< داوران 9 >
و ابیملک بن یربعل نزد برادران مادر خود به شکیم رفته، ایشان و تمامی قبیله خاندان پدر مادرش را خطاب کرده، گفت: | ۱ 1 |
१यरूब्बाल का पुत्र अबीमेलेक शेकेम को अपने मामाओं के पास जाकर उनसे और अपने नाना के सब घराने से यह कहने लगा,
«الان درگوشهای جمیع اهل شکیم بگویید، برای شماکدام بهتر است؟ که هفتاد نفر یعنی همه پسران یربعل بر شما حکمرانی کنند؟ یا اینکه یک شخص بر شما حاکم باشد؟ و بیاد آورید که من استخوان و گوشت شما هستم.» | ۲ 2 |
२“शेकेम के सब मनुष्यों से यह पूछो, ‘तुम्हारे लिये क्या भला है? क्या यह कि यरूब्बाल के सत्तर पुत्र तुम पर प्रभुता करें?’ या कि एक ही पुरुष तुम पर प्रभुता करे? और यह भी स्मरण रखो कि मैं तुम्हारा हाड़ माँस हूँ।”
و برادران مادرش درباره او در گوشهای جمیع اهل شکیم همه این سخنان را گفتند، و دل ایشان به پیروی ابیملک مایل شد، زیرا گفتند او برادر ماست. | ۳ 3 |
३तब उसके मामाओं ने शेकेम के सब मनुष्यों से ऐसी ही बातें कहीं; और उन्होंने यह सोचकर कि अबीमेलेक तो हमारा भाई है अपना मन उसके पीछे लगा दिया।
وهفتاد مثقال نقره از خانه بعل بریت به او دادند، وابیملک مردان مهمل و باطل را به آن اجیر کرد که او را پیروی نمودند. | ۴ 4 |
४तब उन्होंने बाल-बरीत के मन्दिर में से सत्तर टुकड़े रूपे उसको दिए, और उन्हें लगाकर अबीमेलेक ने नीच और लुच्चे जन रख लिए, जो उसके पीछे हो लिए।
پس به خانه پدرش به عفره رفته، برادران خود پسران یربعل را که هفتاد نفربودند بر یک سنگ بکشت، لیکن یونام پسرکوچک یربعل زنده ماند، زیرا خود را پنهان کرده بود. | ۵ 5 |
५तब उसने ओप्रा में अपने पिता के घर जा के अपने भाइयों को जो यरूब्बाल के सत्तर पुत्र थे एक ही पत्थर पर घात किया; परन्तु यरूब्बाल का योताम नामक लहुरा पुत्र छिपकर बच गया।
و تمامی اهل شکیم و تمامی خاندان ملوجمع شده، رفتند، و ابیملک را نزد بلوط ستون که در شکیم است، پادشاه ساختند. | ۶ 6 |
६तब शेकेम के सब मनुष्यों और बेतमिल्लो के सब लोगों ने इकट्ठे होकर शेकेम के खम्भे के पासवाले बांज वृक्ष के पास अबीमेलेक को राजा बनाया।
و چون یوتام را از این خبر دادند، او رفته، بهسر کوه جرزیم ایستاد و آواز خود را بلند کرده، ندا درداد و به ایشان گفت: «ای مردان شکیم مرابشنوید تا خدا شما را بشنود. | ۷ 7 |
७इसका समाचार सुनकर योताम गिरिज्जीम पहाड़ की चोटी पर जाकर खड़ा हुआ, और ऊँचे स्वर से पुकारके कहने लगा, “हे शेकेम के मनुष्यों, मेरी सुनो, इसलिए कि परमेश्वर तुम्हारी सुने।
وقتی درختان رفتند تا بر خود پادشاهی نصب کنند، و به درخت زیتون گفتند بر ما سلطنت نما. | ۸ 8 |
८किसी युग में वृक्ष किसी का अभिषेक करके अपने ऊपर राजा ठहराने को चले; तब उन्होंने जैतून के वृक्ष से कहा, ‘तू हम पर राज्य कर।’
درخت زیتون به ایشان گفت: آیا روغن خود را که بهسبب آن خداو انسان مرا محترم میدارند ترک کنم و رفته، بردرختان حکمرانی نمایم؟ | ۹ 9 |
९तब जैतून के वृक्ष ने कहा, ‘क्या मैं अपनी उस चिकनाहट को छोड़कर, जिससे लोग परमेश्वर और मनुष्य दोनों का आदरमान करते हैं, वृक्षों का अधिकारी होकर इधर-उधर डोलने को चलूँ?’
و درختان به انجیرگفتند که تو بیا و بر ما سلطنت نما. | ۱۰ 10 |
१०तब वृक्षों ने अंजीर के वृक्ष से कहा, ‘तू आकर हम पर राज्य कर।’
انجیر به ایشان گفت: آیا شیرینی و میوه نیکوی خود راترک بکنم و رفته، بر درختان حکمرانی نمایم؟ | ۱۱ 11 |
११अंजीर के वृक्ष ने उनसे कहा, ‘क्या मैं अपने मीठेपन और अपने अच्छे-अच्छे फलों को छोड़ वृक्षों का अधिकारी होकर इधर-उधर डोलने को चलूँ?’
و درختان به مو گفتند که بیا و بر ما سلطنت نما. | ۱۲ 12 |
१२फिर वृक्षों ने दाखलता से कहा, ‘तू आकर हम पर राज्य कर।’
مو به ایشان گفت: آیا شیره خود را که خدا وانسان را خوش میسازد ترک بکنم و رفته، بردرختان حکمرانی نمایم؟ | ۱۳ 13 |
१३दाखलता ने उनसे कहा, ‘क्या मैं अपने नये मधु को छोड़, जिससे परमेश्वर और मनुष्य दोनों को आनन्द होता है, वृक्षों की अधिकारिणी होकर इधर-उधर डोलने को चलूँ?’
و جمیع درختان به خار گفتند که تو بیا و بر ما سلطنت نما. | ۱۴ 14 |
१४तब सब वृक्षों ने झड़बेरी से कहा, ‘तू आकर हम पर राज्य कर।’
خار به درختان گفت: اگر به حقیقت شما مرا بر خود پادشاه نصب میکنید، پس بیایید و درسایه من پناه گیرید، و اگر نه آتش از خار بیرون بیاید و سروهای آزاد لبنان را بسوزاند. | ۱۵ 15 |
१५झड़बेरी ने उन वृक्षों से कहा, ‘यदि तुम अपने ऊपर राजा होने को मेरा अभिषेक सच्चाई से करते हो, तो आकर मेरी छाया में शरण लो; और नहीं तो, झड़बेरी से आग निकलेगी जिससे लबानोन के देवदार भी भस्म हो जाएँगे।’
و الان اگر براستی و صداقت عمل نمودید در اینکه ابیملک را پادشاه ساختید، و اگر به یربعل وخاندانش نیکویی کردید و برحسب عمل دستهایش رفتار نمودید. | ۱۶ 16 |
१६“इसलिए अब यदि तुम ने सच्चाई और खराई से अबीमेलेक को राजा बनाया है, और यरूब्बाल और उसके घराने से भलाई की, और उससे उसके काम के योग्य बर्ताव किया हो, तो भला।
زیرا که پدر من به جهت شما جنگ کرده، جان خود را به خطرانداخت و شما را از دست مدیان رهانید. | ۱۷ 17 |
१७(मेरा पिता तो तुम्हारे निमित्त लड़ा, और अपने प्राण पर खेलकर तुम को मिद्यानियों के हाथ से छुड़ाया;
وشما امروز بر خاندان پدرم برخاسته، پسرانش، یعنی هفتاد نفر را بر یک سنگ کشتید، و پسر کنیزاو ابیملک را چون برادر شما بود بر اهل شکیم پادشاه ساختید. | ۱۸ 18 |
१८परन्तु तुम ने आज मेरे पिता के घराने के विरुद्ध उठकर बलवा किया, और उसके सत्तर पुत्र एक ही पत्थर पर घात किए, और उसकी रखैल के पुत्र अबीमेलेक को इसलिए शेकेम के मनुष्यों के ऊपर राजा बनाया है कि वह तुम्हारा भाई है);
پس اگر امروز به راستی وصداقت با یربعل و خاندانش عمل نمودید، ازابیملک شاد باشید و او از شما شاد باشد. | ۱۹ 19 |
१९इसलिए यदि तुम लोगों ने आज के दिन यरूब्बाल और उसके घराने से सच्चाई और खराई से बर्ताव किया हो, तो अबीमेलेक के कारण आनन्द करो, और वह भी तुम्हारे कारण आनन्द करे;
واگرنه آتش از ابیملک بیرون بیاید، و اهل شکیم وخاندان ملو را بسوزاند، و آتش از اهل شکیم وخاندان ملو بیرون بیاید و ابیملک را بسوزاند.» | ۲۰ 20 |
२०और नहीं, तो अबीमेलेक से ऐसी आग निकले जिससे शेकेम के मनुष्य और बेतमिल्लो भस्म हो जाएँ: और शेकेम के मनुष्यों और बेतमिल्लो से ऐसी आग निकले जिससे अबीमेलेक भस्म हो जाए।”
پس یوتام فرار کرده، گریخت و به بئیر آمده، درآنجا از ترس برادرش، ابیملک، ساکن شد. | ۲۱ 21 |
२१तब योताम भागा, और अपने भाई अबीमेलेक के डर के मारे बेर को जाकर वहीं रहने लगा।
و ابیملک بر اسرائیل سه سال حکمرانی کرد. | ۲۲ 22 |
२२अबीमेलेक इस्राएल के ऊपर तीन वर्ष हाकिम रहा।
و خدا روحی خبیث در میان ابیملک واهل شکیم فرستاد، و اهل شکیم با ابیملک خیانت ورزیدند. | ۲۳ 23 |
२३तब परमेश्वर ने अबीमेलेक और शेकेम के मनुष्यों के बीच एक बुरी आत्मा भेज दी; सो शेकेम के मनुष्य अबीमेलेक से विश्वासघात करने लगे;
تا انتقام ظلمی که بر هفتاد پسریربعل شده بود، بشود، و خون آنها را از برادرایشان ابیملک که ایشان را کشته بود، و از اهل شکیم که دستهایش را برای کشتن برادران خودقوی ساخته بودند، گرفته شود. | ۲۴ 24 |
२४जिससे यरूब्बाल के सत्तर पुत्रों पर किए हुए उपद्रव का फल भोगा जाए, और उनका खून उनके घात करनेवाले उनके भाई अबीमेलेक के सिर पर, और उसके अपने भाइयों के घात करने में उसकी सहायता करनेवाले शेकेम के मनुष्यों के सिर पर भी हो।
پس اهل شکیم بر قله های کوهها برای او کمین گذاشتند، و هرکس را که از طرف ایشان در راه میگذشت، تاراج میکردند. پس ابیملک را خبر دادند. | ۲۵ 25 |
२५तब शेकेम के मनुष्यों ने पहाड़ों की चोटियों पर उसके लिये घातकों को बैठाया, जो उस मार्ग से सब आने जानेवालों को लूटते थे; और इसका समाचार अबीमेलेक को मिला।
و جعل بن عابد با برادرانش آمده، به شکیم رسیدند و اهل شکیم بر او اعتماد نمودند. | ۲۶ 26 |
२६तब एबेद का पुत्र गाल अपने भाइयों समेत शेकेम में आया; और शेकेम के मनुष्यों ने उसका भरोसा किया।
و به مزرعهها بیرون رفته، موها را چیدند و انگور رافشرده، بزم نمودند، و به خانه خدای خود داخل شده، اکل و شرب کردند و ابیملک را لعنت نمودند. | ۲۷ 27 |
२७और उन्होंने मैदान में जाकर अपनी-अपनी दाख की बारियों के फल तोड़े और उनका रस रौंदा, और स्तुति का बलिदान कर अपने देवता के मन्दिर में जाकर खाने-पीने और अबीमेलेक को कोसने लगे।
و جعل بن عابد گفت: «ابیملک کیست و شکیم کیست که او را بندگی نماییم؟ آیا او پسریربعل و زبول، وکیل او نیست؟ مردان حامور پدرشکیم را بندگی نمایید. ما چرا باید او را بندگی کنیم؟ | ۲۸ 28 |
२८तब एबेद के पुत्र गाल ने कहा, “अबीमेलेक कौन है? शेकेम कौन है कि हम उसके अधीन रहें? क्या वह यरूब्बाल का पुत्र नहीं? क्या जबूल उसका सेनानायक नहीं? शेकेम के पिता हमोर के लोगों के तो अधीन हो, परन्तु हम उसके अधीन क्यों रहें?
کاش که این قوم زیر دست من میبودندتا ابیملک را رفع میکردم، و به ابیملک گفت: لشکر خود را زیاد کن و بیرون بیا.» | ۲۹ 29 |
२९और यह प्रजा मेरे वश में होती तो क्या ही भला होता! तब तो मैं अबीमेलेक को दूर करता।” फिर उसने अबीमेलेक से कहा, “अपनी सेना की गिनती बढ़ाकर निकल आ।”
و چون زبول، رئیس شهر، سخن جعل بن عابد را شنید خشم او افروخته شد. | ۳۰ 30 |
३०एबेद के पुत्र गाल की वे बातें सुनकर नगर के हाकिम जबूल का क्रोध भड़क उठा।
پس به حیله قاصدان نزد ابیملک فرستاده، گفت: «اینک جعل بن عابد با برادرانش به شکیم آمدهاند وایشان شهر را به ضد تو تحریک میکنند. | ۳۱ 31 |
३१और उसने अबीमेलेक के पास छिपके दूतों से कहला भेजा, “एबेद का पुत्र गाल और उसके भाई शेकेम में आ के नगरवालों को तेरा विरोध करने को भड़का रहे हैं।
پس الان در شب برخیز، تو و قومی که همراه توست، و در صحرا کمین کن. | ۳۲ 32 |
३२इसलिए तू अपने संगवालों समेत रात को उठकर मैदान में घात लगा।
و بامدادان در وقت طلوع آفتاب برخاسته، به شهر هجوم آور، و اینک چون او و کسانی که همراهش هستند بر تو بیرون آیند، آنچه در قوت توست، با او خواهی کرد.» | ۳۳ 33 |
३३और सवेरे सूर्य के निकलते ही उठकर इस नगर पर चढ़ाई करना; और जब वह अपने संगवालों समेत तेरा सामना करने को निकले तब जो तुझ से बन पड़े वही उससे करना।”
پس ابیملک و همه کسانی که با وی بودند، در شب برخاسته، چهار دسته شده، در مقابل شکیم در کمین نشستند. | ۳۴ 34 |
३४तब अबीमेलेक और उसके संग के सब लोग रात को उठ चार दल बाँधकर शेकेम के विरुद्ध घात में बैठ गए।
و جعل بن عابد بیرون آمده، به دهنه دروازه شهر ایستاد، و ابیملک وکسانی که با وی بودند از کمینگاه برخاستند. | ۳۵ 35 |
३५और एबेद का पुत्र गाल बाहर जाकर नगर के फाटक में खड़ा हुआ; तब अबीमेलेक और उसके संगी घात छोड़कर उठ खड़े हुए।
وچون جعل آن گروه را دید به زبول گفت: «اینک گروهی از سر کوهها به زیر میآیند.» زبول وی راگفت: «سایه کوهها را مثل مردم میبینی.» | ۳۶ 36 |
३६उन लोगों को देखकर गाल जबूल से कहने लगा, “देख, पहाड़ों की चोटियों पर से लोग उतरे आते हैं!” जबूल ने उससे कहा, “वह तो पहाड़ों की छाया है जो तुझे मनुष्यों के समान दिखाई देती है।”
باردیگر جعل متکلم شده، گفت: «اینک گروهی ازبلندی زمین به زیر میآیند و جمعی دیگر از راه بلوط معونیم میآیند.» | ۳۷ 37 |
३७गाल ने फिर कहा, “देख, लोग देश के बीचों बीच होकर उतरे आते हैं, और एक दल मोननीम नामक बांज वृक्ष के मार्ग से चला आता है।”
زبول وی را گفت: «الان زبان تو کجاست که گفتی ابیملک کیست که او را بندگی نماییم؟ آیا این آن قوم نیست که حقیرشمردی؟ پس حال بیرون رفته، با ایشان جنگ کن.» | ۳۸ 38 |
३८जबूल ने उससे कहा, “तेरी यह बात कहाँ रही, कि अबीमेलेक कौन है कि हम उसके अधीन रहें? ये तो वे ही लोग हैं जिनको तूने निकम्मा जाना था; इसलिए अब निकलकर उनसे लड़।”
و جعل پیش روی اهل شکیم بیرون شده، با ابیملک جنگ کرد. | ۳۹ 39 |
३९तब गाल शेकेम के पुरुषों का अगुआ हो बाहर निकलकर अबीमेलेक से लड़ा।
و ابیملک او را منهزم ساخت که از حضور وی فرار کرد و بسیاری تادهنه دروازه مجروح افتادند. | ۴۰ 40 |
४०और अबीमेलेक ने उसको खदेड़ा, और वह अबीमेलेक के सामने से भागा; और नगर के फाटक तक पहुँचते-पहुँचते बहुत से घायल होकर गिर पड़े।
و ابیملک درارومه ساکن شد، و زبول، جعل و برادرانش رابیرون کرد تا در شکیم نباشند. | ۴۱ 41 |
४१तब अबीमेलेक अरूमा में रहने लगा; और जबूल ने गाल और उसके भाइयों को निकाल दिया, और शेकेम में रहने न दिया।
و در فردای آن روز واقع شد که مردم به صحرا بیرون رفتند، و ابیملک را خبر دادند. | ۴۲ 42 |
४२दूसरे दिन लोग मैदान में निकल गए; और यह अबीमेलेक को बताया गया।
پس مردان خود را گرفته، ایشان را به سه فرقه تقسیم نمود، و در صحرا در کمین نشست، و نگاه کرد و اینک مردم از شهر بیرون میآیند، پس برایشان برخاسته، ایشان را شکست داد. | ۴۳ 43 |
४३और उसने अपनी सेना के तीन दल बाँधकर मैदान में घात लगाई; और जब देखा कि लोग नगर से निकले आते हैं तब उन पर चढ़ाई करके उन्हें मार लिया।
وابیملک با فرقهای که با وی بودند حمله برده، دردهنه دروازه شهر ایستادند، و آن دو فرقه برکسانی که در صحرا بودند هجوم آوردند، و ایشان را شکست دادند. | ۴۴ 44 |
४४अबीमेलेक अपने संग के दलों समेत आगे दौड़कर नगर के फाटक पर खड़ा हो गया, और दो दलों ने उन सब लोगों पर धावा करके जो मैदान में थे उन्हें मार डाला।
و ابیملک در تمامی آن روزبا شهر جنگ کرده، شهر را گرفت و مردم را که درآن بودند، کشت، و شهر را منهدم ساخته، نمک در آن کاشت. | ۴۵ 45 |
४५उसी दिन अबीमेलेक ने नगर से दिन भर लड़कर उसको ले लिया, और उसके लोगों को घात करके नगर को ढा दिया, और उस पर नमक छिड़कवा दिया।
و چون همه مردان برج شکیم این راشنیدند، به قلعه بیت ئیل بریت داخل شدند. | ۴۶ 46 |
४६यह सुनकर शेकेम के गुम्मट के सब रहनेवाले एलबरीत के मन्दिर के गढ़ में जा घुसे।
وبه ابیملک خبر دادند که همه مردان برج شکیم جمع شدهاند. | ۴۷ 47 |
४७जब अबीमेलेक को यह समाचार मिला कि शेकेम के गुम्मट के सब प्रधान लोग इकट्ठे हुए हैं,
آنگاه ابیملک با همه کسانی که باوی بودند به کوه صلمون برآمدند، و ابیملک تبری بهدست گرفته، شاخهای از درخت بریده، آن را گرفت و بر دوش خود نهاده، به کسانی که باوی بودند، گفت: «آنچه مرا دیدید که کردم تعجیل نموده، مثل من بکنید.» | ۴۸ 48 |
४८तब वह अपने सब संगियों समेत सल्मोन नामक पहाड़ पर चढ़ गया; और हाथ में कुल्हाड़ी ले पेड़ों में से एक डाली काटी, और उसे उठाकर अपने कंधे पर रख ली। और अपने संगवालों से कहा, “जैसा तुम ने मुझे करते देखा वैसा ही तुम भी झटपट करो।”
و تمامی قوم، هر کس شاخه خود را بریده، در عقب ابیملک افتادند و آنها را به اطراف قلعه نهاده، قلعه را بر سرایشان به آتش سوزانیدند، به طوری که همه مردمان برج شکیم که تخمین هزار مرد و زن بودند، بمردند. | ۴۹ 49 |
४९तब उन सब लोगों ने भी एक-एक डाली काट ली, और अबीमेलेक के पीछे हो उनको गढ़ पर डालकर गढ़ में आग लगाई; तब शेकेम के गुम्मट के सब स्त्री पुरुष जो लगभग एक हजार थे मर गए।
و ابیملک به تاباص رفت و بر تاباص اردوزده، آن را گرفت. | ۵۰ 50 |
५०तब अबीमेलेक ने तेबेस को जाकर उसके सामने डेरे खड़े करके उसको ले लिया।
و در میان شهر برج محکمی بود و همه مردان و زنان و تمامی اهل شهر درآنجا فرار کردند، و درها را بر خود بسته، به پشت بام برج برآمدند. | ۵۱ 51 |
५१परन्तु उस नगर के बीच एक दृढ़ गुम्मट था, इसलिए क्या स्त्री क्या पुरुष, नगर के सब लोग भागकर उसमें घुसे; और उसे बन्द करके गुम्मट की छत पर चढ़ गए।
و ابیملک نزد برج آمده، با آن جنگ کرد، و به دروازه برج نزدیک شد تا آن را به آتش بسوزاند. | ۵۲ 52 |
५२तब अबीमेलेक गुम्मट के निकट जाकर उसके विरुद्ध लड़ने लगा, और गुम्मट के द्वार तक गया कि उसमें आग लगाए।
آنگاه زنی سنگ بالائین آسیایی گرفته، بر سر ابیملک انداخت و کاسه سرش را شکست. | ۵۳ 53 |
५३तब किसी स्त्री ने चक्की के ऊपर का पाट अबीमेलेक के सिर पर डाल दिया, और उसकी खोपड़ी फट गई।
پس جوانی را که سلاحدارش بود به زودی صدا زده، وی را گفت: «شمشیر خود را کشیده، مرا بکش، مبادا درباره من بگویند زنی او را کشت.» پس غلامش شمشیررا به او فرو برد که مرد. | ۵۴ 54 |
५४तब उसने झट अपने हथियारों के ढोनेवाले जवान को बुलाकर कहा, “अपनी तलवार खींचकर मुझे मार डाल, ऐसा न हो कि लोग मेरे विषय में कहने पाएँ, ‘उसको एक स्त्री ने घात किया।’” तब उसके जवान ने तलवार भोंक दी, और वह मर गया।
و چون مردان اسرائیل دیدند که ابیملک مرده است، هر کس به مکان خود رفت. | ۵۵ 55 |
५५यह देखकर कि अबीमेलेक मर गया है इस्राएली अपने-अपने स्थान को चले गए।
پس خدا شر ابیملک را که به پدرخود به کشتن هفتاد برادر خویش رسانیده بود، مکافات کرد. | ۵۶ 56 |
५६इस प्रकार जो दुष्ट काम अबीमेलेक ने अपने सत्तर भाइयों को घात करके अपने पिता के साथ किया था, उसको परमेश्वर ने उसके सिर पर लौटा दिया;
و خدا تمامی شر مردم شکیم رابر سر ایشان برگردانید، و لعنت یوتام بن یربعل برایشان رسید. | ۵۷ 57 |
५७और शेकेम के पुरुषों के भी सब दुष्ट काम परमेश्वर ने उनके सिर पर लौटा दिए, और यरूब्बाल के पुत्र योताम का श्राप उन पर घट गया।