< حِزِقیال 29 >
در سال دهم تبعیدمان، در روز دوازدهم ماه دهم، این پیغام از جانب خداوند بر من نازل شد: | 1 |
दसवें बरस के दसवें महीने की बारहवीं तारीख़ को ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ:
«ای پسر انسان، رو به سوی مصر نموده، بر ضد پادشاه و تمام مردم آن پیشگویی کن. | 2 |
कि 'ऐ आदमज़ाद, तू शाह — ए — मिस्र फ़िर'औन के ख़िलाफ़ हो, और उसके और तमाम मुल्क — ए — मिस्र के ख़िलाफ़ नबुव्वत कर
به ایشان بگو که خداوند یهوه میفرماید: ای پادشاه مصر، ای اژدهای بزرگ که در وسط رودخانهات خوابیدهای، من دشمن تو هستم. چون گفتهای:”رود نیل مال من است! من آن را برای خود درست کردهام!“ | 3 |
कलाम कर और कह, ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: कि “देख, ऐ शाह — ए — मिस्र फ़िर'औन, मैं तेरा मुख़ालिफ़ हूँ; उस बड़े घड़ियाल का जो अपने दरियाओं में लेट रहता है और कहता है कि 'मेरा दरिया-ए-नील मेरा ही है, और मैंने उसे अपने लिए बनाया है।
پس، من قلابها را در چانهات میگذارم و تو را با ماهیهایی که به پوست بدنت چسبیدهاند به خشکی میکشانم. | 4 |
लेकिन मैं तेरे जबड़ों में काँटे अटकाऊँगा, और तेरी दरियाओं की मछलियाँ तेरी खाल पर चिमटाऊँगा, और तुझे तेरी तेरे दरियाओं से बाहर से बाहर खींच निकालूँगा और तेरे दरियाओं की सब मछलियाँ तेरी खाल पर चिमटी होंगी।
تو را با تمام ماهیها در خشکی رها میکنم تا بمیرید. لاشههای شما در صحرا پراکنده خواهد شد و کسی آنها را جمع نخواهد کرد. من شما را خوراک پرندگان و جانوران وحشی میکنم. | 5 |
और मैं तुझ को और तेरे दरियाओं की मछलियों को वीराने में फेंक दूँगा, तू खुले मैदान में पड़ा रहेगा, तू न बटोरा जाएगा न जमा' किया जाएगा; मैंने तुझे मैदान के दरिन्दों और आसमान के परिन्दों की ख़ुराक कर दिया है।
آنگاه تمام مردم مصر خواهند دانست که من یهوه هستم.» خداوند میفرماید: «ای مصر، تو برای قوم اسرائیل عصای ترک خوردهای بیش نبودی. | 6 |
और मिस्र के तमाम बाशिन्दे जानेंगे कि मैं ख़ुदावन्द हूँ। इसलिए कि वह बनी — इस्राईल के लिए सिर्फ़ सरकंडे का 'असा थे।
وقتی اسرائیل به تو تکیه کرد، تو خرد شدی و شانهاش را شکستی و او را به درد و عذاب گرفتار کردی. | 7 |
जब उन्होंने तुझे हाथ में लिया, तो तू टूट गया और उन सबके कन्धे ज़ख्मी कर डाले; फिर जब उन्होंने तुझ पर भरोसा किया, तो तू टुकड़े — टुकड़े हो गया और उन सब की कमरें हिल गई।
بنابراین، من که خداوند یهوه هستم به تو میگویم که لشکری به جنگ تو میآورم و تمام انسانها و حیواناتت را از بین میبرم. | 8 |
इसलिए ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: कि देख, मैं एक तलवार तुझ पर लाऊँगा और तुझ में इंसान और हैवान को काट डालूँगा।
سرزمین مصر به ویرانهای تبدیل خواهد شد و مصریها خواهند دانست من یهوه هستم. «چون گفتی:”رود نیل مال من است! من آن را درست کردهام!“ | 9 |
और मुल्क — ए — मिस्र उजाड़ और वीरान हो जाएगा, और वह जानेंगे कि मैं ख़ुदावन्द हूँ।” क्यूँकि उसने कहा है, कि दरिया-ए-नील मेरा ही है, और मैंने ही उसे बनाया है।
پس، من بر ضد تو و بر ضد رودخانهات هستم و سرزمین مصر را از مِجدُل تا اَسوان و تا مرز حبشه به کلی ویران میکنم. | 10 |
इसलिए देख, मैं तेरा और तेरे दरियाओं का मुख़ालिफ़ हूँ, और मुल्क — ए — मिस्र को मिजदाल से असवान बल्कि कूश की सरहद तक महज़ वीरान और उजाड़ कर दूँगा।
تا مدت چهل سال هیچ انسان یا حیوانی از آن عبور نخواهد کرد و آن کاملاً ویران و غیر مسکون خواهد بود. | 11 |
किसी इंसान का पाँव उधर न पड़ेगा और न उसमें किसी हैवान के पाँव का गुज़र होगा क्यूँकि वह चालीस बरस तक आबाद न होगा।
مصر را از سرزمینهای ویران شدهٔ همسایهاش ویرانتر میسازم و شهرهایش مدت چهل سال خراب میمانند و مصریها را به سرزمینهای دیگر تبعید میکنم.» | 12 |
और मैं वीरान मुल्कों के साथ मुल्क — ए — मिस्र को वीरान करूँगा, और उजड़े शहरों के साथ उसके शहर चालीस बरस तक उजाड़ रहेंगे। और मैं मिस्रियों को क़ौमों में तितर बितर और मुख़तलिफ़ मुल्कों में तितर — बितर करूँगा।
خداوند یهوه میفرماید: «بعد از چهل سال، دوباره مصریها را از ممالکی که به آنجا تبعید شده بودند، به مصر باز میآورم | 13 |
“क्यूँकि ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: कि चालीस बरस के आख़िर में मैं मिस्रियों की उन क़ौमों के बीच से, जहाँ वह तितर बितर हुए जमा' करूँगा;
تا در زمین فَتروس که در جنوب مصر قرار دارد و زادگاه خودشان است، زندگی کنند. ولی آنها قومی کماهمیت و کوچک خواهند بود. | 14 |
और मैं मिस्र के ग़ुलामों को वापस लाऊँगा, और उनकी फ़तरूस की ज़मीन उनके वतन में वापस पहुँचाऊँगा, और वह वहाँ बेकार मम्लुकत होंगे।
آنها از همهٔ قومها پستتر خواهند بود و دیگر خود را برتر از سایرین نخواهند دانست. من مصر را آنقدر کوچک میکنم که دیگر نتواند بر قومهای دیگر حکمرانی کند. | 15 |
यह ममलुकत तमाम मम्लुकतों से ज़्यादा बेकार होगी, और फिर क़ौमों पर अपने आप बुलन्द न करेगी; क्यूँकि मैं उनको पस्त करूँगा ताकि फिर क़ौमों पर हुक्मरानी न करें।
قوم اسرائیل نیز دیگر از مصر انتظار هیچ کمکی نخواهند داشت. هر وقت به فکر کمک گرفتن از مصر بیفتند، گناهی را که قبلاً از این لحاظ مرتکب شده بودند، به یاد خواهند آورد. پس خواهند دانست که من خداوند یهوه هستم.» | 16 |
और वह आइंदा को बनी — इस्राईल की भरोसे की जगह न होगी, जब वह उनकी तरफ़ देखने लगे तो उनकी बदकिरदारी याद दिलाएँगें और जानेंगे कि मैं ख़ुदावन्द हूँ।”
در سال بیست و هفتم تبعیدمان، در روز اول ماه اول، از طرف خداوند این پیغام به من رسید: | 17 |
सत्ताइसवें बरस के पहले महीने की पहली तारीख़ को, ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ:
«ای پسر انسان، وقتی نِبوکَدنِصَّر، پادشاه بابِل، با مملکت صور میجنگید، سربازانش آنقدر بارهای سنگین حمل کردند که موهای سرشان ریخت و پوست شانههایشان ساییده شد. اما از آن همه زحمتی که در این جنگ کشیدند چیزی نصیب نِبوکَدنِصَّر و سربازانش نشد. | 18 |
कि 'ऐ आदमज़ाद, शाह — ए — बाबुल नबूकदनज़र ने अपनी फ़ौज से सूर की मुख़ालिफ़त में बड़ी ख़िदमत करवाई है; हर एक सिर बेबाल हो गया और हर एक का कन्धा छिल गया, लेकिन न उसने न उसके लश्कर ने सूर से उस ख़िदमत के वास्ते, जो उसने उसकी मुख़ालिफ़त में की थी कुछ मजदूरी पाई।
پس، من که خداوند یهوه هستم سرزمین مصر را به نِبوکَدنِصَّر، پادشاه بابِل، میدهم تا ثروت آن را به یغما ببرد و هر چه دارد غارت کند و اجرت سربازانش را بدهد. | 19 |
इसलिए ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: कि देख, मैं मुल्क — ए — मिस्र शाह — ए — बाबुल नबूकदनज़र के हाथ में कर दूँगा, वह उसके लोगों को पकड़ ले जाएगा, और उसको लूट लेगा और उसकी ग़नीमत को ले लेगा, और यह उसके लश्कर की मजदूरी होगी।
بله، به جای اجرتش سرزمین مصر را به او میدهم، چون در طول آن سیزده سال در صور او برای من کار میکرد. من که خداوند یهوه هستم این را گفتهام. | 20 |
मैंने मुल्क — ए — मिस्र उस मेहनत के सिले में जो उसने की उसे दिया क्यूँकि उन्होंने मेरे लिए मशक़्क़त खींची थी; ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है
«سرانجام روزی میرسد که من قدرت گذشتهٔ اسرائیل را به او باز میگردانم، و دهان تو را ای حِزِقیال خواهم گشود تا سخن بگویی؛ آنگاه مصر خواهد دانست که من یهوه هستم.» | 21 |
“मैं उस वक़्त इस्राईल के ख़ान्दान का सींग उगाऊँगा और उनके बीच तेरा मुँह खोलूँगा; और वह जानेंगे कि मैं ख़ुदावन्द हूँ।”