< اشعیا 40 >
تسلی دهید! قوم مرا تسلی دهید! خدای شما میگوید: | ۱ 1 |
१तुम्हारा परमेश्वर यह कहता है, मेरी प्रजा को शान्ति दो, शान्ति दो!
سخنان دلاویزبه اورشلیم گویید و اورا ندا کنید که اجتهاد اوتمام شده و گناه وی آمرزیده گردیده، و از دست خداوند برای تمامی گناهانش دو چندان یافته است. | ۲ 2 |
२यरूशलेम से शान्ति की बातें कहो; और उससे पुकारकर कहो कि तेरी कठिन सेवा पूरी हुई है, तेरे अधर्म का दण्ड अंगीकार किया गया है: यहोवा के हाथ से तू अपने सब पापों का दूना दण्ड पा चुका है।
صدای ندا کنندهای در بیابان، راه خداوندرا مهیا سازید و طریقی برای خدای ما در صحراراست نمایید. | ۳ 3 |
३किसी की पुकार सुनाई देती है, “जंगल में यहोवा का मार्ग सुधारो, हमारे परमेश्वर के लिये अराबा में एक राजमार्ग चौरस करो।
هر درهای برافراشته و هر کوه وتلی پست خواهد شد. و کجیها راست وناهمواریها هموار خواهد گردید. | ۴ 4 |
४हर एक तराई भर दी जाए और हर एक पहाड़ और पहाड़ी गिरा दी जाए; जो टेढ़ा है वह सीधा और जो ऊँचा नीचा है वह चौरस किया जाए।
و جلال خداوند مکشوف گشته، تمامی بشر آن را با هم خواهند دید زیرا که دهان خداوند این را گفته است. | ۵ 5 |
५तब यहोवा का तेज प्रगट होगा और सब प्राणी उसको एक संग देखेंगे; क्योंकि यहोवा ने आप ही ऐसा कहा है।”
هاتفی میگوید: «ندا کن.» وی گفت: «چه چیز را ندا کنم؟ تمامی بشر گیاه است و همگی زیباییاش مثل گل صحرا. | ۶ 6 |
६बोलनेवाले का वचन सुनाई दिया, “प्रचार कर!” मैंने कहा, “मैं क्या प्रचार करूँ?” सब प्राणी घास हैं, उनकी शोभा मैदान के फूल के समान है।
گیاه خشک و گلش پژمرده میشود زیرا نفخه خداوند بر آن دمیده میشود. البته مردمان گیاه هستند. | ۷ 7 |
७जब यहोवा की साँस उस पर चलती है, तब घास सूख जाती है, और फूल मुर्झा जाता है; निःसन्देह प्रजा घास है।
گیاه خشک شد و گل پژمرده گردید، لیکن کلام خدای ما تاابدالاباد استوار خواهد ماند.» | ۸ 8 |
८घास तो सूख जाती, और फूल मुर्झा जाता है; परन्तु हमारे परमेश्वर का वचन सदैव अटल रहेगा।
ای صهیون که بشارت میدهی به کوه بلند برآی! وای اورشلیم که بشارت میدهی آوازت را با قوت بلند کن! آن را بلند کن و مترس و به شهرهای یهودا بگو که «هان خدای شما است!» | ۹ 9 |
९हे सिय्योन को शुभ समाचार सुनानेवाली, ऊँचे पहाड़ पर चढ़ जा; हे यरूशलेम को शुभ समाचार सुनानेवाली, बहुत ऊँचे शब्द से सुना, ऊँचे शब्द से सुना, मत डर; यहूदा के नगरों से कह, “अपने परमेश्वर को देखो!”
اینک خداوند یهوه باقوت میآید و بازوی وی برایش حکمرانی مینماید. اینک اجرت او با وی است و عقوبت وی پیش روی او میآید. | ۱۰ 10 |
१०देखो, प्रभु यहोवा सामर्थ्य दिखाता हुआ आ रहा है, वह अपने भुजबल से प्रभुता करेगा; देखो, जो मजदूरी देने की है वह उसके पास है और जो बदला देने का है वह उसके हाथ में है।
او مثل شبان گله خود را خواهد چرانید و به بازوی خود برهها راجمع کرده، به آغوش خویش خواهد گرفت وشیر دهندگان را به ملایمت رهبری خواهد کرد. | ۱۱ 11 |
११वह चरवाहे के समान अपने झुण्ड को चराएगा, वह भेड़ों के बच्चों को अँकवार में लिए रहेगा और दूध पिलानेवालियों को धीरे धीरे ले चलेगा।
کیست که آبها را به کف دست خود پیموده وافلاک را با وجب اندازه کرده و غبار زمین را درکیل گنجانیده و کوهها را به قپان و تلها را به ترازووزن نموده است؟ | ۱۲ 12 |
१२किसने महासागर को चुल्लू से मापा और किसके बित्ते से आकाश का नाप हुआ, किसने पृथ्वी की मिट्टी को नपुए में भरा और पहाड़ों को तराजू में और पहाड़ियों को काँटे में तौला है?
کیست که روح خداوند را قانون داده یا مشیراو بوده او را تعلیم داده باشد. | ۱۳ 13 |
१३किसने यहोवा की आत्मा को मार्ग बताया या उसका सलाहकार होकर उसको ज्ञान सिखाया है?
او از که مشورت خواست تا به او فهم بخشد و طریق راستی را به اوبیاموزد؟ و کیست که او را معرفت آموخت و راه فطانت را به او تعلیم داد؟ | ۱۴ 14 |
१४उसने किस से सम्मति ली और किसने उसे समझाकर न्याय का पथ बता दिया और ज्ञान सिखाकर बुद्धि का मार्ग जता दिया है?
اینک امتها مثل قطره دلو و مانند غبار میزان شمرده میشوند. اینک جزیرهها را مثل گرد برمی دارد. | ۱۵ 15 |
१५देखो, जातियाँ तो डोल की एक बूँद या पलड़ों पर की धूल के तुल्य ठहरीं; देखो, वह द्वीपों को धूल के किनकों सरीखे उठाता है।
و لبنان به جهت هیزم کافی نیست و حیواناتش برای قربانی سوختنی کفایت نمی کند. | ۱۶ 16 |
१६लबानोन भी ईंधन के लिये थोड़ा होगा और उसमें के जीव-जन्तु होमबलि के लिये बस न होंगे।
تمامی امتها بنظروی هیچند و از عدم و بطالت نزد وی کمترمی نمایند. | ۱۷ 17 |
१७सारी जातियाँ उसके सामने कुछ नहीं हैं, वे उसकी दृष्टि में लेश और शून्य से भी घट ठहरीं हैं।
پس خدا را به که تشبیه میکنید و کدام شبه را با او برابر میتوانید کرد؟ | ۱۸ 18 |
१८तुम परमेश्वर को किसके समान बताओगे और उसकी उपमा किस से दोगे?
صنعتگربت را میریزد و زرگر آن را به طلا میپوشاند، وزنجیرهای نقره برایش میریزد. | ۱۹ 19 |
१९मूरत! कारीगर ढालता है, सुनार उसको सोने से मढ़ता और उसके लिये चाँदी की साँकलें ढालकर बनाता है।
کسیکه استطاعت چنین هدایا نداشته باشد درختی را که نمی پوسد اختیار میکند و صنعتگر ماهری رامی طلبد تا بتی را که متحرک نشود برای او بسازد. | ۲۰ 20 |
२०जो कंगाल इतना अर्पण नहीं कर सकता, वह ऐसा वृक्ष चुन लेता है जो न घुने; तब एक निपुण कारीगर ढूँढ़कर मूरत खुदवाता और उसे ऐसा स्थिर कराता है कि वह हिल न सके।
آیا ندانسته ونشنیدهاید و از ابتدا به شماخبر داده نشده است و از بنیاد زمین نفهمیدهاید؟ | ۲۱ 21 |
२१क्या तुम नहीं जानते? क्या तुम ने नहीं सुना? क्या तुम को आरम्भ ही से नहीं बताया गया? क्या तुम ने पृथ्वी की नींव पड़ने के समय ही से विचार नहीं किया?
او است که بر کره زمین نشسته است وساکنانش مثل ملخ میباشند. اوست که آسمانهارا مثل پرده میگستراند و آنها را مثل خیمه به جهت سکونت پهن میکند. | ۲۲ 22 |
२२यह वह है जो पृथ्वी के घेरे के ऊपर आकाशमण्डल पर विराजमान है; और पृथ्वी के रहनेवाले टिड्डी के तुल्य है; जो आकाश को मलमल के समान फैलाता और ऐसा तान देता है जैसा रहने के लिये तम्बू ताना जाता है;
که امیران را لاشی میگرداند و داوران جهان را مانند بطالت میسازد. | ۲۳ 23 |
२३जो बड़े-बड़े हाकिमों को तुच्छ कर देता है, और पृथ्वी के अधिकारियों को शून्य के समान कर देता है।
هنوز غرس نشده و کاشته نگردیدهاند و تنه آنها هنوز در زمین ریشه نزده است، که فقط بر آنها میدمد و پژمرده میشوند وگرد باد آنها را مثل کاه میرباید. | ۲۴ 24 |
२४वे रोपे ही जाते, वे बोए ही जाते, उनके ठूँठ भूमि में जड़ ही पकड़ पाते कि वह उन पर पवन बहाता और वे सूख जाते, और आँधी उन्हें भूसे के समान उड़ा ले जाती है।
پس مرا به که تشبیه میکنید تا با وی مساوی باشم؟ قدوس میگوید: | ۲۵ 25 |
२५इसलिए तुम मुझे किसके समान बताओगे कि मैं उसके तुल्य ठहरूँ? उस पवित्र का यही वचन है।
چشمان خودرا به علیین برافراشته ببینید. کیست که اینها راآفرید و کیست که لشکر اینها را بشماره بیرون آورده، جمیع آنها را بنام میخواند؟ از کثرت قوت و از عظمت توانایی وی یکی از آنها گم نخواهد شد. | ۲۶ 26 |
२६अपनी आँखें ऊपर उठाकर देखो, किसने इनको सिरजा? वह इन गणों को गिन-गिनकर निकालता, उन सब को नाम ले लेकर बुलाता है? वह ऐसा सामर्थी और अत्यन्त बलवन्त है कि उनमें से कोई बिना आए नहीं रहता।
ای یعقوب چرا فکر میکنی وای اسرائیل چرا میگویی: «راه من از خداوند مخفی است و خدای من انصاف مرا از دست داده است.» | ۲۷ 27 |
२७हे याकूब, तू क्यों कहता है, हे इस्राएल तू क्यों बोलता है, “मेरा मार्ग यहोवा से छिपा हुआ है, मेरा परमेश्वर मेरे न्याय की कुछ चिन्ता नहीं करता?”
آیا ندانسته و نشنیدهای که خدای سرمدی یهوه آفریننده اقصای زمین درمانده و خسته نمی شود و فهم او را تفحص نتوان کرد؟ | ۲۸ 28 |
२८क्या तुम नहीं जानते? क्या तुम ने नहीं सुना? यहोवा जो सनातन परमेश्वर और पृथ्वी भर का सृजनहार है, वह न थकता, न श्रमित होता है, उसकी बुद्धि अगम है।
ضعیفان را قوت میبخشد و ناتوانان را قدرت زیاده عطا مینماید. | ۲۹ 29 |
२९वह थके हुए को बल देता है और शक्तिहीन को बहुत सामर्थ्य देता है।
حتی جوانان هم درمانده و خسته میگردند و شجاعان بکلی میافتند. | ۳۰ 30 |
३०तरूण तो थकते और श्रमित हो जाते हैं, और जवान ठोकर खाकर गिरते हैं;
اما آنانی که منتظر خداوند میباشند قوت تازه خواهند یافت و مثل عقاب پرواز خواهند کرد. خواهند دوید و خسته نخواهند شد. خواهندخرامید و درمانده نخواهند گردید. | ۳۱ 31 |
३१परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएँगे, वे उकाबों के समान उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे।