< جامعه 1 >
اینها سخنان پسر داوود است که در اورشلیم سلطنت میکرد و به «معلم» معروف بود: | 1 |
शाह — ए — येरूशलेम दाऊद के बेटे वा'इज़ की बातें।
بیهودگی است! «معلم» میگوید: زندگی، سراسر بیهودگی است! | 2 |
“बेकार ही बेकार, वा'इज़ कहता है, बेकार ही बेकार! सब कुछ बेकार है।”
آدمی از تمامی زحماتی که در زیر آسمان میکشد چه سودی نصیبش میشود؟ | 3 |
इंसान को उस सारी मेहनत से जो वह दुनिया' में करता है, क्या हासिल है?
نسلها یکی پس از دیگری میآیند و میروند، ولی دنیا همچنان باقی است. | 4 |
एक नसल जाती है और दूसरी नसल आती है, लेकिन ज़मीन हमेशा क़ायम रहती है।
آفتاب طلوع میکند و غروب میکند و باز با شتاب به جایی باز میگردد که باید از آن طلوع کند. | 5 |
सूरज निकलता है और सूरज ढलता भी है, और अपने तुलू' की जगह को जल्द चला जाता है।
باد به طرف جنوب میوزد، و از آنجا به طرف شمال دور میزند. میوزد و میوزد و باز به جای اول خود باز میگردد. | 6 |
हवा दख्खिन की तरफ़ चली जाती है और चक्कर खाकर उत्तर की तरफ़ फिरती है; ये हमेशा चक्कर मारती है, और अपनी गश्त के मुताबिक़ दौरा करती है।
آب رودخانهها به دریا میریزد، اما دریا هرگز پر نمیشود. آبها دوباره به رودخانهها باز میگردند و باز روانه دریا میشوند. | 7 |
सब नदियाँ समन्दर में गिरती हैं, लेकिन समन्दर भर नहीं जाता; नदियाँ जहाँ से निकलती हैं उधर ही को फिर जाती हैं।
همه چیز خسته کننده است. آنقدر خسته کننده که زبان از وصف آن ناتوان است. نه چشم از دیدن سیر میشود و نه گوش از شنیدن. | 8 |
सब चीजें मान्दगी से भरी हैं, आदमी इसका बयान नहीं कर सकता। आँख देखने से आसूदा नहीं होती, और कान सुनने से नहीं भरता।
آنچه بوده باز هم خواهد بود، و آنچه شده باز هم خواهد شد. زیر آسمان هیچ چیز تازهای وجود ندارد. | 9 |
जो हुआ वही फिर होगा, और जो चीज़ बन चुकी है वही है जो बनाई जाएगी, और दुनिया में कोई चीज़ नई नहीं।
آیا چیزی هست که دربارهاش بتوان گفت: «این تازه است»؟ همه چیز پیش از ما، از گذشتههای دور وجود داشته است. | 10 |
क्या कोई चीज़ ऐसी है, जिसके बारे में कहा जाता है कि देखो ये तो नई है? वह तो साबिक़ में हम से पहले के ज़मानों में मौजूद थी।
یادی از گذشتگان نیست. آیندگان نیز از ما یاد نخواهند کرد. | 11 |
अगलों की कोई यादगार नहीं, और आनेवालों की अपने बाद के लोगों के बीच कोई याद न होगी।
من که «معلم» هستم، در اورشلیم بر اسرائیل سلطنت میکردم. | 12 |
मैं वा'इज़ येरूशलेम में बनी — इस्राईल का बा'दशाह था।
با حکمت خود، سخت به مطالعه و تحقیق دربارهٔ هر چه در زیر آسمان انجام میشود پرداختم. این چه کار سخت و پرزحمتی است که خدا به عهدهٔ انسان گذاشته است! | 13 |
और मैंने अपना दिल लगाया कि जो कुछ आसमान के नीचे किया जाता है, उस सब की तफ़्तीश — ओ — तहक़ीक़ करूँ। ख़ुदा ने बनी आदम को ये सख़्त दुख दिया है कि वह दुख़ दर्द में मुब्तिला रहें।
هر چه را که زیر آسمان انجام میشود دیدهام. همه چیز بیهوده است، درست مانند دویدن به دنبال باد! | 14 |
मैंने सब कामों पर जो दुनिया में किए जाते हैं नज़र की; और देखो, ये सब कुछ बेकार और हवा की चरान है।
کج را نمیتوان راست کرد و چیزی را که نیست نمیتوان به شمار آورد. | 15 |
वह जो टेढ़ा है सीधा नहीं हो सकता, और नाक़िस का शुमार नहीं हो सकता।
با خود فکر کردم: «من از همهٔ پادشاهانی که پیش از من در اورشلیم بودهاند، حکیمتر هستم و حکمت و دانش بسیار کسب کردهام.» | 16 |
मैंने ये बात अपने दिल में कही, “देख, मैंने बड़ी तरक़्क़ी की बल्कि उन सभों से जो मुझ से पहले येरूशलेम में थे, ज़्यादा हिकमत हासिल की; हाँ, मेरा दिल हिकमत और दानिश में बड़ा कारदान हुआ।”
در صدد برآمدم فرق بین حکمت و حماقت، و دانش و جهالت را بفهمم؛ ولی دریافتم که این نیز مانند دویدن به دنبال باد، کار بیهودهای است. | 17 |
लेकिन जब मैंने हिकमत के जानने और हिमाक़त — ओ — जहालत के समझने पर दिल लगाया, तो मा'लूम किया कि ये भी हवा की चरान है।
انسان هر چه بیشتر حکمت میآموزد محزونتر میشود و هر چه بیشتر دانش میاندوزد، غمگینتر میگردد. | 18 |
क्यूँकि बहुत हिकमत में बहुत ग़म है, और 'इल्म में तरक़्क़ी दुख की ज़्यादती है।