< حِزِقیال 19 >
خداوند فرمود که برای رهبران اسرائیل این مرثیه را بخوانم: | 1 |
१“इस्राएल के प्रधानों के विषय तू यह विलापगीत सुना:
«مادر تو که بود؟ او ماده شیری بود که فرزندانش را میان شیران ژیان بزرگ میکرد! | 2 |
२तेरी माता एक कैसी सिंहनी थी! वह सिंहों के बीच बैठा करती और अपने बच्चों को जवान सिंहों के बीच पालती पोसती थी।
او یکی از بچههای خود را تربیت کرد تا شیری ژیان گردد. آن شیربچه شکار کردن را آموخت و آدمخوار شد. | 3 |
३अपने बच्चों में से उसने एक को पाला और वह जवान सिंह हो गया, और अहेर पकड़ना सीख गया; उसने मनुष्यों को भी फाड़ खाया।
وقتی خبر او به گوش قومها رسید، آنها شکارچیان خود را فرستادند و او را در دام انداختند و به زنجیر کشیده، به مصر بردند. | 4 |
४जाति-जाति के लोगों ने उसकी चर्चा सुनी, और उसे अपने खोदे हुए गड्ढे में फँसाया; और उसके नकेल डालकर उसे मिस्र देश में ले गए।
«وقتی مادرش از او قطع امید کرد، یکی دیگر از بچههای خود را گرفت و او را تربیت نمود تا شیری نیرومند گردد. | 5 |
५जब उसकी माँ ने देखा कि वह धीरज धरे रही तो भी उसकी आशा टूट गई, तब अपने एक और बच्चे को लेकर उसे जवान सिंह कर दिया।
وقتی او بزرگ شد، شکار کردن را آموخت و آدمخوار شد و رهبر شیران گردید. | 6 |
६तब वह जवान सिंह होकर सिंहों के बीच चलने फिरने लगा, और वह भी अहेर पकड़ना सीख गया; और मनुष्यों को भी फाड़ खाया।
او کاخها را خراب و شهرها را ویران کرد. مزرعهها را بایر نمود و محصولاتشان را از بین برد. مردم همه از شنیدن غرش او، به خود میلرزیدند! | 7 |
७उसने उनके भवनों को बिगाड़ा, और उनके नगरों को उजाड़ा वरन् उसके गरजने के डर के मारे देश और जो कुछ उसमें था सब उजड़ गया।
پس قومهای جهان از هر سو بر او هجوم آورده، او را به دام انداختند و اسیرش کردند. | 8 |
८तब चारों ओर के जाति-जाति के लोग अपने-अपने प्रान्त से उसके विरुद्ध निकल आए, और उसके लिये जाल लगाया; और वह उनके खोदे हुए गड्ढे में फँस गया।
سپس او را به زنجیر کشیدند و در قفس گذاشتند و به حضور پادشاه بابِل بردند. در آنجا او را تحت مراقبت نگه داشتند تا بار دیگر غرشش در کوههای اسرائیل شنیده نشود. | 9 |
९तब वे उसके नकेल डालकर और कठघरे में बन्द करके बाबेल के राजा के पास ले गए, और गढ़ में बन्द किया, कि उसका बोल इस्राएल के पहाड़ी देश में फिर सुनाई न दे।
«مادر تو همچون درخت انگوری بود که در کنار نهر آب، در اثر آب فراوان، همیشه تر و تازه و پر شاخ و برگ بود. | 10 |
१०“तेरी माता जिससे तू उत्पन्न हुआ, वह तट पर लगी हुई दाखलता के समान थी, और गहरे जल के कारण फलों और शाखाओं से भरी हुई थी।
شاخههای قوی و محکم آن برای عصای سلاطین مناسب بود. آن درخت از درختان دیگر بلندتر گردید به حدی که از دور جلب توجه میکرد. | 11 |
११प्रभुता करनेवालों के राजदण्डों के लिये उसमें मोटी-मोटी टहनियाँ थीं; और उसकी ऊँचाई इतनी हुई कि वह बादलों के बीच तक पहुँची; और अपनी बहुत सी डालियों समेत बहुत ही लम्बी दिखाई पड़ी।
اما دستانی خشمگین، آن درخت را ریشهکن کرده، بر زمین انداخت. باد شرقی شاخههای نیرومندش را شکست و خشک کرد و آتش، آنها را سوزاند. | 12 |
१२तो भी वह जलजलाहट के साथ उखाड़कर भूमि पर गिराई गई, और उसके फल पुरवाई हवा के लगने से सूख गए; और उसकी मोटी टहनियाँ टूटकर सूख गई; और वे आग से भस्म हो गई।
اکنون آن درخت در بیابان کاشته شده است، در زمینی خشک و بیآب! | 13 |
१३अब वह जंगल में, वरन् निर्जल देश में लगाई गई है।
از درون میپوسد و میوهاش از بین میرود، و از آن یک شاخه محکم نیز برای عصای سلاطین باقی نمیماند.» این یک مرثیه است و بارها سروده شده است! | 14 |
१४उसकी शाखाओं की टहनियों में से आग निकली, जिससे उसके फल भस्म हो गए, और प्रभुता करने के योग्य राजदण्ड के लिये उसमें अब कोई मोटी टहनी न रही।” यही विलापगीत है, और यह विलापगीत बना रहेगा।