< حِزِقیال 12 >
بار دیگر پیغامی از طرف خداوند به من رسید. خداوند فرمود: | 1 |
१फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा,
«ای پسر انسان، تو در میان قومی عصیانگر زندگی میکنی که چشم دارند و نمیبینند، گوش دارند و نمیشنوند، چون یاغی هستند. | 2 |
२“हे मनुष्य के सन्तान, तू बलवा करनेवाले घराने के बीच में रहता है, जिनके देखने के लिये आँखें तो हैं, परन्तु नहीं देखते; और सुनने के लिये कान तो हैं परन्तु नहीं सुनते; क्योंकि वे बलवा करनेवाले घराने के हैं।
حال، برای آنکه بدانند که چه واقعهای بهزودی رخ خواهد داد، بار و بنهات را در روز روشن جمع کن و مانند کسی که به تبعید برده میشود، در مقابل انظار ایشان کوچ کن. شاید این یاغیان ببینند و معنی کار تو را بفهمند. | 3 |
३इसलिए हे मनुष्य के सन्तान, दिन को बँधुआई का सामान तैयार करके उनके देखते हुए उठ जाना, उनके देखते हुए अपना स्थान छोड़कर दूसरे स्थान को जाना। यद्यपि वे बलवा करनेवाले घराने के हैं, तो भी सम्भव है कि वे ध्यान दें।
بار و بنهات را به هنگام روز از خانه بیرون بیاور تا بتوانند ببینند. سپس مانند اسیرانی که سفر دور و درازی در پیش دارند، شبانگاه حرکت کن و | 4 |
४इसलिए तू दिन को उनके देखते हुए बँधुआई के सामान को निकालना, और तब तू साँझ को बँधुआई में जानेवाले के समान उनके देखते हुए उठ जाना।
در مقابل چشمان ایشان، شکافی در دیوار ایجاد کن و وسایل خود را از آن بیرون ببر. | 5 |
५उनके देखते हुए दीवार को फोड़कर उसी से अपना सामान निकालना।
در همان حال که نگاه میکنند، بار و بنهٔ خود را بر دوش بگذار و شبانه از آنجا دور شو. صورتت را نیز بپوشان تا سرزمینی را که ترک میکنی نتوانی ببینی. این کار تو نمایشی است از واقعهای که بهزودی در اورشلیم روی خواهد داد.» | 6 |
६उनके देखते हुए उसे अपने कंधे पर उठाकर अंधेरे में निकालना, और अपना मुँह ढाँपे रहना कि भूमि तुझे न देख पड़े; क्योंकि मैंने तुझे इस्राएल के घराने के लिये एक चिन्ह ठहराया है।”
پس همانطور که خدا به من فرمود، عمل کردم. بار و بنهام را مثل یک تبعیدی جمع کردم و در روز روشن بیرون آوردم و به هنگام شب، شکافی در دیوار ایجاد کردم و در حالی که مردم نگاه میکردند، بار و بنهام را بر دوش گرفتم و در تاریکی بیرون رفتم. | 7 |
७उस आज्ञा के अनुसार मैंने वैसा ही किया। दिन को मैंने अपना सामान बँधुआई के सामान के समान निकाला, और साँझ को अपने हाथ से दीवार को फोड़ा; फिर अंधेरे में सामान को निकालकर, उनके देखते हुए अपने कंधे पर उठाए हुए चला गया।
صبح روز بعد، خداوند به من چنین فرمود: | 8 |
८सवेरे यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा,
«ای پسر انسان، حال که قوم عصیانگر اسرائیل میپرسند که معنی این کارها چیست، | 9 |
९“हे मनुष्य के सन्तान, क्या इस्राएल के घराने ने अर्थात् उस बलवा करनेवाले घराने ने तुझ से यह नहीं पूछा, ‘यह तू क्या करता है?’
به ایشان بگو که این پیغامی است از جانب خداوند یهوه به پادشاه و تمام قوم اسرائیل که در اورشلیم هستند. | 10 |
१०तू उनसे कह, ‘प्रभु यहोवा यह कहता है: यह प्रभावशाली वचन यरूशलेम के प्रधान पुरुष और इस्राएल के सारे घराने के विषय में है जिसके बीच में वे रहते हैं।’
بگو که آنچه کردی، نمایشگر چیزهایی است که بر سرشان خواهد آمد، چون از خانه و کاشانهشان بیرون رانده، به اسارت برده خواهند شد. | 11 |
११तू उनसे कह, ‘मैं तुम्हारे लिये चिन्ह हूँ; जैसा मैंने किया है, वैसा ही इस्राएली लोगों से भी किया जाएगा; उनको उठकर बँधुआई में जाना पड़ेगा।’
حتی پادشاه، شبانه اسباب خود را بر دوش گذاشته، از شکافی که در دیوار شهر برایش ایجاد خواهند کرد، خواهد گریخت و صورتش را خواهد پوشاند و او سرزمینی را که ترک میکند نخواهد دید. | 12 |
१२उनके बीच में जो प्रधान है, वह अंधेरे में अपने कंधे पर बोझ उठाए हुए निकलेगा; वह अपना सामान निकालने के लिये दीवार को फोड़ेगा, और अपना मुँह ढाँपे रहेगा कि उसको भूमि न देख पड़े।
اما من دام خود را بر او خواهم انداخت و او را گرفتار خواهم نمود و به شهر بابِل خواهم آورد و با این که در بابِل خواهد مرد، ولی آنجا را نخواهد دید. | 13 |
१३और मैं उस पर अपना जाल फैलाऊँगा, और वह मेरे फंदे में फँसेगा; और मैं उसे कसदियों के देश के बाबेल में पहुँचा दूँगा; यद्यपि वह उस नगर में मर जाएगा, तो भी उसको न देखेगा।
اطرافیان، مشاورین و محافظین او را به هر سو پراکنده خواهم ساخت و مردم در جستجویشان خواهند بود تا ایشان را بکشند. | 14 |
१४जितने उसके सहायक उसके आस-पास होंगे, उनको और उसकी सारी टोलियों को मैं सब दिशाओं में तितर-बितर कर दूँगा; और तलवार खींचकर उनके पीछे चलवाऊँगा।
هنگامی که آنها را در سرزمینهای مختلف پراکنده سازم، آنگاه خواهند دانست که من یهوه هستم. | 15 |
१५जब मैं उन्हें जाति-जाति में तितर-बितर कर दूँगा, और देश-देश में छिन्न भिन्न कर दूँगा, तब वे जान लेंगे कि मैं यहोवा हूँ।
اما تعداد کمی از ایشان را زنده نگاه خواهم داشت و نخواهم گذشت که در اثر جنگ و قحطی و بیماری هلاک شوند، تا در حضور مردم سرزمینهایی که به آنجا تبعید میشوند، اقرار کنند که چقدر شرور بودهاند و بدانند که من یهوه هستم.» | 16 |
१६परन्तु मैं उनमें से थोड़े से लोगों को तलवार, भूख और मरी से बचा रखूँगा; और वे अपने घृणित काम उन जातियों में बखान करेंगे जिनके बीच में वे पहुँचेंगे; तब वे जान लेंगे कि मैं यहोवा हूँ।”
سپس این پیغام از طرف خداوند به من رسید: | 17 |
१७तब यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा,
«ای پسر انسان، خوراک را با ترس بخور و آب را با لرز بنوش، | 18 |
१८“हे मनुष्य के सन्तान, काँपते हुए अपनी रोटी खाना और थरथराते और चिन्ता करते हुए अपना पानी पीना;
و از جانب من به مردم اسرائیل و اورشلیم بگو که به سبب همهٔ گناهانشان، دچار قحطی شده، آب و خوراکشان را جیرهبندی خواهند کرد و آن را با دلهره و هراس خواهند خورد. | 19 |
१९और इस देश के लोगों से यह कहना, कि प्रभु यहोवा यरूशलेम और इस्राएल के देश के निवासियों के विषय में यह कहता है, वे अपनी रोटी चिन्ता के साथ खाएँगे, और अपना पानी विस्मय के साथ पीएँगे; क्योंकि देश अपने सब रहनेवालों के उपद्रव के कारण अपनी सारी भरपूरी से रहित हो जाएगा।
شهرهای آبادشان ویران و مزرعههایشان خشک خواهد شد تا بدانند که من یهوه هستم.» | 20 |
२०बसे हुए नगर उजड़ जाएँगे, और देश भी उजाड़ हो जाएगा; तब तुम लोग जान लोगे कि मैं यहोवा हूँ।”
२१फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा,
«ای پسر انسان، این مَثَل چیست که مردم اسرائیل میگویند:”عمر ما تمام شد، پیشگوییها عملی نشد!“ | 22 |
२२“हे मनुष्य के सन्तान यह क्या कहावत है जो तुम लोग इस्राएल के देश में कहा करते हो, ‘दिन अधिक हो गए हैं, और दर्शन की कोई बात पूरी नहीं हुई?’
به ایشان بگو که من این مثل را باطل میکنم. اینک وقت آن رسیده که همهٔ این پیشگوییها عملی شوند. | 23 |
२३इसलिए उनसे कह, ‘प्रभु यहोवा यह कहता है: मैं इस कहावत को बन्द करूँगा; और यह कहावत इस्राएल पर फिर न चलेगी।’ और तू उनसे कह कि वह दिन निकट आ गया है, और दर्शन की सब बातें पूरी होने पर हैं।
از این پس، هیچ رؤیا و پیشگویی کاذبی در میان مردم اسرائیل وجود نخواهد داشت. | 24 |
२४क्योंकि इस्राएल के घराने में न तो और अधिक झूठे दर्शन की कोई बात और न कोई चिकनी-चुपड़ी बात फिर कही जाएगी।
زیرا من که یهوه هستم، سخن خواهم گفت و هر آنچه گفته باشم بدون تأخیر عملی خواهم ساخت. این سخن را از جانب من به ایشان بگو:”ای قوم عصیانگر اسرائیل، من دیگر تأخیر نخواهم نمود! در دوران زندگی خودتان هر آنچه گفتهام، به انجام خواهم رساند!“» این را خداوند یهوه میگوید. | 25 |
२५क्योंकि मैं यहोवा हूँ; जब मैं बोलूँ, तब जो वचन मैं कहूँ, वह पूरा हो जाएगा। उसमें विलम्ब न होगा, परन्तु, हे बलवा करनेवाले घराने तुम्हारे ही दिनों में मैं वचन कहूँगा, और वह पूरा हो जाएगा, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।”
سپس این پیغام از طرف خداوند نازل شد: | 26 |
२६फिर यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा,
«ای پسر انسان، قوم اسرائیل تصور میکنند که رؤیاها و نبوّتهای تو در آیندهٔ بسیار دور عملی خواهند شد. | 27 |
२७“हे मनुष्य के सन्तान, देख, इस्राएल के घराने के लोग यह कह रहे हैं कि जो दर्शन वह देखता है, वह बहुत दिन के बाद पूरा होनेवाला है; और कि वह दूर के समय के विषय में भविष्यद्वाणी करता है।
پس به ایشان بگو که یهوه چنین میفرماید:”از این پس، دیگر تأخیر رخ نخواهد داد. هر سخنی که گفته باشم، واقع خواهد شد!“» این را خداوند یهوه میگوید. | 28 |
२८इसलिए तू उनसे कह, प्रभु यहोवा यह कहता है: मेरे किसी वचन के पूरा होने में फिर विलम्ब न होगा, वरन् जो वचन मैं कहूँ, वह निश्चय पूरा होगा, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।”