< حزقیال 17 >

و کلام خداوند بر من نازل شده، گفت: ۱ 1
और ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ।
«ای پسر انسان، معمایی بیاور و مثلی درباره خاندان اسرائیل بزن. ۲ 2
“कि ऐ आदमज़ाद, एक पहेली निकाल और अहल — ए — इस्राईल से एक मिसाल बयान कर,
و بگو خداوند یهوه چنین می‌فرماید: عقاب بزرگ که بالهای سترگ ونیهای دراز پر از پرهای رنگارنگ دارد به لبنان آمد و سر سرو آزاد را گرفت. ۳ 3
और कह, ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: एक बड़ा उक़ाब जो बड़े बाज़ू और लम्बे पर रखता था, अपने रंगा — रंग के बाल — ओ — पर में छिपा हुआ लुबनान में आया, और उसने देवदार की चोटी तोड़ ली।
و سر شاخه هایش را کنده، آن را به زمین تجارت آورده، در شهرسوداگران گذاشت. ۴ 4
वह सब से ऊँची डाली तोड़ कर सौदागरी के मुल्क में ले गया, और सौदागरों के शहर में उसे लगाया।
و از تخم آن زمین گرفته، آن را در زمین باروری نهاد و نزد آبهای بسیارگذاشته، آن را مثل درخت بید، غرس نمود. ۵ 5
और वह उस सर — ज़मीन में से बीज ले गया और उसे ज़रखेज़ ज़मीन में बोया; उसने उसे आब — ए — फ़िरावाँ के किनारे, बेद के दरख़्त की तरह लगाया।
وآن نمو کرده، مو وسیع کوتاه قد گردید که شاخه هایش بسوی او مایل شد و ریشه هایش درزیر وی می‌بود. پس موی شده شاخه‌ها رویانید ونهالها آورد. ۶ 6
और वह उगा और अंगूर का एक पस्त — क़द शाख़दार दरख़्त हो गया और उसकी शाख़ें उसकी तरफ़ झुकी थीं, और उसकी जड़ें उसके नीचे थीं, चुनाँचे वह अँगूर का एक दरख़्त हुआ; उसकी शाख़ें निकलीं और उसकी कोपलें बढ़ीं
و عقاب بزرگ دیگری با بالهای سترگ و پرهای بسیار آمد و اینک این موریشه های خود را بسوی او برگردانید وشاخه های خویش را از کرته های بستان خودبطرف او بیرون کرد تا او وی را سیراب نماید. ۷ 7
'और एक और बड़ा 'उक़ाब था, जिसके बाज़ू बड़े बड़े और पर — ओ — बाल बहुत थे, और इस ताक ने अपनी जड़ें उसकी तरफ़ झुकाई और अपनी क्यारियों से अपनी शाख़ें उसकी तरफ़ बढ़ईं ताकि वह उसे सींचे।
درزمین نیکو نزد آبهای بسیار کاشته شد تا شاخه هارویانیده، میوه بیاورد و مو قشنگ گردد. ۸ 8
यह आब — ए — फ़िरावाँ के किनारे ज़रखेज़ ज़मीन में लगाई गई थी, ताकि उसकी शाख़ें निकलें और इसमें फल लगें और यह नफ़ीस ताक हो।
بگو که خداوند یهوه چنین می‌فرماید: پس آیا کامیاب خواهد شد؟ آیا او ریشه هایش را نخواهد کند ومیوه‌اش را نخواهد چید تا خشک شود؟ تمامی برگهای تازه‌اش خشک خواهد شد و بدون قوت عظیم و خلق بسیاری از ریشه‌ها کنده خواهد شد. ۹ 9
तू कह, ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: कि क्या यह कामयाब होगी? क्या वह इसको उखाड़ न डालेगा और इसका फल न तोड़ डालेगा कि यह ख़ुश्क हो जाए, और इसके सब ताज़ा पत्ते मुरझा जाएँ? इसे जड़ से उखाड़ने के लिए बहुत ताक़त और बहुत से आदमियों की ज़रूरत न होगी।
اینک غرس شده است اما کامیاب نخواهدشد. بلکه چون باد شرقی بر آن بوزد بالکل خشک خواهد شد و در بوستانی که در آن رویید پژمرده خواهد گردید.» ۱۰ 10
देख, यह लगाई तो गई, पर क्या यह कामयाब होगी? क्या यह पूरबी हवा लगते ही बिल्कुल सूख न जाएगी? यह अपनी क्यारियों ही में पज़मुर्दा हो जाएगी।”
و کلام خداوند بر من نازل شده، گفت: ۱۱ 11
और ख़ुदावन्द का कलाम मुझ पर नाज़िल हुआ
«به این خاندان متمرد بگو که آیا معنی‌این چیزها را نمی دانید؟ بگو که اینک پادشاه بابل به اورشلیم آمده، پادشاه و سرورانش را گرفت وایشان را نزد خود به بابل برد. ۱۲ 12
इस बाग़ी ख़ान्दान से कह, क्या तुम इन बातों का मतलब नहीं जानते? इनसे कह, देखो, शाह — ए — बाबुल ने येरूशलेम पर चढ़ाई की और उसके बादशाह को और उसके 'हाकिमों को ग़ुलाम करके अपने साथ बाबुल को ले गया।
و از ذریه ملوک گرفته، با او عهد بست و او را قسم داد و زورآوران زمین را برد. ۱۳ 13
और उसने शाही नसल में से एक को लिया और उसके साथ 'अहद बाँधा और उससे क़सम ली और मुल्क के उहदे दारों को भी ले गया,
تا آنکه مملکت پست شده، سربلند نکند اما عهد او را نگاه داشته، استواربماند. ۱۴ 14
ताकि वह मम्लकत पस्त हो जाए और फिर सिर न उठा सके, बल्कि उसके 'अहद को क़ायम रखने से क़ायम रहे।
و لیکن او از وی عاصی شده، ایلچیان خود را به مصر فرستاد تا اسبان و خلق بسیاری به او بدهند. آیا کسی‌که اینکارها را کرده باشد، کامیاب شود یا رهایی یابد؟ و یا کسی‌که عهد راشکسته است خلاصی خواهد یافت؟» ۱۵ 15
लेकिन उसने बहुत से आदमी और घोड़े लेने के लिए मिस्र में क़ासिद भेज कर उससे शरकशी की क्या वह कामयाब होगा क्या ऐसे काम करने वाला बच सकता है क्या वह 'अहद शिकनी करके बच जाएगा।
خداوند یهوه می‌گوید: «به حیات خودم قسم که البته در مکان آن پادشاه که او را به پادشاهی نصب کرد و او قسم وی را خوارشمرده، عهد او را شکست یعنی نزد وی در میان بابل خواهد مرد. ۱۶ 16
ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है, मुझे अपनी हयात की क़सम, वह उसी जगह जहाँ उस बादशाह का घर है जिसने उसे बादशाह बनाया और जिसकी क़सम को उसने बेकार जाना और जिसका 'अहद उसने तोड़ा, या'नी बाबुल में उसी के पास मरेगा।
و چون سنگرها بر پا سازند وبرجها بنا نمایند تا جانهای بسیاری را منقطع سازند، آنگاه فرعون با لشکر عظیم و گروه کثیر اورا در جنگ اعانت نخواهد کرد. ۱۷ 17
और फ़िर'औन अपने बड़े लश्कर और बहुत से लोगों को लेकर लड़ाई में उसके साथ शरीक न होगा, जब दमदमा बाँधते हों और बुर्ज बनाते हों कि बहुत से लोगों को क़त्ल करें।
چونکه قسم راخوار شمرده، عهد را شکست و بعد از آنکه دست خود را داده بود همه اینکارها را بعمل آورد، پس رهایی نخواهی یافت.» ۱۸ 18
चूँकि उसने क़सम को बेकार जाना और उस 'अहद को तोड़ा, और हाथ पर हाथ मार कर भी यह सब कुछ किया, इसलिए वह बच न सकेगा।
بنابراین خداوند یهوه چنین می‌گوید: «به حیات خودم قسم که سوگند مرا که او خوار شمرده و عهد مراکه شکسته است البته آنها را بر سر او وارد خواهم آورد. ۱۹ 19
इसलिए ख़ुदावन्द ख़ुदा यूँ फ़रमाता है: कि मुझे अपनी हयात की क़सम वह मेरी ही क़सम है, जिसको उसने बेकार जाना और वह मेरा ही 'अहद है जो उसने तोड़ा; मैं ज़रूर यह उसके सिर पर लाऊँगा।
و دام خود را بر او خواهم گسترانید و اودر کمند من گرفتار خواهد شد و او را به بابل آورده، در آنجا بر وی درباره خیانتی که به من ورزیده است محاکمه خواهم نمود. ۲۰ 20
और मैं अपना जाल उस पर फैलाऊँगा और वह मेरे फन्दे में पकड़ा जाएगा, और मैं उसे बाबुल को ले आऊँगा, और जो मेरा गुनाह उसने किया है उसके बारे मैं वहाँ उससे हुज्जत करूँगा।
و تمامی فراریانش با جمیع افواجش از شمشیر خواهندافتاد و بقیه ایشان بسوی هر باد پراکنده خواهندشد و خواهید دانست که من که یهوه می‌باشم این را گفته‌ام.» ۲۱ 21
और उसके लश्कर के सब फ़रारी तलवार से क़त्ल होंगे, और जो बच रहेंगे वह चारों तरफ़ तितर बितर हो जाएँगे; और तुम जानोगे कि मैं ख़ुदावन्द ने यह फ़रमाया है।
خداوند یهوه چنین می‌فرماید: «من سر بلندسرو آزاد را گرفته، آن را خواهم کاشت و از سراغصانش شاخه تازه کنده، آن را بر کوه بلند و رفیع غرس خواهم نمود. ۲۲ 22
ख़ुदावन्द ख़ुदा फ़रमाता है: “मैं भी देवदार की बुलन्द चोटी लूँगा और उसे लगाऊँगा, फिर उसकी नर्म शाख़ों में से एक कोंपल काट लूँगा और उसे एक ऊँचे और बुलन्द पहाड़ पर लगाऊँगा।
آن را بر کوه بلند اسرائیل خواهم کاشت و آن شاخه‌ها رویانیده، میوه خواهد آورد. و سرو آزاد قشنگ خواهد شد که هر قسم مرغان بالدار زیر آن ساکن شده، در سایه شاخه هایش آشیانه خواهند گرفت. ۲۳ 23
मैं उसे इस्राईल के ऊँचे पहाड़ पर लगाऊँगा, और वह शाख़ें निकालेगा और फल लाएगा और 'आलीशान देवदार होगा। और हर क़िस्म के परिन्दे उसके नीचे बसेंगे, वह उसकी डालियों के साये में बसेरा करेंगे।
و تمامی در ختان صحرا خواهند دانست که من یهوه درخت بلند را پست می‌کنم و درخت پست رابلند می‌سازم و درخت سبز را خشک و درخت خشک را بارور می‌سازم. من که یهوه هستم این راگفته‌ام و بجا خواهم آورد.» ۲۴ 24
और मैदान के सब दरख़्त जानेंगे कि मैं ख़ुदावन्द ने बड़े दरख़्त को पस्त किया और छोटे दरख़्त को बुलन्द किया; हरे दरख़्त को सुखा दिया और सूखे दरख़्त को हरा किया; मैं ख़ुदावन्द ने फ़रमाया और कर दिखाया।”

< حزقیال 17 >