< اعمال رسولان 22 >
«برادران عزیز و پدران من، اجازه دهید برای دفاع از خود چند کلمه سخن بگویم.» | 1 |
“प्रियजन! अब कृपया मेरा उत्तर सुन लें.”
وقتی شنیدند به زبان خودشان سخن میگوید، بیشتر ساکت شدند. | 2 |
जब उन्होंने पौलॉस को इब्री भाषा में संबोधित करते हुए सुना तो वे और अधिक शांत हो गए. पौलॉस ने उनसे कहना शुरू किया.
آنگاه پولس گفت: «من نیز مانند شما یهودی هستم و در شهر طرسوس قیلیقیه به دنیا آمدهام. ولی در همین اورشلیم، در خدمت غمالائیل تحصیل کردهام. در مکتب او احکام و آداب و رسوم دین یهود را بهدقت فراگرفتم، و بسیار غیرت داشتم که در هر کاری باعث تکریم خدا گردم، همانگونه که شما نیز امروز برای او غیرت دارید. | 3 |
“मैं यहूदी हूं, मेरा जन्म किलिकिया प्रदेश, के तारस्यॉस नगर में तथा पालन पोषण इसी नगर येरूशलेम में हुआ है. मेरी शिक्षा नियमानुकूल पूर्वजों की व्यवस्था के अनुरूप आचार्य गमालिएल महोदय की देखरेख में हुई, आज परमेश्वर के प्रति जैसा आप सबका उत्साह है, वैसा ही मेरा भी था.
من پیروان طریقت عیسی را تا سرحد مرگ شکنجه و آزار میدادم؛ و مردان و زنان مسیحی را دستگیر و زندانی میکردم. | 4 |
मैं तो इस मत के शिष्यों को प्राण लेने तक सता रहा था, स्त्री-पुरुष दोनों को ही मैं बंदी बना कारागार में डाल देता था,
کاهن اعظم و اعضای شورای عالی یهود شاهد هستند که آنچه میگویم راست است، زیرا از آنان خطاب به سران یهود در دمشق نامه دریافت کردم تا اجازه دهند مسیحیان را بیابم و دست بسته به اورشلیم بیاورم تا مجازات شوند. | 5 |
महापुरोहित और पुरनियों की समिति के सदस्य इस सच्चाई के गवाह हैं, जिनसे दमिश्क नगर के यहूदियों के संबंध में अधिकार पत्र प्राप्त कर मैं दमिश्क नगर जा रहा था कि वहां से इस मत के शिष्यों को बंदी बनाकर येरूशलेम ले आऊं कि वे दंडित किए जाएं.
«وقتی در راه دمشق بودم، نزدیک ظهر ناگهان نور خیرهکنندهای از آسمان گرداگرد من تابید، | 6 |
“जब मैं लगभग दोपहर के समय दमिश्क नगर के पास पहुंचा, आकाश से अचानक बहुत तेज प्रकाश मेरे चारों ओर चमका
به طوری که بر زمین افتادم و صدایی شنیدم که به من میگفت:”شائول! شائول! چرا به من جفا میکنی؟“ | 7 |
और मैं भूमि पर गिर पड़ा. तभी मुझे संबोधित करता एक शब्द सुनाई दिया, ‘शाऊल! शाऊल! तुम मुझे क्यों सता रहे हो?’
«پرسیدم:”خداوندا، تو کیستی؟“«فرمود:”من عیسای ناصری هستم، همان که تو به او جفا میرسانی!“ | 8 |
“मैंने प्रश्न किया, ‘आप कौन हैं, प्रभु?’ “‘मैं नाज़रेथ नगर का येशु हूं, जिसे तुम सता रहे हो,’ उस शब्द ने उत्तर दिया.
«همراهان من نور را دیدند، اما گفتههای کسی را که با من سخن میگفت، درک نکردند. | 9 |
मेरे साथियों को प्रकाश तो अवश्य दिखाई दे रहा था किंतु मुझसे बातचीत करता हुआ शब्द उन्हें साफ़ सुनाई नहीं दे रहा था.
«گفتم:”خداوندا، حالا چه کنم؟“«خداوند فرمود:”برخیز و به دمشق برو. در آنجا آنچه لازم است به تو گفته خواهد شد.“ | 10 |
“मैंने पूछा, ‘मैं क्या करूं, प्रभु?’ प्रभु ने मुझे उत्तर दिया. “‘उठो, दमिश्क नगर में जाओ, वहीं तुम्हें बताया जाएगा कि तुम्हारे द्वारा क्या-क्या किया जाना तय किया गया है.’
«من از شدّت آن نور نابینا شدم. پس همراهانم دستم را گرفتند و به دمشق بردند. | 11 |
तेज प्रकाश के कारण मैं देखने की क्षमता खो बैठा था. इसलिये मेरे साथी मेरा हाथ पकड़कर मुझे दमिश्क नगर ले गए.
در آنجا شخصی بود به نام حنانیا که مردی دیندار بود، و با دقت احکام خدا را اطاعت میکرد و در بین یهودیان دمشق عزیز و محترم بود. | 12 |
“हननयाह नामक व्यक्ति, जो व्यवस्था के अनुसार परमेश्वर भक्त और सभी स्थानीय यहूदियों द्वारा सम्मानित थे,
حنانیا نزد من آمد، در کنارم ایستاد و گفت:”ای برادر شائول، بینا شو!“و همان لحظه بینا شدم و توانستم او را ببینم! | 13 |
मेरे पास आकर मुझसे बोले, ‘भाई शाऊल! अपनी दृष्टि प्राप्त करो!’ उसी क्षण दृष्टि प्राप्त कर मैंने उनकी ओर देखा.
«سپس به من گفت:”خدای نیاکان ما تو را برگزیده تا ارادۀ او را بدانی و آن عادل، یعنی مسیح موعود را با چشمان خود دیده، کلامی از دهان او بشنوی. | 14 |
“उन्होंने मुझसे कहा, ‘हमारे पूर्वजों के परमेश्वर ने आपको अपनी इच्छा जानने तथा उन्हें देखने के लिए, जो धर्मी हैं तथा उन्हीं के मुख से निकले हुए शब्द सुनने के लिए चुना गया है.
تو باید پیغام او را به همه جا ببری و آنچه را که دیده و شنیدهای، برای همه بازگو کنی. | 15 |
आपने जो कुछ देखा और सुना है, वह सबके सामने आपकी गवाही का विषय होगा.
حالا چرا معطلی؟ برخیز و تعمید بگیر، و نام او را بخوان تا از گناهانت پاک شوی.“ | 16 |
तो अब देर क्यों? उठिए, बपतिस्मा लीजिए—प्रभु के नाम की दोहाई देते हुए पाप क्षमा प्राप्त कीजिए.’
«یک روز پس از بازگشتم به اورشلیم، در حالی که در معبد دعا میکردم، از خود بیخود شدم | 17 |
“येरूशलेम लौटने पर जब मैं मंदिर में प्रार्थना कर रहा था, मैं ध्यानमग्न की स्थिति में पहुंच गया.
و در رؤیایی او را دیدم که میگفت:”عجله کن! از اورشلیم بیرون برو چون اهالی این شهر پیغام تو را رد میکنند.“ | 18 |
मैंने प्रभु को स्वयं से यह कहते सुना, ‘बिना देर किए येरूशलेम छोड़ दो क्योंकि मेरे विषय में तुम्हारे द्वारा दी गई गवाही इन्हें स्वीकार नहीं होगी.’
«گفتم:”خداوندا، ولی آنها حتماً میدانند که من مسیحیان را در هر کنیسه میزدم و زندانی میکردم. | 19 |
“मैंने उत्तर दिया, ‘प्रभु, वे स्वयं यह जानते हैं कि एक-एक यहूदी आराधनालय से मैं आपके शिष्यों को चुन-चुनकर बंदी बनाता तथा यातनाएं देता था.
وقتی شاهد تو استیفان کشته میشد، من آنجا ایستاده، با کشتن او موافق بودم و لباسهای اشخاصی را که او را سنگسار میکردند، نگه میداشتم.“ | 20 |
जब आपके गवाह स्तेफ़ानॉस का लहू बहाया जा रहा था तो मैं न केवल इसके समर्थन में वहां खड़ा था, परंतु उसके हत्यारों के बाहरी कपड़ों की रखवाली भी कर रहा था.’
«ولی خداوند به من فرمود:”از اورشلیم بیرون بیا، چون میخواهم تو را به مکانهای دور، نزد غیریهودیان بفرستم!“» | 21 |
“किंतु मेरे लिए प्रभु की आज्ञा थी, ‘जाओ; मैं तुम्हें गैर-यहूदियों के बीच दूर-दूर के स्थानों में भेज रहा हूं.’”
مردم به سخنان پولس گوش سپردند، تا جایی که او کلمهٔ غیریهودیان را بر زبان آورد. پس همگی صدای خود را بلند کرده، فریاد میزدند: «چنین شخصی را از صفحۀ روزگار محو کنید! او لایق زنده بودن نیست!» | 22 |
यहां तक तो वे पौलॉस की बात ध्यान से सुनते रहे किंतु अब उन्होंने चिल्लाना शुरू कर दिया, “इस व्यक्ति के बोझ से धरती को मुक्त करो. इसे जीवित रहने का कोई अधिकार नहीं है.”
مردم پشت سر هم فریاد میزدند، و لباسهای خود را در هوا تکان میدادند و گرد و خاک بلند میکردند. | 23 |
जब वे चिल्लाने, वस्त्र उछालने और हवा में धूल उड़ाने लगे
آنگاه فرماندهٔ هنگ، پولس را به داخل قلعه آورد و دستور داد او را شلّاق بزنند تا به جرم خود اعتراف کند. مخصوصاً میخواست بداند چرا مردم چنین خشمگین شدهاند. | 24 |
तो सेनापति ने पौलॉस को सेना गढ़ के अंदर ले जाने की आज्ञा दी कि उन्हें कोड़े लगाकर उनसे पूछताछ की जाए और उनके विरुद्ध भीड़ के इस प्रकार चिल्लाने का कारण मालूम हो सके.
وقتی او را میبستند تا شلّاق بزنند، پولس به افسری که آنجا ایستاده بود گفت: «آیا قانون به شما اجازه میدهد یک رومی را بدون بازجویی شلّاق بزنید؟» | 25 |
जब वे पौलॉस को कोड़े लगाने की तैयारी में उनके हाथ-पैर फैलाकर बांध ही रहे थे, पौलॉस ने अपने पास खड़े शताधिपति से प्रश्न किया, “क्या आपके सामने एक रोमी नागरिक का दोष साबित हुए बिना उसे कोड़े लगाना ठीक है?”
افسر وقتی این را شنید پیش فرمانده رفت و گفت: «میدانی چه میکنی؟ این مرد رومی است!» | 26 |
यह सुनना ही था कि शताधिपति ने तुरंत सेनापति के पास जाकर उससे कहा, “आप यह क्या करने पर हैं? यह व्यक्ति तो रोमी नागरिक है!”
فرمانده پیش پولس رفت و پرسید: «بگو ببینم، آیا تو رومی هستی؟» پولس گفت: «بله، من رومی هستم.» | 27 |
सेनापति ने पौलॉस के पास आकर उनसे प्रश्न किया, “तुम रोमी नागरिक हो?” “जी हां.” पौलॉस ने उत्तर दिया.
فرمانده گفت: «من هم تابع روم هستم، برای من خیلی گران تمام شد تا توانستم رومی بشوم!» پولس گفت: «ولی من رومی به دنیا آمدم!» | 28 |
सेनापति ने उनसे कहा, “एक बड़ी राशि चुकाने पर प्राप्त हुई है मुझे यह नागरिकता.” “किंतु मैं तो जन्म से रोमी नागरिक हूं!” पौलॉस ने उत्तर दिया.
کسانی که قرار بود از او بازجویی کنند، وقتی شنیدند رومی است، با عجله از آنجا دور شدند. فرمانده نیز بسیار ترسید زیرا دستور داده بود یک تبعهٔ روم را ببندند و شلّاق بزنند. | 29 |
वे लोग, जो उनसे पूछताछ करने आए थे तुरंत वहां से खिसक लिए. जब सेनापति को यह मालूम हुआ कि उसने पौलॉस को, जो एक रोमी नागरिक हैं, बेड़ियां लगा दी हैं, तो वह घबरा गया.
روز بعد، فرمانده پولس را از زندان بیرون آورد و دستور داد کاهنان اعظم و شورای یهود جلسهای تشکیل بدهند. پولس را نیز حاضر کرد تا در بازجویی علّت تمام این دردسرها معلوم شود. | 30 |
अगले दिन सच्चाई मालूम करने की इच्छा में कि पौलॉस पर यहूदियों द्वारा आरोप क्यों लगाए गए, सेनापति ने उन्हें रिहा कर दिया, प्रधान पुरोहितों तथा महासभा को इकट्ठा होने की आज्ञा दी और पौलॉस को लाकर उनके सामने पेश किया.