< مزامیر 10 >
ای خداوند چرا دور ایستادهای و خودرا در وقت های تنگی پنهان میکنی؟ | ۱ 1 |
१हे यहोवा तू क्यों दूर खड़ा रहता है? संकट के समय में क्यों छिपा रहता है?
از تکبر شریران، فقیر سوخته میشود؛ درمشورت هایی که اندیشیدهاند، گرفتار میشوند. | ۲ 2 |
२दुष्टों के अहंकार के कारण दीन पर अत्याचार होते है; वे अपनी ही निकाली हुई युक्तियों में फँस जाएँ।
زیرا که شریر به شهوات نفس خود فخر میکند، و آنکه میرباید شکر میگوید و خداوند را اهانت میکند. | ۳ 3 |
३क्योंकि दुष्ट अपनी अभिलाषा पर घमण्ड करता है, और लोभी यहोवा को त्याग देता है और उसका तिरस्कार करता है।
شریر در غرور خود میگوید: «بازخواست نخواهد کرد.» همه فکرهای او اینست که خدایی نیست. | ۴ 4 |
४दुष्ट अपने अहंकार में परमेश्वर को नहीं खोजता; उसका पूरा विचार यही है कि कोई परमेश्वर है ही नहीं।
راههای او همیشه استوار است. احکام تو از او بلند و بعید است. همه دشمنان خود را به هیچ میشمارد. | ۵ 5 |
५वह अपने मार्ग पर दृढ़ता से बना रहता है; तेरे धार्मिकता के नियम उसकी दृष्टि से बहुत दूर ऊँचाई पर हैं, जितने उसके विरोधी हैं उन पर वह फुँकारता है।
در دل خود گفته است: «هرگزجنبش نخواهم خورد، و دور به دور بدی رانخواهم دید.» | ۶ 6 |
६वह अपने मन में कहता है कि “मैं कभी टलने का नहीं; मैं पीढ़ी से पीढ़ी तक दुःख से बचा रहूँगा।”
دهن او از لعنت و مکر و ظلم پر است؛ زیرزبانش مشقت و گناه است؛ | ۷ 7 |
७उसका मुँह श्राप और छल और धमकियों से भरा है; उत्पात और अनर्थ की बातें उसके मुँह में हैं।
در کمینهای دهات مینشیند؛ در جایهای مخفی بیگناه را میکشد؛ چشمانش برای مسکینان مراقب است؛ | ۸ 8 |
८वह गाँवों में घात में बैठा करता है, और गुप्त स्थानों में निर्दोष को घात करता है, उसकी आँखें लाचार की घात में लगी रहती है।
در جای مخفی مثل شیر در بیشه خود کمین میکند؛ به جهت گرفتن مسکین کمین میکند؛ فقیر را به دام خود کشیده، گرفتار میسازد. | ۹ 9 |
९वह सिंह के समान झाड़ी में छिपकर घात में बैठाता है; वह दीन को पकड़ने के लिये घात लगाता है, वह दीन को जाल में फँसाकर पकड़ लेता है।
پس کوفته وزبون میشود؛ و مساکین در زیر جباران اومی افتند. | ۱۰ 10 |
१०लाचार लोगों को कुचला और पीटा जाता है, वह उसके मजबूत जाल में गिर जाते हैं।
در دل خود گفت: «خدا فراموش کرده است؛ روی خود را پوشانیده و هرگزنخواهد دید.» | ۱۱ 11 |
११वह अपने मन में सोचता है, “परमेश्वर भूल गया, वह अपना मुँह छिपाता है; वह कभी नहीं देखेगा।”
ای خداوند برخیز! ای خدا دست خود رابرافراز! و مسکینان را فراموش مکن. | ۱۲ 12 |
१२उठ, हे यहोवा; हे परमेश्वर, अपना हाथ बढ़ा और न्याय कर; और दीनों को न भूल।
چراشریر خدا را اهانت کرده، در دل خود میگوید: «تو بازخواست نخواهی کرد؟» | ۱۳ 13 |
१३परमेश्वर को दुष्ट क्यों तुच्छ जानता है, और अपने मन में कहता है “तू लेखा न लेगा?”
البته دیدهای زیرا که تو بر مشقت و غم مینگری، تا بهدست خود مکافات برسانی. مسکین امر خویش را به توتسلیم کرده است. مددکار یتیمان، تو هستی. | ۱۴ 14 |
१४तूने देख लिया है, क्योंकि तू उत्पात और उत्पीड़न पर दृष्टि रखता है, ताकि उसका पलटा अपने हाथ में रखे; लाचार अपने आपको तुझे सौंपता है; अनाथों का तू ही सहायक रहा है।
بازوی گناهکار را بشکن. و اما شریر را ازشرارت او بازخواست کن تا آن را نیابی. | ۱۵ 15 |
१५दुर्जन और दुष्ट की भुजा को तोड़ डाल; उनकी दुष्टता का लेखा ले, जब तक कि सब उसमें से दूर न हो जाए।
خداوند پادشاه است تا ابدالاباد. امتها اززمین او هلاک خواهند شد. | ۱۶ 16 |
१६यहोवा अनन्तकाल के लिये महाराज है; उसके देश में से जाति-जाति लोग नाश हो गए हैं।
ای خداوندمسالت مسکینان را اجابت کردهای، دل ایشان رااستوار نمودهای و گوش خود را فراگرفتهای، | ۱۷ 17 |
१७हे यहोवा, तूने नम्र लोगों की अभिलाषा सुनी है; तू उनका मन दृढ़ करेगा, तू कान लगाकर सुनेगा
تایتیمان و کوفته شدگان را دادرسی کنی. انسانی که از زمین است، دیگر نترساند. | ۱۸ 18 |
१८कि अनाथ और पिसे हुए का न्याय करे, ताकि मनुष्य जो मिट्टी से बना है फिर भय दिखाने न पाए।