< متّی 21 >
و چون نزدیک به اورشلیم رسیده، واردبیتفاجی نزد کوه زیتون شدند. آنگاه عیسی دو نفر از شاگردان خود را فرستاده، | ۱ 1 |
१जब वे यरूशलेम के निकट पहुँचे और जैतून पहाड़ पर बैतफगे के पास आए, तो यीशु ने दो चेलों को यह कहकर भेजा,
بدیشان گفت: «در این قریهای که پیش روی شمااست بروید و در حال، الاغی با کرهاش بسته خواهید یافت. آنها را باز کرده، نزد من آورید. | ۲ 2 |
२“अपने सामने के गाँव में जाओ, वहाँ पहुँचते ही एक गदही बंधी हुई, और उसके साथ बच्चा तुम्हें मिलेगा; उन्हें खोलकर, मेरे पास ले आओ।
وهرگاه کسی به شما سخنی گوید، بگویید خداوندبدینها احتیاج دارد که فی الفور آنها را خواهدفرستاد.» | ۳ 3 |
३यदि तुम से कोई कुछ कहे, तो कहो, कि प्रभु को इनका प्रयोजन है: तब वह तुरन्त उन्हें भेज देगा।”
و این همه واقع شد تا سخنی که نبی گفته است تمام شود | ۴ 4 |
४यह इसलिए हुआ, कि जो वचन भविष्यद्वक्ता के द्वारा कहा गया था, वह पूरा हो:
که «دختر صهیون را گوییداینک پادشاه تو نزد تو میآید با فروتنی و سواره بر حمار و بر کره الاغ.» | ۵ 5 |
५“सिय्योन की बेटी से कहो, ‘देख, तेरा राजा तेरे पास आता है; वह नम्र है और गदहे पर बैठा है; वरन् लादू के बच्चे पर।’”
پس شاگردان رفته، آنچه عیسی بدیشان امر فرمود، بعمل آوردند | ۶ 6 |
६चेलों ने जाकर, जैसा यीशु ने उनसे कहा था, वैसा ही किया।
و الاغ را با کره آورده، رخت خود را بر آنها انداختند واو بر آنها سوار شد. | ۷ 7 |
७और गदही और बच्चे को लाकर, उन पर अपने कपड़े डाले, और वह उन पर बैठ गया।
و گروهی بسیار، رختهای خود را در راه گسترانیدند و جمعی از درختان شاخهها بریده، در راه میگستردند. | ۸ 8 |
८और बहुत सारे लोगों ने अपने कपड़े मार्ग में बिछाए, और लोगों ने पेड़ों से डालियाँ काटकर मार्ग में बिछाईं।
و جمعی ازپیش و پس او رفته، فریادکنان میگفتند: «هوشیعانا پسر داودا، مبارک باد کسیکه به اسم خداوند میآید! هوشیعانا در اعلی علیین!» | ۹ 9 |
९और जो भीड़ आगे-आगे जाती और पीछे-पीछे चली आती थी, पुकार पुकारकर कहती थी, “दाऊद के सन्तान को होशाना; धन्य है वह जो प्रभु के नाम से आता है, आकाश में होशाना।”
وچون وارد اورشلیم شد، تمام شهر به آشوب آمده، میگفتند: «این کیست؟» | ۱۰ 10 |
१०जब उसने यरूशलेम में प्रवेश किया, तो सारे नगर में हलचल मच गई; और लोग कहने लगे, “यह कौन है?”
آن گروه گفتند: «این است عیسی نبی از ناصره جلیل.» | ۱۱ 11 |
११लोगों ने कहा, “यह गलील के नासरत का भविष्यद्वक्ता यीशु है।”
پس عیسی داخل هیکل خدا گشته، جمیع کسانی را که در هیکل خرید و فروش میکردند، بیرون نمود و تختهای صرافان و کرسیهای کبوترفروشان را واژگون ساخت. | ۱۲ 12 |
१२यीशु ने परमेश्वर के मन्दिर में जाकर, उन सब को, जो मन्दिर में लेन-देन कर रहे थे, निकाल दिया; और सर्राफों के मेजें और कबूतरों के बेचनेवालों की चौकियाँ उलट दीं।
و ایشان را گفت: «مکتوب است که خانه من خانه دعا نامیده میشود. لیکن شما مغاره دزدانش ساختهاید.» | ۱۳ 13 |
१३और उनसे कहा, “लिखा है, ‘मेरा घर प्रार्थना का घर कहलाएगा’; परन्तु तुम उसे डाकुओं की खोह बनाते हो।”
و کوران و شلان در هیکل، نزد او آمدند وایشان را شفا بخشید. | ۱۴ 14 |
१४और अंधे और लँगड़े, मन्दिर में उसके पास आए, और उसने उन्हें चंगा किया।
اما روسای کهنه و کاتبان چون عجایبی که از او صادر میگشت و کودکان را که در هیکل فریاد برآورده، «هوشیعانا پسر داودا» میگفتنددیدند، غضبناک گشته، | ۱۵ 15 |
१५परन्तु जब प्रधान याजकों और शास्त्रियों ने इन अद्भुत कामों को, जो उसने किए, और लड़कों को मन्दिर में दाऊद की सन्तान को होशाना पुकारते हुए देखा, तो क्रोधित हुए,
به وی گفتند: «نمی شنوی آنچه اینها میگویند؟» عیسی بدیشان گفت: «بلی مگر نخواندهاید این که از دهان کودکان و شیرخوارگان حمد را مهیا ساختی؟» | ۱۶ 16 |
१६और उससे कहने लगे, “क्या तू सुनता है कि ये क्या कहते हैं?” यीशु ने उनसे कहा, “हाँ; क्या तुम ने यह कभी नहीं पढ़ा: ‘बालकों और दूध पीते बच्चों के मुँह से तूने स्तुति सिद्ध कराई?’”
پس ایشان را واگذارده، از شهر بسوی بیت عنیارفته، در آنجا شب را بسر برد. | ۱۷ 17 |
१७तब वह उन्हें छोड़कर नगर के बाहर बैतनिय्याह को गया, और वहाँ रात बिताई।
بامدادان چون به شهر مراجعت میکرد، گرسنه شد. | ۱۸ 18 |
१८भोर को जब वह नगर को लौट रहा था, तो उसे भूख लगी।
و در کناره راه یک درخت انجیر دیده، نزد آن آمد و جز برگ بر آن هیچ نیافت. پس آن را گفت: «از این به بعد میوه تا به ابد بر تونشود!» که در ساعت درخت انجیر خشکید! (aiōn ) | ۱۹ 19 |
१९और अंजीर के पेड़ को सड़क के किनारे देखकर वह उसके पास गया, और पत्तों को छोड़ उसमें और कुछ न पाकर उससे कहा, “अब से तुझ में फिर कभी फल न लगे।” और अंजीर का पेड़ तुरन्त सूख गया। (aiōn )
چون شاگردان این را دیدند، متعجب شده، گفتند: «چه بسیار زود درخت انحیر خشک شده است!» | ۲۰ 20 |
२०यह देखकर चेलों ने अचम्भा किया, और कहा, “यह अंजीर का पेड़ तुरन्त कैसे सूख गया?”
عیسی در جواب ایشان گفت: «هرآینه به شما میگویم اگر ایمان میداشتید و شک نمی نمودید، نه همین را که به درخت انجیر شدمی کردید، بلکه هر گاه بدین کوه میگفتید “منتقل شده به دریا افکنده شو” چنین میشد. | ۲۱ 21 |
२१यीशु ने उनको उत्तर दिया, “मैं तुम से सच कहता हूँ; यदि तुम विश्वास रखो, और सन्देह न करो; तो न केवल यह करोगे, जो इस अंजीर के पेड़ से किया गया है; परन्तु यदि इस पहाड़ से भी कहोगे, कि उखड़ जा, और समुद्र में जा पड़, तो यह हो जाएगा।
و هرآنچه باایمان به دعا طلب کنید، خواهید یافت.» | ۲۲ 22 |
२२और जो कुछ तुम प्रार्थना में विश्वास से माँगोगे वह सब तुम को मिलेगा।”
و چون به هیکل درآمده، تعلیم میداد، روسای کهنه و مشایخ قوم نزد او آمده، گفتند: «به چه قدرت این اعمال را مینمایی و کیست که این قدرت را به تو داده است؟» | ۲۳ 23 |
२३वह मन्दिर में जाकर उपदेश कर रहा था, कि प्रधान याजकों और लोगों के प्राचीनों ने उसके पास आकर पूछा, “तू ये काम किसके अधिकार से करता है? और तुझे यह अधिकार किसने दिया है?”
عیسی در جواب ایشان گفت: «من نیز از شما سخنی میپرسم. اگرآن را به من گویید، من هم به شما گویم که این اعمال را به چه قدرت مینمایم: | ۲۴ 24 |
२४यीशु ने उनको उत्तर दिया, “मैं भी तुम से एक बात पूछता हूँ; यदि वह मुझे बताओगे, तो मैं भी तुम्हें बताऊँगा कि ये काम किस अधिकार से करता हूँ।
تعمید یحیی از کجا بود؟ از آسمان یا از انسان؟» ایشان با خودتفکر کرده، گفتند که «اگر گوییم از آسمان بود، هرآینه گوید پس چرا به وی ایمان نیاوردید. | ۲۵ 25 |
२५यूहन्ना का बपतिस्मा कहाँ से था? स्वर्ग की ओर से या मनुष्यों की ओर से था?” तब वे आपस में विवाद करने लगे, “यदि हम कहें ‘स्वर्ग की ओर से’, तो वह हम से कहेगा, ‘फिर तुम ने उसका विश्वास क्यों न किया?’
واگر گوییم از انسان بود، از مردم میترسیم زیراهمه یحیی را نبی میدانند.» | ۲۶ 26 |
२६और यदि कहें ‘मनुष्यों की ओर से’, तो हमें भीड़ का डर है, क्योंकि वे सब यूहन्ना को भविष्यद्वक्ता मानते हैं।”
پس در جواب عیسی گفتند: «نمی دانیم.» بدیشان گفت: «من هم شما را نمی گویم که به چه قدرت این کارها رامی کنم. | ۲۷ 27 |
२७अतः उन्होंने यीशु को उत्तर दिया, “हम नहीं जानते।” उसने भी उनसे कहा, “तो मैं भी तुम्हें नहीं बताता, कि ये काम किस अधिकार से करता हूँ।
لیکن چه گمان دارید؟ شخصی را دو پسربود. نزد نخستین آمده، گفت: “ای فرزند امروز به تاکستان من رفته، بهکار مشغول شو.” | ۲۸ 28 |
२८“तुम क्या समझते हो? किसी मनुष्य के दो पुत्र थे; उसने पहले के पास जाकर कहा, ‘हे पुत्र, आज दाख की बारी में काम कर।’
درجواب گفت: “نخواهم رفت.” اما بعد پشیمان گشته، برفت. | ۲۹ 29 |
२९उसने उत्तर दिया, ‘मैं नहीं जाऊँगा’, परन्तु बाद में उसने अपना मन बदल दिया और चला गया।
و به دومین نیز همچنین گفت. اودر جواب گفت: “ای آقا من میروم.” ولی نرفت. | ۳۰ 30 |
३०फिर दूसरे के पास जाकर ऐसा ही कहा, उसने उत्तर दिया, ‘जी हाँ जाता हूँ’, परन्तु नहीं गया।
کدامیک از این دو خواهش پدر را بهجاآورد؟» گفتند: «اولی.» عیسی بدیشان گفت: «هرآینه به شما میگویم که باجگیران و فاحشه هاقبل از شما داخل ملکوت خدا میگردند، | ۳۱ 31 |
३१इन दोनों में से किसने पिता की इच्छा पूरी की?” उन्होंने कहा, “पहले ने।” यीशु ने उनसे कहा, “मैं तुम से सच कहता हूँ, कि चुंगी लेनेवाले और वेश्या तुम से पहले परमेश्वर के राज्य में प्रवेश करते हैं।
زانرو که یحیی از راه عدالت نزد شما آمد وبدو ایمان نیاوردید، اما باجگیران و فاحشهها بدوایمان آوردند و شما چون دیدید آخر هم پشیمان نشدید تا بدو ایمان آورید. | ۳۲ 32 |
३२क्योंकि यूहन्ना धार्मिकता के मार्ग से तुम्हारे पास आया, और तुम ने उस पर विश्वास नहीं किया: पर चुंगी लेनेवालों और वेश्याओं ने उसका विश्वास किया: और तुम यह देखकर बाद में भी न पछताए कि उसका विश्वास कर लेते।
و مثلی دیگر بشنوید: صاحبخانهای بودکه تاکستانی غرس نموده، خطیرهای گردش کشید و چرخشتی در آن کند و برجی بنا نمود. پس آن را به دهقانان سپرده، عازم سفر شد. | ۳۳ 33 |
३३“एक और दृष्टान्त सुनो एक गृहस्थ था, जिसने दाख की बारी लगाई; और उसके चारों ओर बाड़ा बाँधा; और उसमें रस का कुण्ड खोदा; और गुम्मट बनाया; और किसानों को उसका ठेका देकर परदेश चला गया।
وچون موسم میوه نزدیک شد، غلامان خود را نزددهقانان فرستاد تا میوه های او را بردارند. | ۳۴ 34 |
३४जब फल का समय निकट आया, तो उसने अपने दासों को उसका फल लेने के लिये किसानों के पास भेजा।
امادهقانان غلامانش را گرفته، بعضی را زدند وبعضی را کشتند و بعضی را سنگسار نمودند. | ۳۵ 35 |
३५पर किसानों ने उसके दासों को पकड़ के, किसी को पीटा, और किसी को मार डाला; और किसी को पथराव किया।
باز غلامان دیگر، بیشتر از اولین فرستاده، بدیشان نیز به همانطور سلوک نمودند. | ۳۶ 36 |
३६फिर उसने और दासों को भेजा, जो पहले से अधिक थे; और उन्होंने उनसे भी वैसा ही किया।
بالاخره پسر خود را نزد ایشان فرستاده، گفت: “پسر مرا حرمت خواهند داشت.” | ۳۷ 37 |
३७अन्त में उसने अपने पुत्र को उनके पास यह कहकर भेजा, कि वे मेरे पुत्र का आदर करेंगे।
اما دهقانان چون پسررا دیدند با خود گفتند: “این وارث است. بیایید اورا بکشیم و میراثش را ببریم.” | ۳۸ 38 |
३८परन्तु किसानों ने पुत्र को देखकर आपस में कहा, ‘यह तो वारिस है, आओ, उसे मार डालें: और उसकी विरासत ले लें।’
آنگاه او راگرفته، بیرون تاکستان افکنده، کشتند. | ۳۹ 39 |
३९और उन्होंने उसे पकड़ा और दाख की बारी से बाहर निकालकर मार डाला।
پس چون مالک تاکستان آید، به آن دهقانان چه خواهد کرد؟» | ۴۰ 40 |
४०“इसलिए जब दाख की बारी का स्वामी आएगा, तो उन किसानों के साथ क्या करेगा?”
گفتند: «البته آن بدکاران را به سختی هلاک خواهد کرد و باغ را به باغبانان دیگرخواهد سپرد که میوه هایش را در موسم بدودهند.» | ۴۱ 41 |
४१उन्होंने उससे कहा, “वह उन बुरे लोगों को बुरी रीति से नाश करेगा; और दाख की बारी का ठेका और किसानों को देगा, जो समय पर उसे फल दिया करेंगे।”
عیسی بدیشان گفت: «مگر در کتب هرگزنخواندهاید این که سنگی را که معمارانش ردنمودند، همان سر زاویه شده است. این از جانب خداوند آمد و در نظر ما عجیب است. | ۴۲ 42 |
४२यीशु ने उनसे कहा, “क्या तुम ने कभी पवित्रशास्त्र में यह नहीं पढ़ा: ‘जिस पत्थर को राजमिस्त्रियों ने बेकार समझा था, वही कोने के सिरे का पत्थर हो गया यह प्रभु की ओर से हुआ, और हमारे देखने में अद्भुत है।?’
از این جهت شما را میگویم که ملکوت خدا از شماگرفته شده، به امتی که میوهاش را بیاورند، عطاخواهد شد. | ۴۳ 43 |
४३“इसलिए मैं तुम से कहता हूँ, कि परमेश्वर का राज्य तुम से ले लिया जाएगा; और ऐसी जाति को जो उसका फल लाए, दिया जाएगा।
و هرکه بر آن سنگ افتد، منکسرشود و اگر آن بر کسی افتد، نرمش سازد.» | ۴۴ 44 |
४४जो इस पत्थर पर गिरेगा, वह चकनाचूर हो जाएगा: और जिस पर वह गिरेगा, उसको पीस डालेगा।”
وچون روسای کهنه و فریسیان مثلهایش راشنیدند، دریافتند که درباره ایشان میگوید. | ۴۵ 45 |
४५प्रधान याजक और फरीसी उसके दृष्टान्तों को सुनकर समझ गए, कि वह हमारे विषय में कहता है।
وچون خواستند او را گرفتار کنند، از مردم ترسیدند زیرا که او را نبی میدانستند. | ۴۶ 46 |
४६और उन्होंने उसे पकड़ना चाहा, परन्तु लोगों से डर गए क्योंकि वे उसे भविष्यद्वक्ता मानते थे।