓ ଆପଣା ମୁଖରୁ ଏପରି କଥା ବାହାରିବାକୁ ଦେଉଅଛ?
بر روی تمام زمین کدام انسانی می‌تواند آنقدر پاک و خوب باشد که تو ادعا می‌کنی که هستی؟ 14
ମନୁଷ୍ୟ କିଏ ଯେ, ସେ ଶୁଚି ହୋଇପାରେ? ଓ ସ୍ତ୍ରୀଜାତ ମନୁଷ୍ୟ କିଏ ଯେ, ସେ ଧାର୍ମିକ ହୋଇପାରେ?
خدا حتی به فرشتگان خود نیز اعتماد ندارد! در نظر او حتی آسمانها نیز پاک نیستند، 15
ଦେଖ, ସେ ଆପଣା ପବିତ୍ରଗଣଠାରେ ବିଶ୍ୱାସ କରନ୍ତି ନାହିଁ; ଆହୁରି, ତାହାଙ୍କ ଦୃଷ୍ଟିରେ ଆକାଶମଣ୍ଡଳ ନିର୍ମଳ ନୁହେଁ।
چه رسد به انسان گناهکار و فاسد که شرارت را مثل آب سر می‌کشد. 16
ତେବେ ଘୃଣାର୍ହ ଓ ଭ୍ରଷ୍ଟ, ଅଧର୍ମକୁ ଜଳ ପରି ପାନକାରୀ ଯେ ମନୁଷ୍ୟ, ସେ କେଡ଼େ ନ୍ୟୂନ!
حال، به حقایقی که به تجربه یاد گرفته‌ام گوش بده. من این حقایق را از خردمندان یاد گرفته‌ام. پدران ایشان نیز همین حقایق را به آنها آموختند و چیزی از آنها مخفی نداشتند، و در سرزمینشان بیگانگانی نبودند که آنها را از راه خدا منحرف سازند: 17
ମୁଁ ତୁମ୍ଭକୁ ଦେଖାଇବି, ମୋʼ କଥା ଶୁଣ; ମୁଁ ଯାହା ଦେଖିଅଛି, ତାହା ପ୍ରକାଶ କରିବି;
18
ଜ୍ଞାନୀମାନେ ଆପଣା ଆପଣା ପିତୃଲୋକଙ୍କଠାରୁ ତାହା ପାଇ କହିଅଛନ୍ତି ଓ ଗୁପ୍ତ କରି ନାହାନ୍ତି;
19
କେବଳ ସେମାନଙ୍କୁ ଦେଶ ଦତ୍ତ ହୋଇଥିଲା ଓ କୌଣସି ବିଦେଶୀ ସେମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ଗତାୟାତ କଲା ନାହିଁ;
مرد شریر تمام عمرش در زحمت است. 20
ଦୁଷ୍ଟ ଲୋକ ଆପଣାର ଯାବଜ୍ଜୀବନ, ଅର୍ଥାତ୍‍, ଉପଦ୍ରବ ପାଇଁ ନିରୂପିତ ବର୍ଷ ଯାଏ କ୍ଳେଶ ଭୋଗ କରେ।
صداهای ترسناک در گوش او طنین می‌اندازد و زمانی که خیال می‌کند در امان است، ناگهان غارتگران بر او هجوم می‌آورند. 21
ତାହାର କର୍ଣ୍ଣରେ ତ୍ରାସଜନକ ଶବ୍ଦ ଥାଏ, ସୌଭାଗ୍ୟ ସମୟରେ ଲୁଣ୍ଠନକାରୀ ତାହାକୁ ଆକ୍ରମଣ କରିବ;
در تاریکی جرأت نمی‌کند از خانه‌اش بیرون برود، چون می‌ترسد کشته شود. 22
ସେ ଅନ୍ଧକାରରୁ ଫେରି ଆସିବ ବୋଲି ବିଶ୍ୱାସ କରେ ନାହିଁ ଓ ସେ ଖଡ୍ଗ ନିମନ୍ତେ ଅପେକ୍ଷିତ;
به دنبال نان، این در و آن در می‌زند و امیدی به آینده ندارد. 23
ସେ ଖାଦ୍ୟ ନିମନ୍ତେ ବାହାରେ ବୁଲି କହଇ, ତାହା କାହିଁ? ଅନ୍ଧକାରର ଦିନ ତାହାର ସନ୍ନିକଟ ବୋଲି ସେ ଜାଣେ।
مصیبت و بدبختی مانند پادشاهی که آمادهٔ جنگ است، او را به وحشت می‌اندازد و بر او غلبه می‌کند، 24
ସଙ୍କଟ ଓ ମନସ୍ତାପ ତାହାକୁ ଭୀତ କରେ; ଯୁଦ୍ଧାର୍ଥେ ସସଜ୍ଜ ରାଜା ତୁଲ୍ୟ ତାହା ତାହାକୁ ପରାସ୍ତ କରେ;
زیرا او مشت خود را بر ضد خدای قادر مطلق گره کرده، او را به مبارزه می‌طلبد، 25
କାରଣ ସେ ପରମେଶ୍ୱରଙ୍କ ବିରୁଦ୍ଧରେ ଆପଣା ହସ୍ତ ବିସ୍ତାର କରିଅଛି ଓ ସର୍ବଶକ୍ତିମାନଙ୍କ ପ୍ରତିକୂଳରେ ଗର୍ବାଚରଣ କରୁଅଛି;
و گستاخانه سپر ضخیم خود را به دست گرفته، به سوی او حمله‌ور می‌شود. 26
ସେ ଶକ୍ତଗ୍ରୀବ ହୋଇ ଆପଣା ଢାଲର ସ୍ଥୂଳ ଅଂଶ ଦେଖାଇ ତାହାଙ୍କ ଉପରକୁ ଦୌଡ଼େ;
مرد شرور هر چند ثروتمند باشد، ولی عاقبت در شهرهای ویران و خانه‌های متروک و در حال فرو ریختن سکونت خواهد کرد 27
ସେ ଆପଣା ମେଦରେ ଆପଣା ମୁଖ ଆଚ୍ଛାଦନ କଲା ଓ କଟିଦେଶ ହୃଷ୍ଟପୁଷ୍ଟ କଲା;
28
ଆଉ, ସେ ଉଜାଡ଼-ନଗରରେ ନିବାସୀରହିତ ଓ ଢିପି ହେବାକୁ ଉଦ୍ୟତ ଗୃହରେ ବାସ କଲା।
و تمام ثروتش بر باد خواهد رفت. 29
ଏଣୁ ସେ ଧନବାନ ହେବ ନାହିଁ, ଅବା ତାହାର ସମ୍ପତ୍ତି ସ୍ଥାୟୀ ହେବ ନାହିଁ; କିଅବା ସେମାନଙ୍କର ଉତ୍ପନ୍ନ ଫଳ ଭୂମିକୁ ଓହଳିବ ନାହିଁ।
تاریکی برای همیشه او را فرا خواهد گرفت. نفس خدا او را از بین خواهد برد و شعله‌های آتش، دار و ندار او را خواهد سوزانید. 30
ସେ ଅନ୍ଧକାରରୁ ପ୍ରସ୍ଥାନ କରିବ ନାହିଁ, ଅଗ୍ନିଶିଖା ତାହାର ଶାଖା ଶୁଷ୍କ କରିବ ଓ ପରମେଶ୍ୱରଙ୍କ ମୁଖର ନିଶ୍ୱାସରେ ସେ ଉଡ଼ିଯିବ।
پس بهتر است با تکیه کردن به آنچه که ناپایدار و فانی است خود را گول نزند، زیرا این کار ثمری ندارد. 31
ସେ ଆପଣାକୁ ଭ୍ରାନ୍ତ କରି ଅସାରତାରେ ବିଶ୍ୱାସ ନ କରୁ; କାରଣ ଅସାରତା ହିଁ ତାହାର ପୁରସ୍କାର ହେବ।
قبل از آنکه بمیرد، بیهودگی تمام چیزهایی که بر آنها تکیه می‌کرد برایش آشکار خواهد شد، زیرا تمام آنها نیست و نابود خواهند شد. 32
ତାହା ଆପଣା ସମୟ ପୂର୍ବେ ଶେଷ ପାଇବ ଓ ତାହାର ଶାଖା ସତେଜ ହେବ ନାହିଁ।
او مانند درخت انگوری که میوه‌اش قبل از رسیدن پلاسیده و مثل درخت زیتونی که شکوفه‌هایش ریخته باشد، بی‌ثمر خواهد بود. 33
ସେ ଦ୍ରାକ୍ଷାଲତା ନ୍ୟାୟ ଆପଣା ଅପକ୍ୱ ଫଳ ଝାଡ଼ି ପକାଇବ ଓ ଜୀତବୃକ୍ଷ ନ୍ୟାୟ ଆପଣା ଫୁଲ ପକାଇ ଦେବ।
اشخاص خدانشناس، بی‌کس خواهند ماند و خانه‌هایی که با رشوه ساخته‌اند در آتش خواهد سوخت. 34
କାରଣ ଅଧାର୍ମିକମାନଙ୍କ ସଙ୍ଗୀଦଳ ଅଫଳ ହେବେ ଓ ଅଗ୍ନି ଲାଞ୍ଚର ତମ୍ବୁସବୁ ଗ୍ରାସ କରିବ।
وجود این اشخاص از شرارت پر است و آنها غیر از گناه و نیرنگ چیزی به بار نمی‌آورند. 35
ସେମାନେ ଅନିଷ୍ଟ ଗର୍ଭଧାରଣ କରି ଅଧର୍ମ ପ୍ରସବ କରନ୍ତି ଓ ସେମାନଙ୍କ ଉଦର ପ୍ରତାରଣା ପ୍ରସ୍ତୁତ କରେ।”

< ایوب 15 >