< خروج 30 >
«مذبحی از چوب اقاقیا برای سوزاندن بخور بساز. | 1 |
१“फिर धूप जलाने के लिये बबूल की लकड़ी की वेदी बनाना।
این مذبح باید به شکل چهارگوش و به طول و عرض نیم متر و بلندی یک متر باشد، و شاخهایش با مذبح یکپارچه باشد. | 2 |
२उसकी लम्बाई एक हाथ और चौड़ाई एक हाथ की हो, वह चौकोर हो, और उसकी ऊँचाई दो हाथ की हो, और उसके सींग उसी टुकड़े से बनाए जाएँ।
روکش مذبح و شاخهای آن از طلای خالص باشد. قابی دور تا دور آن از طلا درست کن. | 3 |
३और वेदी के ऊपरवाले पल्ले और चारों ओर के बाजुओं और सींगों को शुद्ध सोने से मढ़ना, और इसके चारों ओर सोने की एक बाड़ बनाना।
در دو طرف مذبح، زیر قاب طلایی، دو حلقه از طلا برای قرار گرفتن چوبها بساز تا با آنها مذبح را حمل کنند. | 4 |
४और इसकी बाड़ के नीचे इसके आमने-सामने के दोनों पल्लों पर सोने के दो-दो कड़े बनाकर इसके दोनों ओर लगाना, वे इसके उठाने के डंडों के खानों का काम देंगे।
این چوبها باید از درخت اقاقیا تهیه شوند و روکش طلا داشته باشند. | 5 |
५डंडों को बबूल की लकड़ी के बनाकर उनको सोने से मढ़ना।
مذبح بخور را بیرون پردهای که روبروی صندوق عهد قرار گرفته بگذار. من در آنجا با تو ملاقات خواهم کرد. | 6 |
६और तू उसको उस पर्दे के आगे रखना जो साक्षीपत्र के सन्दूक के सामने है, अर्थात् प्रायश्चितवाले ढकने के आगे जो साक्षीपत्र के ऊपर है, वहीं मैं तुझ से मिला करूँगा।
هر روز صبح که هارون، روغن داخل چراغها میریزد و آنها را آماده میکند، باید بر آن مذبح، بخور خوشبو بسوزاند. | 7 |
७और उसी वेदी पर हारून सुगन्धित धूप जलाया करे; प्रतिदिन भोर को जब वह दीपक को ठीक करे तब वह धूप को जलाए,
هر روز عصر نیز که چراغها را روشن میکند باید در حضور خداوند بخور بسوزاند. این عمل باید مرتب نسل اندر نسل انجام شود. | 8 |
८तब साँझ के समय जब हारून दीपकों को जलाए तब धूप जलाया करे, यह धूप यहोवा के सामने तुम्हारी पीढ़ी-पीढ़ी में नित्य जलाया जाए।
بخور غیر مجاز، قربانی سوختنی و هدیهٔ آردی روی آن تقدیم نکنید و هدیهٔ نوشیدنی بر آن نریزید. | 9 |
९और उस वेदी पर तुम और प्रकार का धूप न जलाना, और न उस पर होमबलि और न अन्नबलि चढ़ाना; और न इस पर अर्घ देना।
«هارون باید سالی یکبار با پاشیدن خون قربانی گناه، بر شاخهای مذبح، آن را تقدیس نماید. این عمل باید هر سال مدام نسل اندر نسل انجام شود، چون این مذبح برای خداوند بسیار مقدّس است.» | 10 |
१०हारून वर्ष में एक बार इसके सींगों पर प्रायश्चित करे; और तुम्हारी पीढ़ी-पीढ़ी में वर्ष में एक बार प्रायश्चित के पापबलि के लहू से इस पर प्रायश्चित किया जाए; यह यहोवा के लिये परमपवित्र है।”
سپس خداوند به موسی فرمود: | 11 |
११और तब यहोवा ने मूसा से कहा,
«هر موقع بنیاسرائیل را سرشماری میکنی هر کسی که شمرده میشود، باید برای جان خود به من فدیه دهد تا هنگام سرشماری بلایی بر قوم نازل نشود. | 12 |
१२“जब तू इस्राएलियों की गिनती लेने लगे, तब वे गिनने के समय जिनकी गिनती हुई हो अपने-अपने प्राणों के लिये यहोवा को प्रायश्चित दें, जिससे जब तू उनकी गिनती कर रहा हो उस समय कोई विपत्ति उन पर न आ पड़े।
فدیهای که او باید بپردازد نیم مثقال نقره برحسب مثقال عبادتگاه است که باید به من تقدیم شود. | 13 |
१३जितने लोग गिने जाएँ वे पवित्रस्थान के शेकेल के अनुसार आधा शेकेल दें, (यह शेकेल बीस गेरा का होता है), यहोवा की भेंट आधा शेकेल हो।
تمام افراد بیست ساله و بالاتر باید سرشماری شوند و این هدیه را به من بدهند. | 14 |
१४बीस वर्ष के या उससे अधिक अवस्था के जितने गिने जाएँ उनमें से एक-एक जन यहोवा को भेंट दे।
کسی که ثروتمند است از این مقدار بیشتر ندهد و آن که فقیر است کمتر ندهد، چون این کفاره را برای جانهای خود به من میدهند. | 15 |
१५जब तुम्हारे प्राणों के प्रायश्चित के निमित्त यहोवा की भेंट अर्पित की जाए, तब न तो धनी लोग आधे शेकेल से अधिक दें, और न कंगाल लोग उससे कम दें।
پول کفاره را که از بنیاسرائیل میگیری، برای تعمیر و نگهداری خیمهٔ ملاقات صرف کن. پرداخت این فدیه باعث میشود که من به یاد بنیاسرائیل باشم و جان ایشان را حفظ کنم.» | 16 |
१६और तू इस्राएलियों से प्रायश्चित का रुपया लेकर मिलापवाले तम्बू के काम में लगाना; जिससे वह यहोवा के सम्मुख इस्राएलियों के स्मरणार्थ चिन्ह ठहरे, और उनके प्राणों का प्रायश्चित भी हो।”
سپس خداوند به موسی فرمود: | 17 |
१७और यहोवा ने मूसा से कहा,
«حوضی از مفرغ با پایهای مفرغین برای شستشو بساز. آن را بین خیمهٔ ملاقات و مذبح بگذار و از آب پر کن. | 18 |
१८“धोने के लिये पीतल की एक हौदी और उसका पाया भी पीतल का बनाना। और उसे मिलापवाले तम्बू और वेदी के बीच में रखकर उसमें जल भर देना;
هارون و پسرانش باید دست و پای خود را با این آب بشویند. | 19 |
१९और उसमें हारून और उसके पुत्र अपने-अपने हाथ पाँव धोया करें।
وقتی آنها میخواهند به خیمه ملاقات وارد شوند و نیز وقتی بر مذبح، هدیهٔ مخصوص به من تقدیم میکنند، باید با این آب شستشو کنند تا نمیرند. | 20 |
२०जब जब वे मिलापवाले तम्बू में प्रवेश करें तब-तब वे हाथ पाँव जल से धोएँ, नहीं तो मर जाएँगे; और जब जब वे वेदी के पास सेवा टहल करने, अर्थात् यहोवा के लिये हव्य जलाने को आएँ तब-तब वे हाथ पाँव धोएँ, न हो कि मर जाएँ।
آنها باید دستها و پاهای خود را با این آب بشویند و گرنه خواهند مرد. هارون و پسرانش و نسلهای آیندهٔ آنها باید این دستورها را همیشه رعایت کنند.» | 21 |
२१यह हारून और उसके पीढ़ी-पीढ़ी के वंश के लिये सदा की विधि ठहरे।”
२२फिर यहोवा ने मूसा से कहा,
«این مواد خوشبوی مخصوص را تهیه کن: شش کیلوگرم مُر خالص، سه کیلوگرم دارچین خوشبو، سه کیلوگرم نی معطر، | 23 |
२३“तू उत्तम से उत्तम सुगन्ध-द्रव्य ले, अर्थात् पवित्रस्थान के शेकेल के अनुसार पाँच सौ शेकेल अपने आप निकला हुआ गन्धरस, और उसका आधा, अर्थात् ढाई सौ शेकेल सुगन्धित दालचीनी और ढाई सौ शेकेल सुगन्धित अगर,
شش کیلوگرم سلیخه (که همگی به مثقال عبادتگاه وزن شدهاند). آنگاه چهار لیتر روغن زیتون روی آنها بریز، | 24 |
२४और पाँच सौ शेकेल तज, और एक हीन जैतून का तेल लेकर
و از ترکیب آنها روغن مقدّس مسح درست کن. | 25 |
२५उनसे अभिषेक का पवित्र तेल, अर्थात् गंधी की रीति से तैयार किया हुआ सुगन्धित तेल बनवाना; यह अभिषेक का पवित्र तेल ठहरे।
سپس این روغن را برای مسح خیمهٔ ملاقات، صندوق عهد، | 26 |
२६और उससे मिलापवाले तम्बू का, और साक्षीपत्र के सन्दूक का,
میز با تمام ظروف آن، چراغدان با تمام وسایل آن، مذبح بخور، | 27 |
२७और सारे सामान समेत मेज का, और सामान समेत दीवट का, और धूपवेदी का,
مذبح هدیهٔ سوختنی و هر چه که متعلق به آن است، حوض و پایههای آن به کار ببر. | 28 |
२८और सारे सामान समेत होमवेदी का, और पाए समेत हौदी का अभिषेक करना।
آنها را تقدیس کن تا کاملاً مقدّس شوند و هر کسی نتواند به آن دست بزند. | 29 |
२९और उनको पवित्र करना, जिससे वे परमपवित्र ठहरें; और जो कुछ उनसे छू जाएगा वह पवित्र हो जाएगा।
با روغنی که درست میکنی هارون و پسرانش را مسح نموده، تقدیس کن تا کاهنان من باشند. | 30 |
३०फिर हारून का उसके पुत्रों के साथ अभिषेक करना, और इस प्रकार उन्हें मेरे लिये याजक का काम करने के लिये पवित्र करना।
به بنیاسرائیل بگو که این روغن در نسلهای شما روغن مسح مقدّس من خواهد بود. | 31 |
३१और इस्राएलियों को मेरी यह आज्ञा सुनाना, ‘यह तेल तुम्हारी पीढ़ी-पीढ़ी में मेरे लिये पवित्र अभिषेक का तेल होगा।
نباید این روغن را روی افراد معمولی بریزید و حق ندارید شبیه آن را درست کنید، چون مقدّس است و شما هم باید آن را مقدّس بدانید. | 32 |
३२यह किसी मनुष्य की देह पर न डाला जाए, और मिलावट में उसके समान और कुछ न बनाना; यह पवित्र है, यह तुम्हारे लिये भी पवित्र होगा।
اگر کسی از این روغن درست کند و یا اگر بر شخصی که کاهن نیست بمالد، از میان قوم اسرائیل منقطع خواهد شد.» | 33 |
३३जो कोई इसके समान कुछ बनाए, या जो कोई इसमें से कुछ पराए कुलवाले पर लगाए, वह अपने लोगों में से नाश किया जाए।’”
سپس خداوند به موسی فرمود: «برای ساختن بخور از این مواد خوشبو به مقدار مساوی استفاده کن: میعه، اظفار، قنه و کندر خالص. | 34 |
३४फिर यहोवा ने मूसा से कहा, “बोल, नखी और कुन्दरू, ये सुगन्ध-द्रव्य निर्मल लोबान समेत ले लेना, ये सब एक तौल के हों,
با استفاده از روش سازندگان بخور، از ترکیب این مواد خوشبو با نمک، بخور خالص و مقدّس درست کن. | 35 |
३५और इनका धूप अर्थात् नमक मिलाकर गंधी की रीति के अनुसार शुद्ध और पवित्र सुगन्ध-द्रव्य बनवाना;
قدری از آن را بکوب و در خیمۀ ملاقات پیش صندوق عهد، جایی که با تو ملاقات میکنم بگذار. این بخور کاملاً مقدّس خواهد بود. | 36 |
३६फिर उसमें से कुछ पीसकर बारीक कर डालना, तब उसमें से कुछ मिलापवाले तम्बू में साक्षीपत्र के आगे, जहाँ पर मैं तुझ से मिला करूँगा वहाँ रखना; वह तुम्हारे लिये परमपवित्र होगा।
هرگز بخوری با این ترکیب برای خود درست نکنید، چون این بخور از آن من است و باید آن را مقدّس بشمارید. | 37 |
३७और जो धूप तू बनवाएगा, मिलावट में उसके समान तुम लोग अपने लिये और कुछ न बनवाना; वह तुम्हारे आगे यहोवा के लिये पवित्र होगा।
هر کس بخوری مانند این بخور برای خودش تهیه کند، از میان قوم اسرائیل منقطع خواهد شد.» | 38 |
३८जो कोई सूँघने के लिये उसके समान कुछ बनाए वह अपने लोगों में से नाश किया जाए।”