< پیدایش 7 >

سپس خداوند به نوح فرمود: «تو و اهل خانه‌ات داخل کشتی شوید، زیرا در بین همهٔ مردمان این روزگار فقط تو را عادل یافتم. 1
फिर याहवेह ने नोहा से कहा, “तुम और तुम्हारा पूरा परिवार जहाज़ में जाओ, क्योंकि इस पृथ्वी पर केवल तुम ही धर्मी हो.
از همۀ حیوانات حلال گوشت، هفت جفت، نر و ماده، با خود بردار، و نیز از حیوانات نجس، یک جفت، نر و ماده، 2
तुम अपने साथ उन पशुओं के सात-सात जोड़े नर एवं मादा ले लो, जो शुद्ध माने जाते हैं तथा उन पशुओं का भी एक-एक जोड़ा, जो शुद्ध नहीं माने जाते.
و از پرندگان هفت جفت، نر و ماده؛ تا بعد از طوفان، نسل آنها روی زمین باقی بماند. 3
इसी प्रकार आकाश के पक्षियों के सात जोड़े—नर तथा मादा, ले लो.
پس از یک هفته، به مدت چهل شبانه روز باران فرو خواهم ریخت و هر موجودی را که به وجود آورده‌ام، از روی زمین محو خواهم کرد.» 4
क्योंकि अब से सात दिन के बाद, मैं पृथ्वी पर जल बरसाऊंगा, चालीस दिन तथा चालीस रात तक जल बरसाता रहूंगा और भूमि पर मेरे द्वारा रचे गये सभी जीवित प्राणी नष्ट हो जायेंगे.”
پس نوح هر آنچه را که خداوند به او امر فرموده بود انجام داد. 5
नोहा ने याहवेह की सब बातों को माना.
وقتی که آن طوفان عظیم بر زمین آمد، نوح ششصد ساله بود. 6
जब पृथ्वी पर जलप्रलय शुरू हुआ, तब नोहा छः सौ वर्ष के थे.
او و همسرش به اتفاق پسران و عروسانش به درون کشتی رفتند تا از خطر طوفان در امان باشند. 7
नोहा, उनकी पत्नी, उनके पुत्र, तथा उनकी बहुएं प्रलय से बचने के लिए जहाज़ में चले गए.
همه نوع حیوان، چه حلال گوشت چه حرام گوشت، و نیز پرندگان و خزندگان، 8
शुद्ध तथा अशुद्ध पशु, पक्षी तथा भूमि पर रेंगनेवाले जंतु,
همراه نوح به داخل کشتی رفتند. همان‌طوری که خدا فرموده بود، آنها جفت‌جفت، نر و ماده، در کشتی جای گرفتند. 9
नर एवं मादा को जोड़ों में नोहा ने जहाज़ में लिया, जैसा परमेश्वर ने नोहा से कहा था.
پس از هفت روز، آب طوفان زمین را فرا گرفت. 10
सात दिन बाद पृथ्वी पर पानी बरसना शुरू हुआ.
وقتی نوح ششصد ساله بود، در روز هفدهم ماه دوم، همۀ آبهای زیرزمینی فوران کرد و باران به شدت از آسمان بارید. 11
नोहा के छः सौ वर्ष के दूसरे महीने के सत्रहवें दिन महासागर के सोते फूट पड़े तथा आकाश को खोल दिया गया.
باران چهل شبانه روز بر زمین می‌بارید. 12
और पृथ्वी पर चालीस दिन तथा चालीस रात लगातार बरसात होती रही.
اما روزی که طوفان شروع شد، نوح و همسر و پسرانش، سام و حام و یافث و زنان آنها داخل کشتی بودند. 13
ठीक उसी दिन नोहा, उनके पुत्र शेम, हाम तथा याफेत, नोहा की पत्नी तथा उनकी तीनों बहुएं जहाज़ में चले गए.
همراه آنان از هر نوع حیوان اهلی و وحشی، و پرنده و خزنده نیز در کشتی بودند. 14
और उनके साथ सब जाति के वन्य पशु, पालतू पशु, रेंगनेवाले जंतु, सभी प्रकार के पक्षी और वे सभी जिनके पंखे हैं, जहाज़ में गए.
از هر نوع حیوان که نَفَس حیات در خود داشتند، دو به دو، داخل کشتی شدند. 15
इस प्रकार वे सभी, जिसमें जीवन था, दो-दो नोहा के पास जहाज़ में पहुंच गए.
پس از آنکه حیوانات نر و ماده، طبق دستور خدا به نوح، وارد کشتی شدند خداوند درِ کشتی را از عقب آنها بست. 16
नोहा को परमेश्वर के आदेश के अनुसार, जो जहाज़ में पहुंचे, वे सभी प्राणियों के नर एवं मादा थे. जहाज़ में आए सबके अंदर जाते ही याहवेह ने द्वार बंद कर दिया.
به مدت چهل شبانه روز باران سیل‌آسا می‌بارید و به تدریج زمین را می‌پوشانید، تا اینکه کشتی از روی زمین بلند شد. 17
पृथ्वी पर चालीस दिन तथा चालीस रात तक पानी बरसता रहा. पानी ऊपर होता गया और जहाज़ भी ऊपर उठता गया.
رفته‌رفته آب آنقدر بالا آمد که کشتی روی آن شناور گردید. 18
पानी से पूरी पृथ्वी डूब गई, और जहाज़ पानी के ऊपर तैरता रहा.
سرانجام بلندترین کوهها نیز به زیر آب فرو رفتند. 19
जल पृथ्वी पर इतना बढ़ गया कि आकाश के नीचे के बड़े-बड़े पहाड़ भी डूब गए.
باران آنقدر بارید که سطح آب به پانزده ذِراع بالاتر از قلهٔ کوهها رسید. 20
पानी पहाड़ के लगभग सात मीटर ऊंचा हो गया.
همهٔ جاندارانِ روی زمین یعنی حیواناتِ اهلی و وحشی، خزندگان و پرندگان، با آدمیان هلاک شدند. 21
पृथ्वी पर का सब कुछ नाश हो गया; प्रत्येक जीवित प्राणी जो भूमि पर चलती थी—पक्षी, पशु, जंगली जानवर, वे सभी प्राणी जो पृथ्वी पर तैरते हैं, और पूरी मानव जाति.
هر موجودِ زنده‌ای که در خشکی بود، از بین رفت. 22
थल के सभी जीवित प्राणी मर गये.
بدین‌سان خدا تمام موجودات زنده را از روی زمین محو کرد، به‌جز نوح و آنانی که در کشتی همراهش بودند. 23
इस प्रकार याहवेह ने पृथ्वी के सभी मनुष्य, पशु, रेंगनेवाले जंतु आकाश के पक्षी, सभी को नाश कर दिया. केवल नोहा और उनका परिवार तथा जो जीव-जन्तु जहाज़ में थे, वही बचे.
آب تا صد و پنجاه روز همچنان روی زمین را پوشانیده بود. 24
150 दिन पृथ्वी पानी से ढकी रही.

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The Great Flood
The Great Flood