< حِزِقیال 2 >
او به من فرمود: «ای پسر انسان، برخیز و بایست تا با تو سخن گویم.» | 1 |
उसने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, अपने पैरों पर खड़े हो जाओ, मैं तुमसे बात करूंगा.”
هنگامی که او با من تکلم میکرد، روح خدا داخل من شد و مرا برخیزاند. آنگاه آن صدا را باز شنیدم، | 2 |
जैसे ही उसने मुझसे बात की, आत्मा मुझमें समा गया और मुझे अपने पैरों पर खड़ा कर दिया, और मैंने उसे मुझसे बातें करते सुना.
که به من گفت: «ای پسر انسان، من تو را نزد بنیاسرائیل میفرستم، نزد قومی یاغی که علیه من طغیان کردهاند. ایشان و پدرانشان همواره نسبت به من گناه ورزیدهاند. | 3 |
उसने कहा, “हे मनुष्य के पुत्र, मैं तुम्हें इस्राएलियों के पास भेज रहा हूं, जो एक विद्रोही जाति है; और जिन्होंने मेरे विरुद्ध विद्रोह किया है; वे और उनके पूर्वज आज तक मेरे विरुद्ध विद्रोह करते आ रहे हैं.
آنان قومی هستند سنگدل و سرکش، اما من تو را میفرستم تا کلام مرا به ایشان بیان نمایی. | 4 |
जिन लोगों के पास मैं तुम्हें भेज रहा हूं, वे ढीठ और हठी हैं. तुम उनसे कहो, ‘परम प्रधान याहवेह का यह कहना है.’
این یاغیان چه بشنوند، چه نشنوند، این را خواهند دانست که در میان آنها نبیای وجود دارد. | 5 |
और चाहे वे सुनें या न सुनें—क्योंकि वे तो विद्रोही लोग हैं ही—तौभी वे जान जाएं कि उनके बीच एक भविष्यवक्ता है.
«ای پسر انسان، از ایشان نترس! اگرچه تهدیدهای این قوم یاغی مانند خار و همچون نیش عقرب باشد، باکی نداشته باش! | 6 |
और हे मनुष्य के पुत्र, तुम, उनसे या उनकी बातों से न डरना. डरना मत, यद्यपि कंटीली झाड़ियां और कांटे तुम्हारे चारों तरफ हैं और तुम बिच्छुओं के बीच रहते हो. वे क्या कहते हैं, उन बातों से न डरना या उनसे भयभीत न होना, यद्यपि वे एक विद्रोही लोग हैं.
چه گوش بدهند، چه ندهند، تو کلام مرا به گوش آنها برسان و فراموش نکن که ایشان، قومی یاغی و سرکش هستند. | 7 |
तुम उन्हें मेरी बातें अवश्य बताओ, चाहे वे सुनें या न सुनें, क्योंकि वे तो विद्रोही हैं.
«ای پسر انسان، به آنچه که به تو میگویم گوش کن و مانند ایشان یاغی نباش! دهانت را باز کن و هر چه به تو میدهم، بخور.» | 8 |
पर हे मनुष्य के पुत्र, मैं तुमसे जो कहता हूं, उसे सुनो. इन विद्रोही लोगों की तरह विद्रोह न करना; अपना मुख खोलो और मैं तुम्हें जो दे रहा हूं, उसे खाओ.”
آنگاه نگاه کردم و دیدم دستی به طرف من آمد و طوماری با خود آورد. وقتی طومار را باز کرد، دیدم که هر دو طرفش مطالبی نوشته شده، مطالبی که حاکی از اندوه، ماتم و نابودی است. | 9 |
तब मैंने देखा कि मेरी ओर एक हाथ बढ़ा. उस हाथ में एक पुस्तक थी,
जिसे उसने मेरे सामने खोली. उस पुस्तक के दोनों तरफ विलाप, शोक और दुःख की बातें लिखी हुई थी.