< ایّوب 21 >
«بشنوید، کلام مرا بشنوید. و این، تسلی شماباشد. | ۲ 2 |
ग़ौर से मेरी बात सुनो, और यही तुम्हारा तसल्ली देना हो।
با من تحمل نمایید تا بگویم، و بعد ازگفتنم استهزا نمایید. | ۳ 3 |
मुझे इजाज़त दो तो मैं भी कुछ कहूँगा, और जब मैं कह चुकूँ तो ठठ्ठा मारलेना।
و اما من، آیا شکایتم نزدانسان است؟ پس چرا بیصبر نباشم؟ | ۴ 4 |
लेकिन मैं, क्या मेरी फ़रियाद इंसान से है? फिर मैं बेसब्री क्यूँ न करूँ?
به من توجه کنید و تعجب نمایید، و دست به دهان بگذارید. | ۵ 5 |
मुझ पर ग़ौर करो और मुत'अजीब हो, और अपना हाथ अपने मुँह पर रखो।
هرگاه به یاد میآورم، حیران میشوم. و لرزه جسد مرا میگیرد. | ۶ 6 |
जब मैं याद करता हूँ तो घबरा जाता हूँ, और मेरा जिस्म थर्रा उठता है।
چرا شریران زنده میمانند، پیر میشوند و در توانایی قوی میگردند؟ | ۷ 7 |
शरीर क्यूँ जीते रहते, उम्र रसीदा होते, बल्कि कु़व्वत में ज़बरदस्त होते हैं?
ذریت ایشان به حضور ایشان، با ایشان استوار میشوند و اولاد ایشان در نظرایشان. | ۸ 8 |
उनकी औलाद उनके साथ उनके देखते देखते, और उनकी नसल उनकी आँखों के सामने क़ाईम हो जाती है।
خانه های ایشان، از ترس ایمن میباشد وعصای خدا بر ایشان نمی آید. | ۹ 9 |
उनके घर डर से महफ़ूज़ हैं, और ख़ुदा की छड़ी उन पर नहीं है।
گاو نر ایشان جماع میکند و خطا نمی کند و گاو ایشان میزایدو سقط نمی نماید. | ۱۰ 10 |
उनका साँड बरदार कर देता है और चूकता नहीं, उनकी गाय ब्याती है और अपना बच्चा नहीं गिराती।
بچه های خود را مثل گله بیرون میفرستند و اطفال ایشان رقص میکنند. | ۱۱ 11 |
वह अपने छोटे छोटे बच्चों को रेवड़ की तरह बाहर भेजते हैं, और उनकी औलाद नाचती है।
با دف وعود میسرایند، و با صدای نای شادی مینمایند. | ۱۲ 12 |
वह ख़जरी और सितार के ताल पर गाते, और बाँसली की आवाज़ से ख़ुश होते हैं।
روزهای خود را در سعادتمندی صرف میکنند، و به لحظهای به هاویه فرودمی روند. (Sheol ) | ۱۳ 13 |
वह ख़ुशहाली में अपने दिन काटते, और दम के दम में पाताल में उतर जाते हैं। (Sheol )
و به خدا میگویند: از ما دور شو زیراکه معرفت طریق تو را نمی خواهیم. | ۱۴ 14 |
हालाँकि उन्होंने ख़ुदा से कहा था, कि 'हमारे पास से चला जा; क्यूँकि हम तेरी राहों के 'इल्म के ख़्वाहिशमन्द नहीं।
قادرمطلق کیست که او را عبادت نماییم، و ما را چه فایده که از او استدعا نماییم. | ۱۵ 15 |
क़ादिर — ए — मुतलक़ है क्या कि हम उसकी इबादत करें? और अगर हम उससे दुआ करें तो हमें क्या फ़ायदा होगा?
اینک سعادتمندی ایشان در دست ایشان نیست. کاش که مشورت شریران از من دور باشد. | ۱۶ 16 |
देखो, उनकी इक़बालमन्दी उनके हाथ में नहीं है। शरीरों की मशवरत मुझ से दूर है।
«بسا چراغ شریران خاموش میشود وذلت ایشان به ایشان میرسد، و خدا در غضب خود دردها را نصیب ایشان میکند. | ۱۷ 17 |
कितनी बार शरीरों का चराग़ बुझ जाता है? और उनकी आफ़त उन पर आ पड़ती है? और ख़ुदा अपने ग़ज़ब में उन्हें ग़म पर ग़म देता है?
مثل سفال پیش روی باد میشوند و مثل کاه که گردبادپراکنده میکند. | ۱۸ 18 |
और वह ऐसे हैं जैसे हवा के आगे डंठल, और जैसे भूसा जिसे आँधी उड़ा ले जाती है?
خدا گناهش را برای فرزندانش ذخیره میکند، و او را مکافات میرساند و خواهد دانست. | ۱۹ 19 |
'ख़ुदा उसका गुनाह उसके बच्चों के लिए रख छोड़ता है, वह उसका बदला उसी को दे ताकि वह जान ले।
چشمانش هلاکت او را خواهد دید، و از خشم قادر مطلق خواهدنوشید. | ۲۰ 20 |
उसकी हलाकत को उसी की आँखें देखें, और वह क़ादिर — ए — मुतलक के ग़ज़ब में से पिए।
زیرا که بعد از او در خانهاش او را چه شادی خواهد بود، چون عدد ماههایش منقطع شود؟ | ۲۱ 21 |
क्यूँकि अपने बाद उसको अपने घराने से क्या ख़ुशी है, जब उसके महीनों का सिलसिला ही काट डाला गया?
آیا خدا را علم توان آموخت؟ چونکه اوبر اعلی علیین داوری میکند. | ۲۲ 22 |
क्या कोई ख़ुदा को 'इल्म सिखाएगा? जिस हाल की वह सरफ़राज़ों की 'अदालत करता है।
یکی در عین قوت خود میمیرد، در حالی که بالکل در امنیت وسلامتی است. | ۲۳ 23 |
कोई तो अपनी पूरी ताक़त में, चैन और सुख से रहता हुआ मर जाता है।
قدحهای او پر از شیر است، ومغز استخوانش تر و تازه است. | ۲۴ 24 |
उसकी दोहिनियाँ दूध से भरी हैं, और उसकी हड्डियों का गूदा तर है;
و دیگری درتلخی جان میمیرد و از نیکویی هیچ لذت نمی برد. | ۲۵ 25 |
और कोई अपने जी में कुढ़ कुढ़ कर मरता है, और कभी सुख नहीं पाता।
اینها باهم در خاک میخوابند و کرمها ایشان را میپوشانند. | ۲۶ 26 |
वह दोनों मिट्टी में यकसाँ पड़ जाते हैं, और कीड़े उन्हें ढाँक लेते हैं।
اینک افکار شما رامی دانم و تدبیراتی که ناحق بر من میاندیشید. | ۲۷ 27 |
देखो, मैं तुम्हारे ख़यालों को जानता हूँ, और उन मंसूबों को भी जो तुम बे इन्साफ़ी से मेरे ख़िलाफ़ बाँधते हो।
زیرا میگویید کجاست خانه امیر، و خیمه های مسکن شریران؟ | ۲۸ 28 |
क्यूँकि तुम कहते हो, 'अमीर का घर कहाँ रहा? और वह ख़ेमा कहाँ है जिसमें शरीर बसते थे?
آیا از راه گذریان نپرسیدید؟ ودلایل ایشان را انکار نمی توانید نمود، | ۲۹ 29 |
क्या तुम ने रास्ता चलने वालों से कभी नहीं पूछा? और उनके निशान — आत नहीं पहचानते
که شریران برای روز ذلت نگاه داشته میشوند و درروز غضب، بیرون برده میگردند. | ۳۰ 30 |
कि शरीर आफ़त के दिन के लिए रख्खा जाता है, और ग़ज़ब के दिन तक पहुँचाया जाता है?
کیست که راهش را پیش رویش بیان کند، و جزای آنچه راکه کرده است به او برساند؟ | ۳۱ 31 |
कौन उसकी राह को उसके मुँह पर बयान करेगा? और उसके किए का बदला कौन उसे देगा?
که آخر او را به قبرخواهند برد، و بر مزار او نگاهبانی خواهند کرد. | ۳۲ 32 |
तोभी वह क़ब्र में पहुँचाया जाएगा, और उसकी क़ब्र पर पहरा दिया जाएगा।
کلوخهای وادی برایش شیرین میشود وجمیع آدمیان در عقب او خواهند رفت، چنانکه قبل از او بیشماره رفتهاند. | ۳۳ 33 |
वादी के ढेले उसे पसंद हैं; और सब लोग उसके पीछे चले जाएँगे, जैसे उससे पहले बेशुमार लोग गए।
پس چگونه مراتسلی باطل میدهید که در جوابهای شما محض خیانت میماند!» | ۳۴ 34 |
इसलिए तुम क्यूँ मुझे झूठी तसल्ली देते हो, जिस हाल कि तुम्हारी बातों में झूँठ ही झूँठ है।