< خروج 25 >
और ख़ुदावन्द ने मूसा को फ़रमाया,
«به بنیاسرائیل بگو که هدایا به حضور من بیاورند. از کسانی هدیه قبول کن که با میل و رغبت میآورند. | 2 |
'बनी — इस्राईल से यह कहना कि मेरे लिए नज़्र लाएँ, और तुम उन्हीं से मेरी नज़्र लेना जो अपने दिल की ख़ुशी से दें।
هدایا باید از این نوع باشند: طلا، نقره و مفرغ؛ | 3 |
और जिन चीज़ों की नज़्र तुम को उनसे लेनी हैं वह यह हैं: सोना और चाँदी और पीतल,
نخهای آبی، ارغوانی و قرمز؛ کتان ریزبافت؛ پشم بز؛ | 4 |
और आसमानी और अर्ग़वानी और सुर्ख़ रंग का कपड़ा और बारीक कतान और बकरी की पश्म,
پوست قوچ که رنگش سرخ شده باشد و پوست خز؛ چوب اقاقیا؛ | 5 |
और मेंढों की सुर्ख़ रंगी हुई खालें और तुख़स की खालें और कीकर की लकड़ी,
روغن زیتون برای چراغها؛ مواد خوشبو برای تهیه روغن مسح؛ بخور خوشبو؛ | 6 |
और चराग़ के लिए तेल और मसह करने के तेल के लिए और ख़ुशबूदार ख़ुशबू के लिए मसाल्हे,
سنگهای جزع و سنگهای قیمتی دیگر برای ایفود و سینهپوش کاهن. | 7 |
और संग-ए-सुलेमानी और अफ़ोद और सीनाबन्द में जड़ने के नगीने।
«بنیاسرائیل باید خیمهٔ مقدّسی برایم بسازند تا در میان ایشان ساکن شوم. | 8 |
और वह मेरे लिए एक मक़दिस बनाएँ ताकि मैं उनके बीच सुकूनत करूँ।
این خیمۀ عبادت و تمام لوازم آن را عیناً مطابق طرحی که به تو نشان میدهم بساز. | 9 |
और घर और उसके सारे सामान का जो नमूना मैं तुझे दिखाऊँ ठीक उसी के मुताबिक़ तुम उसे बनाना।
«صندوقی از چوب اقاقیا بساز که درازای آن ۱۲۵ سانتی متر و پهنا و بلندی آن هر کدام ۷۵ سانتی متر باشد. | 10 |
'और वह कीकर की लकड़ी का एक सन्दूक़ बनाये जिस की लम्बाई ढाई हाथ और चौड़ाई डेढ़ हाथ और ऊँचाई डेढ़ हाथ हो।
بیرون و درون آن را با طلای خالص بپوشان و نواری از طلا دور لبهٔ آن بکش. | 11 |
और तू उसके अन्दर और बाहर ख़ालिस सोना मंढ़ना और उसके ऊपर चारों तरफ़ एक ज़रीन ताज बनाना।
برای این صندوق، چهار حلقه از طلا آماده کن و آنها را در چهار گوشهٔ قسمت پایین آن متصل نما یعنی در هر طرف دو حلقه. | 12 |
और उसके लिए सोने के चार कड़े ढालकर उसके चारों पायों में लगाना, दो कड़े एक तरफ़ हों और दो ही दूसरी तरफ़।
دو چوب بلند که از درخت اقاقیا تهیه شده باشد با روکش طلا بپوشان | 13 |
और कीकर की लकड़ी की चोबें बना कर उन पर सोना मंढ़ना।
و آنها را برای حمل کردن صندوق در داخل حلقههای دو طرف صندوق بگذار. | 14 |
और इन चोबों को सन्दूक़ के पास के कड़ों में डालना कि उनके सहारे सन्दूक उठ जाए।
این چوبها درون حلقههای”صندوق عهد“بمانند و از حلقهها خارج نشوند. | 15 |
चोबें सन्दूक के कड़ों के अन्दर लगी रहें और उससे अलग न की जाएँ।
وقتی ساختن صندوق عهد به پایان رسید، آن دو لوح سنگی را که دستورها و قوانین روی آن کنده شده به تو میسپارم تا در آن بگذاری. | 16 |
और तू उस शहादत नामे को जो मैं तुझे दूँगा उसी सन्दूक में रखना।
«سرپوش صندوق عهد را به درازای ۱۲۵ سانتی متر و پهنای ۷۵ سانتی متر از طلای خالص درست کن. این سرپوش،”تخت رحمت“است برای کفارهٔ گناهان شما. | 17 |
“और तू कफ़्फ़ारे का सरपोश ख़ालिस सोने का बनाना जिसकी लम्बाई ढाई हाथ और चौड़ाई डेढ़ हाथ हो।
دو مجسمهٔ کروبی طلاکوب بساز، و آنها را در دو سر تخت رحمت بگذار. | 18 |
और सोने के दो करूबी सरपोश के दोनों सिरों पर गढ़ कर बनाना।
کروبیان را بر دو سر تخت رحمت طوری نصب کن که با آن یکپارچه باشد. | 19 |
एक करूबी को एक सिरे पर और दूसरे करूबी को दूसरे सिरे पर लगाना, और तुम सरपोश को और दोनों सिरों के करूबियों को एक ही टुकड़े से बनाना।
مجسمهٔ کروبیان باید روبروی هم و نگاهشان به طرف تخت و بالهایشان بر بالای آن گسترده باشند. | 20 |
और वह करूबी इस तरह ऊपर को अपने पर फैलाए हुए हों कि सरपोश को अपने परों से ढाँक लें और उनके मुँह आमने — सामने सरपोश की तरफ़ हों।
تخت رحمت را روی صندوق نصب کن و لوحهای سنگی را که به تو میسپارم در آن صندوق بگذار. | 21 |
और तू उस सरपोश को उस सन्दूक के ऊपर लगाना और वह 'अहदनामा जो मैं तुझे दूँगा उसे उस सन्दूक के अन्दर रखना।
آنگاه من در آنجا با تو ملاقات خواهم کرد و از میان دو کروبی که روی تخت رحمت قرار گرفتهاند با تو سخن خواهم گفت و دستورهای لازم را برای بنیاسرائیل به تو خواهم داد. | 22 |
वहाँ मैं तुझ से मिला करूँगा और उस सरपोश के ऊपर से और करूबियों के बीच में से जो 'अहदनामे के सन्दूक़ के ऊपर होंगे, उन सब अहकाम के बारे में जो मैं बनी — इस्राईल के लिए तुझे दूँगा तुझ से बातचीत किया करूँगा।
«یک میز از چوب اقاقیا درست کن که به درازای یک متر و به پهنای نیم متر و بلندی ۷۵ سانتی متر باشد. | 23 |
“और तू दो हाथ लम्बी और एक हाथ चौड़ी और डेढ़ हाथ ऊँची कीकर की लकड़ी की एक मेज़ भी बनाना।
آن را با روکش طلای خالص بپوشان و قابی از طلا بر دور لبهٔ میز نصب کن. | 24 |
और उसको ख़ालिस सोने से मंढ़ना और उसके चारों तरफ़ एक ज़रीन ताज बनाना।
حاشیهٔ دور لبهٔ میز را به پهنای چهار انگشت درست کن و دور حاشیه را با قاب طلا بپوشان. | 25 |
और उसके चौगिर्द चार उंगल चौड़ी एक कंगनी लगाना और उस कंगनी के चारों तरफ़ एक ज़रीन ताज बनाना।
چهار حلقه از طلا برای میز بساز و آنها را به چهار گوشهٔ بالای پایههای میز نصب کن. | 26 |
और सोने के चार कड़े उसके लिए बना कर उन कड़ों को उन चारों कोनों में लगाना जो चारों पायों के सामने होंगे।
این حلقهها برای چوبهایی است که به هنگام جابهجا کردن و برداشتن میز باید در آنها قرار بگیرند. | 27 |
वह कड़े कंगनी के पास ही हों, ताकि चोबों के लिए जिनके सहारे मेज़ उठाई जाए घरों का काम दें।
این چوبها را از جنس درخت اقاقیا با روکشهای طلا بساز. | 28 |
और कीकर की लकड़ी की चोबें बना कर उनको सोने से मंढ़ना ताकि मेज़ उन्हीं से उठाई जाए।
همچنین بشقابها، کاسهها، جامها و پیالههایی از طلای خالص برای ریختن هدایای نوشیدنی درست کن. | 29 |
और तू उसके तबाक़ और चमचे और आफ़ताबे और उंडेलने के बड़े — बड़े कटोरे सब ख़ालिस सोने के बनाना।
نان حضور باید همیشه روی میز در حضور من باشد. | 30 |
और तू उस मेज़ पर नज़्र की रोटियाँ हमेशा मेरे सामने रखना।
«یک چراغدان از طلای خالص که چکشکاری شده باشد، درست کن. پایه و بدنه آن باید یکپارچه و از طلای خالص ساخته شود و نقش گلهای روی آن که شامل کاسبرگ و غنچه است نیز باید از جنس طلا باشد. | 31 |
“और तू ख़ालिस सोने का एक शमा'दान बनाना। वह शमा'दान और उसका पाया और डन्डी सब घड़ कर बनाए जाएँ और उसकी प्यालियाँ और लट्टू और उसके फूल सब एक ही टुकड़े के बने हों।
از بدنهٔ چراغدان شش شاخه بیرون آید سه شاخه از یک طرف و سه شاخه از طرف دیگر. | 32 |
और उसके दोनों पहलुओं से छ: शाँख़े बाहर को निकलती हों, तीन शाखें शमा'दान के एक पहलू से निकलें और तीन दूसरे पहलू से।
روی هر یک از شاخهها سه گل بادامی شکل باشد. | 33 |
एक शाख़ में बादाम के फूल की सूरत की तीन प्यालियाँ, एक लट्टू और एक फूल हो; और दूसरी शाख़ में भी बादाम के फूल की सूरत की तीन प्यालियाँ, एक लट्टू और एक फूल हो; इसी तरह शमा'दान की छहों शाख़ों में यह सब लगा हुआ हो।
خود بدنه با چهار گل بادامی تزیین شود. | 34 |
और खु़द शमादान में बादाम के फूल की सूरत की चार प्यालियाँ अपने — अपने लट्टू और फूल समेत हों।
یک جوانه زیر هر جفت شاخه، جایی که شش شاخه از بدنه منشعب میشوند قرار گیرد. | 35 |
और दो शाख़ों के नीचे एक लट्टू, सब एक ही टुकड़े के हों और फिर दो शाख़ों के नीचे एक लट्टू, सब एक ही टुकड़े के हों और फिर दो शाखों के नीचे एक लट्टू, सब एक ही टुकड़े के हों शमा'दान की छहों बाहर को निकली हुई शाखें ऐसी ही हों।
تمام این نقشها و شاخهها و بدنه باید از یک تکه طلای خالص باشد. | 36 |
या'नी लट्टू और शाख़ें और शमा 'दान सब एक ही टुकड़े के बने हों, यह सबका सब ख़ालिस सोने के एक ही टुकड़े से गढ़ कर बनाया जाए।
سپس هفت چراغ بساز و آنها را بر چراغدان بگذار تا نورشان به طرف جلو بتابد. | 37 |
और तू उसके लिए सात चराग़ बनाना, यही चराग़ जलाए जाएँ ताकि शमा'दान के सामने रौशनी हो।
انبرها و سینیهای آن را از طلای خالص درست کن. | 38 |
और उसके गुलगीर और गुलदान ख़ालिस सोने के हों।
برای ساختن این چراغدان و لوازمش ۳۴ کیلو طلا لازم است. | 39 |
शमा'दान और यह सब बर्तन एक किन्तार ख़ालिस सोने के बने हुए हों।
«دقت کن همه را عیناً مطابق طرحی که در بالای کوه به تو نشان دادم، بسازی. | 40 |
और देख, तू इनको ठीक इनके नमूने के मुताबिक़ जो तुझे पहाड़ पर दिखाया गया है बनाना।