< حزقیال 40 >
در سال بیست و پنجم اسیری ما درابتدای سال، در دهم ماه که سال چهاردهم بعد از تسخیر شهر بوده، در همان روزدست خداوند بر من نازل شده، مرا به آنجا برد. | ۱ 1 |
१हमारी बँधुआई के पच्चीसवें वर्ष अर्थात् यरूशलेम नगर के ले लिए जाने के बाद चौदहवें वर्ष के पहले महीने के दसवें दिन को, यहोवा की शक्ति मुझ पर हुई, और उसने मुझे वहाँ पहुँचाया।
در رویاهای خدا مرا به زمین اسرائیل آورد. ومرا بر کوه بسیار بلند قرار داد که بطرف جنوب آن مثل بنای شهر بود. | ۲ 2 |
२अपने दर्शनों में परमेश्वर ने मुझे इस्राएल के देश में पहुँचाया और वहाँ एक बहुत ऊँचे पहाड़ पर खड़ा किया, जिस पर दक्षिण ओर मानो किसी नगर का आकार था।
و چون مرا به آنجا آورد، اینک مردی که نمایش او مثل نمایش برنج بود ودر دستش ریسمانی از کتان و نی برای پیمودن بود و نزد دروازه ایستاده بود. | ۳ 3 |
३जब वह मुझे वहाँ ले गया, तो मैंने क्या देखा कि पीतल का रूप धरे हुए और हाथ में सन का फीता और मापने का बाँस लिए हुए एक पुरुष फाटक में खड़ा है।
آن مرد مرا گفت: «ای پسر انسان به چشمان خود ببین و به گوشهای خویش بشنو و دل خود را به هرچه به تو نشان دهم، مشغول ساز زیرا که تو را در اینجا آوردم تااین چیزها را به تو نشان دهم. پس خاندان اسرائیل را از هرچه میبینی آگاه ساز.» | ۴ 4 |
४उस पुरुष ने मुझसे कहा, “हे मनुष्य के सन्तान, अपनी आँखों से देख, और अपने कानों से सुन; और जो कुछ मैं तुझे दिखाऊँगा उस सब पर ध्यान दे, क्योंकि तू इसलिए यहाँ पहुँचाया गया है कि मैं तुझे ये बातें दिखाऊँ; और जो कुछ तू देखे वह इस्राएल के घराने को बताए।”
و اینک حصاری بیرون خانه گرداگردش بود. و بهدست آن مرد نی پیمایش شش ذراعی بود که هر ذراعش یک ذراع و یک قبضه بود. پس عرض بنا را یک نی و بلندیش را یک نی پیمود. | ۵ 5 |
५और देखो, भवन के बाहर चारों ओर एक दीवार थी, और उस पुरुष के हाथ में मापने का बाँस था, जिसकी लम्बाई ऐसे छः हाथ की थी जो साधारण हाथों से चार अंगुल भर अधिक है; अतः उसने दीवार की मोटाई मापकर बाँस भर की पाई, फिर उसकी ऊँचाई भी मापकर बाँस भर की पाई।
پس نزددروازهای که بسوی مشرق متوجه بود آمده، به پله هایش برآمد. و آستانه دروازه را پیمود که عرضش یک نی بود و عرض آستانه دیگر را که یک نی بود. | ۶ 6 |
६तब वह उस फाटक के पास आया जिसका मुँह पूर्व की ओर था, और उसकी सीढ़ी पर चढ़कर फाटक की दोनों डेवढ़ियों की चौड़ाई मापकर एक-एक बाँस भर की पाई।
و طول هر غرفه یک نی بود وعرضش یک نی. و میان غرفهها مسافت پنج ذراع. و آستانه دروازه نزد رواق دروازه از طرف اندرون یک نی بود. | ۷ 7 |
७पहरेवाली कोठरियाँ बाँस भर लम्बी और बाँस भर चौड़ी थीं; और दो-दो कोठरियों का अन्तर पाँच हाथ का था; और फाटक की डेवढ़ी जो फाटक के ओसारे के पास भवन की ओर थी, वह भी बाँस भर की थी।
و رواق دروازه را از طرف اندرون یک نی پیمود. | ۸ 8 |
८तब उसने फाटक का वह ओसारा जो भवन के सामने था, मापकर बाँस भर का पाया।
پس رواق دروازه را هشت ذراع واسبرهایش را دو ذراع پیمود. و رواق دروازه بطرف اندرون بود. | ۹ 9 |
९उसने फाटक का ओसारा मापकर आठ हाथ का पाया, और उसके खम्भे दो-दो हाथ के पाए, और फाटक का ओसारा भवन के सामने था।
و حجره های دروازه بطرف شرقی، سه از اینطرف و سه از آنطرف بود. و هرسه را یک پیمایش و اسبرها را از اینطرف وآنطرف یک پیمایش بود. | ۱۰ 10 |
१०पूर्वी फाटक के दोनों ओर तीन-तीन पहरेवाली कोठरियाँ थीं जो सब एक ही माप की थीं, और दोनों ओर के खम्भे भी एक ही माप के थे।
و عرض دهنه دروازه را ده ذراع و طول دروازه را سیزده ذراع پیمود. | ۱۱ 11 |
११फिर उसने फाटक के द्वार की चौड़ाई मापकर दस हाथ की पाई; और फाटक की लम्बाई मापकर तेरह हाथ की पाई।
و محجری پیش روی حجرهها ازاینطرف یک ذراع و محجری از آنطرف یک ذراع و حجرهها از این طرف شش ذراع و از آنطرف شش ذراع بود. | ۱۲ 12 |
१२दोनों ओर की पहरेवाली कोठरियों के आगे हाथ भर का स्थान था और दोनों ओर कोठरियाँ छः छः हाथ की थीं।
و عرض دروازه را از سقف یک حجره تا سقف دیگری بیست و پنج ذراع پیمود. و دروازه در مقابل دروازه بود. | ۱۳ 13 |
१३फिर उसने फाटक को एक ओर की पहरेवाली कोठरी की छत से लेकर दूसरी ओर की पहरेवाली कोठरी की छत तक मापकर पच्चीस हाथ की दूरी पाई, और द्वार आमने-सामने थे।
و اسبرهاراشصت ذراع ساخت و رواق گرداگرد دروازه به اسبرها رسید. | ۱۴ 14 |
१४फिर उसने साठ हाथ के खम्भे मापे, और आँगन, फाटक के आस-पास, खम्भों तक था।
و پیش دروازه مدخل تا پیش رواق دروازه اندرونی پنجاه ذراع بود. | ۱۵ 15 |
१५फाटक के बाहरी द्वार के आगे से लेकर उसके भीतरी ओसारे के आगे तक पचास हाथ का अन्तर था।
وحجرهها و اسبرهای آنها را به اندرون دروازه پنجره های مشبک بهر طرف بود و همچنین رواقها را. و پنجرهها بطرف اندرون گرداگرد بود وبر اسبرها نخلها بود. | ۱۶ 16 |
१६पहरेवाली कोठरियों में, और फाटक के भीतर चारों ओर कोठरियों के बीच के खम्भे के बीच-बीच में झिलमिलीदार खिड़कियाँ थी, और खम्भों के ओसारे में भी वैसी ही थी; और फाटक के भीतर के चारों ओर खिड़कियाँ थीं; और हर एक खम्भे पर खजूर के पेड़ खुदे हुए थे।
پس مرا به صحن بیرونی آورد و اینک اطاقها و سنگ فرشی که برای صحن از هر طرفش ساخته شده بود. و سی اطاق بر آن سنگ فرش بود. | ۱۷ 17 |
१७तब वह मुझे बाहरी आँगन में ले गया; और उस आँगन के चारों ओर कोठरियाँ थीं; और एक फर्श बना हुआ था; जिस पर तीस कोठरियाँ बनी थीं।
و سنگ فرش یعنی سنگ فرش پائینی بهجانب دروازهها یعنی به اندازه طول دروازهها بود. | ۱۸ 18 |
१८यह फर्श अर्थात् निचला फर्श फाटकों से लगा हुआ था और उनकी लम्बाई के अनुसार था।
و عرضش را از برابر دروازه پایینی تا پیش صحن اندرونی از طرف بیرون صد ذراع به سمت مشرق و سمت شمال پیمود. | ۱۹ 19 |
१९फिर उसने निचले फाटक के आगे से लेकर भीतरी आँगन के बाहर के आगे तक मापकर सौ हाथ पाए; वह पूर्व और उत्तर दोनों ओर ऐसा ही था।
و طول و عرض دروازهای را که رویش بطرف شمال صحن بیرونی بود پیمود. | ۲۰ 20 |
२०तब बाहरी आँगन के उत्तरमुखी फाटक की लम्बाई और चौड़ाई उसने मापी।
و حجره هایش سه ازاینطرف و سه از آنطرف و اسبرهایش ورواقهایش موافق پیمایش دروازه اول بود. طولش پنجاه ذراع و عرضش بیست و پنج ذراع. | ۲۱ 21 |
२१उसके दोनों ओर तीन-तीन पहरेवाली कोठरियाँ थीं, और इसके भी खम्भों के ओसारे की माप पहले फाटक के अनुसार थी; इसकी लम्बाई पचास और चौड़ाई पच्चीस हाथ की थी।
و پنجره هایش و رواقهایش و نخلهایش موافق پیمایش دروازهای که رویش به سمت مشرق است بود. و به هفت پله به آن برمی آمدند ورواقهایش پیش روی آنها بود. | ۲۲ 22 |
२२इसकी भी खिड़कियों और खम्भों के ओसारे और खजूरों की माप पूर्वमुखी फाटक की सी थी; और इस पर चढ़ने को सात सीढ़ियाँ थीं; और उनके सामने इसका ओसारा था।
و صحن اندرونی را دروازهای در مقابل دروازه دیگربطرف شمال و بطرف مشرق بود. و از دروازه تادروازه صد ذراع پیمود. | ۲۳ 23 |
२३भीतरी आँगन की उत्तर और पूर्व की ओर दूसरे फाटकों के सामने फाटक थे और उसने फाटकों की दूरी मापकर सौ हाथ की पाई।
پس مرا بطرف جنوب برد. و اینک دروازهای به سمت جنوب و اسبرهایش ورواقهایش را مثل این پیمایشها پیمود. | ۲۴ 24 |
२४फिर वह मुझे दक्षिण की ओर ले गया, और दक्षिण ओर एक फाटक था; और उसने इसके खम्भे और खम्भों का ओसारा मापकर इनकी वैसी ही माप पाई।
و برای آن و برای رواقهایش پنجرهها مثل آن پنجره هاگرداگردش بود. و طولش پنجاه ذراع و عرضش بیست و پنج ذراع بود. | ۲۵ 25 |
२५उन खिड़कियों के समान इसके और इसके खम्भों के ओसारों के चारों ओर भी खिड़कियाँ थीं; इसकी भी लम्बाई पचास और चौड़ाई पच्चीस हाथ की थी।
وزینه های آن هفت پله داشت. و رواقش پیش آنها بود. و آن را نخلهایکی از اینطرف و دیگری از آنطرف براسبرهایش بود. | ۲۶ 26 |
२६इसमें भी चढ़ने के लिये सात सीढ़ियाँ थीं और उनके सामने खम्भों का ओसारा था; और उसके दोनों ओर के खम्भों पर खजूर के पेड़ खुदे हुए थे।
و صحن اندرونی بطرف جنوب دروازهای داشت و از دروازه تا دروازه به سمت جنوب صد ذراع پیمود. | ۲۷ 27 |
२७दक्षिण की ओर भी भीतरी आँगन का एक फाटक था, और उसने दक्षिण ओर के दोनों फाटकों की दूरी मापकर सौ हाथ की पाई।
و مرا از دروازه جنوبی به صحن اندرونی آورد. و دروازه جنوبی را مثل این پیمایشها پیمود. | ۲۸ 28 |
२८तब वह दक्षिणी फाटक से होकर मुझे भीतरी आँगन में ले गया, और उसने दक्षिणी फाटक को मापकर वैसा ही पाया।
و حجره هایش واسبرهایش و رواقهایش موافق این پیمایشها بود. و در آن و در رواقهایش پنجرهها گرداگردش بودو طولش پنجاه ذراع و عرضش بیست و پنج ذراع بود. | ۲۹ 29 |
२९अर्थात् इसकी भी पहरेवाली कोठरियाँ, और खम्भे, और खम्भों का ओसारा, सब वैसे ही थे; और इसके और इसके खम्भों के ओसारे के भी चारों ओर भी खिड़कियाँ थीं; और इसकी लम्बाई पचास और चौड़ाई पच्चीस हाथ की थी।
و طول رواقی که گرداگردش بود بیست وپنج ذراع و عرضش پنج ذراع بود. | ۳۰ 30 |
३०इसके चारों ओर के खम्भों का ओसारा भी पच्चीस हाथ लम्बा, और पचास हाथ चौड़ा था।
و رواقش به صحن بیرونی میرسید. و نخلها بر اسبرهایش بودو زینهاش هشت پله داشت. | ۳۱ 31 |
३१इसका खम्भों का ओसारा बाहरी आँगन की ओर था, और इसके खम्भों पर भी खजूर के पेड़ खुदे हुए थे, और इस पर चढ़ने को आठ सीढ़ियाँ थीं।
پس مرا به صحن اندرونی به سمت مشرق آورد. و دروازه را مثل این پیمایشها پیمود. | ۳۲ 32 |
३२फिर वह पुरुष मुझे पूर्व की ओर भीतरी आँगन में ले गया, और उस ओर के फाटक को मापकर वैसा ही पाया।
وحجره هایش و اسبرهایش و رواقهایش موافق این پیمایشها بود. و درآن و در رواقهایش پنجرهها برهر طرفش بود و طولش پنجاه ذراع و عرضش بیست و پنج ذراع بود. | ۳۳ 33 |
३३इसकी भी पहरेवाली कोठरियाँ और खम्भे और खम्भों का ओसारा, सब वैसे ही थे; और इसके और इसके खम्भों के ओसारे के चारों ओर भी खिड़कियाँ थीं; इसकी लम्बाई पचास और चौड़ाई पच्चीस हाथ की थी।
و رواقهایش بسوی صحن بیرونی و نخلها بر اسبرهایش از این طرف وآنطرف بود و زینهاش هفت پله داشت. | ۳۴ 34 |
३४इसका ओसारा भी बाहरी आँगन की ओर था, और उसके दोनों ओर के खम्भों पर खजूर के पेड़ खुदे हुए थे; और इस पर भी चढ़ने को आठ सीढ़ियाँ थीं।
و مرا به دروازه شمالی آورد و آن را مثل این پیمایشهاپیمود. | ۳۵ 35 |
३५फिर उस पुरुष ने मुझे उत्तरी फाटक के पास ले जाकर उसे मापा, और उसकी भी माप वैसी ही पाई।
و حجره هایش و اسبرهایش ورواقهایش را نیز. و پنجرهها گرداگردش بود وطولش پنجاه ذراع و عرضش بیست و پنج ذراع بود. | ۳۶ 36 |
३६उसके भी पहरेवाली कोठरियाँ और खम्भे और उनका ओसारा था; और उसके भी चारों ओर खिड़कियाँ थीं; उसकी लम्बाई पचास और चौड़ाई पच्चीस हाथ की थी।
و اسبرهایش بسوی صحن بیرونی بود. ونخلها بر اسبرهایش از اینطرف و از آنطرف بود وزینهاش هشت پله داشت. | ۳۷ 37 |
३७उसके खम्भे बाहरी आँगन की ओर थे, और उन पर भी दोनों ओर खजूर के पेड़ खुदे हुए थे; और उसमें चढ़ने को आठ सीढ़ियाँ थीं।
و نزد اسبرهای دروازهها اطاقی بادروازهاش بود که در آن قربانی های سوختنی رامی شستند. | ۳۸ 38 |
३८फिर फाटकों के पास के खम्भों के निकट द्वार समेत कोठरी थी, जहाँ होमबलि धोया जाता था।
و در رواق دروازه دو میز ازاینطرف و دو میز از آن طرف بود تا بر آنهاقربانی های سوختنی و قربانی های گناه وقربانی های جرم را ذبح نمایند. | ۳۹ 39 |
३९होमबलि, पापबलि, और दोषबलि के पशुओं के वध करने के लिये फाटक के ओसारे के पास उसके दोनों ओर दो-दो मेजें थीं।
و به یک جانب از طرف بیرون نزد زینه دهنه دروازه شمالی دومیز بود. و بهجانب دیگر که نزد رواق دروازه بوددو میز بود. | ۴۰ 40 |
४०फाटक की एक बाहरी ओर पर अर्थात् उत्तरी फाटक के द्वार की चढ़ाई पर दो मेजें थीं; और उसकी दूसरी बाहरी ओर पर भी, जो फाटक के ओसारे के पास थी, दो मेजें थीं।
چهار میز از اینطرف و چهار میز ازآنطرف به پهلوی دروازه بود یعنی هشت میز که بر آنها ذبح میکردند. | ۴۱ 41 |
४१फाटक के दोनों ओर चार-चार मेजें थीं, सब मिलकर आठ मेजें थीं, जो बलिपशु वध करने के लिये थीं।
و چهار میز برای قربانی های سوختنی از سنگ تراشیده بود که طول هر یک یک ذراع و نیم و عرضش یک ذراع ونیم و بلندیش یک ذراع بود و بر آنها آلاتی را که به آنها قربانی های سوختنی و ذبایح را ذبح مینمودند، مینهادند. | ۴۲ 42 |
४२फिर होमबलि के लिये तराशे हुए पत्थर की चार मेजें थीं, जो डेढ़ हाथ लम्बी, डेढ़ हाथ चौड़ी, और हाथ भर ऊँची थीं; उन पर होमबलि और मेलबलि के पशुओं को वध करने के हथियार रखे जाते थे।
و کناره های یک قبضه قد در اندرون از هر طرف نصب بود و گوشت قربانیها بر میزها بود. | ۴۳ 43 |
४३भीतर चारों ओर चार अंगुल भर की आंकड़ियाँ लगी थीं, और मेजों पर चढ़ावे का माँस रखा हुआ था।
و بیرون دروازه اندرونی، اطاقهای مغنیان در صحن اندرونی به پهلوی دروازه شمالی بود وروی آنها به سمت جنوب بود و یکی به پهلوی دروازه مشرقی که رویش بطرف شمال میبودبود. | ۴۴ 44 |
४४भीतरी आँगन के उत्तरी फाटक के बाहर गानेवालों की कोठरियाँ थीं जिनके द्वार दक्षिण ओर थे; और पूर्वी फाटक की ओर एक कोठरी थी, जिसका द्वार उत्तर ओर था।
و او مرا گفت: «این اطاقی که رویش به سمت جنوب است، برای کاهنانی که ودیعت خانه را نگاه میدارند میباشد. | ۴۵ 45 |
४५उसने मुझसे कहा, “यह कोठरी, जिसका द्वार दक्षिण की ओर है, उन याजकों के लिये है जो भवन की चौकसी करते हैं,
و اطاقی که رویش به سمت شمال است، برای کاهنانی که ودیعت مذبح را نگاه میدارند میباشد. اینانندپسران صادوق از بنی لاوی که نزدیک خداوندمی آیند تا او را خدمت نمایند.» | ۴۶ 46 |
४६और जिस कोठरी का द्वार उत्तर की ओर है, वह उन याजकों के लिये है जो वेदी की चौकसी करते हैं; ये सादोक की सन्तान हैं; और लेवियों में से यहोवा की सेवा टहल करने को केवल ये ही उसके समीप जाते हैं।”
و طول صحن را صد ذراع پیمود و عرضش را صد ذراع و آن مربع بود و مذبح در برابر خانه بود. | ۴۷ 47 |
४७फिर उसने आँगन को मापकर उसे चौकोर अर्थात् सौ हाथ लम्बा और सौ हाथ चौड़ा पाया; और भवन के सामने वेदी थी।
و مرا به رواق خانه آورد. و اسبرهای رواق را پنج ذراع از اینطرف و پنج ذراع از آنطرف پیمود. و عرض دروازه را سه ذراع از اینطرف وسه ذراع از آنطرف. | ۴۸ 48 |
४८फिर वह मुझे भवन के ओसारे में ले गया, और ओसारे के दोनों ओर के खम्भों को मापकर पाँच-पाँच हाथ का पाया; और दोनों ओर फाटक की चौड़ाई तीन-तीन हाथ की थी।
و طول رواق بیست ذراع وعرضش یازده ذراع. و نزد زینهاش که از آن برمی آمدند، دو ستون نزد اسبرها یکی از اینطرف و دیگری از آنطرف بود. | ۴۹ 49 |
४९ओसारे की लम्बाई बीस हाथ और चौड़ाई ग्यारह हाथ की थी; और उस पर चढ़ने को सीढ़ियाँ थीं; और दोनों ओर के खम्भों के पास लाटें थीं।