< حِزِقیال 16 >
بار دیگر خداوند با من سخن گفت و فرمود: «ای پسر انسان، اورشلیم را از گناهان و اعمال نفرتانگیزش آگاه ساز، | 1 |
फिर ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ:
कि ऐ आदमज़ाद! येरूशलेम को उसके नफ़रती कामों से आगाह कर,
و به او از جانب من چنین بگو: «خداوند یهوه چنین میگوید: تو در سرزمین کنعان چشم به جهان گشودی. پدرت اَموری بود و مادرت، حیتی! | 3 |
और कह, ख़ुदावन्द ख़ुदा येरूशलेम से यूँ फ़रमाता है: तेरी विलादत और तेरी पैदाइश कनान की सरज़मीन की है; तेरा बाप अमूरी था और तेरी माँ हित्ती थी।
وقتی به دنیا آمدی، کسی اهمیتی به تو نداد؛ نه نافت را بریدند، نه تو را شستند و نه در قنداقه پیچیدند. | 4 |
और तेरी पैदाइश का हाल यूँ है कि जिस दिन तू पैदा हुई तेरी नाफ़ काटी न गई, और न सफ़ाई के लिए तुझे पानी से गु़स्ल मिला, और न तुझ पर नमक मला गया, और तू कपड़ों में लपेटी न गई।
هیچکس کوچکترین توجهی به تو نداشت و دلش به حال تو نمیسوخت و کسی حاضر نبود از تو نگهداری کند. روزی که متولد شدی، چون از تو کراهت داشتند، تو را در بیابان انداختند و همان جا رهایت کردند. | 5 |
किसी की आँख ने तुझ पर रहम न किया कि तेरे लिए यह काम करे और तुझ पर मेहरबानी दिखाए बल्कि तू अपनी विलादत के दिन बाहर मैदान में फेंकी गई, क्यूँकि तुझ से नफ़रत रखते थे।
«همان وقت از کنار تو عبور کردم و دیدم که در خونت میغلتی. پس به تو گفتم: زنده بمان! تو را همچون گیاه صحرا پرورش دادم، و تو رشد کردی و دوشیزهای زیبا شدی؛ سینههایت برآمد و موهایت بلند شد، اما عریان بودی. | 6 |
तब मैंने तुझ पर गुज़र किया और तुझे तेरे ही ख़ून में लोटती देखा, और मैंने तुझे जब तू अपने खू़न में आग़िश्ता थी कहा, 'जीती रह! हाँ, मैंने तुझ खू़न आलूदा से कहा, 'जीती रह!
मैंने तुझे चमन के शगूफ़ों की तरह हज़ार चन्द बढ़ाया, इसलिए तू बढ़ीं, और कमाल और जमाल को पहुँची तेरी छातियाँ उठीं और तेरी ज़ुल्फें बढ़ीं लेकिन तू नंगी और बरहना थी।
«مدتی بعد که از کنارت گذشتم به تو نگاه کردم؛ این بار آمادهٔ ازدواج بودی، پس ردایم را بر تو انداختم، عریانیات را پوشاندم و سوگند یاد کرده، با تو پیمان ازدواج بستم و تو از آن من شدی. | 8 |
फिर मैंने तेरी तरफ़ गुज़र किया और तुझ पर नज़र की, और क्या देखता हूँ कि तू 'इश्क़ अंगेज़ उम्र को पहुँच गई है; फिर मैंने अपना दामन तुझ पर फैलाया और तेरी बरहनगी को छिपाया, और क़सम खाकर तुझ से 'अहद बाँधा ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है और तू मेरी हो गई।
سپس شستشویت دادم تا از خونت پاک شوی و بر بدنت روغن مالیدم. | 9 |
फिर मैंने तुझे पानी से गु़स्ल दिया, और तेरा खू़न बिल्कुल धो डाला और तुझ पर 'इत्र मला।
لباسهای زیبای قلابدوزی شده، از جنس کتان لطیف و ابریشم به تو دادم و کفش از پوست خز به پایت کردم. | 10 |
और मैंने तुझे ज़र — दोज़ लिबास से मुलब्बस किया, और तुख़स की खाल की जूती पहनाई, नफ़ीस कतान से तेरा कमरबन्द बनाया और तुझे सरासर रेशम से मुलब्बस किया।
تو را با زیورآلات آراستم، النگوها به دستت کردم و گردنبند به گردنت انداختم، | 11 |
मैंने तुझे ज़ेवर से आरास्ता किया, तेरे हाथों में कंगन पहनाए और तेरे गले में तौक़ डाला।
حلقه در بینیات و گوشواره در گوشهایت و تاجی زیبا بر سرت گذاشتم. | 12 |
और मैंने तेरी नाक में नथ और तेरे कानों में बालियाँ पहनाई, और एक खू़बसूरत ताज तेरे सिर पर रख्खा।
به این ترتیب، با طلا و نقره آراسته و زیبا شدی. لباسهای زیبای قلابدوزی شده، از کتان لطیف و ابریشم پوشیدی و بهترین خوراکها را خوردی. زیبایی تو خیره کننده بود و همچون ملکه شدی. | 13 |
और तू सोने — चाँदी से आरास्ता हुई, और तेरी पोशाक कतानी और रेशमी और चिकन — दोज़ी की थी; और तू मैदा और शहद और चिकनाई खाती थी, और तू बहुत खू़बसूरत और इक़बालमन्द मलिका हो गई।
زیباییات به سبب کمالاتی که من به تو بخشیده بودم، کامل گردید و زبانزد همهٔ قومها شد. | 14 |
और क़ौम — ए — 'आलम में तेरी खू़बसूरती की शोहरत फैल गई, क्यूँकि, ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है, कि तू मेरे उस जलाल से जो मैंने तुझे बख़्शा कामिल हो गई थी।
«اما تو فکر کردی که میتوانی جدا از من نیز کمال خود را حفظ کنی. بنابراین از زیبایی و آوازهات سرمست شدی و در ورطه زناکاری افتادی و همچون یک فاحشه، خود را در اختیار هر رهگذری گذاشتی. | 15 |
लेकिन तूने अपनी खू़बसूरती पर भरोसा किया और अपनी शोहरत के वसीले से बदकारी करने लगी, और हर एक के साथ जिसका तेरी तरफ़ गुज़र हुआ ख़ूब फ़ाहिशा बनी और उसी की हो गई।
آن رختهای زیبایی را که به تو داده بودم، برای ساختن بتخانهها و تزیین بستر فاحشگیات به کار بردی. چنین چیزی هرگز رخ نداده و نخواهد داد. | 16 |
तूने अपनी पोशाक से अपने ऊँचे मक़ाम मुनक़्क़श और आरास्ता किए, और उन पर ऐसी बदकारी की, कि न कभी हुई और न होगी।
آن جواهرات و طلا و نقرهای را که به تو داده بودم، گرفتی و با آنها مجسمه مردان را ساختی و آنها را پرستش نموده، به من خیانت کردی. | 17 |
और तूने अपने सोने — चाँदी के नफ़ीस ज़ेवरों से जो मैंने तुझे दिए थे, अपने लिए मर्दों की मूरतें बनाई और उनसे बदकारी की।
«لباسهای زیبای قلابدوزی شدهای را که به تو بخشیده بودم، به بتهایت پوشاندی! روغن و بخور مرا برای پرستش بتها به کار بردی! | 18 |
और अपनी ज़र — दोज़ पोशाकों से उनको मुलब्बस किया, और मेरा 'इत्र और ख़ुशबू उनके सामने रख्खा।
آرد و روغن و عسل مرغوبی را که برای خوراک به تو داده بودم، برای آنها نذر کردی تا از تو راضی باشند! | 19 |
और मेरा खाना जो मैंने तुझे दिया, या'नी मैदा और चिकनाई और शहद जो मैं तुझे खिलाता था, तूने उनके सामने ख़ुशबू के लिए रख्खा: ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है कि यूँ ही हुआ।
پسران و دخترانی را که برای من زاییده بودی، گرفتی و برای خدایانت قربانی کردی! آیا زناکاری کافی نبود که به چنین جنایتی هم دست زدی؟ | 20 |
और तूने अपने बेटों और अपनी बेटियों को, जिनको तूने मेरे लिए पैदा किया लेकर उनके आगे कु़र्बान किया, ताकि वह उनको खा जाएँ, क्या तेरी बदकारी कोई छोटी बात थी,
تو فرزندان مرا کشتی و برای بتها قربانی کردی و سوزاندی و | 21 |
कि तूने मेरे बच्चों को भी ज़बह किया और उनको बुतों के लिए आग के हवाले किया?
در تمام این سالهای زناکاری و گناه، یک بار هم دوران گذشته را به یاد نیاوردی، دورانی که برهنه بودی و در خونت میغلتیدی. | 22 |
और तूने अपनी तमाम मकरूहात और बदकारी में अपने बचपन के दिनों को, जब कि तू नंगी और बरहना अपने खू़न में लोटती थी, कभी याद न किया।
«وای بر تو، وای بر تو که بعد از این همه شرارت، | 23 |
'और ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है कि अपनी इस सारी बदकारी के 'अलावा अफ़सोस! तुझ पर अफ़सोस!
در هر کوی و برزنی عمارتها برای بتپرستی و زناکاریات بنا کردی، و زیبایی خود را بیارزش و خوار کردی و در اختیار هر رهگذری قرار دادی و روزبهروز فاسدتر شدی. | 24 |
तूने अपने लिए गुम्बद बनाया और हर एक बाज़ार में ऊँचा मक़ाम तैयार किया।
तूने रास्ते के हर कोने पर अपना ऊँचा मक़ाम ता'मीर किया, और अपनी खू़बसूरती को नफ़रत अंगेज़ किया, और हर एक राह गुज़र के लिए अपने पाँव पसारे और बदकारी में तरक़्क़ी की।
با مصر، این سرزمین فاسد پیمان اتحاد بستی و او را بر جمع فاسقانت افزودی و خشم مرا شعلهور ساختی. | 26 |
तूने अहल — ए — मिस्र और अपने पड़ोसियों से जो बड़े क़दआवर हैं बदकारी की और अपनी बदकारी की ज़्यादती से मुझे ग़ज़बनाक किया।
«از این جهت دست خود را دراز کردهام تا تو را مجازات نمایم و مواهب خود را از تو باز پس گیرم. تو را در جنگ فلسطینیها که تشنه خونت هستند، رها کردهام. حتی آنها نیز از رفتار شرمآورت نفرت دارند. | 27 |
फिर देख, मैंने अपना हाथ तुझ पर चलाया और तेरे वज़ीफ़े को कम कर दिया, और तुझे तेरी बदख़्वाह फ़िलिस्तियों की बेटियों के क़ाबू में कर दिया जो तेरी ख़राब चाल चलन से शर्मिन्दा होती थीं।
«با آشوریها نیز زنا کردی، زیرا با ایشان همپیمان شدی و بتهایشان را پرستیدی. ولی با همهٔ اینها، سیر نشدی! | 28 |
फिर तूने अहल — ए — असूर से बदकारी की, क्यूँकि तू सेर न हो सकती थी; हाँ, तूने उन से भी बदकारी की लेकिन तोभी तू आसूदा न हुई।
پس به بتهای بابِل، سرزمین بازرگانان، روی آوردی، ولی به این هم قانع نشدی. | 29 |
और तूने मुल्क — ए — कन'आन से कसदियों के मुल्क तक अपनी बदकारी को फैलाया, लेकिन इस से भी सेर न हुई।
«چقدر تو سست اراده هستی! کارهای تو، کارهای یک روسپی بیحیاست! | 30 |
ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है, तेरा दिल कैसा बे — इख़्तियार है कि तू यह सब कुछ करती है, जो बेलगाम फ़ाहिशा 'औरत का काम है,
بر سر هر راه، بتخانه و بر سر هر کوچه، فاحشهخانه ساختی! ولی تو مانند فاحشههای دیگر، به دنبال پول نیستی. | 31 |
इसलिए कि तू हर एक सड़क के सिरे पर अपना गुम्बद बनाती है, और हर एक बाज़ार में अपना ऊँचा मक़ाम तैयार करती है, और तू कस्बी की तरह नहीं क्यूँकि तू उजरत लेना बेकार जानती है।
تو همچون همسری خیانتکار هستی که شوهر خود را رها میکند و به آغوش مردان دیگر پناه میبرد. | 32 |
बल्कि बदकार बीवी की तरह है, जो अपने शौहर के बदले गै़रों को कु़बूल करती है।
فاحشهها برای کارشان اجرت میگیرند، اما تو به فاسقان خود هدیه و رشوه میدهی تا با تو همبستر شوند. | 33 |
लोग सब कस्बियों को हदिए देते हैं; लेकिन तू अपने यारों को हदिए और तोहफ़े देती है, ताकि वह चारों तरफ़ से तेरे पास आएँ और तेरे साथ बदकारी करें।
پس تو برعکس فاحشههای دیگر عمل میکنی؛ بجای اینکه از فاسقانت پول بگیری، تو به آنها پول میدهی! | 34 |
और तू बदकारी में और 'औरतों की तरह नहीं, क्यूँकि बदकारी के लिए तेरे पीछे कोई नहीं आता। तू उजरत नहीं लेती बल्कि ख़ुद उजरत देती है, इसलिए तू अनोखी है।
«حال، ای فاحشه، کلام خداوند را بشنو: | 35 |
इसलिए ऐ बदकार, तू ख़ुदावन्द का कलाम सुन,
خداوند یهوه چنین میفرماید: به سبب فساد و زناکاری با فاسقانت، یعنی پرستش و عبادت بتها، و نیز برای آنکه فرزندانت را برای خدایانت قربانی کردی، | 36 |
ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: कि चूँकि तेरी नापाकी बह निकली और तेरी बरहनगी तेरी बदकारी के ज़रिए' जो तूने अपने यारों से की, और तेरे सब नफ़रती बुतों की वजह से और तेरे बच्चों के खू़न की वजह से जो तूने उनके आगे पेश किया, ज़ाहिर हो गई।
اینک من فاسقان یعنی همدستانت را، چه آنانی را که دوست داشتنی و چه آنانی را که دوست نداشتنی، همه را گرد خواهم آورد و در مقابل ایشان تو را عریان خواهم ساخت. | 37 |
इसलिए देख, मैं तेरे सब यारों को तू लज़ीज़ थी, और उन सब को जिनको तू चाहती थी और उन सबको जिनसे तू कीना रखती है जमा' करूँगा; मैं उनको चारों तरफ़ से तेरी मुख़ालिफ़त पर जमा' करूँगा और उनके आगे तेरी बरहनगी खोल दूँगा ताकि वह तेरी तमाम बरहनगी देखें।
تو را برای جنایتها و زناکاریهایت، با خشم و غضب، مجازات و هلاک خواهم نمود. | 38 |
और मैं तेरी ऐसी 'अदालत करूँगा जैसी बेवफ़ा और ख़ूनी बीवी की और मैं ग़ज़ब और ग़ैरत की मौत तुझ पर लाऊँगा।
تو را به دست این قومها، یعنی فاسقانت خواهم سپرد. آنان عشرتکدهها و بتخانههایت را با خاک یکسان کرده، تمام جواهرات زیبایت را غارت خواهند نمود و برهنه و بینوا رهایت خواهند ساخت. | 39 |
और मैं तुझे उनके हवाले कर दूँगा, और वह तेरे गुम्बद और ऊँचे मक़ामों को मिस्मार करेंगे और तेरे कपड़े उतारेंगे और तेरे ख़ुशनुमा ज़ेवर छीन लेंगे, और तुझे नंगी और बरहना छोड़ जाएँगे।
آنها تو را سنگسار کرده، با شمشیر پارهپاره خواهند نمود. | 40 |
वह तुझ पर एक हुजूम चढ़ा लाएँगे, और तुझे संगसार करेंगे और अपनी तलवारों से तुझे छेद डालेंगे।
خانههایت را خواهند سوزاند و در مقابل زنان دیگر مجازاتت خواهند کرد. من تو را از زناکاری با بتها باز خواهم داشت و دیگر نخواهم گذاشت که به فاسقانت یعنی به همدستانت اجرت و رشوه دهی. | 41 |
और वह तेरे घर आग से जलाएँगे और बहुत सी 'औरतों के सामने तुझे सज़ा देंगे, और मैं तुझे बदकारी से रोक दूँगा और तू फिर उजरत न देगी।
آنگاه آتش خشم و غیرت من فرو خواهد نشست و آرام خواهد گرفت و دیگر غضبناک نخواهم بود. | 42 |
तब मेरा क़हर तुझ पर धीमा हो जाएगा, और मेरी गै़रत तुझ से जाती रहेगी; और मैं तस्कीन पाऊँगा और फिर ग़ज़बनाक न हूँगा।
تو دوران جوانی خود را به فراموشی سپردی و با کارهایت مرا رنجانیدی و زناکاریهایت را هم بر آنها افزودی. پس من هم تو را به سزای اعمالت میرسانم. | 43 |
चूँकि तूने अपने बचपन के दिनों को याद न किया, और इन सब बातों से मुझ को फ़रोख़्त किया, इसलिए ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है, देख, मैं तेरी बदराही का नतीजा तेरे सिर पर लाऊँगा और तू आगे को अपने सब घिनौने कामों के 'अलावा ऐसी बदज़ाती नहीं कर सकेगी।
«ای اورشلیم، مردم درباره تو خواهند گفت که چنان مادری، چنین دختری هم باید داشته باشد. | 44 |
देख, सब मिसाल कहने वाले तेरे बारे में यह मिसाल कहेंगे, कि 'जैसी माँ, वैसी बेटी।
تو براستی شبیه مادرت هستی که از شوهر و فرزندانش نفرت میداشت؛ تو درست شبیه خواهرانت هستی که از شوهران و فرزندانشان بیزار بودند. براستی که مادرت حیتی بود و پدرت اَموری! | 45 |
तू अपनी उस माँ की बेटी है जो अपने शौहर और अपने बच्चों से घिन खाती थी, और तू अपनी उन बहनों की बहन है जो अपने शौहरों और अपने बच्चों से नफ़रत रखती थीं; तेरी माँ हित्ती और तेरा बाप अमूरी था।
«خواهر بزرگ تو سامره است که با دخترانش یعنی آبادیهای اطرافش، در شمال تو زندگی میکنند. خواهر کوچکت سدوم است که با دخترانش در جنوب تو ساکن هستند. | 46 |
और तेरी बड़ी बहन सामरिया है जो तेरी बाईं तरफ़ रहती है, वह और उसकी बेटियाँ, और तेरी छोटी बहन जो तेरी दहनी तरफ़ रहती हैं, सदूम और उसकी बेटियाँ हैं।
تو نه فقط راهها و گناهان ایشان را تقلید کردی، بلکه در مدتی کوتاه، از آنان جلو افتادی و از ایشان فاسدتر شدی. | 47 |
लेकिन तू सिर्फ उनकी राह पर नहीं चली और सिर्फ़ उन ही के जैसे घिनौने काम नहीं किए, क्यूँकि यह तो अगरचे छोटी बात थी, बल्कि तू अपनी तमाम चाल चलन में उनसे बदतर हो गई।
به ذات مقدّس خود سوگند که سدوم و آبادیهای اطرافش، به اندازه تو و آبادیهایت، فاسد و شریر نبودند! | 48 |
ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है, मुझे अपनी हयात की क़सम कि तेरी बहन सदूम ने ऐसा नहीं किया, न उसने न उसकी बेटियों ने जैसा तूने और तेरी बेटियों ने किया है।
گناه خواهرت سدوم و دخترانش این بود که از فراوانی نعمت و آسایش و امنیت مغرور شده بودند و هیچ به فکر فقرا و مستمندان نبودند. | 49 |
देख, तेरी बहन सदूम की तक़्सीर यह थी, गु़रूर और रोटी की सेरी और राहत की कसरत उसमें और उसकी बेटियों में थी; उसने ग़रीब और मोहताज की दस्तगीरी न की।
آنها با کمال گستاخی در حضور من مرتکب اعمال زشت و بتپرستی میشدند؛ بنابراین من نیز ایشان را از میان بردم. | 50 |
वह मग़रूर थीं और उन्होंने मेरे सामने घिनौने काम किए, इसलिए जब मैंने देखा तो उनको उखाड़ फेंका।
«سامره حتی نصف گناهان تو را هم مرتکب نشد. کارهای زشت و بتپرستیهای تو، به مراتب بیشتر از خواهرانت بوده است. تو روی آنها را سفید کردی! | 51 |
और सामरिया ने तेरे गुनाहों के आधे भी नहीं किए, तूने उनके बदले अपनी मकरूहात को फ़िरावान किया है, और तूने अपनी इन मकरूहात से अपनी बहनों को बेक़ुसूर ठहराया है।
پس تعجب نکن اگر آنها کمتر از تو مجازات شوند، زیرا گناهان تو به قدری هولناک است که در برابر تو، خواهرانت پاک و بیگناه به نظر میرسند! | 52 |
फिर तू ख़ुद जो अपनी बहनों को मुजरिम ठहराती है, इन गुनाहों की वजह से जो तूने किए जो उनके गुनाहों से ज़्यादा नफ़रतअंगेज़ हैं, मलामत उठा; वह तुझ से ज़्यादा बेकु़सूर हैं। इसलिए तू भी रूस्वा हो और शर्म खा, क्यूँकि तूने अपनी बहनों को बेकु़सूर ठहराया है।
«ولی روزی خواهد رسید که سعادت را به سدوم و سامره و مردم یهودا باز خواهم گرداند. | 53 |
'और मैं उनकी ग़ुलामी को बदल दूँगा, या'नी सदूम और उसकी बेटियों की ग़ुलामी को और सामरिया और उसकी बेटियों की ग़ुलामी की, और उनके बीच तेरे ग़ुलामों की ग़ुलामी को,
شرمساری و مجازات سنگین تو باعث تسلی آنها خواهد شد، چون از مجازات آنها شدیدتر خواهد بود. | 54 |
ताकि तू अपनी रूस्वाई उठाए और अपने सब कामों से शर्मिंदा हो, क्यूँकि तू उनके लिए तसल्ली के ज़रिए' है।
آری، خواهرانت سدوم و سامره و دخترانشان یعنی آبادیهای اطرافشان، و خود تو نیز با دخترانت بار دیگر به حالت نخستین خود برخواهید گشت. | 55 |
तेरी बहनें सदूम और सामरिया, अपनी अपनी बेटियों के साथ अपनी पहली हालत पर बहाल हो जाएँगी, और तू और तेरी बेटियाँ अपनी पहली हालत पर बहाल हो जाओगी।
در آن روزها با تکبر و غرور سدوم را مسخره میکردی، | 56 |
तू अपने ग़ुरूर के दिनों में, अपनी बहन सदूम का नाम तक ज़बान पर न लाती थी।
اما حال که شرارتت برای همه عیان و آشکار گشته، خودت نیز مورد تمسخر و ملامت ادوم و تمام همسایگانش و همه فلسطینیها قرار گرفتهای. | 57 |
उससे पहले कि तेरी शरारत फ़ाश हुई, जब अराम की बेटियों ने और उन सब ने जो उनके आस — पास थीं तुझे मलामत की, और फ़िलिस्तियों की बेटियों ने चारों तरफ़ से तेरी हिकारत की।
خداوند میفرماید: به سزای هرزگی و اعمال زشت خود خواهی رسید. | 58 |
ख़ुदावन्द फ़रमाता है, तूने अपनी बदज़ाती और घिनौने कामों की सज़ा पाई।
«از آنجا که سوگند و وفاداریات را فراموش کردی و عهد مرا شکستی، من نیز تو را مجازات خواهم نمود. | 59 |
“क्यूँकि ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: कि मैं तुझ से जैसा तूने किया वैसा ही सुलूक करूँगा, इसलिए कि तूने क़सम को बेकार जाना और 'अहद शिकनी की।
اما من عهدی را که در دوران جوانیات با تو بستم، به یاد خواهم آورد و این بار عهدی جاودان با تو خواهم بست، | 60 |
लेकिन मैं अपने उस 'अहद को जो मैंने तेरी जवानी के दिनों में तेरे साथ बाँधा, याद रख्खूँगा और हमेशा का 'अहद तेरे साथ क़ायम करूँगा।
و تو با شرمساری، اعمال زشتت را به یاد خواهی آورد؛ و هنگامی که خواهران بزرگ و کوچکت یعنی سامره و سدوم را باز آورم و ایشان را دختران تو بگردانم تا بر ایشان حکمرانی کنی، از لطف و بزرگواری من خجل و شرمگین خواهی شد، چون خودت میدانی که شایسته این لطف نبودهای، زیرا عهد مرا شکستهای. | 61 |
और जब तू अपनी बड़ी और छोटी बहनों को कु़बूल करेगी, तब तू अपनी राहों को याद करके शर्मिंदा होगी और मैं उनको तुझे दूँगा कि तेरी बेटियाँ हों, लेकिन यह तेरे 'अहद के मुताबिक़ नहीं।
من بار دیگر عهد خود را با تو برقرار خواهم ساخت تا بدانی که من یهوه هستم. | 62 |
और मैं अपना 'अहद तेरे साथ क़ायम करूँगा, और तू जानेगी कि ख़ुदावन्द मैं हूँ।
من گناهانت را خواهم آمرزید و تو با به یاد آوردن آنها، از خجالت و شرمساری، دیگر دهان خود را نیز نخواهی گشود.» خداوند یهوه این را میگوید. | 63 |
ताकि तू याद करे और शर्मिंदा हो और शर्म के मारे फिर कभी मुँह न खोले, जब कि मैं सब कुछ जो तूने किया मु'आफ़ कर दूँ, ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है।”