< حِزِقیال 33 >
خداوند در پیغامی دیگر به من فرمود: «ای پسر انسان، به قوم خود بگو که اگر لشکری به جنگ سرزمینی بفرستم و مردم آن سرزمین هم یک دیدبان انتخاب کنند، | 1 |
१यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा:
२“हे मनुष्य के सन्तान, अपने लोगों से कह, जब मैं किसी देश पर तलवार चलाने लगूँ, और उस देश के लोग किसी को अपना पहरुआ करके ठहराएँ,
و آن دیدبان وقتی نزدیک شدن سپاه دشمن را ببیند شیپور خطر را به صدا درآورد و به ایشان خبر دهد، | 3 |
३तब यदि वह यह देखकर कि इस देश पर तलवार चलने वाली है, नरसिंगा फूँककर लोगों को चिता दे,
آنگاه اگر کسی شیپور خطر را بشنود و به آن توجه نکند و به دست دشمن کشته شود، خونش به گردن خودش خواهد بود. | 4 |
४तो जो कोई नरसिंगे का शब्द सुनने पर न चेते और तलवार के चलने से मर जाए, उसका खून उसी के सिर पड़ेगा।
زیرا اگرچه صدای شیپور را شنیده، اما به آن اهمیت نداده، پس خودش مقصر است. اگر او به اخطار توجه میکرد، جانش را نجات میداد. | 5 |
५उसने नरसिंगे का शब्द सुना, परन्तु न चेता; इसलिए उसका खून उसी को लगेगा। परन्तु, यदि वह चेत जाता, तो अपना प्राण बचा लेता।
ولی اگر دیدبان ببیند که سپاه دشمن میآید، اما شیپور خطر را ننوازد و به قوم خبر ندهد، او مسئول مرگ ایشان خواهد بود. آنها در گناهانشان میمیرند. ولی من آن دیدبان را مسئول مرگ آنان خواهم دانست. | 6 |
६परन्तु यदि पहरुआ यह देखने पर कि तलवार चलने वाली है नरसिंगा फूँककर लोगों को न चिताए, और तलवार के चलने से उनमें से कोई मर जाए, तो वह तो अपने अधर्म में फँसा हुआ मर जाएगा, परन्तु उसके खून का लेखा मैं पहरुए ही से लूँगा।
«ای پسر انسان، من تو را به دیدبانی قوم اسرائیل تعیین کردهام. پس به آنچه که میگویم، گوش کن و از طرف من به ایشان خبر بده. | 7 |
७“इसलिए, हे मनुष्य के सन्तान, मैंने तुझे इस्राएल के घराने का पहरुआ ठहरा दिया है; तू मेरे मुँह से वचन सुन-सुनकर उन्हें मेरी ओर से चिता दे।
وقتی به شخص شریر بگویم:”تو خواهی مرد!“و تو به او هشدار ندهی تا از راه بد خود بازگشت کند، آنگاه آن شخص در گناهش خواهد مرد، ولی تو را مسئول مرگ او خواهم دانست. | 8 |
८यदि मैं दुष्ट से कहूँ, ‘हे दुष्ट, तू निश्चय मरेगा,’ तब यदि तू दुष्ट को उसके मार्ग के विषय न चिताए, तो वह दुष्ट अपने अधर्म में फँसा हुआ मरेगा, परन्तु उसके खून का लेखा में तुझी से लूँगा।
اما اگر به او خبر دهی تا از راه بد خود بازگشت نماید و او این کار را نکند، وی در گناه خودش خواهد مرد، ولی تو دیگر مسئول نخواهی بود.» | 9 |
९परन्तु यदि तू दुष्ट को उसके मार्ग के विषय चिताए कि वह अपने मार्ग से फिरे और वह अपने मार्ग से न फिरे, तो वह तो अपने अधर्म में फँसा हुआ मरेगा, परन्तु तू अपना प्राण बचा लेगा।
«ای پسر انسان به قوم اسرائیل بگو: شما میگویید:”گناهان ما برای ما یک بار سنگین است. به سبب گناه، ضعیف و ناتوان شدهایم، پس چطور میتوانیم زنده بمانیم؟“ | 10 |
१०“फिर हे मनुष्य के सन्तान, इस्राएल के घराने से यह कह, तुम लोग कहते हो: ‘हमारे अपराधों और पापों का भार हमारे ऊपर लदा हुआ है और हम उसके कारण नाश हुए जाते हैं; हम कैसे जीवित रहें?’
به ایشان بگو خداوند یهوه میفرماید:”به حیات خود قسم، من از مردن شخص شرور خشنود نمیشوم، بلکه از این خشنود میشوم که شخص شرور از راههای بد خود بازگشت کند و زنده بماند. ای اسرائیل، بازگشت کنید! از راههای بد خود بازگشت کنید! چرا بمیرید؟“ | 11 |
११इसलिए तू उनसे यह कह, परमेश्वर यहोवा की यह वाणी है: मेरे जीवन की सौगन्ध, मैं दुष्ट के मरने से कुछ भी प्रसन्न नहीं होता, परन्तु इससे कि दुष्ट अपने मार्ग से फिरकर जीवित रहे; हे इस्राएल के घराने, तुम अपने-अपने बुरे मार्ग से फिर जाओ; तुम क्यों मरो?
زیرا اگر مرد درستکار به طرف گناه برگردد، اعمال نیکش او را نجات نخواهد داد. اگر شخص شرور هم توبه کند و از گناهانش دست بکشد، گناهان گذشتهٔ او باعث هلاکتش نمیشود. | 12 |
१२हे मनुष्य के सन्तान, अपने लोगों से यह कह, जब धर्मी जन अपराध करे तब उसकी धार्मिकता उसे बचा न सकेगी; और दुष्ट की दुष्टता भी जो हो, जब वह उससे फिर जाए, तो उसके कारण वह न गिरेगा; और धर्मी जन जब वह पाप करे, तब अपनी धार्मिकता के कारण जीवित न रहेगा।
«من میگویم که آدم درستکار زنده میماند. ولی اگر گناه کند و انتظار داشته باشد کارهای خوب گذشتهاش او را نجات دهد، باید بداند که هیچکدام از کارهای خوب او به یاد آورده نخواهد شد؛ وی را برای گناهانش هلاک میکنم. | 13 |
१३यदि मैं धर्मी से कहूँ कि तू निश्चय जीवित रहेगा, और वह अपने धार्मिकता पर भरोसा करके कुटिल काम करने लगे, तब उसके धार्मिकता के कामों में से किसी का स्मरण न किया जाएगा; जो कुटिल काम उसने किए हों वह उन्हीं में फँसा हुआ मरेगा।
هنگامی که به شخص شرور بگویم که میمیرد و او از گناهانش دست بکشد و به راستی و انصاف عمل کند، | 14 |
१४फिर जब मैं दुष्ट से कहूँ, तू निश्चय मरेगा, और वह अपने पाप से फिरकर न्याय और धर्म के काम करने लगे,
یعنی اگر آنچه را که گرو گرفته است، پس بدهد؛ مالی را که دزدیده است، به صاحبش برگرداند؛ در راه راست قدم بردارد و بدی نکند؛ در این صورت، حتماً زنده خواهد ماند و نخواهد مرد. | 15 |
१५अर्थात् यदि दुष्ट जन बन्धक लौटा दे, अपनी लूटी हुई वस्तुएँ भर दे, और बिना कुटिल काम किए जीवनदायक विधियों पर चलने लगे, तो वह न मरेगा; वह निश्चय जीवित रहेगा।
هیچیک از گناهان گذشتهاش به حساب نخواهند آمد و او زنده خواهد ماند، زیرا به خوبی و راستی روی آورده است. | 16 |
१६जितने पाप उसने किए हों, उनमें से किसी का स्मरण न किया जाएगा; उसने न्याय और धर्म के काम किए और वह निश्चय जीवित रहेगा।
«با وجود این، قوم تو میگویند که خداوند بیانصاف است! ولی بیانصافی از جانب آنهاست، نه از جانب من! | 17 |
१७“तो भी तुम्हारे लोग कहते हैं, प्रभु की चाल ठीक नहीं; परन्तु उन्हीं की चाल ठीक नहीं है।
چون باز هم به شما میگویم که اگر شخص درستکار به گناه و بدی روی بیاورد، خواهد مرد. | 18 |
१८जब धर्मी अपने धार्मिकता से फिरकर कुटिल काम करने लगे, तब निश्चय वह उनमें फँसा हुआ मर जाएगा।
ولی اگر شخص شرور از بدی و شرارت خود دست بکشد و به راستی عمل کند، زنده خواهد ماند. | 19 |
१९जब दुष्ट अपनी दुष्टता से फिरकर न्याय और धर्म के काम करने लगे, तब वह उनके कारण जीवित रहेगा।
با وجود این، میگویید که خداوند عادل و با انصاف نیست. ای بنیاسرائیل، بدانید که من هر یک از شما را مطابق اعمالش داوری خواهم کرد.» | 20 |
२०तो भी तुम कहते हो कि प्रभु की चाल ठीक नहीं? हे इस्राएल के घराने, मैं हर एक व्यक्ति का न्याय उसकी चाल ही के अनुसार करूँगा।”
در سال دوازدهم تبعیدمان، در روز پنجم از ماه دهم، شخصی که از اورشلیم فرار کرده بود، نزد من آمد و گفت: «شهر به دست دشمن افتاده است!» | 21 |
२१फिर हमारी बँधुआई के ग्यारहवें वर्ष के दसवें महीने के पाँचवें दिन को, एक व्यक्ति जो यरूशलेम से भागकर बच गया था, वह मेरे पास आकर कहने लगा, “नगर ले लिया गया।”
عصر روز قبل، یعنی یک روز پیش از آمدن این شخص، دست خداوند بر من قرار گرفته و زبانم را باز کرده بود. پس، روز بعد که او آمد توانستم دوباره حرف بزنم. | 22 |
२२उस भागे हुए के आने से पहले साँझ को यहोवा की शक्ति मुझ पर हुई थी; और भोर तक अर्थात् उस मनुष्य के आने तक उसने मेरा मुँह खोल दिया; अतः मेरा मुँह खुला ही रहा, और मैं फिर गूँगा न रहा।
سپس این پیغام بر من نازل شد: | 23 |
२३तब यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा:
«ای پسر انسان، بازماندگان پراکندهٔ یهودا که در میان شهرهای ویران شده به سر میبرند، میگویند:”ابراهیم فقط یک نفر بود، با وجود این صاحب تمام سرزمین شد! پس ما که تعدادمان زیاد است بهیقین خواهیم توانست به آسانی آن را پس بگیریم!“ | 24 |
२४“हे मनुष्य के सन्तान, इस्राएल की भूमि के उन खण्डहरों के रहनेवाले यह कहते हैं, अब्राहम एक ही मनुष्य था, तो भी देश का अधिकारी हुआ; परन्तु हम लोग बहुत से हैं, इसलिए देश निश्चय हमारे ही अधिकार में दिया गया है।
به ایشان بگو خداوند یهوه میفرماید:”شما گوشت را با خون میخورید، بت میپرستید و آدم میکشید. آیا خیال میکنید به شما اجازه میدهم صاحب این سرزمین شوید؟ | 25 |
२५इस कारण तू उनसे कह, परमेश्वर यहोवा यह कहता है, तुम लोग तो माँस लहू समेत खाते और अपनी मूरतों की ओर दृष्टि करते, और हत्या करते हो; फिर क्या तुम उस देश के अधिकारी रहने पाओगे?
ای آدمکشان، ای بتپرستان، ای زناکاران، آیا شایسته هستید که صاحب این سرزمین شوید؟“ | 26 |
२६तुम अपनी-अपनी तलवार पर भरोसा करते और घिनौने काम करते, और अपने-अपने पड़ोसी की स्त्री को अशुद्ध करते हो; फिर क्या तुम उस देश के अधिकारी रहने पाओगे?
«به حیات خود قسم، آنهایی که در شهرهای ویران شده به سر میبرند با شمشیر کشته میشوند. آنانی که در صحرا ساکنند، خوراک جانوران وحشی میشوند و کسانی که در قلعهها و غارها هستند با بیماری میمیرند. | 27 |
२७तू उनसे यह कह, परमेश्वर यहोवा यह कहता है: मेरे जीवन की सौगन्ध, निःसन्देह जो लोग खण्डहरों में रहते हैं, वे तलवार से गिरेंगे, और जो खुले मैदान में रहता है, उसे मैं जीवजन्तुओं का आहार कर दूँगा, और जो गढ़ों और गुफाओं में रहते हैं, वे मरी से मरेंगे।
این سرزمین را متروک و ویران میگردانم و به غرور و قدرت آن پایان میدهم. آبادیهای کوهستانی اسرائیل چنان ویران میشوند که حتی کسی از میان آنها عبور نخواهد کرد. | 28 |
२८मैं उस देश को उजाड़ ही उजाड़ कर दूँगा; और उसके बल का घमण्ड जाता रहेगा; और इस्राएल के पहाड़ ऐसे उजड़ेंगे कि उन पर होकर कोई न चलेगा।
وقتی مملکت اسرائیل را به سبب گناهان ساکنانش خراب کنم، آنگاه خواهند دانست که من یهوه هستم. | 29 |
२९इसलिए जब मैं उन लोगों के किए हुए सब घिनौने कामों के कारण उस देश को उजाड़ ही उजाड़ कर दूँगा, तब वे जान लेंगे कि मैं यहोवा हूँ।
«ای پسر انسان، قوم تو وقتی در کنار در خانههای خود و در کنار دیوار شهر جمع میشوند دربارهٔ تو میگویند:”بیایید نزد او برویم و گوش بدهیم که از طرف خداوند به ما چه میگوید.“ | 30 |
३०“हे मनुष्य के सन्तान, तेरे लोग दीवारों के पास और घरों के द्वारों में तेरे विषय में बातें करते और एक दूसरे से कहते हैं, ‘आओ, सुनो, यहोवा की ओर से कौन सा वचन निकलता है।’
آنگاه میآیند و در حضور تو مینشینند و گوش میدهند. ولی قصدشان این نیست که آنچه من به ایشان میگویم، انجام دهند. آنها فقط به زبان، مرا میپرستند، ولی در عمل در پی منافع خود هستند. | 31 |
३१वे प्रजा के समान तेरे पास आते और मेरी प्रजा बनकर तेरे सामने बैठकर तेरे वचन सुनते हैं, परन्तु वे उन पर चलते नहीं; मुँह से तो वे बहुत प्रेम दिखाते हैं, परन्तु उनका मन लालच ही में लगा रहता है।
تو برای ایشان مطربی هستی که با ساز و آواز دلنشین آنها را سرگرم میکند. سخنانت را میشنوند، ولی به آنها عمل نمیکنند. | 32 |
३२तू उनकी दृष्टि में प्रेम के मधुर गीत गानेवाले और अच्छे बजानेवाले का सा ठहरा है, क्योंकि वे तेरे वचन सुनते तो है, परन्तु उन पर चलते नहीं।
اما وقتی همهٔ سخنانی که گفتهای واقع شوند، که البته واقع خواهند شد، آنگاه خواهند دانست که یک نبی در میان ایشان بوده است.» | 33 |
३३इसलिए जब यह बात घटेगी, और वह निश्चय घटेगी! तब वे जान लेंगे कि हमारे बीच एक भविष्यद्वक्ता आया था।”