< حِزِقیال 20 >
هفت سال و پنج ماه و ده روز از تبعید ما میگذشت، که عدهای از رهبران اسرائیل آمدند تا از خداوند هدایت بطلبند. ایشان مقابل من نشستند و منتظر جواب ماندند. | 1 |
सातवें वर्ष के पांचवें महीने के दसवें दिन, इस्राएल के कुछ अगुए याहवेह की इच्छा जानने के लिये आये और वे मेरे सामने बैठ गये.
آنگاه خداوند این پیغام را به من داد: | 2 |
तब याहवेह का वचन मेरे पास आया:
«ای پسر انسان، به رهبران اسرائیل بگو که خداوند یهوه چنین میفرماید: «چگونه جرأت کردهاید که بیایید و از من هدایت بطلبید؟ به حیات خود قسم که هدایتی از من نخواهید یافت! | 3 |
“हे मनुष्य के पुत्र, इस्राएल के अगुओं से बात करो और उनसे कहो, ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: क्या तुम मेरी इच्छा जानने आए हो? मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूं, मैं तुम्हें अपनी इच्छा नहीं बताऊंगा, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.’
«ای پسر انسان، ایشان را محکوم کن. گناهان این قوم را، از زمان پدرانشان تاکنون، به یادشان بیاور. | 4 |
“क्या तुम उनका न्याय करोगे? हे मनुष्य के पुत्र, क्या तुम उनका न्याय करोगे? तब उनके पूर्वजों के द्वारा किए घृणित कार्य उन्हें बताओ
به ایشان بگو خداوند یهوه چنین میگوید: «وقتی قوم اسرائیل را انتخاب کردم و خود را در مصر بر ایشان آشکار ساختم، برای آنان قسم خوردم که ایشان را از مصر بیرون آورده، به سرزمینی بیاورم که برای ایشان در نظر گرفته بودم، یعنی به سرزمینی که شیر و عسل در آن جاریست و بهترین جای دنیاست. | 5 |
और उनसे कहो: ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: जिस दिन मैंने इस्राएल को चुन लिया, मैंने अपना हाथ उठाकर याकोब के वंशजों से शपथ खाई और अपने आपको मिस्र देश में उन पर प्रकट किया. हाथ उठाकर मैंने उनसे कहा, “मैं याहवेह तुम्हारा परमेश्वर हूं.”
उस दिन मैंने उनसे शपथ खाई कि मैं उन्हें मिस्र देश से निकालकर एक ऐसे देश में ले आऊंगा, जिसे मैंने उनके लिये खोजा था, एक ऐसा देश जिसमें दूध और मधु की धाराएं बहती हैं, और जो सब देशों से सुंदर है.
«پس به ایشان گفتم که بتهای نفرتانگیز و مورد علاقهشان را از خود دور کنند و خود را با پرستش خدایان مصری نجس نسازند، زیرا من یهوه خدای ایشان هستم. | 7 |
और मैंने उनसे कहा, “तुममें से हर एक उन निकम्मे मूर्तियों को निकाल फेंको, जिन पर तुम्हारी दृष्टि लगी रहती है, और मिस्र की मूर्तियों से अपने आपको अशुद्ध मत करो. मैं याहवेह तुम्हारा परमेश्वर हूं.”
اما آنان یاغی شده، نخواستند به من گوش فرا دهند و از پرستش بتهای خود و خدایان مصر دست بکشند. پس خواستم که خشم و غضب خود را همان جا در مصر بر ایشان نازل کنم. | 8 |
“‘परंतु उन्होंने मेरे विरुद्ध विद्रोह किया और मेरी बातें नहीं सुनी; उन्होंने उन निकम्मी मूर्तियों को नहीं फेंका, जिन पर उनकी दृष्टि लगी हुई थी, और न ही उन्होंने मिस्र की मूर्तियों का परित्याग किया. इसलिये मैंने कहा कि मैं उन पर अपना कोप उंडेलूंगा और मिस्र देश में उनके विरुद्ध अपना क्रोध दिखाऊंगा.
اما برای حفظ حرمت نام خود، این کار را نکردم، مبادا مصریها خدای اسرائیل را تمسخر کرده، بگویند که نتوانست ایشان را از آسیب و بلا دور نگاه دارد. پس در برابر چشمان مصریها، قوم خود اسرائیل را از مصر بیرون آوردم و به بیابان هدایت کردم. | 9 |
पर अपने नाम के निमित्त मैं उन्हें मिस्र देश से निकाल लाया. मैंने ऐसा इसलिये किया ताकि मेरा नाम उन जातियों के दृष्टि में अपवित्र न ठहरे, जिनके बीच वे रहते थे और जिनके देखते में मैंने अपने आपको इस्राएलियों पर प्रकट किया था.
इसलिये मैं उन्हें मिस्र देश से निकालकर निर्जन प्रदेश में ले आया.
در آنجا احکام و قوانین خود را به ایشان اعطا نمودم تا مطابق آنها رفتار کنند و زنده بمانند؛ | 11 |
मैंने उन्हें अपने नियम दिये और उन्हें अपना कानून बताया, जिनका यदि कोई व्यक्ति पालन करता है, तो वह जीवित रहेगा.
و روز شَبّات را به ایشان دادم تا در هفته یک روز استراحت کنند. این علامتی بود بین من و ایشان، تا به یاد آورند که این من یهوه هستم که ایشان را تقدیس و جدا کرده، قوم خود ساختهام. | 12 |
मैंने उनके लिये अपने शब्बाथ भी ठहराए, जो मेरे और उनके बीच एक चिन्ह हो, ताकि वे जानें कि मैं याहवेह ने उन्हें पवित्र बनाया है.
«اما بنیاسرائیل در بیابان نیز از من اطاعت نکردند. آنان قوانین مرا زیر پا گذاشتند و از احکام حیاتبخش من سرپیچی کردند، و حرمت روز شَبّات را نگاه نداشتند. پس خواستم که خشم و غضب خود را همان جا در بیابان بر ایشان نازل کنم و نابودشان سازم. | 13 |
“‘तो भी इस्राएल के लोगों ने निर्जन प्रदेश में मेरे विरुद्ध विद्रोह किया. वे मेरे नियमों पर नहीं चले और मेरे कानूनों को अस्वीकार किया—जिनका यदि कोई व्यक्ति पालन करता है, तो वह जीवित रहेगा—और उन्होंने पूरी तरह से मेरे विश्राम दिन को अपवित्र किया. इसलिये मैंने कहा कि मैं उन पर अपना कोप उंडेलूंगा और निर्जन प्रदेश में उन्हें नाश कर दूंगा.
اما باز برای حفظ حرمت نام خود، از هلاک کردن ایشان صرفنظر نمودم، مبادا اقوامی که دیدند من چگونه بنیاسرائیل را از مصر بیرون آوردم، بگویند:”چون خدا نتوانست از ایشان محافظت کند، ایشان را از بین برد.“ | 14 |
पर अपने नाम के निमित्त मैंने वह किया जिससे मेरा नाम उन जनताओं की दृष्टि में अपवित्र न ठहरे, जिनके देखते मैं उन्हें निकाल लाया था.
اما در بیابان قسم خوردم که ایشان را به سرزمینی که به آنان داده بودم، نیاورم به سرزمینی که شیر و عسل در آن جاریست و بهترین جای دنیاست. | 15 |
अपना हाथ उठाकर निर्जन प्रदेश में, मैंने शपथ भी खाई कि मैं उन्हें उस देश में नहीं लाऊंगा, जिसे मैंने उन्हें दिया था—एक ऐसा देश जहां दूध और मधु की धाराएं बहती हैं, जो सब देशों से सुंदर है—
زیرا از احکام من سرپیچی کرده، قوانین مرا شکستند و روز شَبّات را بیحرمت کرده، به سوی بتها کشیده شدند. | 16 |
इसका कारण यह था कि उन्होंने मेरे कानूनों को अस्वीकार किया और मेरे नियमों पर नहीं चले और मेरे विश्राम दिन को अपवित्र किया. क्योंकि उनका मन उनकी मूर्तियों पर लगा हुआ था.
با وجود این، بر آنان ترحم نمودم و ایشان را در بیابان به طور کامل هلاک نکردم و از بین نبردم. | 17 |
तौभी मैंने उन पर दया की और उन्हें नाश नहीं किया या निर्जन प्रदेश में उनका अंत नहीं किया.
«بنابراین، در بیابان به فرزندان ایشان گفتم:”به راه پدران خود نروید و به سنت آنها عمل نکنید و خود را با پرستش بتهای ایشان نجس نسازید، | 18 |
निर्जन प्रदेश में मैंने उनके बच्चों से कहा, “अपने माता-पिता के विधियों पर या उनके कानूनों पर मत चलो या उनके मूर्तियों से अपने आपको अशुद्ध मत करो.
چون یهوه خدای شما، من هستم؛ پس فقط از قوانین من پیروی کنید و احکام مرا بجا آورید؛ | 19 |
मैं याहवेह तुम्हारा परमेश्वर हूं; मेरे नियमों पर चलो और ध्यानपूर्वक मेरे कानूनों का पालन करो.
و حرمت روزهای شَبّات را نگاه دارید، زیرا روز شبّات، نشان عهد بین ماست تا به یادتان آورد که من یهوه، خدای شما هستم.“ | 20 |
मेरे विश्राम दिनों को पवित्र मानो, कि वे मेरे और तुम्हारे बीच एक चिन्ह ठहरें. तब तुम जानोगे कि मैं याहवेह तुम्हारा परमेश्वर हूं.”
«اما فرزندان ایشان هم نافرمانی کردند. آنان قوانین مرا شکستند و از احکام حیاتبخش من سرپیچی کردند و حرمت روز شَبّات را نیز نگاه نداشتند. پس خواستم که خشم و غضب خود را همان جا در بیابان بر ایشان نازل کنم و همه را از بین ببرم. | 21 |
“‘परंतु उनके बच्चों ने भी मेरे विरुद्ध विद्रोह किया: वे मेरे नियमों पर नहीं चले, उन्होंने मेरे कानूनों का पालन करने में सावधानी नहीं बरती, जिनके बारे में मैंने कहा था, “वह व्यक्ति जो उनका पालन करेगा, वह जीवित रहेगा,” और उन्होंने मेरे विश्राम दिनों को अपवित्र किया. इसलिये मैंने कहा मैं उन पर अपना कोप उंडेलूंगा और निर्जन प्रदेश में उनको अपना क्रोध दिखाऊंगा.
اما باز هم برای حفظ حرمت نام خود در میان اقوامی که قدرت مرا به هنگام بیرون آوردن بنیاسرائیل از مصر دیده بودند، ایشان را از بین نبردم. | 22 |
परंतु मैंने अपना हाथ रोके रखा, और अपने नाम के निमित्त मैंने वह किया, जिससे मेरा नाम उन जनताओं के दृष्टि में अपवित्र न ठहरे, जिनके देखते में, मैं उन्हें निकाल लाया था.
اما همان زمان که در بیابان بودند، قسم خوردم که ایشان را در سراسر جهان پراکنده سازم، | 23 |
निर्जन प्रदेश में, मैंने अपना हाथ उठाकर उनसे शपथ भी खाई कि मैं उन्हें जाति-जाति के लोगों के बीच छितरा दूंगा और विभिन्न देशों में तितर-बितर कर दूंगा,
زیرا احکام مرا بجا نیاوردند و قوانین مرا شکستند و روز شَبّات را بیحرمت کرده، به سوی بتهای پدرانشان بازگشتند. | 24 |
क्योंकि उन्होंने मेरे कानूनों का पालन नहीं किया और मेरे नियमों को अस्वीकार किया और मेरे विश्राम दिनों को अपवित्र किया, और उनकी आंखें उनके माता-पिता के मूर्तियों पर लगी रहीं.
پس من نیز اجازه دادم قوانین و احکامی را پیروی کنند که حیات در آنها نبود. | 25 |
इसलिये मैंने उन्हें दूसरे विधि विधान दिये जो अच्छे नहीं थे और उन्हें ऐसे कानून दिये जिसके द्वारा वे जीवित नहीं रह सकते थे;
بله، گذاشتم فرزندان خود را به عنوان قربانی برای بتهایشان بسوزانند و با این کار، خود را نجس سازند. بدین ترتیب ایشان را مجازات کردم تا بدانند که من یهوه هستم. | 26 |
मैंने उन्हें उनके ही उपहारों के द्वारा अशुद्ध किया—हर पहलौठा का बलिदान किया जाना—जिससे वे अत्यंत भयभीत हों और वे जानें कि मैं याहवेह हूं.’
«ای پسر انسان، به قوم اسرائیل بگو که وقتی پدرانشان را به سرزمین موعود آوردم، در آنجا نیز به من خیانت ورزیدند، چون روی هر تپهٔ بلند و زیر هر درخت سبز، برای بتها قربانی میکردند و بخور میسوزاندند؛ عطر و بخور خوشبو و هدایای نوشیدنی خود را میآوردند و به آنها تقدیم میکردند، و با این کارها، خشم مرا برمیانگیختند. | 27 |
“इसलिये, हे मनुष्य के पुत्र, इस्राएल के लोगों से बात करो और उनसे कहो, ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: इस पर भी तुम्हारे पूर्वजों ने मुझसे विश्वासघात करके मेरी निंदा की.
जब मैं उन्हें उस देश में ले आया, जिसे मैंने उन्हें देने की शपथ खाई थी तो वे किसी ऊंची पहाड़ी या किसी पत्तीवाले पेड़ को देखकर, वहां अपना बलिदान और भेंट चढ़ाने लगे, और अपना सुगंधित धूप जलाकर पेय बलिदान देने लगे, जिससे मेरा क्रोध भड़का.
به ایشان گفتم:”این مکان بلند که برای قربانی به آنجا میروید، چیست؟“به همین جهت تا به حال آن محل را مکان بلند مینامند.» | 29 |
तब मैंने उनसे कहा: यह ऊंचा स्थान क्या है जो तुम वहां जाते हो?’
آنگاه خداوند یهوه فرمود که به آنانی که نزد من آمده بودند، از جانب او چنین بگویم: «آیا شما نیز میخواهید مانند پدرانتان، با بتپرستی، خود را نجس سازید؟ | 30 |
“इसलिये इस्राएलियों से कहो: ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: क्या तुम लोग अपने पूर्वजों की तरह अपने आपको अशुद्ध करोगे और उनकी निकम्मी मूर्तियों के पीछे भागोगे?
شما هنوز هم برای بتها هدیه میآورید و پسران کوچک خود را برای آنها قربانی کرده، میسوزانید؛ پس چگونه انتظار دارید که به دعاهای شما گوش دهم و شما را هدایت نمایم؟ به حیات خود قسم که هیچ هدایت و پیغامی به شما نخواهم داد. | 31 |
जब तुम अपनी भेटें चढ़ाते हो—अपने बच्चों का आग में बलिदान करते हो—तो ऐसा करने के द्वारा तुम आज तक अपने आपको अपनी सब मूर्तियों के द्वारा अशुद्ध करते आ रहे हो. तो हे इस्राएलियो, क्या मैं तुमको मुझसे पूछताछ करने दूंगा? मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूं, मैं तुमको मुझसे पूछताछ करने नहीं दूंगा, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.
«آنچه در فکرتان هست، هرگز عملی نخواهد شد. شما میخواهید مثل قومهای مجاور شوید و مانند آنها، بتهای چوبی و سنگی را بپرستید. | 32 |
“‘तुम कहते हो, “हम उन जाति-जाति और संसार के लोगों के समान होना चाहते हैं, जो लकड़ी और पत्थर की सेवा करते हैं.” पर तुम्हारे मन में जो है, वह कभी पूरा न होगा.
به حیات خود سوگند که من خود، با مشتی آهنین و قدرتی عظیم و با خشمی برافروخته، بر شما سلطنت خواهم نمود! | 33 |
मैं अपने जीवन की शपथ खाकर कहता हूं, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है, मैं शक्तिशाली हाथ और बढ़ाए हुए भुजा और भड़के हुए कोप से तुम्हारे ऊपर शासन करूंगा.
با قدرت و قهری عظیم، شما را از سرزمینهایی که در آنجا پراکنده هستید، بیرون خواهم آورد. | 34 |
मैं तुम्हें उन जाति-जाति के लोगों और देशों से लाकर इकट्ठा करूंगा, जहां तुम बिखरे हुए हो—मैं तुम्हें शक्तिशाली हाथ और बढ़ाए हुए भुजा और भड़के हुए कोप से इकट्ठा करूंगा.
شما را به بیابان امتها آورده، در آنجا شما را داوری و محکوم خواهم نمود، همانگونه که پدرانتان را پس از بیرون آوردن از مصر، در بیابان داوری و محکوم کردم. | 35 |
मैं तुम्हें जनताओं के निर्जन प्रदेश में ले आऊंगा और वहां, आमने-सामने मैं तुम्हारा न्याय करूंगा.
जैसा कि मैंने मिस्र देश के निर्जन प्रदेश में तुम्हारे पूर्वजों का न्याय किया था, वैसा ही मैं तुम्हारा न्याय करूंगा, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.
شما را به دقت خواهم شمرد تا فقط عده کمی از شما بازگردند، | 37 |
जब तुम मेरी लाठी के अधीन चलोगे, तो मेरा ध्यान तुम पर रहेगा, और मैं तुम्हें वाचा के बंधन में लाऊंगा.
و بقیه را که سرکش بوده، به من گناه میکنند، از میان شما جدا خواهم نمود. ایشان را از سرزمینهایی که به آنجا تبعید شدهاند بیرون خواهم آورد، ولی نخواهم گذاشت وارد سرزمین اسرائیل گردند. وقتی اینها اتفاق افتاد، خواهید دانست که من یهوه هستم. | 38 |
मैं तुम्हें उनमें से हटाकर शुद्ध करूंगा, जो मेरे विरुद्ध विद्रोह और अपराध करते हैं. यद्यपि मैं उन्हें उस देश से निकालकर लाऊंगा, जहां वे रह रहे हैं, तौभी वे इस्राएल देश में प्रवेश न कर पाएंगे. तब तुम जानोगे कि मैं याहवेह हूं.
«اما اگر اصرار دارید که به بتپرستی خود ادامه دهید، من مانع شما نمیشوم! ولی بدانید که پس از آن، مرا اطاعت خواهید نمود و دیگر نام مقدّس مرا با تقدیم هدایا و قربانی به بتها، بیحرمت نخواهید ساخت. | 39 |
“‘हे इस्राएल के लोगों, जहां तक तुम्हारा संबंध है, परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: तुममें से हर एक जन जाए और अपनी-अपनी मूर्तियों की सेवा करे! परंतु बाद में तुम निश्चित रूप से मेरी सुनोगे और फिर मेरे पवित्र नाम को अपने उपहारों और मूर्तियों से अशुद्ध नहीं करोगे.
زیرا در اورشلیم، روی کوه مقدّس من، همه اسرائیلیها مرا پرستش خواهند نمود. در آنجا از شما خشنود خواهم شد و قربانیها و بهترین هدایا و نذرهای مقدّس شما را خواهم پذیرفت. | 40 |
क्योंकि परम प्रधान याहवेह की घोषणा है, मेरे पवित्र पर्वत, इस्राएल के ऊंचे पर्वत पर, वहां देश में, इस्राएल के सारे लोग मेरी सेवा करेंगे, और वहां मैं उन्हें स्वीकार करूंगा. तब वहां मैं तुम्हारी भेंट और उत्तम उपहारों को तुम्हारे सब पवित्र बलिदानों सहित ग्रहण करूंगा.
وقتی شما را از تبعید بازگردانم، برایم همچون هدایای خوشبو خواهید بود و قومها خواهند دید که در دل و رفتار شما چه تغییر بزرگی ایجاد شده است. | 41 |
मैं तुम्हें एक सुगंधित धूप के रूप में ग्रहण करूंगा जब मैं तुम्हें जनताओं के बीच से निकाल लाऊंगा और उन देशों से तुम्हें इकट्ठा करूंगा, जहां तुम तितर-बितर हो गये हो, और मैं जाति-जाति के लोगों के दृष्टि में तुम्हारे द्वारा पवित्र ठहराया जाऊंगा.
زمانی که شما را به وطن خودتان بازگردانم، یعنی به سرزمینی که وعده آن را به پدرانتان دادم، خواهید دانست که من خداوند هستم. | 42 |
तब तुम जानोगे कि मैं याहवेह हूं, जब मैं तुम्हें इस्राएल देश में ले आऊंगा, वह देश जिसे मैंने तुम्हारे पूर्वजों को देने की हाथ उठाकर शपथ खाई थी.
آنگاه تمام گناهان گذشتهٔ خود را به یاد آورده، به سبب همهٔ کارهای زشتی که کردهاید، از خود متنفر خواهید شد. | 43 |
वहां तुम अपने चालचलन और उन सब कामों को याद करोगे, जिनके द्वारा तुमने अपने आपको अशुद्ध किया है, और अपने द्वारा किए गए सब बुरे कामों के कारण, तुम अपने आपसे घृणा करोगे.
ای قوم اسرائیل، وقتی با وجود تمام بدیها و شرارتهایتان، به خاطر حرمت نام خود، شما را برکت دهم، آنگاه خواهید دانست که من یهوه هستم.» | 44 |
हे इस्राएल के लोगों, जब मैं तुम्हारे बुरे कार्यों और तुम्हारे भ्रष्ट आचरण के अनुसार नहीं, परंतु अपने नाम के निमित्त तुमसे व्यवहार करूंगा, तब तुम जानोगे कि मैं याहवेह हूं, परम प्रधान याहवेह की घोषणा है.’”
سپس این پیغام از جانب خداوند به من رسید: | 45 |
याहवेह का वचन मेरे पास आया:
«ای پسر انسان، به سوی اورشلیم نگاه کن و کلام مرا بر ضد آن، و بر ضد دشتهای پوشیده از جنگل جنوب، اعلام نما. | 46 |
“हे मनुष्य के पुत्र, अपना चेहरा दक्षिण की ओर करो; दक्षिण के विरुद्ध प्रचार करो और दक्षिण देश के बंजर भूमि के विरुद्ध भविष्यवाणी करो.
درباره آن نبوّت نما و بگو که ای جنگل انبوه، به کلام خداوند گوش بده! خداوند میفرماید: من در تو آتشی میافروزم که تمام درختان سبز و خشک تو را بسوزاند. شعلههای مهیب آن خاموش نخواهد شد و همه مردم حرارت آن را احساس خواهند کرد. | 47 |
दक्षिण के बंजर भूमि से कहो: ‘याहवेह के वचन को सुनो. परम प्रधान याहवेह का यह कहना है: मैं तुम पर आग लगाने ही वाला हूं, और यह तुम्हारे हरे और सूखे सब पेड़ों को जलाकर नष्ट कर देगी. धधकती ज्वाला नहीं बुझेगी, और दक्षिण से लेकर उत्तर तक हर चेहरा इससे झुलस जाएगा.
آنگاه همه خواهند دانست که من، خداوند، آن را افروختهام و خاموش نخواهد شد.» | 48 |
हर एक जन देखेगा कि मैं याहवेह ने ही यह आग लगायी है; यह नहीं बुझेगी.’”
گفتم: «ای خداوند یهوه، آنها به من میگویند که چرا با معما با ایشان سخن میگویم!» | 49 |
तब मैंने कहा, “हे परम प्रधान याहवेह, वे लोग मेरे विषय में कह रहे हैं, ‘क्या वह मात्र दृष्टांत नहीं कह रहे हैं?’”