< رومیان 9 >
در مسیح راست میگویم و دروغ نی و ضمیر من در روحالقدس مرا شاهد است، | ۱ 1 |
मसीह में मैं यह सच प्रकट कर रहा हूं—यह झूठ नहीं—पवित्र आत्मा में मेरी अंतरात्मा इस सच की पुष्टि कर रही है
که مرا غمی عظیم و در دلم وجع دائمی است. | ۲ 2 |
कि मेरा हृदय अत्यंत खेदित और बहुत पीड़ा में है.
زیرا راضی هم میبودم که خود از مسیح محروم شوم در راه برادرانم که بحسب جسم خویشان منند، | ۳ 3 |
मैं यह कामना कर सकता था कि अच्छा होता कि स्वयं मैं शापित होता—अपने भाइयों के लिए, जो शारीरिक रूप से मेरे सजातीय हैं—मसीह से अलग हो जाता.
که ایشان اسرائیلیاند و پسرخواندگی وجلال و عهدها و امانت شریعت و عبادت ووعدهها از آن ایشان است؛ | ۴ 4 |
ये सभी इस्राएली हैं. लेपालकपन के कारण उत्तराधिकार, महिमा, वाचाएं, व्यवस्था, मंदिर की सेवा-आराधना निर्देश तथा प्रतिज्ञाएं इन्हीं की हैं.
که پدران از آن ایشانند و از ایشان مسیح بحسب جسم شد که فوق از همه است، خدای متبارک تا ابدالاباد، آمین. (aiōn ) | ۵ 5 |
पुरखे भी इन्हीं के हैं तथा शारीरिक पक्ष के अनुसार मसीह भी इन्हीं के वंशज हैं, जो सर्वोच्च हैं, जो युगानुयुग स्तुति के योग्य परमेश्वर हैं, आमेन. (aiōn )
ولکن چنین نیست که کلام خدا ساقط شده باشد؛ زیرا همه که از اسرائیلاند، اسرائیلی نیستند، | ۶ 6 |
क्या परमेश्वर की प्रतिज्ञा विफल हो गयी? नहीं! वास्तविक इस्राएली वे सभी नहीं, जो इस्राएल के वंशज हैं
و نه نسل ابراهیم تمام فرزند هستند؛ بلکه نسل تو در اسحاق خوانده خواهند شد. | ۷ 7 |
और न ही मात्र अब्राहाम का वंशज होना उन्हें परमेश्वर की संतान बना देता है. इसके विपरीत, लिखा है: तुम्हारे वंशज यित्सहाक के माध्यम से नामित होंगे.
یعنی فرزندان جسم، فرزندان خدا نیستند، بلکه فرزندان وعده از نسل محسوب میشوند. | ۸ 8 |
अर्थात् शारीरिक रूप से जन्मे हुए परमेश्वर की संतान नहीं परंतु प्रतिज्ञा के अंतर्गत जन्मे हुए ही वास्तविक संतान समझे जाते हैं
زیراکلام وعده این است که موافق چنین وقت خواهم آمد و ساره را پسری خواهد بود. | ۹ 9 |
क्योंकि प्रतिज्ञा इस प्रकार की गई: “अगले वर्ष मैं इसी समय दोबारा आऊंगा और साराह का एक पुत्र होगा.”
و نه این فقط، بلکه رفقه نیز چون از یک شخص یعنی از پدر مااسحاق حامله شد، | ۱۰ 10 |
इतना ही नहीं, रेबेकाह भी एक अन्य उदाहरण हैं: जब उन्होंने गर्भधारण किया. उनके गर्भ में एक ही पुरुष—हमारे पूर्वज यित्सहाक से दो शिशु थे.
زیرا هنگامی که هنوز تولدنیافته بودند و عملی نیک یا بد نکرده، تا اراده خدابرحسب اختیار ثابت شود نه از اعمال بلکه ازدعوت کننده | ۱۱ 11 |
यद्यपि अभी तक युगल शिशुओं का जन्म नहीं हुआ था तथा उन्होंने उचित या अनुचित कुछ भी नहीं किया था, परमेश्वर का उद्देश्य उनकी ही इच्छा के अनुसार अटल रहा;
بدو گفته شد که «بزرگتر کوچکتر را بندگی خواهد نمود.» | ۱۲ 12 |
कामों के कारण नहीं परंतु उनके कारण, जिन्होंने बुलाया है. रेबेकाह से कहा गया: “बड़ा छोटे की सेवा करेगा.”
چنانکه مکتوب است: «یعقوب را دوست داشتم اما عیسو را دشمن.» | ۱۳ 13 |
जैसा कि पवित्र शास्त्र में लिखा है: “याकोब मेरा प्रिय था किंतु एसाव मेरा अप्रिय.”
پس چه گوییم؟ آیا نزد خدا بیانصافی است؟ حاشا! | ۱۴ 14 |
तब इसका मतलब क्या हुआ? क्या इस विषय में परमेश्वर अन्यायी थे? नहीं! बिलकुल नहीं!
زیرا به موسی میگوید: «رحم خواهم فرمود بر هرکه رحم کنم و رافت خواهم نمود بر هرکه رافت نمایم.» | ۱۵ 15 |
परमेश्वर ने मोशेह से कहा था, “मैं जिस किसी पर चाहूं, कृपादृष्टि करूंगा और जिस किसी पर चाहूं करुणा.”
لاجرم نه ازخواهش کننده و نه از شتابنده است، بلکه ازخدای رحم کننده. | ۱۶ 16 |
इसलिये यह मनुष्य की इच्छा या प्रयासों पर नहीं, परंतु परमेश्वर की कृपादृष्टि पर निर्भर है.
زیرا کتاب به فرعون میگوید: «برای همین تو را برانگیختم تا قوت خود را در تو ظاهر سازم و تا نام من در تمام جهان ندا شود.» | ۱۷ 17 |
पवित्र शास्त्र में फ़रोह को संबोधित करते हुए लिखा है: “तुम्हारी उत्पत्ति के पीछे मेरा एकमात्र उद्देश्य था तुममें मेरे प्रताप का प्रदर्शन कि सारी पृथ्वी में मेरे नाम का प्रचार हो.”
بنابراین هرکه را میخواهد رحم میکند و هرکه را میخواهد سنگدل میسازد. | ۱۸ 18 |
इसलिये परमेश्वर अपनी इच्छा के अनुसार अपने चुने हुए जन पर कृपा करते तथा जिसे चाहते उसे हठीला बना देते हैं.
پس مرا میگویی: «دیگر چرا ملامت میکند؟ زیرا کیست که با اراده او مقاومت نموده باشد؟» | ۱۹ 19 |
संभवतः तुममें से कोई यह प्रश्न उठाए, “तो फिर परमेश्वर हममें दोष क्यों ढूंढ़ते हैं? भला कौन उनकी इच्छा के विरुद्ध जा सकता है?”
نی بلکه تو کیستیای انسان که با خدا معارضه میکنی؟ آیا مصنوع به صانع میگوید که چرا مراچنین ساختی؟ | ۲۰ 20 |
तुम कौन होते हो कि परमेश्वर से वाद-विवाद का दुस्साहस करो? क्या कभी कोई वस्तु अपने रचनेवाले से यह प्रश्न कर सकती है, “मुझे ऐसा क्यों बनाया है आपने?”
یا کوزهگر اختیار بر گل نداردکه از یک خمیره ظرفی عزیز و ظرفی ذلیل بسازد؟ | ۲۱ 21 |
क्या कुम्हार का यह अधिकार नहीं कि वह मिट्टी के एक ही पिंड से एक बर्तन अच्छे उपयोग के लिए तथा एक बर्तन साधारण उपयोग के लिए गढ़े?
و اگر خدا چون اراده نمود که غضب خود را ظاهر سازد و قدرت خویش را بشناساند، ظروف غضب را که برای هلاکت آمادهشده بود، به حلم بسیار متحمل گردید، | ۲۲ 22 |
क्या हुआ यदि परमेश्वर अपने क्रोध का प्रदर्शन और अपने सामर्थ्य के प्रकाशन के उद्देश्य से अत्यंत धीरज से विनाश के लिए निर्धारित पात्रों की सहते रहे?
و تا دولت جلال خود را بشناساند بر ظروف رحمتی که آنها را ازقبل برای جلال مستعد نمود، | ۲۳ 23 |
इसमें उनका उद्देश्य यही था कि वह कृपापात्रों पर अपनी महिमा के धन को प्रकाशित कर सकें, जिन्हें उन्होंने महिमा ही के लिए पहले से तैयार कर लिया था;
و آنها را نیزدعوت فرمود یعنی ما نه از یهود فقط بلکه ازامتها نیز. | ۲۴ 24 |
हमें भी, जो उनके द्वारा बुलाए गए हैं, मात्र यहूदियों ही में से नहीं, परंतु गैर-यहूदियों में से भी.
چنانکه در هوشع هم میگوید: «آنانی را که قوم من نبودند، قوم خود خواهم خواند و او را که دوست نداشتم محبوبه خود. | ۲۵ 25 |
जैसा कि वह भविष्यवक्ता होशे के अभिलेख में भी कहते हैं: “मैं उन्हें ‘अपनी प्रजा’ घोषित करूंगा, जो मेरी प्रजा नहीं थे; तथा उन्हें ‘प्रिय’ संबोधित करूंगा, जो प्रियजन थे ही नहीं,”
و جایی که به ایشان گفته شد که شما قوم من نیستید، در آنجا پسران خدای حی خوانده خواهند شد.» | ۲۶ 26 |
और, “जिस स्थान पर उनसे यह कहा गया था, ‘तुम मेरी प्रजा नहीं हो,’ उसी स्थान पर वे ‘जीवित परमेश्वर की संतान’ घोषित किए जाएंगे.”
و اشعیا نیز در حق اسرائیل ندامی کند که «هرچند عدد بنیاسرائیل مانند ریگ دریا باشد، لکن بقیه نجات خواهند یافت؛ | ۲۷ 27 |
भविष्यवक्ता यशायाह इस्राएल के विषय में कातर शब्द में कहते हैं: “यद्यपि इस्राएल के वंशजों की संख्या समुद्रतट की बालू के कणों के तुल्य है, उनमें से थोड़े ही बचाए जाएंगे.
زیراخداوند کلام خود را تمام و منقطع ساخته، برزمین به عمل خواهد آورد.» | ۲۸ 28 |
क्योंकि परमेश्वर पृथ्वी पर अपनी दंड की आज्ञा का कार्य शीघ्र ही पूरा करेंगे.”
و چنانکه اشعیاپیش اخبار نمود که «اگر رب الجنود برای ما نسلی نمی گذارد، هرآینه مثل سدوم میشدیم و مانندغموره میگشتیم.» | ۲۹ 29 |
ठीक जैसी भविष्यवक्ता यशायाह की पहले से लिखित बात है: “यदि स्वर्गीय सेनाओं के प्रभु ने हमारे लिए वंशज न छोड़े होते तो हमारी दशा सोदोम, और गोमोरा नगरों के समान हो जाती.”
پس چه گوییم؟ امت هایی که درپی عدالت نرفتند، عدالت را حاصل نمودند، یعنی عدالتی که از ایمان است. | ۳۰ 30 |
तब परिणाम क्या निकला? वे गैर-यहूदी, जो धार्मिकता को खोज भी नहीं रहे थे, उन्होंने धार्मिकता प्राप्त कर ली—वह भी वह धार्मिकता, जो विश्वास के द्वारा है.
لکن اسرائیل که درپی شریعت عدالت میرفتند، به شریعت عدالت نرسیدند. | ۳۱ 31 |
किंतु धार्मिकता की व्यवस्था की खोज कर रहा इस्राएल उस व्यवस्था के भेद तक पहुंचने में असफल ही रहा.
از چه سبب؟ از این جهت که نه از راه ایمان بلکه از راه اعمال شریعت آن را طلبیدند، زیرا که به سنگ مصادم لغزش خوردند. | ۳۲ 32 |
क्या कारण है इसका? मात्र यह कि वे इसकी खोज विश्वास में नहीं परंतु मात्र रीतियों को पूरा करने के लिए करते रहे. परिणामस्वरूप उस ठोकर के पत्थर से उन्हें ठोकर लगी.
چنانکه مکتوب است که «اینک در صهیون سنگی مصادم و صخره لغزش مینهم و هرکه براو ایمان آورد، خجل نخواهد گردید.» | ۳۳ 33 |
ठीक जैसा पवित्र शास्त्र का अभिलेख है: “मैं ज़ियोन में एक ठोकर के पत्थर तथा ठोकर खाने की चट्टान की स्थापना कर रहा हूं. जो इसमें विश्वास रखता है, वह लज्जित कभी न होगा.”