< اشعیا 20 >
سرگن، پادشاه آشور، سردار سپاه خود را به شهر اشدود در فلسطین فرستاد و آن را تسخیر کرد. | 1 |
१जिस वर्ष में अश्शूर के राजा सर्गोन की आज्ञा से तर्त्तान ने अश्दोद आकर उससे युद्ध किया और उसको ले भी लिया,
سه سال پیش از این رویداد، خداوند به اشعیا پسر آموص فرموده بود که لباس و کفش خود را از تن در بیاورد و عریان و پا برهنه راه برود، و اشعیا چنین کرد. | 2 |
२उसी वर्ष यहोवा ने आमोस के पुत्र यशायाह से कहा, “जाकर अपनी कमर का टाट खोल और अपनी जूतियाँ उतार;” अतः उसने वैसा ही किया, और वह नंगा और नंगे पाँव घूमता फिरता था।
هنگامی که اشدود به دست آشور افتاد خداوند فرمود: «خدمتگزار من اشعیا مدت سه سال عریان و پا برهنه راه رفته است. این نشانهٔ بلاهای هولناکی است که من بر مصر و حبشه خواهم آورد. | 3 |
३तब यहोवा ने कहा, “जिस प्रकार मेरा दास यशायाह तीन वर्ष से उघाड़ा और नंगे पाँव चलता आया है, कि मिस्र और कूश के लिये चिन्ह और लक्षण हो,
پادشاه آشور مردم مصر و حبشه را اسیر خواهد کرد و کوچک و بزرگ را مجبور خواهد ساخت عریان و پا برهنه راه بروند تا مصر را رسوا کند. | 4 |
४उसी प्रकार अश्शूर का राजा मिस्री और कूश के लोगों को बन्दी बनाकर देश निकाला करेगा, क्या लड़के क्या बूढे़, सभी को बन्दी बनाकर उघाड़े और नंगे पाँव और नितम्ब खुले ले जाएगा, जिससे मिस्र लज्जित हो।
آنگاه مردمی که در سواحل فلسطین زندگی میکنند و تکیهگاهشان حبشه، و فخرشان مصر است، پریشان و رسوا شده، خواهند گفت:”اگر بر سر مصر که میخواستیم از دست آشور به او پناه ببریم چنین بلایی آمد، پس بر سر ما چه خواهد آمد؟“» | 5 |
५तब वे कूश के कारण जिस पर उनकी आशा थी, और मिस्र के हेतु जिस पर वे फूलते थे व्याकुल और लज्जित हो जाएँगे।
६और समुद्र के इस पार के बसनेवाले उस समय यह कहेंगे, ‘देखो, जिन पर हम आशा रखते थे ओर जिनके पास हम अश्शूर के राजा से बचने के लिये भागने को थे उनकी ऐसी दशा हो गई है। तो फिर हम लोग कैसे बचेंगे’?”