< روت 3 >
و مادر شوهرش، نعومی وی را گفت: «ای دختر من، آیا برای تو راحت نجویم تا برایت نیکو باشد. | ۱ 1 |
१एक दिन उसकी सास नाओमी ने उससे कहा, “हे मेरी बेटी, क्या मैं तेरे लिये आश्रय न ढूँढ़ूँ कि तेरा भला हो?
و الان آیا بوعز که تو باکنیزانش بودی خویش ما نیست؟ و اینک اوامشب در خرمن خود، جو پاک میکند. | ۲ 2 |
२अब जिसकी दासियों के पास तू थी, क्या वह बोअज हमारा कुटुम्बी नहीं है? वह तो आज रात को खलिहान में जौ फटकेगा।
پس خویشتن را غسل کرده، تدهین کن و رخت خود راپوشیده، به خرمن برو، اما خود را به آن مردنشناسان تا از خوردن و نوشیدن فارغ شود. | ۳ 3 |
३तू स्नान कर तेल लगा, वस्त्र पहनकर खलिहान को जा; परन्तु जब तक वह पुरुष खा पी न चुके तब तक अपने को उस पर प्रगट न करना।
وچون او بخوابد جای خوابیدنش را نشان کن، ورفته، پایهای او را بگشا و بخواب، و او تو راخواهد گفت که چه باید بکنی.» | ۴ 4 |
४और जब वह लेट जाए, तब तू उसके लेटने के स्थान को देख लेना; फिर भीतर जा उसके पाँव उघाड़ के लेट जाना; तब वही तुझे बताएगा कि तुझे क्या करना चाहिये।”
او وی را گفت: «هرچه به من گفتی، خواهم کرد.» | ۵ 5 |
५रूत ने उससे कहा, “जो कुछ तू कहती है वह सब मैं करूँगी।”
پس به خرمن رفته، موافق هرچه مادرشوهرش او را امر فرموده بود، رفتار نمود. | ۶ 6 |
६तब वह खलिहान को गई और अपनी सास के कहे अनुसार ही किया।
پس چون بوعز خورد و نوشید و دلش شاد شد ورفته، به کنار بافه های جو خوابید، آنگاه او آهسته آهسته آمده، پایهای او را گشود و خوابید. | ۷ 7 |
७जब बोअज खा पी चुका, और उसका मन आनन्दित हुआ, तब जाकर अनाज के ढेर के एक सिरे पर लेट गया। तब वह चुपचाप गई, और उसके पाँव उघाड़ के लेट गई।
و درنصف شب آن مرد مضطرب گردید و به آن سمت متوجه شد که اینک زنی نزد پایهایش خوابیده است. | ۸ 8 |
८आधी रात को वह पुरुष चौंक पड़ा, और आगे की ओर झुककर क्या पाया, कि मेरे पाँवों के पास कोई स्त्री लेटी है।
و گفت: «تو کیستی»؟ او گفت: «من کنیزتو، روت هستم، پس دامن خود را بر کنیز خویش بگستران زیرا که تو ولی هستی.» | ۹ 9 |
९उसने पूछा, “तू कौन है?” तब वह बोली, “मैं तो तेरी दासी रूत हूँ; तू अपनी दासी को अपनी चद्दर ओढ़ा दे, क्योंकि तू हमारी भूमि छुड़ानेवाला कुटुम्बी है।”
او گفت: «ای دختر من! از جانب خداوندمبارک باش! زیرا که در آخر بیشتر احسان نمودی از اول، چونکه در عقب جوانان، چه فقیر و چه غنی، نرفتی. | ۱۰ 10 |
१०उसने कहा, “हे बेटी, यहोवा की ओर से तुझ पर आशीष हो; क्योंकि तूने अपनी पिछली प्रीति पहली से अधिक दिखाई, क्योंकि तू, क्या धनी, क्या कंगाल, किसी जवान के पीछे नहीं लगी।
و حالای دختر من، مترس! هرآنچه به من گفتی برایت خواهم کرد، زیرا که تمام شهر قوم من تو را زن نیکو میدانند. | ۱۱ 11 |
११इसलिए अब, हे मेरी बेटी, मत डर, जो कुछ तू कहेगी मैं तुझ से करूँगा; क्योंकि मेरे नगर के सब लोग जानते हैं कि तू भली स्त्री है।
و الان راست است که من ولی هستم لیکن ولیای نزدیکتر از من هست. | ۱۲ 12 |
१२और सच तो है कि मैं छुड़ानेवाला कुटुम्बी हूँ, तो भी एक और है जिसे मुझसे पहले ही छुड़ाने का अधिकार है।
امشب در اینجا بمان وبامدادان اگر او حق ولی را برای تو ادا نماید، خوب ادا نماید، و اگر نخواهد که برای تو حق ولی را ادا نماید، پس قسم به حیات خداوند که من آن را برای تو ادا خواهم نمود، الان تا صبح بخواب.» | ۱۳ 13 |
१३अतः रात भर ठहरी रह, और सवेरे यदि वह तेरे लिये छुड़ानेवाले का काम करना चाहे; तो अच्छा, वही ऐसा करे; परन्तु यदि वह तेरे लिये छुड़ानेवाले का काम करने को प्रसन्न न हो, तो यहोवा के जीवन की शपथ मैं ही वह काम करूँगा। भोर तक लेटी रह।”
پس نزد پایش تا صبح خوابیده، پیش ازآنکه کسی همسایهاش را تشخیص دهد، برخاست، و بوعز گفت: «زنهار کسی نفهمد که این زن به خرمن آمده است. | ۱۴ 14 |
१४तब वह उसके पाँवों के पास भोर तक लेटी रही, और उससे पहले कि कोई दूसरे को पहचान सके वह उठी; और बोअज ने कहा, “कोई जानने न पाए कि खलिहान में कोई स्त्री आई थी।”
و گفت چادری که برتوست، بیاور و بگیر.» پس آن را بگرفت و او شش کیل جو پیموده، بر وی گذارد و به شهر رفت. | ۱۵ 15 |
१५तब बोअज ने कहा, “जो चद्दर तू ओढ़े है उसे फैलाकर पकड़ ले।” और जब उसने उसे पकड़ा तब उसने छः नपुए जौ नापकर उसको उठा दिया; फिर वह नगर में चली गई।
وچون نزد مادر شوهر خود رسید، او وی را گفت: «ای دختر من، بر تو چه گذشت؟» پس او را از هرآنچه آن مرد با وی کرده بود، خبر داد. | ۱۶ 16 |
१६जब रूत अपनी सास के पास आई तब उसने पूछा, “हे बेटी, क्या हुआ?” तब जो कुछ उस पुरुष ने उससे किया था वह सब उसने उसे कह सुनाया।
و گفت: «این شش کیل جو را به من داد زیرا گفت، نزدمادرشوهرت تهیدست مرو.» | ۱۷ 17 |
१७फिर उसने कहा, “यह छः नपुए जौ उसने यह कहकर मुझे दिया, कि अपनी सास के पास खाली हाथ मत जा।”
او وی را گفت: «ای دخترم آرام بنشین تا بدانی که این امر چگونه خواهد شد، زیرا که آن مرد تا این کار را امروزتمام نکند، آرام نخواهد گرفت.» | ۱۸ 18 |
१८फिर नाओमी ने कहा, “हे मेरी बेटी, जब तक तू न जाने कि इस बात का कैसा फल निकलेगा, तब तक चुपचाप बैठी रह, क्योंकि आज उस पुरुष को यह काम बिना निपटाए चैन न पड़ेगा।”