< اول سموئیل 20 >
داوود از نایوت رامه فرار کرد و پیش یوناتان رفت و به او گفت: «مگر من چه گناهی کردهام و چه بدی در حق پدرت انجام دادهام که میخواهد مرا بکشد؟» | 1 |
और दाऊद रामा के नयोत से भागा, और यूनतन के पास जाकर कहने लगा कि मैंने क्या किया है? मेरा क्या गुनाह है? मैंने तेरे बाप के आगे कौन सी ग़ल्ती की है, जो वह मेरी जान चाहता है?
یوناتان جواب داد: «تو اشتباه میکنی. پدرم هرگز چنین قصدی ندارد، چون هر کاری بخواهد بکند، هر چند جزئی باشد، همیشه با من در میان میگذارد. اگر او قصد کشتن تو را میداشت، به من میگفت.» | 2 |
उसने उससे कहा कि ख़ुदा न करे, तू मारा नहीं जाएगा, देख मेरा बाप कोई काम बड़ा हो या छोटा नहीं करता जब तक उसे मुझ को न बताए, फिर भला मेरा बाप इस बात को क्यूँ मुझसे छिपाएगा? ऐसा नहीं।
داوود گفت: «پدرت میداند که تو مرا دوست داری، به همین دلیل این موضوع را با تو در میان نگذاشته است تا ناراحت نشوی. به خداوند زنده و به جان تو قسم که من با مرگ یک قدم بیشتر فاصله ندارم.» | 3 |
तब दाऊद ने क़सम खाकर कहा कि तेरे बाप को अच्छी तरह मा'लूम है, कि मुझ पर तेरे करम की नज़र है इस लिए वह सोचता होगा, कि यूनतन को यह मा'लूम न हो नहीं तो वह दुखी होगा लेकिन यक़ीनन ख़ुदावन्द की हयात और तेरी जान की क़सम मुझ में और मौत में सिर्फ़ एक ही क़दम का फ़ासला है।
یوناتان با ناراحتی گفت: «حال میگویی من چه کنم؟» | 4 |
तब यूनतन ने दाऊद से कहा कि जो कुछ तेरा जी चाहता हो मैं तेरे लिए वही करूँगा।
داوود پاسخ داد: «فردا جشن اول ماه است و من مثل همیشه در این موقع باید با پدرت سر سفره بنشینم. ولی اجازه بده تا عصر روز سوم، خود را در صحرا پنهان کنم. | 5 |
दाऊद ने यूनतन से कहा कि देख कल नया चाँद है, और मुझे लाज़िम है कि बादशाह के साथ खाने बैठूँ; लेकिन तू मुझे इजाज़त दे कि मैं परसों शाम तक मैदान में छिपा रहूँ।
اگر پدرت سراغ مرا گرفت، بگو که داوود از من اجازه گرفته است تا برای شرکت در مراسم قربانی سالیانهٔ خانوادهٔ خود به بیتلحم برود. | 6 |
अगर मैं तेरे बाप को याद आऊँ तो कहना कि दाऊद ने मुझ से बजिद होकर इजाज़त माँगी ताकि वह अपने शहर बैतलहम को जाए, इसलिए कि वहाँ, सारे घराने की तरफ़ से सालाना क़ुर्बानी है।
اگر بگوید: بسیار خوب، آنگاه معلوم میشود قصد کشتن مرا ندارد. ولی اگر خشمگین شود، آنگاه میفهمیم که نقشه کشیده مرا بکشد. | 7 |
अगर वह कहे कि अच्छा तो तेरे चाकर की सलामती है लेकिन अगर वह ग़ुस्से से भर जाए तो जान लेना कि उसने बदी की ठान ली है।
به خاطر آن عهد دوستیای که در حضور خداوند با هم بستیم، این لطف را در حق من بکن و اگر فکر میکنی من مقصرم، خودت مرا بکش، ولی مرا به دست پدرت تسلیم نکن!» | 8 |
तब तू अपने ख़ादिम के साथ नरमी से पेश आ, क्यूँकि तूने अपने ख़ादिम को अपने साथ ख़ुदावन्द के 'अहद में दाख़िल कर लिया है, लेकिन अगर मुझ में कुछ बुराई हो तो तू ख़ुद ही मुझे क़त्ल कर डाल तू मुझे अपने बाप के पास क्यूँ पहुँचाए?
یوناتان جواب داد: «این حرف را نزن! اگر بدانم پدرم قصد کشتن تو را دارد، بدان که به تو اطلاع خواهم داد!» | 9 |
यूनतन ने कहा, “ऐसी बात कभी न होगी, अगर मुझे 'इल्म होता कि मेरे बाप का 'इरादा है कि तुझ से बदी करे तो क्या में तुझे ख़बर न करता?”
آنگاه داوود پرسید: «چگونه بدانم پدرت با عصبانیت جواب تو را داده است یا نه؟» | 10 |
फिर दाऊद ने यूनतन से कहा, “अगर तेरा बाप तुझे सख़्त जवाब दे तो कौन मुझे बताएगा?”
یوناتان پاسخ داد: «بیا به صحرا برویم.» پس آنها با هم به صحرا رفتند. | 11 |
यूनतन ने दाऊद से कहा, “चल हम मैदान को निकल जाएँ।” चुनाँचे वह दोनों मैदान को चले गए।
سپس یوناتان به داوود گفت: «به خداوند، خدای اسرائیل قسم میخورم که پس فردا همین موقع راجع به تو با پدرم صحبت میکنم و تو را در جریان میگذارم. | 12 |
तब यूनतन दाऊद से कहने लगा, “ख़ुदावन्द इस्राईल का ख़ुदा गवाह रहे, कि जब मैं कल या परसों 'अनक़रीब इसी वक़्त अपने बाप का राज़ लूँ और देखूँ कि दाऊद के लिए भलाई है तो क्या मैं उसी वक़्त तेरे पास कहला न भेजूँगा और तुझे न बताऊँगा?
اگر او خشمگین باشد و قصد کشتن تو را داشته باشد، من به تو خبر میدهم تا فرار کنی. اگر این کار را نکنم، خداوند خودش مرا بکشد. دعا میکنم که هر جا میروی، خداوند با تو باشد، همانطور که با پدرم بود. | 13 |
ख़ुदावन्द यूनतन से ऐसा ही बल्कि इससे भी ज़्यादा करे अगर मेरे बाप की यही मर्जी हो कि तुझ से बुराई करे और मैं तुझे न बताऊँ और तुझे रुख़्सत न करदूँ ताकि तू सलामत चला जाए और ख़ुदावन्द तेरे साथ रहे, जैसा वह मेरे बाप के साथ रहा।
به من قول بده که نه فقط نسبت به من خوبی کنی، بلکه بعد از من نیز وقتی خداوند تمام دشمنانت را نابود کرد لطف تو هرگز از سر فرزندانم کم نشود.» | 14 |
और सिर्फ़ यहीं नहीं कि जब तक मैं जीता रहूँ तब ही तक तू मुझ पर ख़ुदावन्द का सा करम करे ताकि मैं मर न जाऊँ;
बल्कि मेरे घराने से भी कभी अपने करम को बाज़ न रखना और जब ख़ुदावन्द तेरे दुश्मनों में से एक एक को ज़मीन पर से मिटा और बर्बाद कर डाले तब भी ऐसा ही करना।”
پس یوناتان با خاندان داوود عهد بست و گفت: «خداوند از دشمنان تو انتقام گیرد.» | 16 |
इसलिए यूनतन ने दाऊद के ख़ानदान से 'अहद किया और कहा कि “ख़ुदावन्द दाऊद के दुशमनों से बदला ले।
یوناتان داوود را مثل جان خودش دوست میداشت و بار دیگر او را به دوستیای که با هم داشتند قسم داد. | 17 |
और यूनतन ने दाऊद को उस मुहब्बत की वजह से जो उसको उससे थी दोबारा क़सम खिलाई क्यूँकि उससे अपनी जान के बराबर मुहब्बत रखता था।”
آنگاه یوناتان گفت: «فردا جشن ماه نو است و سر سفره جای تو خالی خواهد بود. | 18 |
तब यूनतन ने दाऊद से कहा कि “कल नया चाँद है और तू याद आएगा, क्यूँकि तेरी जगह ख़ाली रहेगी।
پس فردا، سراغ تو را خواهند گرفت. بنابراین تو به همان جای قبلی برو و پشت سنگی که در آنجاست بنشین. | 19 |
और अपने तीन दिन ठहरने के बाद तू जल्द जाकर उस जगह आ जाना जहाँ, तू उस काम के दिन छिपा था, और उस पत्थर के नज़दीक रहना जिसका नाम अज़ल है।
من میآیم و سه تیر به طرف آن میاندازم و چنین وانمود میکنم که برای تمرین تیراندازی، سنگ را هدف قرار دادهام. | 20 |
और मैं उस तरफ़ तीन तीर इस तरह चलाऊँगा, गोया निशाना मारता हूँ।
بعد نوکرم را میفرستم تا تیرها را بیاورد. اگر شنیدی که من به او گفتم: تیرها این طرف است آنها را بردار. به خداوند زنده قسم که خطری متوجه تو نیست؛ | 21 |
और देख, मैं उस वक़्त लड़के को भेजूँगा कि जा तीरों को ढूँड ले आ, इसलिए अगर मैं लड़के से कहूँ कि देख, तीर तेरी इस तरफ़ हैं तो तू उनको उठा, कर ले आना क्यूँकि ख़ुदावद की हयात की क़सम तेरे लिए सलामती होगी न कि नुक़्सान।
ولی اگر گفتم: جلوتر برو، تیرها آن طرف است، باید هر چه زودتر فرار کنی چون خداوند چنین میخواهد. | 22 |
लेकिन अगर मैं छोकरे से यूँ कहूँ कि देख, तीर तेरी उस तरफ़ हैं तो तू अपनी रास्ता लेना क्यूँकि ख़ुदावन्द ने तुझे रुख़्सत किया है।
در ضمن در مورد عهدی که با هم بستیم، یادت باشد که خداوند تا ابد شاهد آن است.» | 23 |
रहा वह मु'आमिला जिसका ज़िक्र तूने और मैंने किया है इस लिए देख, ख़ुदावन्द हमेशा तक मेरे और तेरे बीच रहे।”
پس داوود در صحرا پنهان شد. وقتی جشن اول ماه شروع شد، پادشاه برای خوردن غذا در جای همیشگی خود کنار دیوار نشست. یوناتان در مقابل او و اَبنیر هم کنار شائول نشستند، ولی جای داوود خالی بود. | 24 |
तब दाऊद मैदान मैं जा छिपा और जब नया चाँद हुआ तो बादशाह खाना खाने बैठा।
और बादशाह अपने दस्तूर के मुताबिक़ अपनी मसनद पर या'नी उसी मसनद पर जो दीवार के बराबर थी बैठा, और यूनतन खड़ा हुआ, और अबनेर साऊल के पहलू में बैठा, और दाऊद की जगह ख़ाली रही।
آن روز شائول در این مورد چیزی نگفت چون پیش خود فکر کرد: «لابد اتفاقی برای داوود افتاده که او را نجس کرده و به همین دلیل نتوانسته است در جشن شرکت کند. بله، بدون شک او طاهر نیست.» | 26 |
लेकिन उस रोज़ साऊल ने कुछ न कहा, क्यूँकि उसने गुमान किया कि उसे कुछ हो गया होगा, वह नापाक होगा, वह ज़रूर नापाक ही होगा।
اما وقتی روز بعد هم جای داوود خالی ماند، شائول از یوناتان پرسید: «پسر یَسا کجاست؟ نه دیروز سر سفره آمد نه امروز!» | 27 |
और नए चाँद के बाद दूसरे दिन दाऊद की जगह फिर ख़ाली रही, तब साऊल ने अपने बेटे यूनतन से कहा कि “क्या वजह है, कि यस्सी का बेटा न तो कल खाने पर आया न आज आया है?”
یوناتان پاسخ داد: «داوود از من خیلی خواهش کرد تا اجازه بدهم به بیتلحم برود. به من گفت که برادرش از او خواسته است در مراسم قربانی خانوادهاش شرکت کند. پس من هم به او اجازه دادم برود، به همین دلیل بر سر سفرۀ پادشاه حاضر نشده است.» | 28 |
तब यूनतन ने साऊल को जवाब दिया कि दाऊद ने मुझ से बजिद होकर बैतलहम जाने को इजाज़त माँगी।
वह कहने लगा कि “मैं तेरी मिन्नत करता हूँ मुझे जाने दे क्यूँकि शहर में हमारे घराने का ज़बीहा है और मेरे भाई ने मुझे हुक्म किया है कि हाज़िर रहूँ, अब अगर मुझ पर तेरे करम की नज़र है तो मुझे जाने दे कि अपने भाइयों को देखूँ, इसीलिए वह बादशाह के दस्तरख़्वान पर हाज़िर नही हुआ।”
شائول خشمگین شد و سر یوناتان فریاد زد: «ای حرامزاده! خیال میکنی من نمیدانم که تو از این پسر یَسا طرفداری میکنی؟ تو با این کار هم خودت و هم مادرت را بیآبرو میکنی! | 30 |
तब साऊल का ग़ुस्सा यूनतन पर भड़का और उसने उससे कहा, “ऐ कजरफ़्तार चण्डालन के बेटे क्या मैं नहीं जानता कि तूने अपनी शर्मिंदगी और अपनी माँ की बरहनगी की शर्मिंदगी के लिए यस्सी के बेटे को चुन लिया है?
تا زمانی که او زنده باشد تو به مقام پادشاهی نخواهی رسید. حال برو و او را اینجا بیاور تا کشته شود!» | 31 |
क्यूँकि जब तक यस्सी का यह बेटा इस ज़मीन पर ज़िन्दा है, न तो तुझ को क़याम होगा न तेरी बादशाहत को, इसलिए अभी लोग भेज कर उसे मेरे पास ला क्यूँकि उसका मरना ज़रूर है।”
اما یوناتان به پدرش گفت: «مگر او چه کرده است؟ چرا میخواهی او را بکشی؟» | 32 |
तब यूनतन ने अपने बाप साऊल को जवाब दिया “वह क्यूँ मारा जाए? उसने क्या किया है?”
آنگاه شائول نیزهٔ خود را به طرف یوناتان انداخت تا او را بکشد. پس برای یوناتان شکی باقی نماند که پدرش قصد کشتن داوود را دارد. | 33 |
तब साऊल ने भाला फेंका कि उसे मारे, इससे यूनतन जान गया कि उसके बाप ने दाऊद के क़त्ल का पूरा 'इरादा किया है।
یوناتان با عصبانیت از سر سفره بلند شد و آن روز چیزی نخورد، زیرا رفتار زشت پدرش نسبت به داوود او را ناراحت کرده بود. | 34 |
इसलिए यूनतन बड़े ग़ुस्सा में दस्तरख़्वान पर से उठ गया और महीना के उस दूसरे दिन कुछ खाना न खाया क्यूँकि वह दाऊद के लिए दुखी था इसलिए कि उसके बाप ने उसे रुसवा किया।
صبح روز بعد، یوناتان طبق قولی که به داوود داده بود به صحرا رفت و پسری را با خود برد تا تیرهایش را جمع کند. | 35 |
और सुबह को यूनतन उसी वक़्त जो दाऊद के साथ ठहरा था मैदान को गया और एक लड़का उसके साथ था।
یوناتان به آن پسر گفت: «بدو و تیرهایی را که میاندازم پیدا کن.» وقتی آن پسر میدوید، تیر را چنان انداخت که از او رد شد. | 36 |
और उसने अपने लड़के को हुक्म किया कि दौड़ और यह तीर जो मैं चलाता हूँ ढूँड ला और जब वह लड़का दौड़ा जा रहा था, तो उसने ऐसा तीर लगाया जो उससे आगे गया।
وقتی آن پسر به تیری که انداخته شده بود نزدیک میشد، یوناتان فریاد زد: «جلوتر برو، تیر آن طرف است. | 37 |
और जब वह लड़का उस तीर की जगह पहूँचा जिसे यूनतन ने चलाया था, तो यूनतन ने लड़के के पीछे पुकार कर कहा, “क्या वह तीर तेरी उस तरफ़ नहीं?”
زود باش، بدو.» آن پسر همهٔ تیرها را جمع کرده، پیش یوناتان آورد. | 38 |
और यूनतन उस लड़के के पीछे चिल्लाया, तेज़ जा, ज़ल्दी कर ठहरमत, इस लिए यूनतन के लड़के ने तीरों को जमा' किया और अपने आक़ा के पास लौटा।
پسرک از همه جا بیخبر بود، اما یوناتان و داوود میدانستند چه میگذرد. | 39 |
लेकिन उस लड़के को कुछ मा'लूम न हुआ, सिर्फ़ दाऊद और यूनतन ही इसका राज़ जानते थे।
یوناتان تیر و کمان خود را به آن پسر داد تا به شهر ببرد. | 40 |
फिर यूनतन ने अपने हथियार उस लड़के को दिए और उससे कहा “इनको शहर को ले जा।”
به محض آنکه یوناتان پسر را روانهٔ شهر نمود، داوود از مخفیگاه خود خارج شده، نزد یوناتان آمد و روی زمین افتاده، سه بار جلوی او خم شد. آنها یکدیگر را بوسیده، با هم گریه کردند. داوود نمیتوانست جلوی گریهٔ خود را بگیرد. | 41 |
जैसे ही वह लड़का चला गया दाऊद जुनूब की तरफ़ से निकला और ज़मीन पर औंधा होकर तीन बार सिज्दा किया और उन्होंने आपस में एक दूसरे को चूमा और आपस में रोए लेकिन दाऊद बहुत रोया।
سرانجام یوناتان به داوود گفت: «به سلامتی برو، چون ما هر دو با هم در حضور خداوند عهد بستهایم که تا ابد نسبت به هم و اولاد یکدیگر وفادار بمانیم.» پس آنها از همدیگر جدا شدند. داوود از آنجا رفت و یوناتان به شهر برگشت. | 42 |
और यूनतन ने दाऊद से कहा कि सलामत चला जा क्यूँकि हम दोनों ने ख़ुदावन्द के नाम की क़सम खाकर कहा है कि ख़ुदावन्द मेरे और तेरे बीच और मेरी और तेरी नसल के बीच हमेशा तक रहे, इसलिए वह उठ कर रवाना हुआ और यूनतन शहर में चला गया।