< حِزِقیال 16 >
بار دیگر خداوند با من سخن گفت و فرمود: «ای پسر انسان، اورشلیم را از گناهان و اعمال نفرتانگیزش آگاه ساز، | 1 |
१फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा,
२“हे मनुष्य के सन्तान, यरूशलेम को उसके सब घृणित काम जता दे,
و به او از جانب من چنین بگو: «خداوند یهوه چنین میگوید: تو در سرزمین کنعان چشم به جهان گشودی. پدرت اَموری بود و مادرت، حیتی! | 3 |
३और उससे कह, हे यरूशलेम, प्रभु यहोवा तुझ से यह कहता है: तेरा जन्म और तेरी उत्पत्ति कनानियों के देश से हुई; तेरा पिता तो एमोरी और तेरी माता हित्तिन थी।
وقتی به دنیا آمدی، کسی اهمیتی به تو نداد؛ نه نافت را بریدند، نه تو را شستند و نه در قنداقه پیچیدند. | 4 |
४तेरा जन्म ऐसे हुआ कि जिस दिन तू जन्मी, उस दिन न तेरा नाल काटा गया, न तू शुद्ध होने के लिये धोई गई, न तुझ पर नमक मला गया और न तू कुछ कपड़ों में लपेटी गई।
هیچکس کوچکترین توجهی به تو نداشت و دلش به حال تو نمیسوخت و کسی حاضر نبود از تو نگهداری کند. روزی که متولد شدی، چون از تو کراهت داشتند، تو را در بیابان انداختند و همان جا رهایت کردند. | 5 |
५किसी की दयादृष्टि तुझ पर नहीं हुई कि इन कामों में से तेरे लिये एक भी काम किया जाता; वरन् अपने जन्म के दिन तू घृणित होने के कारण खुले मैदान में फेंक दी गई थी।
«همان وقت از کنار تو عبور کردم و دیدم که در خونت میغلتی. پس به تو گفتم: زنده بمان! تو را همچون گیاه صحرا پرورش دادم، و تو رشد کردی و دوشیزهای زیبا شدی؛ سینههایت برآمد و موهایت بلند شد، اما عریان بودی. | 6 |
६“जब मैं तेरे पास से होकर निकला, और तुझे लहू में लोटते हुए देखा, तब मैंने तुझ से कहा, ‘हे लहू में लोटती हुई जीवित रह;’ हाँ, तुझ ही से मैंने कहा, ‘हे लहू में लोटती हुई, जीवित रह।’
७फिर मैंने तुझे खेत के पौधे के समान बढ़ाया, और तू बढ़ते-बढ़ते बड़ी हो गई और अति सुन्दर हो गई; तेरी छातियाँ सुडौल हुईं, और तेरे बाल बढ़े; तो भी तू नंगी थी।
«مدتی بعد که از کنارت گذشتم به تو نگاه کردم؛ این بار آمادهٔ ازدواج بودی، پس ردایم را بر تو انداختم، عریانیات را پوشاندم و سوگند یاد کرده، با تو پیمان ازدواج بستم و تو از آن من شدی. | 8 |
८“मैंने फिर तेरे पास से होकर जाते हुए तुझे देखा, और अब तू पूरी स्त्री हो गई थी; इसलिए मैंने तुझे अपना वस्त्र ओढ़ाकर तेरा तन ढाँप दिया; और सौगन्ध खाकर तुझ से वाचा बाँधी और तू मेरी हो गई, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।
سپس شستشویت دادم تا از خونت پاک شوی و بر بدنت روغن مالیدم. | 9 |
९तब मैंने तुझे जल से नहलाकर तुझ पर से लहू धो दिया, और तेरी देह पर तेल मला।
لباسهای زیبای قلابدوزی شده، از جنس کتان لطیف و ابریشم به تو دادم و کفش از پوست خز به پایت کردم. | 10 |
१०फिर मैंने तुझे बूटेदार वस्त्र और सुइसों के चमड़े की जूतियाँ पहनाई; और तेरी कमर में सूक्ष्म सन बाँधा, और तुझे रेशमी कपड़ा ओढ़ाया।
تو را با زیورآلات آراستم، النگوها به دستت کردم و گردنبند به گردنت انداختم، | 11 |
११तब मैंने तेरा श्रृंगार किया, और तेरे हाथों में चूड़ियाँ और गले में हार पहनाया।
حلقه در بینیات و گوشواره در گوشهایت و تاجی زیبا بر سرت گذاشتم. | 12 |
१२फिर मैंने तेरी नाक में नत्थ और तेरे कानों में बालियाँ पहनाई, और तेरे सिर पर शोभायमान मुकुट धरा।
به این ترتیب، با طلا و نقره آراسته و زیبا شدی. لباسهای زیبای قلابدوزی شده، از کتان لطیف و ابریشم پوشیدی و بهترین خوراکها را خوردی. زیبایی تو خیره کننده بود و همچون ملکه شدی. | 13 |
१३तेरे आभूषण सोने चाँदी के और तेरे वस्त्र सूक्ष्म सन, रेशम और बूटेदार कपड़े के बने; फिर तेरा भोजन मैदा, मधु और तेल हुआ; और तू अत्यन्त सुन्दर, वरन् रानी होने के योग्य हो गई।
زیباییات به سبب کمالاتی که من به تو بخشیده بودم، کامل گردید و زبانزد همهٔ قومها شد. | 14 |
१४तेरी सुन्दरता की कीर्ति अन्यजातियों में फैल गई, क्योंकि उस प्रताप के कारण, जो मैंने अपनी ओर से तुझे दिया था, तू अत्यन्त सुन्दर थी, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।
«اما تو فکر کردی که میتوانی جدا از من نیز کمال خود را حفظ کنی. بنابراین از زیبایی و آوازهات سرمست شدی و در ورطه زناکاری افتادی و همچون یک فاحشه، خود را در اختیار هر رهگذری گذاشتی. | 15 |
१५“परन्तु तू अपनी सुन्दरता पर भरोसा करके अपनी नामवरी के कारण व्यभिचार करने लगी, और सब यात्रियों के संग बहुत कुकर्म किया, और जो कोई तुझे चाहता था तू उसी से मिलती थी।
آن رختهای زیبایی را که به تو داده بودم، برای ساختن بتخانهها و تزیین بستر فاحشگیات به کار بردی. چنین چیزی هرگز رخ نداده و نخواهد داد. | 16 |
१६तूने अपने वस्त्र लेकर रंग-बिरंगे ऊँचे स्थान बना लिए, और उन पर व्यभिचार किया, ऐसे कुकर्म किए जो न कभी हुए और न होंगे।
آن جواهرات و طلا و نقرهای را که به تو داده بودم، گرفتی و با آنها مجسمه مردان را ساختی و آنها را پرستش نموده، به من خیانت کردی. | 17 |
१७तूने अपने सुशोभित गहने लेकर जो मेरे दिए हुए सोने-चाँदी के थे, उनसे पुरुषों की मूरतें बना ली, और उनसे भी व्यभिचार करने लगी;
«لباسهای زیبای قلابدوزی شدهای را که به تو بخشیده بودم، به بتهایت پوشاندی! روغن و بخور مرا برای پرستش بتها به کار بردی! | 18 |
१८और अपने बूटेदार वस्त्र लेकर उनको पहनाए, और मेरा तेल और मेरा धूप उनके सामने चढ़ाया।
آرد و روغن و عسل مرغوبی را که برای خوراک به تو داده بودم، برای آنها نذر کردی تا از تو راضی باشند! | 19 |
१९जो भोजन मैंने तुझे दिया था, अर्थात् जो मैदा, तेल और मधु मैं तुझे खिलाता था, वह सब तूने उनके सामने सुखदायक सुगन्ध करके रखा; प्रभु यहोवा की यही वाणी है कि ऐसा ही हुआ।
پسران و دخترانی را که برای من زاییده بودی، گرفتی و برای خدایانت قربانی کردی! آیا زناکاری کافی نبود که به چنین جنایتی هم دست زدی؟ | 20 |
२०फिर तूने अपने पुत्र-पुत्रियाँ लेकर जिन्हें तूने मेरे लिये जन्म दिया, उन मूर्तियों को बलिदान करके चढ़ाई। क्या तेरा व्यभिचार ऐसी छोटी बात थीं;
تو فرزندان مرا کشتی و برای بتها قربانی کردی و سوزاندی و | 21 |
२१कि तूने मेरे बाल-बच्चे उन मूर्तियों के आगे आग में चढ़ाकर घात किए हैं?
در تمام این سالهای زناکاری و گناه، یک بار هم دوران گذشته را به یاد نیاوردی، دورانی که برهنه بودی و در خونت میغلتیدی. | 22 |
२२तूने अपने सब घृणित कामों में और व्यभिचार करते हुए, अपने बचपन के दिनों की कभी सुधि न ली, जबकि तू नंगी अपने लहू में लोटती थी।
«وای بر تو، وای بر تو که بعد از این همه شرارت، | 23 |
२३“तेरी उस सारी बुराई के पीछे क्या हुआ? प्रभु यहोवा की यह वाणी है, हाय, तुझ पर हाय!
در هر کوی و برزنی عمارتها برای بتپرستی و زناکاریات بنا کردی، و زیبایی خود را بیارزش و خوار کردی و در اختیار هر رهگذری قرار دادی و روزبهروز فاسدتر شدی. | 24 |
२४तूने एक गुम्मट बनवा लिया, और हर एक चौक में एक ऊँचा स्थान बनवा लिया;
२५और एक-एक सड़क के सिरे पर भी तूने अपना ऊँचा स्थान बनवाकर अपनी सुन्दरता घृणित करा दी, और हर एक यात्री को कुकर्म के लिये बुलाकर महाव्यभिचारिणी हो गई।
با مصر، این سرزمین فاسد پیمان اتحاد بستی و او را بر جمع فاسقانت افزودی و خشم مرا شعلهور ساختی. | 26 |
२६तूने अपने पड़ोसी मिस्री लोगों से भी, जो मोटे-ताजे हैं, व्यभिचार किया और मुझे क्रोध दिलाने के लिये अपना व्यभिचार बढ़ाती गई।
«از این جهت دست خود را دراز کردهام تا تو را مجازات نمایم و مواهب خود را از تو باز پس گیرم. تو را در جنگ فلسطینیها که تشنه خونت هستند، رها کردهام. حتی آنها نیز از رفتار شرمآورت نفرت دارند. | 27 |
२७इस कारण मैंने अपना हाथ तेरे विरुद्ध बढ़ाकर, तेरा प्रतिदिन का खाना घटा दिया, और तेरी बैरिन पलिश्ती स्त्रियाँ जो तेरे महापाप की चाल से लजाती है, उनकी इच्छा पर मैंने तुझे छोड़ दिया है।
«با آشوریها نیز زنا کردی، زیرا با ایشان همپیمان شدی و بتهایشان را پرستیدی. ولی با همهٔ اینها، سیر نشدی! | 28 |
२८फिर भी तेरी तृष्णा न बुझी, इसलिए तूने अश्शूरी लोगों से भी व्यभिचार किया; और उनसे व्यभिचार करने पर भी तेरी तृष्णा न बुझी।
پس به بتهای بابِل، سرزمین بازرگانان، روی آوردی، ولی به این هم قانع نشدی. | 29 |
२९फिर तू लेन-देन के देश में व्यभिचार करते-करते कसदियों के देश तक पहुँची, और वहाँ भी तेरी तृष्णा न बुझी।
«چقدر تو سست اراده هستی! کارهای تو، کارهای یک روسپی بیحیاست! | 30 |
३०“प्रभु यहोवा की यह वाणी है कि तेरा हृदय कैसा चंचल है कि तू ये सब काम करती है, जो निर्लज्ज वेश्या ही के काम हैं?
بر سر هر راه، بتخانه و بر سر هر کوچه، فاحشهخانه ساختی! ولی تو مانند فاحشههای دیگر، به دنبال پول نیستی. | 31 |
३१तूने हर एक सड़क के सिरे पर जो अपना गुम्मट, और हर चौक में अपना ऊँचा स्थान बनवाया है, क्या इसी में तू वेश्या के समान नहीं ठहरी? क्योंकि तू ऐसी कमाई पर हँसती है।
تو همچون همسری خیانتکار هستی که شوهر خود را رها میکند و به آغوش مردان دیگر پناه میبرد. | 32 |
३२तू व्यभिचारिणी पत्नी है। तू पराए पुरुषों को अपने पति के बदले ग्रहण करती है।
فاحشهها برای کارشان اجرت میگیرند، اما تو به فاسقان خود هدیه و رشوه میدهی تا با تو همبستر شوند. | 33 |
३३सब वेश्याओं को तो रुपया मिलता है, परन्तु तूने अपने सब मित्रों को स्वयं रुपये देकर, और उनको लालच दिखाकर बुलाया है कि वे चारों ओर से आकर तुझ से व्यभिचार करें।
پس تو برعکس فاحشههای دیگر عمل میکنی؛ بجای اینکه از فاسقانت پول بگیری، تو به آنها پول میدهی! | 34 |
३४इस प्रकार तेरा व्यभिचार अन्य व्यभिचारियों से उलटा है। तेरे पीछे कोई व्यभिचारी नहीं चलता, और तू किसी से दाम लेती नहीं, वरन् तू ही देती है; इसी कारण तू उलटी ठहरी।
«حال، ای فاحشه، کلام خداوند را بشنو: | 35 |
३५“इस कारण, हे वेश्या, यहोवा का वचन सुन,
خداوند یهوه چنین میفرماید: به سبب فساد و زناکاری با فاسقانت، یعنی پرستش و عبادت بتها، و نیز برای آنکه فرزندانت را برای خدایانت قربانی کردی، | 36 |
३६प्रभु यहोवा यह कहता है: तूने जो व्यभिचार में अति निर्लज्ज होकर, अपनी देह अपने मित्रों को दिखाई, और अपनी मूर्तियों से घृणित काम किए, और अपने बच्चों का लहू बहाकर उन्हें बलि चढ़ाया है,
اینک من فاسقان یعنی همدستانت را، چه آنانی را که دوست داشتنی و چه آنانی را که دوست نداشتنی، همه را گرد خواهم آورد و در مقابل ایشان تو را عریان خواهم ساخت. | 37 |
३७इस कारण देख, मैं तेरे सब मित्रों को जो तेरे प्रेमी हैं और जितनों से तूने प्रीति लगाई, और जितनों से तूने बैर रखा, उन सभी को चारों ओर से तेरे विरुद्ध इकट्ठा करके उनको तेरी देह नंगी करके दिखाऊँगा, और वे तेरा तन देखेंगे।
تو را برای جنایتها و زناکاریهایت، با خشم و غضب، مجازات و هلاک خواهم نمود. | 38 |
३८तब मैं तुझको ऐसा दण्ड दूँगा, जैसा व्यभिचारिणियों और लहू बहानेवाली स्त्रियों को दिया जाता है; और क्रोध और जलन के साथ तेरा लहू बहाऊँगा।
تو را به دست این قومها، یعنی فاسقانت خواهم سپرد. آنان عشرتکدهها و بتخانههایت را با خاک یکسان کرده، تمام جواهرات زیبایت را غارت خواهند نمود و برهنه و بینوا رهایت خواهند ساخت. | 39 |
३९इस रीति मैं तुझे उनके वश में कर दूँगा, और वे तेरे गुम्मटों को ढा देंगे, और तेरे ऊँचे स्थानों को तोड़ देंगे; वे तेरे वस्त्र जबरन उतारेंगे, और तेरे सुन्दर गहने छीन लेंगे, और तुझे नंगा करके छोड़ देंगे।
آنها تو را سنگسار کرده، با شمشیر پارهپاره خواهند نمود. | 40 |
४०तब तेरे विरुद्ध एक सभा इकट्ठी करके वे तुझ पर पथराव करेंगे, और अपनी कटारों से आर-पार छेदेंगे।
خانههایت را خواهند سوزاند و در مقابل زنان دیگر مجازاتت خواهند کرد. من تو را از زناکاری با بتها باز خواهم داشت و دیگر نخواهم گذاشت که به فاسقانت یعنی به همدستانت اجرت و رشوه دهی. | 41 |
४१तब वे आग लगाकर तेरे घरों को जला देंगे, और तुझे बहुत सी स्त्रियों के देखते दण्ड देंगे; और मैं तेरा व्यभिचार बन्द करूँगा, और तू फिर वेश्यावृत्ति के लिये दाम न देगी।
آنگاه آتش خشم و غیرت من فرو خواهد نشست و آرام خواهد گرفت و دیگر غضبناک نخواهم بود. | 42 |
४२जब मैं तुझ पर पूरी जलजलाहट प्रगट कर चुकूँगा, तब तुझ पर और न जलूँगा वरन् शान्त हो जाऊँगा, और फिर क्रोध न करूँगा।
تو دوران جوانی خود را به فراموشی سپردی و با کارهایت مرا رنجانیدی و زناکاریهایت را هم بر آنها افزودی. پس من هم تو را به سزای اعمالت میرسانم. | 43 |
४३तूने जो अपने बचपन के दिन स्मरण नहीं रखे, वरन् इन सब बातों के द्वारा मुझे चिढ़ाया; इस कारण मैं तेरा चाल चलन तेरे सिर पर डालूँगा और तू अपने सब पिछले घृणित कामों से और अधिक महापाप न करेगी, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।
«ای اورشلیم، مردم درباره تو خواهند گفت که چنان مادری، چنین دختری هم باید داشته باشد. | 44 |
४४“देख, सब कहावत कहनेवाले तेरे विषय यह कहावत कहेंगे, ‘जैसी माँ वैसी पुत्री।’
تو براستی شبیه مادرت هستی که از شوهر و فرزندانش نفرت میداشت؛ تو درست شبیه خواهرانت هستی که از شوهران و فرزندانشان بیزار بودند. براستی که مادرت حیتی بود و پدرت اَموری! | 45 |
४५तेरी माँ जो अपने पति और बच्चों से घृणा करती थी, तू भी ठीक उसकी पुत्री ठहरी; और तेरी बहनें जो अपने-अपने पति और बच्चों से घृणा करती थीं, तू भी ठीक उनकी बहन निकली। तेरी माता हित्तिन और पिता एमोरी था।
«خواهر بزرگ تو سامره است که با دخترانش یعنی آبادیهای اطرافش، در شمال تو زندگی میکنند. خواهر کوچکت سدوم است که با دخترانش در جنوب تو ساکن هستند. | 46 |
४६तेरी बड़ी बहन सामरिया है, जो अपनी पुत्रियों समेत तेरी बाईं ओर रहती है, और तेरी छोटी बहन, जो तेरी दाहिनी ओर रहती है वह पुत्रियों समेत सदोम है।
تو نه فقط راهها و گناهان ایشان را تقلید کردی، بلکه در مدتی کوتاه، از آنان جلو افتادی و از ایشان فاسدتر شدی. | 47 |
४७तू उनकी सी चाल नहीं चली, और न उनके से घृणित कामों ही से सन्तुष्ट हुई; यह तो बहुत छोटी बात ठहरती, परन्तु तेरा सारा चाल चलन उनसे भी अधिक बिगड़ गया।
به ذات مقدّس خود سوگند که سدوم و آبادیهای اطرافش، به اندازه تو و آبادیهایت، فاسد و شریر نبودند! | 48 |
४८प्रभु यहोवा की यह वाणी है, मेरे जीवन की सौगन्ध, तेरी बहन सदोम ने अपनी पुत्रियों समेत तेरे और तेरी पुत्रियों के समान काम नहीं किए।
گناه خواهرت سدوم و دخترانش این بود که از فراوانی نعمت و آسایش و امنیت مغرور شده بودند و هیچ به فکر فقرا و مستمندان نبودند. | 49 |
४९देख, तेरी बहन सदोम का अधर्म यह था, कि वह अपनी पुत्रियों सहित घमण्ड करती, पेट भर भरकर खाती और सुख चैन से रहती थी; और दीन दरिद्र को न सम्भालती थी।
آنها با کمال گستاخی در حضور من مرتکب اعمال زشت و بتپرستی میشدند؛ بنابراین من نیز ایشان را از میان بردم. | 50 |
५०अतः वह गर्व करके मेरे सामने घृणित काम करने लगी, और यह देखकर मैंने उन्हें दूर कर दिया।
«سامره حتی نصف گناهان تو را هم مرتکب نشد. کارهای زشت و بتپرستیهای تو، به مراتب بیشتر از خواهرانت بوده است. تو روی آنها را سفید کردی! | 51 |
५१फिर सामरिया ने तेरे पापों के आधे भी पाप नहीं किए, तूने तो उससे बढ़कर घृणित काम किए, और अपने घोर घृणित कामों के द्वारा अपनी बहनों से जीत गई।
پس تعجب نکن اگر آنها کمتر از تو مجازات شوند، زیرا گناهان تو به قدری هولناک است که در برابر تو، خواهرانت پاک و بیگناه به نظر میرسند! | 52 |
५२इसलिए तूने जो अपनी बहनों का न्याय किया, इस कारण लज्जित हो, क्योंकि तूने उनसे बढ़कर घृणित पाप किए हैं; इस कारण वे तुझ से कम दोषी ठहरी हैं। इसलिए तू इस बात से लज्जा कर और लजाती रह, क्योंकि तूने अपनी बहनों को कम दोषी ठहराया है।
«ولی روزی خواهد رسید که سعادت را به سدوم و سامره و مردم یهودا باز خواهم گرداند. | 53 |
५३“जब मैं उनको अर्थात् पुत्रियों सहित सदोम और सामरिया को बँधुआई से लौटा लाऊँगा, तब उनके बीच ही तेरे बन्दियों को भी लौटा लाऊँगा,
شرمساری و مجازات سنگین تو باعث تسلی آنها خواهد شد، چون از مجازات آنها شدیدتر خواهد بود. | 54 |
५४जिससे तू लजाती रहे, और अपने सब कामों को देखकर लजाए, क्योंकि तू उनकी शान्ति ही का कारण हुई है।
آری، خواهرانت سدوم و سامره و دخترانشان یعنی آبادیهای اطرافشان، و خود تو نیز با دخترانت بار دیگر به حالت نخستین خود برخواهید گشت. | 55 |
५५तेरी बहनें सदोम और सामरिया अपनी-अपनी पुत्रियों समेत अपनी पहली दशा को फिर पहुँचेंगी, और तू भी अपनी पुत्रियों सहित अपनी पहली दशा को फिर पहुँचेगी।
در آن روزها با تکبر و غرور سدوم را مسخره میکردی، | 56 |
५६जब तक तेरी बुराई प्रगट न हुई थी, अर्थात् जिस समय तक तू आस-पास के लोगों समेत अरामी और पलिश्ती स्त्रियों की जो अब चारों ओर से तुझे तुच्छ जानती हैं, नामधराई करती थी,
اما حال که شرارتت برای همه عیان و آشکار گشته، خودت نیز مورد تمسخر و ملامت ادوم و تمام همسایگانش و همه فلسطینیها قرار گرفتهای. | 57 |
५७उन अपने घमण्ड के दिनों में तो तू अपनी बहन सदोम का नाम भी न लेती थी।
خداوند میفرماید: به سزای هرزگی و اعمال زشت خود خواهی رسید. | 58 |
५८परन्तु अब तुझको अपने महापाप और घृणित कामों का भार आप ही उठाना पड़ा है, यहोवा की यही वाणी है।
«از آنجا که سوگند و وفاداریات را فراموش کردی و عهد مرا شکستی، من نیز تو را مجازات خواهم نمود. | 59 |
५९“प्रभु यहोवा यह कहता है: मैं तेरे साथ ऐसा ही बर्ताव करूँगा, जैसा तूने किया है, क्योंकि तूने तो वाचा तोड़कर शपथ तुच्छ जानी है,
اما من عهدی را که در دوران جوانیات با تو بستم، به یاد خواهم آورد و این بار عهدی جاودان با تو خواهم بست، | 60 |
६०तो भी मैं तेरे बचपन के दिनों की अपनी वाचा स्मरण करूँगा, और तेरे साथ सदा की वाचा बाँधूँगा।
و تو با شرمساری، اعمال زشتت را به یاد خواهی آورد؛ و هنگامی که خواهران بزرگ و کوچکت یعنی سامره و سدوم را باز آورم و ایشان را دختران تو بگردانم تا بر ایشان حکمرانی کنی، از لطف و بزرگواری من خجل و شرمگین خواهی شد، چون خودت میدانی که شایسته این لطف نبودهای، زیرا عهد مرا شکستهای. | 61 |
६१जब तू अपनी बहनों को अर्थात् अपनी बड़ी और छोटी बहनों को ग्रहण करे, तब तू अपना चाल चलन स्मरण करके लज्जित होगी; और मैं उन्हें तेरी पुत्रियाँ ठहरा दूँगा; परन्तु यह तेरी वाचा के अनुसार न करूँगा।
من بار دیگر عهد خود را با تو برقرار خواهم ساخت تا بدانی که من یهوه هستم. | 62 |
६२मैं तेरे साथ अपनी वाचा स्थिर करूँगा, और तब तू जान लेगी कि मैं यहोवा हूँ,
من گناهانت را خواهم آمرزید و تو با به یاد آوردن آنها، از خجالت و شرمساری، دیگر دهان خود را نیز نخواهی گشود.» خداوند یهوه این را میگوید. | 63 |
६३जिससे तू स्मरण करके लज्जित हो, और लज्जा के मारे फिर कभी मुँह न खोले। यह उस समय होगा, जब मैं तेरे सब कामों को ढाँपूँगा, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।”