< دوم سموئیل 19 >

به یوآب خبر دادند که پادشاه برای ابشالوم عزا گرفته است و گریه می‌کند. 1
योआब को इसकी सूचना इस प्रकार दी गई, “अपने राजा रो-रोकर अबशालोम के लिए विलाप कर रहे हैं.”
وقتی مردم شنیدند که پادشاه برای پسرش غصه‌دار است، شادی پیروزی بزرگ آن روز ایشان، به غم مبدل شد. 2
तब उस दिन विजय का हर्ष सारी सेना के लिए विलाप में बदल गया; क्योंकि सेना को यह बताया गया था, “महाराज अपने पुत्र के लिए रो रहे है.” उस दिन की जीत की खुशी गहरी उदासी में बदल गई थी.
سربازان مثل نیروی شکست خورده بی‌سر و صدا و با سرهای افکنده وارد شهر شدند. 3
फलस्वरूप, सैनिक नगर में चुपके-चुपके ऐसे प्रवेश कर रहे थे, मानो वे लज्जित होकर युद्ध में शत्रु को पीठ दिखाकर भाग आए हों.
پادشاه صورت خود را با دستهایش پوشانده بود و به تلخی می‌گریست و می‌گفت: «ای پسرم ابشالوم، ای پسرم ابشالوم، ای پسرم!» 4
राजा अपना मुखमंडल ढांप कर ऊंची आवाज में रो रहे थे, “मेरे पुत्र अबशालोम, मेरे पुत्र, मेरे पुत्र!”
یوآب به خانهٔ پادشاه رفت و به او گفت: «ما امروز جان تو و زندگی پسران و دختران، زنان و کنیزانت را نجات دادیم؛ ولی تو با این رفتار خود ما را تحقیر کردی. 5
तब योआब ने उस कमरे में जाकर राजा से कहा, “आज आपने अपने उन सभी अधिकारियों का मुख लज्जा से झुका दिया है, जिन्होंने आपकी और आपके पुत्र-पुत्रियों, पत्नियों और उपपत्नियों के जीवन की रक्षा की है.
اینطور که به نظر می‌رسد تو کسانی را دوست داری که از تو متنفرند و از کسانی نفرت داری که دوستت دارند. گویی سرداران و افرادت برای تو هیچ ارزش ندارند. اگر ابشالوم زنده می‌ماند و همهٔ ما می‌مردیم، تو خوشحال می‌شدی. 6
आप उनसे तो प्रेम करते हैं, जिन्हें आपसे प्रेम नहीं, और उनसे घृणा करते हैं, जो आपसे प्रेम करते हैं. आज आपने यह साफ़ कर दिया है कि आपकी दृष्टि में न तो अधिकारियों का कोई महत्व है, न सैनिकों का. आज मुझे यह मालूम हो गया है कि आज यदि अबशालोम जीवित होता और हम सभी मृत, तो आपको अत्यंत हर्ष होता.
حال، بلند شو و بیرون بیا و به سربازانت تبریک بگو. به خداوند زنده قسم اگر چنین نکنی، امشب حتی یکی از آنها در اینجا باقی نخواهد ماند، و این از تمام بلاهایی که تاکنون برایت پیش آمده، بدتر خواهد بود.» 7
अब ऐसा कीजिए: उठिए, बाहर आइए और अपने सैनिकों से सांत्वनापूर्ण शब्दों में बातें कीजिए, नहीं तो जीवित याहवेह की शपथ, यदि आप यह न करेंगे, एक भी सैनिक आज रात आपके साथ देखा न जाएगा. यह आपके लिए ऐसी किसी भी विपदा से कहीं अधिक सोचने लायक होगा, जो आपके बाल्यकाल से आज तक आप पर न आन पड़ी है.”
پس پادشاه بیرون رفته، کنار دروازهٔ شهر نشست. وقتی افرادش این را شنیدند، دورش جمع شدند. در ضمن، تمام سربازان اسرائیلی به خانه‌های خود گریخته بودند. 8
तब राजा उठे और नगर द्वार पर जाकर बैठ गए, जब लोगों ने यह सुना, “सुनो, सुनो, राजा द्वार पर बैठे हुए है,” तो लोग राजा के निकट आने लगे. इस्राएली अपने-अपने घर भाग जा चुके थे.
در سراسر مملکت، این بحث درگرفته بود که چرا نمی‌رویم پادشاه خود را که به سبب ابشالوم از مملکت فرار کرده، باز گردانیم؟ او بود که ما را از شر دشمنان فلسطینی نجات داد. ابشالوم هم که به جای پدرش به پادشاهی انتخاب کردیم، اینک مرده است. پس بیایید داوود را باز گردانیم تا دوباره پادشاه ما شود. 9
इस्राएल के सारे गोत्रों में इस समय इस विषय पर उग्र विवाद छिड़ा हुआ था, “राजा ही हमें हमारे शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करते आए हैं, वही हमें फिलिस्तीनियों से मुक्त करते आए हैं, अब वह अबशालोम के कारण देश छोड़कर भाग गए हैं.
10
यहां हमने अबशालोम का राजाभिषेक किया और वह युद्ध में मारा गया. तब अब राजा को वापस लाने के बारे में कुछ क्यों नहीं किया जा रहा?”
داوود، صادوق و اَبیّاتار کاهن را فرستاد تا به بزرگان یهودا بگویند: «چرا شما در باز آوردن پادشاه، آخر همه هستید؟ تمام قوم اسرائیل آمادهٔ حرکتند به‌جز شما که برادران و قبیله و گوشت و خون من هستید.» 11
राजा दावीद ने पुरोहित सादोक और अबीयाथर के लिए यह संदेश भेजा: “आप यहूदिया के पुरनियों से इस विषय में विचार-विमर्श करें: ‘राजा को उसके आवास में लौटा लाने के विषय में आप सबसे पीछे क्यों हैं, जबकि सारे इस्राएल इस विषय में राजा तक अपने विचार भेज चुका है?
12
आप मेरे रिश्तेदार हैं, आप में और मुझे में लहू-मांस का संबंध है. तब आप ही राजा की पुनःस्थापना में पीछे क्यों हैं?’
در ضمن، به صادوق و اَبیّاتار گفت که به عماسا بگویند: «تو خویشاوند من هستی، پس خدا مرا بزند اگر تو را به جای یوآب به فرماندهی سپاه خود نگمارم.» 13
अमासा से कहिये, ‘क्या तुम मेरा लहू-मांस नहीं हो? यदि योआब के स्थान पर तुम आज से ही स्थायी रूप से मेरी सेना के सेनापति का पद ग्रहण न करो, तो मैं परमेश्वर के सामने दंड के योग्य रहूंगा.’”
پیغام داوود تمام قبیله یهودا را خشنود کرد و آنها با دل و جان جواب مثبت داده، برای پادشاه پیغام فرستادند که همراه افرادش پیش آنها بازگردد. 14
इस बात ने यहूदिया की जनता का हृदय एक सूत्र में बांध दिया; तब उन्होंने राजा के लिए यह संदेश भेजा, “आप और आपके सारे सेवक यहां लौट आएं.”
پس پادشاه عازم پایتخت شد. وقتی به رود اردن رسید تمام مردم یهودا برای استقبالش به جلجال آمدند تا او را از رود اردن عبور دهند. 15
तब राजा लौटकर यरदन नदी तक पहुंचे. तब यहूदियावासी गिलगाल नामक स्थान पर उनका स्वागत करते हुए प्रतीक्षा कर रहे थे, कि उन्हें यरदन नदी के पार ले आएं.
آنگاه شمعی (پسر جیرای بنیامینی) که از بحوریم بود، با عجله همراه مردان یهودا به استقبال داوود پادشاه رفت. 16
बहुरीम नामक स्थान से बिन्यामिन के एक वंशज, गेरा के पुत्र शिमेई यहूदिया के व्यक्तियों को लेकर शीघ्रतापूर्वक राजा दावीद से भेंटकरने आ गए.
هزار نفر از قبیلهٔ بنیامین و صیبا خدمتگزار خاندان شائول با پانزده پسرش و بیست نوکرش همراه شمعی بودند. آنها قبل از پادشاه به رود اردن رسیدند. 17
उनके साथ बिन्यामिन वंश के हज़ार व्यक्ति भी थे. उसी समय शाऊल का गृह प्रबंधक ज़ीबा भी अपने पन्द्रह पुत्रों और बीस सेवकों के साथ, ढलान पर यरदन नदी की ओर दौड़ता हुआ राजा से भेंटकरने आया.
بعد، از رودخانه گذشتند تا خاندان سلطنتی را به آن طرف رودخانه بیاورند و هر چه خواست پادشاه باشد، انجام دهند. پیش از اینکه پادشاه از رودخانه عبور کند، شمعی در برابر او به خاک افتاد 18
उन्होंने राजा के परिवार को नदी पार करने में सहायता दी, और उनकी सुविधाओं के लिए प्रयास करते रहे. राजा नदी पार करने पर ही थे, कि गेरा का पुत्र शिमेई आकर राजा के चरणों में गिर पड़ा.
و گفت: «ای پادشاه، التماس می‌کنم مرا ببخشید و فراموش کنید آن رفتار زشتی را که هنگام بیرون آمدنتان از اورشلیم، مرتکب شدم. 19
उसने राजा से तेज आवाज में विनती की, “मेरे स्वामी, न तो मुझे दोषी ठहराएं और न ही मेरे उस गलत व्यवहार को याद रखें, जो मैंने मेरे स्वामी महाराज के येरूशलेम से जाने के अवसर में किया था. महाराज इसे अपने हृदय में न रखें.
چون خودم خوب می‌دانم که چه اشتباه بزرگی مرتکب شده‌ام! به همین دلیل هم امروز زودتر از تمام افراد قبیلهٔ یوسف آمده‌ام تا به پادشاه خوش آمد بگویم.» 20
आपके सेवक को यह पता है, कि मैंने यह पाप किया है. इसलिये यह देखिए, आज मैं ही सारे योसेफ़ वंश में से पहला हूं, जो महाराज, मेरे स्वामी से भेंटकरने आया हूं.”
ابیشای پسر صرویه گفت: «آیا شمعی به سبب اینکه به پادشاه برگزیدهٔ خداوند ناسزا گفت، نباید کشته شود؟» 21
ज़ेरुइयाह के पुत्र अबीशाई ने इसके लिए सुझाव दिया, “क्या सही नहीं कि जो कुछ शिमेई ने किया है, उसके लिए उसे मृत्यु दंड दिया जाए? उसने याहवेह के अभिषिक्त को शाप दिया था.”
داوود جواب داد: «ای پسران صرویه، چرا در کار من دخالت می‌کنید؟ چرا می‌خواهید دردسر ایجاد کنید؟ امروز در اسرائیل منم که سلطنت می‌کنم، پس نباید کسی کشته شود!» 22
“तुम ज़ेरुइयाह के पुत्रो,” दावीद ने कहा, “क्या लेना देना है मेरा तुम्हारा? क्या कारण है तुम आज मेरे विपरीत ही जा रहे हो? क्या आज वह दिन है, जिसमें इस्राएल के किसी भी व्यक्ति को प्राण-दंड दिया जाना सही होगा? क्या मुझे यह मालूम नहीं कि मैं इस समय इस्राएल का राजा हूं?”
سپس رو به شمعی کرد و قسم خورده، گفت: «تو کشته نخواهی شد.» 23
तब शिमेई से उन्मुख हो राजा ने कहा, “तुम्हें मृत्यु दंड नहीं दिया जाएगा.” इसके लिए राजा ने उससे शपथ खाई.
در این بین، مفیبوشت، نوهٔ شائول از اورشلیم به استقبال پادشاه آمد. از روزی که پادشاه از پایتخت رفته بود، مفیبوشت پاها و لباسهای خود را نشسته بود و سر و صورتش را نیز اصلاح نکرده بود. پادشاه از او پرسید: «ای مفیبوشت، چرا همراه من نیامدی؟» 24
शाऊल का पुत्र मेफ़िबोशेथ भी राजा से भेंटकरने आया. जिस दिन से राजा ने पलायन किया था, उस दिन से राजा के सुरक्षित लौटने तक उसने पैरों का ध्यान न रखा था, न अपनी दाढ़ी का प्रसाधन किया था, और न ही उसने धुले हुए कपड़े पहने थे.
25
जब वह राजा से भेंटकरने येरूशलेम में आया, राजा ने उससे कहा, “मेफ़िबोशेथ, पलायन करते समय तुम मेरे साथ क्यों नहीं थे?”
عرض کرد: «ای پادشاه، صیبا، خادم من، مرا فریب داد. به او گفتم که الاغم را آماده کند تا بتوانم همراه پادشاه بروم، ولی او این کار را نکرد. چنانکه می‌دانید من لنگ هستم. 26
उसने उत्तर में कहा, “महाराज, मेरे स्वामी, मेरे सेवक ने मेरे साथ छल किया. आपके सेवक ने उससे कह रखा था, ‘मैं अपने लिए गधे की काठी कसूंगा कि मैं उस पर चढ़कर राजा के निकट जा सकूं,’ क्योंकि मैं ठहरा अपंग.
در عوض مرا متهم کرده است به اینکه نخواسته‌ام همراه شما بیایم. اما من می‌دانم شما مثل فرشتهٔ خدا هستید. پس هر چه می‌خواهید با من بکنید. 27
इसके अलावा उसने महाराज, मेरे स्वामी से आपके सेवक के विरुद्ध झूठा आरोप भी प्रसारित कर दी; मगर महाराज, मेरे स्वामी, आप परमेश्वर के स्वर्गदूत तुल्य हैं; आपको जो कुछ सही लगे, आप वही करें.
«من و همهٔ بستگانم می‌بایست به دست پادشاه کشته می‌شدیم، ولی در عوض به من افتخار دادید بر سر سفره‌تان خوراک بخورم! پس من چه حق دارم از پادشاه توقع بیشتری داشته باشم؟» 28
महाराज मेरे स्वामी के सामने, मेरे पिता का वंश मृतकों के समान छोटा था, फिर भी आपने अपने सेवक को उनमें स्थान दिया, जो आपके साथ भोजन करने के लिए चुने गए थे. महाराज से इससे अधिक अपेक्षा करने का मेरा अधिकार ही नहीं रह जाता.”
پادشاه گفت: «لازم نیست این چیزها را بگویی. دستور داده‌ام تو و صیبا، مِلک شائول را بین خودتان تقسیم کنید.» 29
राजा ने उससे कहा, “अब ज्यादा बोलने से क्या लाभ? मैंने यह निश्चय किया है कि तुम्हारे और ज़ीबा के बीच संपत्ति को बांट दिया जाएगा.”
مفیبوشت عرض کرد: «ای آقا، تمام ملک را به او بدهید. همین که می‌بینم پادشاه به سلامت به خانه بازگشته برای من کافی است!» 30
मेफ़िबोशेथ ने राजा से कहा, “आप उसे संपूर्ण संपत्ति ही ले लेने दें. मेरे लिए यही काफ़ी है कि महाराज, मेरे स्वामी सुरक्षित लौट आए हैं.”
برزلائی که از داوود و سربازان او در طی مدتی که در محنایم بودند پذیرایی می‌کرد، از روجلیم آمد تا پادشاه را تا آن طرف رود اردن مشایعت کند. او پیرمردی هشتاد ساله و بسیار ثروتمند بود. 31
रोगेलिम नामक स्थान से गिलआदवासी बारज़िल्लई भी आए हुए थे. वह राजा के साथ साथ यरदन नदी तक गए थे, कि उन्हें यरदन नदी पार उतार दें.
32
बारज़िल्लई बहुत वृद्ध व्यक्ति थे, वह अस्सी वर्षीय थे. राजा के माहानाईम पड़ाव के अवसर पर उन्हीं ने राजा की सुरक्षा का प्रबंध किया था, क्योंकि वहां वह अत्यंत प्रतिष्ठित व्यक्ति थे.
پادشاه به او گفت: «همراه من بیا و در اورشلیم زندگی کن. من در آنجا از تو نگه داری می‌کنم.» 33
राजा ने बारज़िल्लई से कहा, “आप मेरे साथ नदी पार कर चलिए. येरूशलेम में आप मेरे साथ रहेंगे, मैं आपको आश्रय दूंगा.”
برزلائی جواب داد: «مگر از عمرم چقدر باقی است که همراه تو به اورشلیم بیایم؟ 34
मगर बारज़िल्लई ने राजा को उत्तर दिया, “और कितने दिन बाकी हैं मेरे जीवन के, कि मैं महाराज के साथ येरूशलेम चलूं?
الان هشتاد ساله هستم و نمی‌توانم از چیزی لذت ببرم. خوراک و شراب دیگر برایم مزه‌ای ندارد. صدای ساز و آواز نیز گوشم را نوازش نمی‌دهد. بنابراین، برای پادشاه باری خواهم بود. 35
इस समय मेरी आयु अस्सी वर्ष की है. क्या मुझमें अब यह बोध रह गया है कि सुखद क्या है, और क्या नहीं? क्या आपके सेवक में अब भोजन और पेय से संबंधित स्वाद बोध शेष रह गया है? अथवा क्या में अब भी स्त्री-पुरुष गायक-वृन्द की प्रस्तुति सुनने में समर्थ रह गया हूं? तब क्या लाभ है कि आपका सेवक महाराज मेरे स्वामी पर अतिरिक्त बोझ बनकर रहे?
همین قدر که می‌توانم همراه شما به آن طرف رودخانه بیایم، برای من افتخار بزرگی است. 36
आपका सेवक महाराज के साथ मात्र यरदन नदी पार ही करेगा, पर क्या आवश्यकता है कि महाराज प्रतिफल में यह पुरस्कार दें.
اجازه دهید به شهر خود برگردم و در کنار پدر و مادرم دفن بشوم. ولی پسرم کمهام اینجاست؛ اجازه بفرمایید او همراه شما بیاید تا پادشاه هر چه صلاح می‌داند در مورد او انجام دهد.» 37
कृपा कर अपने सेवक को लौटने की अनुमति प्रदान करें, कि मेरा देहांत मेरे ही गृहनगर में, मेरी माता-पिता की कब्र के निकट ही हो. हां, यह किमहाम है, मेरा पुत्र, आपका सेवक. उसे ही आज्ञा दें कि वह महाराज मेरे स्वामी के साथ जाए, और आपकी उपयुक्त इच्छा पूर्ण करता रहे.”
پادشاه قبول کرد و گفت: «بسیار خوب، او را همراه خود می‌برم و هر چه تو صلاح بدانی برای او می‌کنم. آنچه بخواهی برای تو انجام می‌دهم.» 38
राजा ने सहमति प्रदान की: “किमहाम मेरे साथ अवश्य जाएगा, और मैं उसके लिए वही करूंगा, जो आपकी अभिलाषा है, साथ ही मैं आपके लिए भी वहीं करूंगा, जो मुझसे आपकी इच्छा है.”
پس تمام مردم با پادشاه از رود اردن عبور کردند. آنگاه داوود برزلائی را بوسید و برایش دعای برکت کرد و او به خانه‌اش بازگشت. 39
इसके बाद सभी यरदन नदी के पार चले गए, राजा ने भी नदी पार की. तब राजा ने बारज़िल्लई का चुंबन लेते हुए उन्हें आशीर्वाद दिया. इसके बाद बारज़िल्लई अपने घर लौट गए.
سپس داوود به جلجال رفت و کمهام را نیز با خود برد. تمام قبیلهٔ یهودا و نصف اسرائیل در عبور دادن پادشاه از رودخانه شرکت داشتند. 40
राजा गिलगाल की ओर बढ़ते गए. किमहाम राजा के साथ था. राजा के साथ यहूदिया की सभी सेना और इस्राएल की आधी सेना थी.
ولی مردان اسرائیل به پادشاه شکایت نمودند که چرا مردان یهودا پیش دستی کرده‌اند تا فقط خودشان پادشاه و خاندان و افراد او را از رودخانه عبور دهند؟ 41
तब इस्राएल के सभी व्यक्ति आकर राजा से कहने लगे, “ऐसा क्यों हुआ है कि हमारे भाई-बंधुओं, यहूदियावासियों ने चुपके-चुपके यरदन के उस पार जाकर, राजा और उनके परिवार को और उनके सारे साथियों को यहां ले आए है?”
مردان یهودا جواب دادند: «ما حق داشتیم این کار را بکنیم، چون پادشاه از قبیلهٔ ماست. چرا شما از این موضوع ناراحتید؟ پادشاه به ما نه خوراکی داده است و نه انعامی!» 42
यहूदिया के सभी निवासियों ने इस्राएल के निवासियों को उत्तर दिया, “इसलिये, कि राजा हमारे निकट संबंधी हैं. इस पर क्रुद्ध होने का क्या कारण है? क्या हमने अपने भोजन के लिए राजा की धनराशि में से खर्च किया है? अथवा क्या उन्होंने हमें उपहार में कुछ दिया है?”
مردان اسرائیل جواب دادند: «ولی اسرائیل ده قبیله است. پس اکثریت با ماست و ما ده برابر بیشتر از شما به گردن پادشاه حق داریم. چرا با نظر حقارت به ما نگاه می‌کنید؟ فراموش نکنید که موضوع بازگرداندن پادشاه را ما پیشنهاد کردیم.» این بحث و گفتگو ادامه یافت، اما سخنان مردان یهودا از سخنان مردان اسرائیل قویتر بود. 43
यह सुन इस्राएलियों ने यहूदियावासियों को उत्तर दिया, “राजा में हमारे दस अंश निहित है. तब दावीद पर हमारा अधिकार तुमसे अधिक होता ही है. तब तुमने हमें तुच्छ क्यों समझा? क्या राजा को दोबारा प्रतिष्ठित करने का प्रस्ताव सबसे पहले हमारी ओर से ही नहीं आया था?” इसमें यहूदियावासियों के वचन इस्राएलियों के उद्गारों से अधिक प्रभावी रहे.

< دوم سموئیل 19 >