< ارمیا 12 >

ای خداوند، تو عادلتر از آن هستی که من با تو بحث و جدل کنم؛ اما می‌خواهم بدانم که چرا بدکاران موفقند؟ چرا اشخاص نادرست در رفاه و آسایشند؟ 1
याहवेह, जब भी मैं आपके समक्ष अपना मुकदमा प्रस्तुत करता हूं, आप सदैव ही युक्त प्रमाणित होते हैं. निःसंदेह मैं आपके ही साथ न्याय संबंधी विषयों पर विचार-विमर्श करूंगा: क्यों बुराइयों का जीवन समृद्ध होता गया है? क्यों वे सब जो विश्वासघात के व्यापार में लिप्‍त हैं निश्चिंत जीवन जी रहे हैं?
تو ایشان را مانند درختی که ریشه می‌دواند و میوه می‌آورد، کامیاب می‌سازی. به زبان تو را شکر می‌کنند، اما دلهایشان از تو دور است! 2
आपने उन्हें रोपित किया है, अब तो उन्होंने जड़ भी पकड़ ली है; वे विकास कर रहे हैं और अब तो वे फल भी उत्पन्‍न कर रहे हैं. उनके होंठों पर तो आपका नाम बना रहता है किंतु अपने मन से उन्होंने आपको दूर ही दूर रखा है.
حال آنکه تو از دل من آگاهی و مرا خوب می‌شناسی. خداوندا، ایشان را مثل گوسفند به کشتارگاه بِکِش و به سزای اعمالشان برسان! 3
किंतु याहवेह, आप मुझे जानते हैं; मैं आपकी दृष्टि में बना रहता हूं; आप मेरे हृदय की परीक्षा करते रहते हैं. उन्हें इस प्रकार खींचकर अलग कर लीजिए, जिस प्रकार वध के लिए भेड़ें अलग की जाती हैं! उन्हें नरसंहार के दिन के लिए तैयार कर लीजिए!
تا به کی باید این سرزمین به سبب اعمال و رفتار آنها ماتم گیرد؟ حتی گیاهان صحرا هم به علّت گناهان آنها خشک شده و حیوانات و پرندگان از بین رفته‌اند؛ با این حال ایشان می‌گویند: «خدا ما را مجازات نخواهد کرد!» 4
हमारा देश और कितने दिन विलाप करता रहेगा तथा कब तक मैदान में घास मुरझाती रहेगी? क्योंकि देशवासियों की बुराई के कारण, पशु-पक्षी सहसा वहां से हटा दिए गए हैं. क्योंकि, वे मनुष्य अपने मन में विचार कर रहे हैं, “परमेश्वर को हमारे द्वारा किए गए कार्यों का परिणाम दिखाई न देगा.”
«اگر با کسانی که انسانی بیش نیستند مسابقه دادی و خسته شدی، پس چگونه با اسبان مسابقه خواهی داد؟ اگر در زمین صاف نتوانستی بایستی و لغزیدی، در جنگلهای انبوه اردن چه خواهی کرد؟ 5
“यदि तुम धावकों के साथ दौड़ रहे थे और तुम इससे थक चुके हो, तो तुम घोड़ों से स्पर्धा कैसे कर सकोगे? यदि तुम अनुकूल क्षेत्र में ही लड़खड़ा गए तो, यरदन क्षेत्र के बंजर भूमि में तुम्हारा क्या होगा?
حتی برادران و خانوادهٔ خودت، علیه تو هستند و برایت توطئه چیده‌اند! پس اگرچه با تو دوستانه صحبت کنند، به آنها اعتماد نکن و سخنانشان را باور منما.» 6
क्योंकि यहां तक कि तुम्हारे भाई-बंधुओं तथा तुम्हारे पिता के ही परिवार ने— तुम्हारे साथ विश्वासघात किया है; वे चिल्ला-चिल्लाकर तुम्हारा विरोध कर रहे हैं. यदि वे तुमसे तुम्हारे विषय में अनुकूल शब्द भी कहें, फिर भी उनका विश्वास न करना.
آنگاه خداوند فرمود: «من بنی‌اسرائیل را ترک گفته و قوم برگزیدهٔ خود را طرد کرده‌ام! عزیزان خود را تسلیم دشمن کرده‌ام. 7
“मैंने अपने परिवार का परित्याग कर दिया है, मैंने अपनी इस निज भाग को भी छोड़ दिया है; मैंने अपनी प्राणप्रिया को उसके शत्रुओं के हाथों में सौंप दिया है.
قوم من مانند شیر جنگل بر من غریده‌اند، پس من نیز از ایشان بیزار شده‌ام. 8
मेरे लिए तो अब मेरा यह निज भाग वन के सिंह सदृश हो गया है. उसने मुझ पर गर्जना की है; इसलिये अब मुझे उससे घृणा हो गई है.
«قوم من همانند پرندهٔ رنگارنگی است که از هر طرف مورد حملهٔ مرغان وحشی قرار گرفته است؛ پس حیوانات درنده را نیز فرا خوانید تا به این ضیافت بپیوندند! 9
क्या मेरे लिए यह निज भाग चित्तिवाले शिकारी पक्षी सदृश है? क्या वह चारों ओर से शिकारी पक्षी से घिर चुकी है? जाओ, मैदान के सारे पशुओं को एकत्र करो; कि वे आकर इन्हें निगल कर जाएं.
«بسیاری از حاکمان بیگانه، تاکستانم را غارت کرده‌اند و سرزمین محبوب مرا پایمال نموده‌اند. آنها سرزمین حاصلخیز مرا به بیابان خشک تبدیل کرده‌اند. 10
अनेक हैं वे चरवाहे जिन्होंने मेरा द्राक्षाउद्यान नष्ट कर दिया है, उन्होंने मेरे अंश को रौंद डाला है; जिन्होंने मेरे मनोहर खेत को निर्जन एवं उजाड़ कर छोड़ा है.
بله، آن را ویران ساخته‌اند؛ اینک ناله‌های ماتم از آن به گوشم می‌رسد؛ همه جا ویران شده و کسی بدان توجه ندارد. 11
इसे उजाड़ बना दिया गया है, अपनी उजाड़ स्थिति में देश मेरे समक्ष विलाप कर रहा है; सारा देश ही ध्वस्त किया जा चुका है; क्योंकि किसी को इसकी हितचिंता ही नहीं है.
مهاجمین همهٔ گوشه و کنار سرزمین را غارت می‌کنند، زیرا من شمشیرم را فرستاده‌ام تا فرد فرد قوم را هلاک سازد، و هیچ‌کس در امان نخواهد بود. 12
निर्जन प्रदेश में वनस्पतिहीन पहाड़ियों पर विनाशक सेना आ पहुंची है, क्योंकि देश के एक ओर से दूसरी ओर तक याहवेह की घातक तलवार तैयार हो चुकी है; इस तलवार से सुरक्षित कोई भी नहीं है.
گندم کاشته‌اند، ولی خار درو کرده‌اند؛ زحمت بسیار کشیده‌اند، ولی چیزی عایدشان نشده است؛ از شدت خشم من، محصولشان از بین رفته است و به این علّت همه شرمسارند.» 13
उन्होंने रोपण तो किया गेहूं को किंतु उपज काटी कांटों की; उन्होंने परिश्रम तो किया किंतु लाभ कुछ भी अर्जित न हुआ. उपयुक्त है कि ऐसी उपज के लिए तुम लज्जित होओ क्योंकि इसके पीछे याहवेह का प्रचंड कोप क्रियाशील है.”
خداوند دربارهٔ همسایگان شرور قوم اسرائیل که سرزمین او را مورد تهاجم قرار داده‌اند سرزمینی که خدا به ایشان داده است چنین می‌فرماید: «ایشان را مانند یهودا از سرزمینشان بیرون خواهم راند، 14
अपने बुरे पड़ोसियों के विषय में जिन्होंने मेरी प्रजा इस्राएल के इस निज भाग पर आक्रमण किया है, याहवेह का यह कहना है: “यह देख लेना, मैं उन्हें उनके देश में से अलग करने पर हूं और उनके मध्य से मैं यहूदाह के वंश को अलग कर दूंगा.
ولی بعد از آن، بار دیگر بر آنها ترحم خواهم نمود و هر یک را به زمین و مملکت خود باز خواهم گرداند. 15
और तब जब मैं उन्हें अलग कर दूंगा, मैं उन पर पुनः अपनी करुणा प्रदर्शित करूंगा; तब मैं उनमें से हर एक को उसके इस निज भाग में लौटा ले आऊंगा; हर एक को उसके देश में लौटा लाऊंगा.
اگر این قومهای بت‌پرست، راه و رسم قوم مرا خوب بیاموزند (همان‌گونه که قبلاً به قوم من راه و روش بعل را آموخته بودند)، و به جای بعل مرا خدای خود بدانند، آنگاه جزو قوم من شده کامیاب خواهند شد. 16
तब यदि वे मेरी प्रजा की नीतियां सीख लेंगे और बाल के जीवन की शपथ कहने के स्थान पर कहेंगे, ‘जीवित याहवेह की शपथ,’ तब वे मेरी प्रजा के मध्य ही समृद्ध होते चले जाएंगे.
اما هر قومی که نخواهد مرا اطاعت نماید، او را به کلی ریشه‌کن کرده، از بین خواهم برد.» این کلام خداوند است. 17
किंतु यदि वे मेरे आदेश की अवहेलना करेंगे, तब मैं उस राष्ट्र को अलग कर दूंगा; अलग कर उसे नष्ट कर दूंगा,” यह याहवेह की वाणी है.

< ارمیا 12 >