< اول سموئیل 15 >

روزی سموئیل به شائول گفت: «خداوند بود که مرا فرستاد که تو را مسح کنم تا بر قوم او، اسرائیل سلطنت کنی. پس الان به پیغام خداوند توجه کن. 1
एक दिन शमुएल शाऊल के पास आए और उनसे कहने लगे, “इस्राएली प्रजा के लिए राजा के पद पर तुम्हारा अभिषेक करने के लिए याहवेह ने मुझे ही चुना था; तब अब ध्यानपूर्वक याहवेह द्वारा भेजा संदेश सुनो.
خداوند لشکرهای آسمان می‌فرماید: من مردم عمالیق را مجازات خواهم کرد، زیرا وقتی قوم اسرائیل را از مصر بیرون می‌آوردم، با آنها بدرفتاری کردند. 2
सेनाओं के याहवेह का यह वचन है. ‘अमालेकियों ने मिस्र देश से निकलकर आ रहे इस्राएल का विरोध करते हुए क्या-क्या किया था, मैंने अच्छी रीति से ध्यान में रखा है, उनके इस व्यवहार के लिए मैं सजा ज़रूर दूंगा.
حال برو و مردم عمالیق را قتل عام کن. بر آنها رحم نکن، بلکه زن و مرد و طفل شیرخواره، گاو و گوسفند، شتر و الاغ، همه را نابود کن.» 3
तो अब जाओ और अमालेकियों पर वार करो, और उनकी सारी वस्तुओं को पूरी तरह नष्ट कर डालो. किसी को भी न छोड़ना; पुरुष, स्त्री, बालक शिशु, बैल, भेड़, ऊंट तथा गधे, सभी मार डाले जाएं.’”
پس شائول لشکر خود را که شامل دویست هزار سرباز از اسرائیل و ده هزار سرباز از یهودا بود در تلایم سان دید. 4
तब शाऊल ने सेना को बुलाया कि वे तेलाइम में इकट्‍ठे हों. ये सब दो लाख सैनिक थे, तथा दस हज़ार पुरुष यहूदिया से आए हुए थे.
بعد شائول با لشکر خود به طرف شهر عمالیقی‌ها حرکت کرد و در دره‌ای کمین نمود. 5
शाऊल इन्हें लेकर अमालेक नगर पहुंचे और वहां घाटी में घात लगाकर बैठ गए.
او برای قینی‌ها این پیغام را فرستاد: «از میان عمالیقی‌ها خارج شوید و گرنه شما نیز با آنها هلاک خواهید شد. شما نسبت به قوم اسرائیل، هنگامی که از مصر بیرون آمدند، مهربان بودید و ما نمی‌خواهیم به شما آزاری برسد.» پس قینی‌ها آنجا را ترک گفتند. 6
वहां शाऊल ने केनी जाति के लोगों से कहा, “तुम लोग यहां से निकल भागो. अमालेकियों के बीच से तुम्हारा चले जाना ही सही होगा. कहीं उनके साथ तुम्हारा भी नाश न हो जाए. तुम लोगों ने मिस्र देश से निकलकर आए इस्राएलियों के साथ कृपापूर्ण व्यवहार किया था.” तब केनी अमालेकियों को छोड़कर चले गए.
آنگاه شائول، عمالیقی‌ها را شکست داده، آنها را از حویله تا شور که در سمت شرقی مصر است، تار و مار کرد. 7
तब शाऊल ने अमालेकियों पर हमला कर हाविलाह से लेकर शूर तक, जो मिस्र देश के पास है, अमालेकियों को मारा.
او اَجاج پادشاه عمالیق را زنده دستگیر کرد، ولی تمام قومش را از دم شمشیر گذراند. 8
उन्होंने अमालेकियों के राजा अगाग को जीवित पकड़ लिया और तलवार से देश के सभी लोगों की हत्या कर दी.
اما شائول و سپاهیانش برخلاف دستور خداوند، اَجاج پادشاه را با بهترین گوسفندان و گاوان و گوساله‌های پرواری و بره‌ها و هر چیز خوب نگاه داشتند. آنها هر چه را که ارزش داشت نابود نکردند، ولی هر چه را که بی‌ارزش بود از بین بردند. 9
मगर शाऊल तथा सेना ने राजा अगाग तथा सबसे अच्छी भेड़ों, बैलों तथा पुष्ट बछड़ों और मेमनों की हत्या नहीं की. साथ ही उन वस्तुओं को भी नष्ट नहीं किया, जो अच्छी तथा मूल्यवान थी. इन्हें नष्ट करना उन्हें सही न लगा. हां, उन्होंने वह सब नष्ट कर दिया, जो उन्हें घृणित लगा, जो उनकी दृष्टि में बेकार था.
آنگاه خداوند به سموئیل فرمود: 10
शमुएल को याहवेह का यह संदेश दिया गया:
«متأسفم که شائول را به پادشاهی برگزیدم، چون از من برگشته و از فرمان من سرپیچی نموده است.» سموئیل چون این را شنید بسیار متأثر شد و تمام شب در حضور خداوند ناله کرد. 11
“मुझे खेद है कि मैंने शाऊल को राजा चुना है, क्योंकि वह मुझसे दूर हो चुका है. उसने मेरे आदेशों का पालन नहीं किया.” इस पर शमुएल बहुत ही क्रोधित हो गए, और वह याहवेह के सामने पूरी रात रोते रहे.
سموئیل صبح زود برخاست و روانه شد تا شائول را پیدا کند. به او گفتند که شائول به کوه کَرمِل رفت و در آنجا ستونی به یادبود خود بر پا نمود و از آنجا هم به جِلجال رفته است. 12
प्रातःकाल वह शीघ्र उठ गए कि जाकर शाऊल से मिलें; मगर उन्हें यह सूचना दी गई, “शाऊल कर्मेल को चले गए थे, कि वह वहां अपनी स्मृति के लिए एक स्मारक का निर्माण करें. इसके बाद वह आगे बढ़कर गिलगाल को चले गए हैं.”
وقتی سموئیل شائول را پیدا کرد، به او گفت: «خداوند تو را برکت دهد! دستور خداوند را انجام دادم.» 13
जब शमुएल शाऊल के निकट पहुंचे, शाऊल ने उनका अभिवंदन करते हुए कहा, “याहवेह की कृपादृष्टि आप पर बनी रहे! मैंने याहवेह के आदेश का पालन किया है.”
سموئیل پرسید: «پس این بع‌بع گوسفندان و صدای گاوان که می‌شنوم چیست؟» 14
“अच्छा!” शमुएल ने शाऊल से प्रश्न किया, “तब मैं जो भेड़ों का मिमियाना तथा गायों का रम्भाना सुन रहा हूं; वह कहां से आता है?”
شائول جواب داد: «افراد من، گوسفندها و گاوهای خوب و چاق را که از عمالیقی‌ها گرفته‌اند، زنده نگاه داشته‌اند تا آنها را برای خداوند، خدایت قربانی کنند؛ آنها بقیه را از بین برده‌اند.» 15
शाऊल ने स्पष्ट किया, “उन्हें सेना अमालेकियों के यहां से ले आये है. सेना ने सर्वोत्तम पशु याहवेह, हमारे परमेश्वर को चढ़ाने के उद्देश्य से बचा लिए हैं, शेष सभी का वध कर दिया गया है.”
سموئیل به شائول گفت: «گوش کن تا آنچه را که خداوند دیشب به من گفت به تو بگویم.» شائول پرسید: «خداوند چه گفته است؟» 16
“बस! बस करो!” शमुएल ने शाऊल से कहा, “अब वह सुनो, जो याहवेह ने कल रात मुझ पर प्रकट किया है.” शाऊल ने उत्तर दिया, “जी, बताइए.”
سموئیل جواب داد: «وقتی که تو شخص گمنام و کوچکی بودی، خداوند تو را به پادشاهی اسرائیل برگزید. 17
शमुएल ने उनसे कहा, “क्या यह सच नहीं कि जब तुम स्वयं अपने ही दृष्टि में महत्वहीन थे, तुम्हें इस्राएल के सारा गोत्रों का अगुआ बना दिया गया? याहवेह ने तुम्हें इस्राएल का राजा नियुक्त किया.
او تو را فرستاد تا عمالیقی‌های گناهکار را ریشه‌کن کنی. 18
याहवेह ने तुम्हें यह कहकर विशेष काम का दायित्व सौंपते हुए भेजा था ‘जाओ! उन पापी अमालेकियों का नाश करो! उनका पूरा नाश होने तक युद्ध करते रहो.’
پس چرا کلام خداوند را اطاعت نکردی و حیوانات آنها را به غنیمت گرفته، مخالف خواست خداوند انجام دادی؟» 19
तुमने याहवेह के आदेश का पालन क्यों नहीं किया? बल्कि तुमने लूट की वस्तुओं का लोभ किया है, जो याहवेह की दृष्टि में अनुचित है.”
شائول پاسخ داد: «من از خداوند اطاعت کردم و هر آنچه که به من گفته بود، انجام دادم؛ اجاج، پادشاه عمالیقی‌ها را آوردم ولی بقیه را هلاک کردم. 20
शाऊल ने अपना पक्ष स्पष्ट करते हुए कहा, “मगर मैंने तो याहवेह की आज्ञा का पालन किया है! जिस विशेष काम के लिए याहवेह ने मुझे भेजा था, वह मैंने पूर्ण किया है. अमालेकियों का संहार करने के बाद मैं राजा अगाग को यहां ले आया हूं.
اما سپاهیان بهترین گوسفندان و گاوان را گرفته، با خود آوردند تا در جلجال برای خداوند، خدایت قربانی کنند.» 21
हां, सेना ने कुछ भेड़ें तथा गाय-बैल बचा लिए हैं—संहार के लिए निर्धारित पशुओं में से सर्वोत्तम, ताकि इन्हें गिलगाल में याहवेह, आपके परमेश्वर को चढ़ाए जा सके.”
سموئیل در جواب گفت: «آیا خداوند به قربانیها خشنود است یا به اطاعت از کلامش؟ اطاعت بهتر از قربانی است. اگر او را اطاعت می‌کردی، خشنودتر می‌شد تا اینکه برایش گوسفندهای فربه قربانی کنی. 22
शमुएल ने उनसे पूछा: “क्या याहवेह की खुशी आज्ञाकारिता से बढ़कर होमबलि तथा बलि चढ़ाने में है? निःसंदेह आज्ञाकारिता, बलि चढ़ाने से कहीं अधिक बढ़कर है, तथा याहवेह के वचन को ध्यान से सुनना मेढ़ों की बलि से बढ़कर है.
نااطاعتی مثل گناه جادوگری است و خودسری مانند بت‌پرستی می‌باشد. چون به کلام خداوند توجه نکردی، او هم تو را از مقام پادشاهی برکنار خواهد کرد.» 23
विद्रोह वैसा ही पाप है, जैसा जादू-टोना, और अहंकार वैसा ही घोर अपराध है जैसा मूर्ति पूजा. इसलिये कि तुमने याहवेह के आदेश को अस्वीकार कर दिया है, याहवेह ने भी तुम्हारे राजत्व को अस्वीकार कर दिया है.”
سرانجام شائول اعتراف نموده، گفت: «گناه کرده‌ام! از دستور خداوند و از سخن تو سرپیچی نموده‌ام، چون از مردم ترسیدم و تسلیم خواست ایشان شدم. 24
यह सुन शाऊल ने शमुएल से कहा, “मैंने पाप किया है. मैंने याहवेह के आदेश का उल्लंघन तथा आपके निर्देशों को ठुकराया है. इसका कारण यह था कि मुझे अपनी सेना से भय लग रहा था, और मैं उनकी इच्छा का विरोध न कर सका.
التماس می‌کنم مرا ببخش و با من بیا تا بروم و خداوند را عبادت کنم.» 25
तब अब कृपा कर मेरा पाप क्षमा कर दें. लौटकर मेरे साथ चलिए कि मैं याहवेह की वंदना कर सकूं.”
اما سموئیل پاسخ داد: «من با تو نمی‌آیم. چون تو از فرمان خداوند سرپیچی کردی، خداوند نیز تو را از پادشاهی اسرائیل برکنار کرده است.» 26
शमुएल ने उन्हें उत्तर दिया, “मैं तुम्हारे साथ लौटकर नहीं जाऊंगा, क्योंकि तुमने याहवेह के आदेश को ठुकराया है, याहवेह भी तुम्हें इस्राएल के राजा के रूप में अस्वीकार कर चुके हैं.”
همین که سموئیل برگشت که برود، شائول ردای او را گرفت تا او را نگه دارد، پس ردای سموئیل پاره شد. 27
जैसे ही शमुएल मुड़कर जाने के लिए तैयार हुए, शाऊल ने उनके बाहरी वस्त्र के छोर को पकड़ लिया और इस काम में वह वस्त्र फट गया.
سموئیل به او گفت: «امروز خداوند سلطنت اسرائیل را از تو گرفته و همین‌گونه پاره کرده و آن را به کسی که از تو بهتر است، داده است. 28
इस पर शमुएल ने शाऊल से कहा, “आज याहवेह ने इस्राएल राज्य को तुमसे छीनकर तुम्हारे पड़ोसी को दे दिया है, जो तुमसे श्रेष्ठ है.
خدا که جلال اسرائیل است، دروغ نمی‌گوید و قصدش را عوض نمی‌کند، چون او انسان نیست که فکرش را تغییر دهد.» 29
इस्राएल के परम प्रधान अपनी बातें नहीं बदलते, और न ही वह अपने विचार बदलते हैं, क्योंकि वह मनुष्य नहीं कि अपने विचार बदलते रहें.”
شائول بار دیگر التماس نموده، گفت: «درست است که من گناه کرده‌ام، اما خواهش می‌کنم احترام مرا در حضور مشایخ و مردم اسرائیل نگه داری و با من بیایی تا بروم و خداوند، خدای تو را عبادت کنم.» 30
शाऊल ने दोबारा स्वीकार किया, “मैंने पाप किया है, मगर कृपया मेरी प्रजा के पुरनियों के सामने तथा सारे इस्राएल राष्ट्र के सामने मेरे सम्मान का ध्यान रखकर मेरे साथ वहां लौट चलिए, कि मैं याहवेह, आपके परमेश्वर की वंदना कर सकूं.”
سرانجام سموئیل قبول کرد و با او رفت و شائول خداوند را عبادت نمود. 31
तो शमुएल उनके साथ लौटने के लिए अंत में सहमत हो गए, और शाऊल ने वहां याहवेह की वंदना की.
سموئیل دستور داد اجاج، پادشاه عمالیق را نزد او ببرند. اجاج با خوشحالی نزد او آمد، چون فکر می‌کرد خطر مرگ گذشته است. 32
इसके बाद शमुएल ने आदेश दिया, “अमालेकियों के राजा अगाग को यहां लाया जाए.” अगाग उनके सामने प्रसन्‍नता से, यह विचार करता हुआ आया. “मृत्यु का कड़वा क्षण अब बीत चुका है.”
اما سموئیل گفت: «چنانکه شمشیر تو زنان زیادی را بی‌اولاد گردانید، همچنان مادر تو بی‌اولاد خواهد شد.» سپس او را در حضور خداوند، در جلجال قطعه‌قطعه کرد. 33
मगर शमुएल ने उन्हें संबोधित करते हुए कहा, “ठीक जिस प्रकार तुम्हारी तलवार ने न जाने कितनी स्त्रियों की गोद सुनी कर दी है, उसी प्रकार आज तुम्हारी माता भी संतानहीन स्त्रियों में से एक हो जाएगी.” यह कहते हुए शमुएल ने गिलगाल में याहवेह के सामने अगाग को टुकड़े-टुकड़े कर दिए.
بعد سموئیل به رامه رفت و شائول به خانه‌اش در جِبعه بازگشت. 34
इसके बाद शमुएल रामाह नगर को चले गए, तथा शाऊल अपने घर शाऊल के गिबियाह को.
پس از آن سموئیل دیگر شائول را ندید، اما همیشه برایش عزادار بود، و خداوند متأسف بود از اینکه شائول را پادشاه اسرائیل ساخته بود. 35
इसके बाद शमुएल ने आजीवन शाऊल से भेंट न की; मगर वह शाऊल के लिए विलाप करते रहे. याहवेह को इस विषय का खेद रहा कि उन्होंने शाऊल को इस्राएल का राजा बनाया था.

< اول سموئیل 15 >