< حَجّای 1 >
در روز اول ماه ششم از سال دوم داریوش پادشاه، کلام خداوند به واسطه حجی نبی وبه زربابل بن شالتیئیل والی یهودا و به یهوشع بن یهوصادق رئیس کهنه رسیده، گفت: | ۱ 1 |
दारा बादशाह की सल्तनत के दूसरे साल के छठे महीने की पहली तारीख़ को, यहूदाह के नाज़िम ज़रुब्बाबुल — बिन — सियालतिएल और सरदार काहिन यशू'अ — बिन — यहूसदक़ को, हज्जी नबी के ज़रिए' ख़ुदावन्द का कलाम पहुँचा,
یهوه صبایوت تکلم نموده، چنین میفرماید: این قوم میگویند وقت آمدن ما یعنی وقت بنا نمودن خانه خداوند نرسیده است. | ۲ 2 |
कि “'रब्ब — उल — अफ़वाज यूँ फ़रमाता है कि यह लोग कहते हैं, अभी ख़ुदावन्द के घर की ता'मीर का वक़्त नहीं आया।”
پس کلام خداوند به واسطه حجی نبی نازل شده، گفت: | ۳ 3 |
तब ख़ुदावन्द का कलाम हज्जी नबी के ज़रिए' पहुँचा,
آیا وقت شماست که شما در خانه های مسقف خود ساکن شوید و این خانه خراب بماند؟ | ۴ 4 |
“क्या तुम्हारे लिए महफ़ूज़ घरों में रहने का वक़्त है, जब कि यह घर वीरान पड़ा है?
پس حال یهوه صبایوت چنین میگوید دل خود را به راههای خویش مشغول سازید. | ۵ 5 |
और अब रब्ब — उल — अफ़वाज यूँ फ़रमाता है: तुम अपने चाल चलन पर ग़ौर करो।
بسیار کاشتهاید و اندک حاصل میکنید. میخورید اما سیر نمی شوید ومی نوشید لیکن سیراب نمی گردید. (رخت )می پوشید اما گرم نمی شوید و آنکه مزد میگیرد، مزد خویش را در کیسه سوراخ دار میگذارد. | ۶ 6 |
तुम ने बहुत सा बोया, पर थोड़ा काटा। तुम खाते हो, पर आसूदा नहीं होते; तुम पीते हो, लेकिन प्यास नहीं बुझती। तुम कपड़े पहनते हो, पर गर्म नहीं होते; और मज़दूर अपनी मज़दूरी सूराख़दार थैली में जमा' करता है।
پس یهوه صبایوت چنین میگوید: دل خود را به راههای خود مشغول سازید. | ۷ 7 |
“रब्ब — उल — अफ़वाज यूँ फ़रमाता है: कि अपने चाल चलन पर ग़ौर करो।
به کوه برآمده وچوب آورده، خانه را بنا نمایید و خداوندمی گوید: از آن راضی شده، جلال خواهم یافت. | ۸ 8 |
पहाड़ों से लकड़ी लाकर यह घर ता'मीर करो, और मैं उसको देखकर ख़ुश हूँगा और मेरी तम्जीद होगी रब्ब — उल — अफ़वाज यूँ फ़रमाता है।
منتظر بسیار بودید و اینک کم شد و چون آن رابه خانه آوردید من بر آن دمیدم. یهوه صبایوت میپرسد که سبب این چیست؟ سبب این است که خانه من خراب میماند و هرکدام از شما به خانه خویش میشتابید. | ۹ 9 |
तुम ने बहुत की उम्मीद रख्खी, और देखो, थोड़ा मिला; और जब तुम उसे अपने घर में लाए, तो मैंने उसे उड़ा दिया। रब्ब — उल — अफ़वाज फ़रमाता है; क्यूँ? इसलिए कि मेरा घर वीरान है, और तुम में से हर एक अपने घर को दौड़ा चला जाता है।
از این سبب، آسمانها بخاطر شما از شبنم باز داشته میشود و زمین ازمحصولش بازداشته میگردد. | ۱۰ 10 |
इसलिए न आसमान से शबनम गिरती है, और न ज़मीन अपनी पैदावार देती है।
و من بر زمین وبر کوهها و بر غله و عصیر انگور و روغن زیتون وبر هرآنچه زمین میرویاند و بر انسان و بهایم وتمامی مشقت های دستها خشکسالی را خواندم.» | ۱۱ 11 |
और मैंने ख़ुश्क साली को तलब किया कि मुल्क और पहाड़ों पर, और अनाज और नई मय और तेल और ज़मीन की सब पैदावार पर, और इंसान — ओ — हैवान पर, और हाथ की सारी मेहनत पर आए।”
آنگاه زربابل بن شالتیئیل و یهوشع بن یهوصادق رئیس کهنه و تمامی بقیه قوم به قول یهوه خدای خود و به کلام حجی نبی چنانکه یهوه خدای ایشان او را فرستاده بود گوش دادند، و قوم از خداوند ترسیدند. | ۱۲ 12 |
तब ज़रुब्बाबुल — बिन — सियालतिएल और सरदार काहिन यशू'अ — बिन — यहूसदक़ और लोगों के बक़िया ख़ुदावन्द ख़ुदा अपने कलाम और उसके भेजे हुए हज्जी नबी की बातों को सुनने लगे: और लोग ख़ुदावन्द के सामने ख़ौफ़ ज़दा हुए।
و حجی، رسول خداوند، پیغام خداوند را برای قوم بیان کرده، گفت: خداوند میگوید که من با شما هستم. | ۱۳ 13 |
तब ख़ुदावन्द के पैग़म्बर हज्जी ने ख़ुदावन्द का पैग़ाम उन लोगों को सुनाया, ख़ुदावन्द फ़रमाता है: मैं तुम्हारे साथ हूँ
وخداوند روح زربابل بن شالتیئیل والی یهودا وروح یهوشع بن یهوصادق، رئیس کهنه، و روح تمامی بقیه قوم را برانگیزانید تا بروند و در خانه یهوه صبایوت خدای خود بهکار پردازند. | ۱۴ 14 |
फिर ख़ुदावन्द ने यहूदाह के नाज़िम ज़रुब्बाबुल — बिन — सियालतिएल के, सरदार काहिन यशूअ' — बिन — यहूसदक़ की और लोगों के बक़िया की रूह की हिदायत दी। इसलिए वह आकर रब्ब — उल — अफ़वाज, अपने ख़ुदा के घर की ता'मीर में मशगू़ल हुए;
درروز بیست و چهارم ماه ششم از سال دوم داریوش پادشاه، این واقع شد. | ۱۵ 15 |
और यह वाक़े'आ दारा बादशाह की सल्तनत के दूसरे साल के छटे महीने की चौबीसवीं तारीख़ का है।