< خروج 2 >

و شخصی از خاندان لاوی رفته، یکی ازدختران لاوی را به زنی گرفت. ۱ 1
लेवी गोत्र के एक व्यक्ति ने लेवी गोत्र की एक कन्या से विवाह किया.
و آن زن حامله شده، پسری بزاد. و چون او را نیکومنظردید، وی را سه ماه نهان داشت. ۲ 2
उस कन्या ने गर्भधारण किया और एक बच्‍चे को जन्म दिया, और वह बहुत सुंदर था, उसने उसे तीन महीने तक छिपाए रखा.
و چون نتوانست او را دیگر پنهان دارد، تابوتی از نی برایش گرفت، و آن را به قیر و زفت اندوده، طفل را در آن نهاد، وآن را در نیزار به کنار نهر گذاشت. ۳ 3
किंतु जब बच्‍चे को छिपाए रखना उसके लिए मुश्किल हो गया तब उसने एक टोकरी बनाई और उस पर तारकोल और पीच का लेप किया. उसने बच्‍चे को टोकरी में रख उस टोकरी को नील नदी के किनारे लंबी घासों के बीच में रख दिया.
و خواهرش ازدور ایستاد تا بداند او را چه می‌شود. ۴ 4
उस बच्‍चे की बहन बच्‍चे के साथ क्या होगा यह देखने के लिए दूर खड़ी हुई थी.
و دخترفرعون برای غسل به نهر فرود آمد. و کنیزانش به کنار نهر می‌گشتند. پس تابوت را در میان نیزاردیده، کنیزک خویش را فرستاد تا آن را بگیرد. ۵ 5
फ़रोह की पुत्री नील नदी में स्‍नान करने आई और उसकी दासियां नदी के किनारे चल रही थीं. फ़रोह की पुत्री की नजर उस टोकरी पर पड़ी. उसने अपनी दासियों को वह टोकरी लाने को कहा.
وچون آن را بگشاد، طفل را دید و اینک پسری گریان بود. پس دلش بر وی بسوخت و گفت: «این از اطفال عبرانیان است.» ۶ 6
उस टोकरी को खोलने पर उसकी नजर उस बच्‍चे पर पड़ी, जो उस समय रो रहा था. बच्‍चे पर उसको दया आई और वह समझ गई कि यह किसी इब्री का ही बच्चा है.
و خواهر وی به دخترفرعون گفت: «آیا بروم و زنی شیرده را از زنان عبرانیان نزدت بخوانم تا طفل را برایت شیردهد؟» ۷ 7
उस बच्‍चे की बहन ने फ़रोह की पुत्री से पूछा, “क्या मैं जाकर इसके लिए इब्री धायों में से किसी को ले आऊं जो इसे दूध पिला सके?”
دختر فرعون به وی گفت: «برو.» پس آن دختر رفته، مادر طفل را بخواند. ۸ 8
फ़रोह की पुत्री ने उससे कहा, “जाओ!” तब वह लड़की जाकर बच्‍चे की मां को ही बुला लाई.
و دختر فرعون گفت: «این طفل را ببر و او را برای من شیر بده ومزد تو را خواهم داد.» پس آن زن طفل رابرداشته، بدو شیر می‌داد. ۹ 9
फ़रोह की पुत्री ने उससे कहा, “इस बच्‍चे को ले जाओ और इसका पालन पोषण करो. इसके लिए मैं तुम्हें मजदूरी दूंगी.” तब वह स्त्री उस बच्‍चे को ले गई और उसका पालन पोषण किया.
و چون طفل نموکرد، وی را نزد دختر فرعون برد، و او را پسر شد. و وی را موسی نام نهاد زیرا گفت: «او را از آب کشیدم.» ۱۰ 10
जब बच्चा बड़ा हो गया तब वह बच्‍चे को फ़रोह की पुत्री के पास ले गई और फ़रोह की पुत्री ने उसे अपना पुत्र मान लिया. उसने उसका नाम मोशेह रखा. उसका मतलब था, “मैंने उसे जल में से पाया है.”
و واقع شد در آن ایام که چون موسی بزرگ شد، نزد برادران خود بیرون آمد، و به‌کارهای دشوار ایشان نظر انداخته، شخصی مصری را دیدکه شخصی عبرانی را که از برادران او بود، می‌زند. ۱۱ 11
जब मोशेह जवान हुए, तब वह अपने लोगों से मिलने उनके पास गए तो देखा कि वे कड़ी मेहनत कर रहे थे. उसी समय उन्होंने देखा कि एक मिस्री किसी इब्री को मार रहा था.
پس به هر طرف نظر افکنده، چون کسی را ندید، آن مصری را کشت، و او را در ریگ پنهان ساخت. ۱۲ 12
इसलिये मोशेह ने उस मिस्री को मार दिया और उसे रेत में छिपा दिया.
و روز دیگر بیرون آمد، که ناگاه دومرد عبرانی منازعه می‌کنند، پس به ظالم گفت: «چرا همسایه خود را می‌زنی.» ۱۳ 13
अगले दिन मोशेह ने देखा कि दो इब्री आपस में लड़ रहे हैं. इसलिये मोशेह ने उनसे पूछा, “क्यों आपस में लड़ रहे हो?”
گفت: «کیست که تو را بر ما حاکم یا داور ساخته است، مگر تومی خواهی مرا بکشی چنانکه آن مصری راکشتی؟» پس موسی ترسید و گفت: «یقین این امرشیوع یافته است.» ۱۴ 14
उस व्यक्ति ने मोशेह को जवाब दिया, “किसने तुम्हें हम पर राजा और न्याय करनेवाला ठहराया है? कहीं तुम्हारा मतलब कल उस मिस्री जैसे मेरी भी हत्या का तो नहीं है?” यह सुनकर मोशेह डर गए और उन्होंने सोचा, “अब यह भेद खुल चुका है.”
و چون فرعون این ماجرا رابشنید، قصد قتل موسی کرد، و موسی از حضورفرعون فرار کرده، در زمین مدیان ساکن شد. و برسر چاهی بنشست. ۱۵ 15
जब फ़रोह को यह मालूम हुआ, तब उसने मोशेह की हत्या करने को सोचा, किंतु मोशेह फ़रोह के सामने से भागकर मिदियान देश में रहने लगे, वहां एक कुंआ था.
و کاهن مدیان را هفت دختر بود که آمدند و آب کشیده، آبخورها را پرکردند، تا گله پدر خویش را سیراب کنند. ۱۶ 16
मिदियान के पुरोहित की सात पुत्रियां थीं. वे उस कुएं में जल भरने आईं तथा उन्होंने अपने पिता की भेड़-बकरियों के लिए नांदों में जल भरा.
وشبانان نزدیک آمدند، تا ایشان را دور کنند. آنگاه موسی برخاسته، ایشان را مدد کرد، و گله ایشان راسیراب نمود. ۱۷ 17
तभी कुछ चरवाहे आए और उन कन्याओं को वहां से भगा दिया; तब मोशेह वहां आए और उन कन्याओं का बचाव किया तथा उनकी भेड़-बकरियों को जल पिलाया.
و چون نزد پدر خود رعوئیل آمدند، او گفت: «چگونه امروز بدین زودی برگشتید؟» ۱۸ 18
जब वे घर लौटीं, तो उनके पिता रियुएल ने उनसे पूछा, “आज इतनी जल्दी कैसे घर लौट आई हो?”
گفتند: «شخصی مصری ما را ازدست شبانان رهایی داد، و آب نیز برای ما کشیده، گله را سیراب نمود.» ۱۹ 19
उन्होंने उत्तर दिया, “एक मिस्री ने उन चरवाहों से हमारी रक्षा की. यही नहीं, उसने कुएं से जल निकालकर हमें और हमारी भेड़-बकरियों को भी पिलाया.”
پس به دختران خودگفت: «او کجاست؟ چرا آن مرد را ترک کردید؟ وی را بخوانید تا نان خورد.» ۲۰ 20
रियुएल ने अपनी पुत्रियों से पूछा, “वह व्यक्ति कहां है? तुम उसे वहीं क्यों छोड़ आई? उसे भोजन के लिए बुला लाओ!”
و موسی راضی شد که با آن مرد ساکن شود، و او دختر خود، صفوره را به موسی داد. ۲۱ 21
मोशेह उनके साथ रहने के लिए तैयार हो गए. रियुएल ने अपनी पुत्री ज़ीप्पोराह का विवाह मोशेह के साथ कर दिया.
و آن زن پسری زایید، و (موسی ) او را جرشون نام نهاد، چه گفت: «در زمین بیگانه نزیل شدم.» ۲۲ 22
उन्होंने एक पुत्र को जन्म दिया. मोशेह ने उसका नाम गेरशोम रखा, उसका मतलब था, “मैं परदेश में एक अजनबी हूं.”
و واقع شد بعد از ایام بسیار که پادشاه مصربمرد، و بنی‌اسرائیل به‌سبب بندگی آه کشیده، استغاثه کردند، و ناله ایشان به‌سبب بندگی نزد خدا برآمد. ۲۳ 23
उस लंबे समयकाल के बाद मिस्र देश के राजा की मृत्यु हो गई. इस्राएली अपने दासत्व में कराह रहे थे और दुहाई दे रहे थे. वे सहायता की गुहार कर रहे थे और उनके दासत्व की यह गुहार परमेश्वर तक पहुंची.
و خدا ناله ایشان را شنید، و خداعهد خود را با ابراهیم و اسحاق و یعقوب بیادآورد. ۲۴ 24
परमेश्वर ने उनकी कराहट सुनी, और अब्राहाम, यित्सहाक तथा याकोब के साथ की गई अपनी वाचा को याद किया.
و خدا بر بنی‌اسرائیل نظر کرد و خدادانست. ۲۵ 25
परमेश्वर ने इस्राएल की ओर दृष्टि की तथा उनकी स्थिति पर ध्यान दिया.

< خروج 2 >