< مزامیر 107 >
خداوند را حمد بگویید زیرا که اونیکو است و رحمت او باقی است تا ابدالاباد. | ۱ 1 |
याहवेह का धन्यवाद करो, वे भले हैं; उनकी करुणा सदा की है.
فدیه شدگان خداوند این را بگویند که ایشان را از دست دشمن فدیه داده است. | ۲ 2 |
यह नारा उन सबका हो, जो याहवेह द्वारा उद्धारित हैं, जिन्हें उन्होंने विरोधियों से मुक्त किया है,
وایشان را از بلدان جمع کرده، از مشرق و مغرب واز شمال و جنوب. | ۳ 3 |
जिन्हें उन्होंने पूर्व और पश्चिम से, उत्तर और दक्षिण से, विभिन्न देशों से एकत्र कर एकजुट किया है.
در صحرا آواره شدند و دربادیهای بیطریق و شهری برای سکونت نیافتند. | ۴ 4 |
कुछ निर्जन वन में भटक रहे थे, जिन्हें नगर की ओर जाता हुआ कोई मार्ग न मिल सका.
گرسنه و تشنه نیز شدند و جان ایشان در ایشان مستمند گردید. | ۵ 5 |
वे भूखे और प्यासे थे, वे दुर्बल होते जा रहे थे.
آنگاه در تنگی خود نزدخداوند فریاد برآوردند و ایشان را از تنگیهای ایشان رهایی بخشید. | ۶ 6 |
अपनी विपत्ति की स्थिति में उन्होंने याहवेह को पुकारा, याहवेह ने उन्हें उनकी दुर्दशा से छुड़ा लिया.
و ایشان را به راه مستقیم رهبری نمود، تا به شهری مسکون درآمدند. | ۷ 7 |
उन्होंने उन्हें सीधे-समतल पथ से ऐसे नगर में पहुंचा दिया जहां वे जाकर बस सकते थे.
پس خداوند را بهسبب رحمتش تشکرنمایند و بهسبب کارهای عجیب وی با بنی آدم. | ۸ 8 |
उपयुक्त है कि वे याहवेह के प्रति उनके करुणा-प्रेम के लिए तथा उनके द्वारा मनुष्यों के लिए किए गए अद्भुत कार्यों के लिए उनका आभार व्यक्त करें,
زیرا که جان آرزومند را سیر گردانید و جان گرسنه را از چیزهای نیکو پر ساخت. | ۹ 9 |
क्योंकि वह प्यासी आत्मा के प्यास को संतुष्ट करते तथा भूखे को उत्तम आहार से तृप्त करते हैं.
آنانی که در تاریکی و سایه موت نشسته بودند، که درمذلت و آهن بسته شده بودند. | ۱۰ 10 |
कुछ ऐसे थे, जो अंधकार में, गहनतम मृत्यु की छाया में बैठे हुए थे, वे बंदी लोहे की बेड़ियों में यातना सह रहे थे,
زیرا به کلام خدامخالفت نمودند و به نصیحت حضرت اعلی اهانت کردند. | ۱۱ 11 |
क्योंकि उन्होंने परमेश्वर के आदेशों के विरुद्ध विद्रोह किया था और सर्वोच्च परमेश्वर के निर्देशों को तुच्छ समझा था.
و او دل ایشان را به مشقت ذلیل ساخت. بلغزیدند و مدد کنندهای نبود. | ۱۲ 12 |
तब परमेश्वर ने उन्हें कठोर श्रम के कार्यों में लगा दिया; वे लड़खड़ा जाते थे किंतु कोई उनकी सहायता न करता था.
آنگاه در تنگی خود نزد خداوند فریاد برآوردند وایشان را از تنگیهای ایشان رهایی بخشید. | ۱۳ 13 |
अपनी विपत्ति की स्थिति में उन्होंने याहवेह को पुकारा, याहवेह ने उन्हें उनकी दुर्दशा से छुड़ा लिया.
ایشان را از تاریکی و سایه موت بیرون آورد وبندهای ایشان را بگسست. | ۱۴ 14 |
परमेश्वर ने उन्हें अंधकार और मृत्यु-छाया से बाहर निकाल लिया, और उनकी बेड़ियों को तोड़ डाला.
پس خداوند را بهسبب رحمتش تشکرنمایند و بهسبب کارهای عجیب او با بنی آدم. | ۱۵ 15 |
उपयुक्त है कि वे याहवेह के प्रति उनके करुणा-प्रेम के लिए तथा उनके द्वारा मनुष्यों के हित में किए गए अद्भुत कार्यों के लिए उनका आभार व्यक्त करें,
زیرا که دروازه های برنجین را شکسته، وبندهای آهنین را پاره کرده است. | ۱۶ 16 |
क्योंकि वही कांस्य द्वारों को तोड़ देते तथा लोहे की छड़ों को काटकर विभक्त कर डालते हैं.
احمقان بهسبب طریق شریرانه خود و بهسبب گناهان خویش، خود را ذلیل ساختند. | ۱۷ 17 |
कुछ ऐसे भी थे, जो विद्रोह का मार्ग अपनाकर मूर्ख प्रमाणित हुए, जिसका परिणाम यह हुआ, कि उन्हें अपने अपराधों के कारण ही पीड़ा सहनी पड़ी.
جان ایشان هرقسم خوراک را مکروه داشت و به دروازه های موت نزدیک شدند. | ۱۸ 18 |
उन्हें सभी प्रकार के भोजन से घृणा हो गई और वे मृत्यु-द्वार तक पहुंच गए.
آنگاه در تنگی خود نزدخداوند فریاد برآوردند و ایشان را از تنگیهای ایشان رهایی بخشید. | ۱۹ 19 |
अपनी विपत्ति की स्थिति में उन्होंने याहवेह को पुकारा, याहवेह ने उन्हें उनकी दुर्दशा से छुड़ा लिया.
کلام خود را فرستاده، ایشان را شفا بخشید و ایشان را از هلاکتهای ایشان رهانید. | ۲۰ 20 |
उन्होंने आदेश दिया और वे स्वस्थ हो गए और उन्होंने उन्हें उनके विनाश से बचा लिया.
پس خداوند را بهسبب رحمتش تشکرنمایند و بهسبب کارهای عجیب او با بنی آدم. | ۲۱ 21 |
उपयुक्त है कि वे याहवेह के प्रति उनके करुणा-प्रेम के लिए तथा उनके द्वारा मनुष्यों के हित में किए गए अद्भुत कार्यों के लिए उनका आभार व्यक्त करें.
و قربانی های تشکر را بگذرانند و اعمال وی رابه ترنم ذکر کنند. | ۲۲ 22 |
वे धन्यवाद बलि अर्पित करें और हर्षगीतों के माध्यम से उनके कार्यों का वर्णन करें.
آنانی که در کشتیها به دریارفتند، و در آبهای کثیر شغل کردند. | ۲۳ 23 |
कुछ वे थे, जो जलयानों में समुद्री यात्रा पर चले गए; वे महासागर पार जाकर व्यापार करते थे.
اینان کارهای خداوند را دیدند و اعمال عجیب او را درلجهها. | ۲۴ 24 |
उन्होंने याहवेह के महाकार्य देखे, वे अद्भुत कार्य, जो समुद्र में किए गए थे.
او گفت پس باد تند را وزانید و امواج آن را برافراشت. | ۲۵ 25 |
याहवेह आदेश देते थे और बवंडर उठ जाता था, जिसके कारण समुद्र पर ऊंची-ऊंची लहरें उठने लगती थीं.
به آسمانها بالا رفتند و به لجهها فرود شدند و جان ایشان از سخنی گداخته گردید. | ۲۶ 26 |
वे जलयान आकाश तक ऊंचे उठकर गहराइयों तक पहुंच जाते थे; जोखिम की इस बुराई की स्थिति में उनका साहस जाता रहा.
سرگردان گشته، مثل مستان افتان وخیزان شدند و عقل ایشان تمام حیران گردید. | ۲۷ 27 |
वे मतवालों के समान लुढ़कते और लड़खड़ा जाते थे; उनकी मति भ्रष्ट हो चुकी थी.
آنگاه در تنگی خود نزد خداوند فریادبرآوردند و ایشان را از تنگیهای ایشان رهایی بخشید. | ۲۸ 28 |
अपनी विपत्ति की स्थिति में उन्होंने याहवेह को पुकारा, याहवेह ने उन्हें उनकी दुर्दशा से छुड़ा लिया.
طوفان را به آرامی ساکت ساخت که موجهایش ساکن گردید. | ۲۹ 29 |
याहवेह ने बवंडर को शांत किया और समुद्र की लहरें स्तब्ध हो गईं.
پس مسرور شدندزیرا که آسایش یافتند و ایشان را به بندر مرادایشان رسانید. | ۳۰ 30 |
लहरों के शांत होने पर उनमें हर्ष की लहर दौड़ गई, याहवेह ने उन्हें उनके मनचाहे बंदरगाह तक पहुंचा दिया.
پس خداوند را بهسبب رحمتش تشکرنمایند و بهسبب کارهای عجیب او با بنی آدم. | ۳۱ 31 |
उपयुक्त है कि वे याहवेह के प्रति उनके करुणा-प्रेम के लिए तथा उनके द्वारा मनुष्यों के हित में किए गए अद्भुत कार्यों के लिए उनका आभार व्यक्त करें.
و او را در مجمع قوم متعال بخوانند و درمجلس مشایخ او را تسبیح بگویند. | ۳۲ 32 |
वे जनसमूह के सामने याहवेह का भजन करें, वे अगुओं की सभा में उनकी महिमा करें.
او نهرها رابه بادیه مبدل کرد و چشمه های آب را به زمین تشنه. | ۳۳ 33 |
परमेश्वर ने नदियां मरुभूमि में बदल दीं, परमेश्वर ने झरनों के प्रवाह को रोका.
و زمین بارور را نیز به شوره زار، بهسبب شرارت ساکنان آن. | ۳۴ 34 |
वहां के निवासियों की दुष्टता के कारण याहवेह नदियों को वन में, नदी को शुष्क भूमि में और उर्वर भूमि को निर्जन भूमि में बदल देते हैं.
بادیه را به دریاچه آب مبدل کرد و زمین خشک را به چشمه های آب. | ۳۵ 35 |
याहवेह ही वन को जलाशय में बदल देते हैं और शुष्क भूमि को झरनों में;
و گرسنگان را در آنجا ساکن ساخت تا شهری برای سکونت بنا نمودند. | ۳۶ 36 |
वहां वह भूखों को बसने देते हैं, कि वे वहां बसने के लिये एक नगर स्थापित कर दें,
و مزرعهها کاشتند وتاکستانها غرس نمودند و حاصل غله به عمل آوردند. | ۳۷ 37 |
कि वे वहां कृषि करें, द्राक्षावाटिका का रोपण करें तथा इनसे उन्हें बड़ा उपज प्राप्त हो.
و ایشان را برکت داد تا به غایت کثیرشدند و بهایم ایشان را نگذارد کم شوند. | ۳۸ 38 |
याहवेह ही की कृपादृष्टि में उनकी संख्या में बहुत वृद्धि होने लगती है, याहवेह उनके पशु धन की हानि नहीं होने देते.
و بازکم گشتند و ذلیل شدند، از ظلم و شقاوت و حزن. | ۳۹ 39 |
जब उनकी संख्या घटने लगती है और पीछे, क्लेश और शोक के कारण उनका मनोबल घटता और दब जाता है,
ذلت را بر روسا میریزد و ایشان را در بادیهای که راه ندارد آواره میسازد. | ۴۰ 40 |
परमेश्वर उन अधिकारियों पर निंदा-वृष्टि करते हैं, वे मार्ग रहित वन में भटकाने के लिए छोड़ दिए जाते हैं.
اما مسکین را ازمشقتش برمی افروزد و قبیلهها را مثل گله هابرایش پیدا میکند. | ۴۱ 41 |
किंतु याहवेह दुःखी को पीड़ा से बचाकर उनके परिवारों को भेड़ों के झुंड समान वृद्धि करते हैं.
صالحان این را دیده، شادمان میشوند و تمامی شرارت دهان خود راخواهد بست. | ۴۲ 42 |
यह सब देख सीधे लोग उल्लसित होते हैं, और दुष्टों को चुप रह जाना पड़ता है.
کیست خردمند تا بدین چیزهاتفکر نماید؟ که ایشان رحمت های خداوند راخواهند فهمید. | ۴۳ 43 |
जो कोई बुद्धिमान है, इन बातों का ध्यान रखे और याहवेह के करुणा-प्रेम पर विचार करता रहे.