< دوم سموئیل 14 >
و یوآب بن صرویه فهمید که دل پادشاه به ابشالوم مایل است. | ۱ 1 |
१सरूयाह का पुत्र योआब ताड़ गया कि राजा का मन अबशालोम की ओर लगा है।
پس یوآب به تقوع فرستاده، زنی دانشمند از آنجا آورد و به وی گفت: «تمنا اینکه خویشتن را مثل ماتم کننده ظاهر سازی، و لباس تعزیت پوشی و خود را به روغن تدهین نکنی و مثل زنی که روزهای بسیار به جهت مرده ماتم گرفته باشد، بشوی. | ۲ 2 |
२इसलिए योआब ने तकोआ नगर में दूत भेजकर वहाँ से एक बुद्धिमान स्त्री को बुलवाया, और उससे कहा, “शोक करनेवाली बन, अर्थात् शोक का पहरावा पहन, और तेल न लगा; परन्तु ऐसी स्त्री बन जो बहुत दिन से मरे हुए व्यक्ति के लिये विलाप करती रही हो।
و نزدپادشاه داخل شده، او را بدین مضمون بگویی.» پس یوآب سخنان را به دهانش گذاشت. | ۳ 3 |
३तब राजा के पास जाकर ऐसी-ऐसी बातें कहना।” और योआब ने उसको जो कुछ कहना था वह सिखा दिया।
و چون زن تقوعیه با پادشاه سخن گفت، به روی خود به زمین افتاده، تعظیم نمود و گفت: «ای پادشاه، اعانت فرما.» | ۴ 4 |
४जब तकोआ की वह स्त्री राजा के पास गई, तब मुँह के बल भूमि पर गिर दण्डवत् करके कहने लगी, “राजा की दुहाई।”
و پادشاه به او گفت: «تو راچه شده است؟» عرض کرد: «اینک من زن بیوه هستم و شوهرم مرده است. | ۵ 5 |
५राजा ने उससे पूछा, “तुझे क्या चाहिये?” उसने कहा, “सचमुच मेरा पति मर गया, और मैं विधवा हो गई।
و کنیز تو را دو پسر بود و ایشان با یکدیگر در صحرا مخاصمه نمودند و کسی نبود که ایشان را از یکدیگر جداکند. پس یکی از ایشان دیگری را زد و کشت. | ۶ 6 |
६और तेरी दासी के दो बेटे थे, और उन दोनों ने मैदान में मारपीट की; और उनको छुड़ानेवाला कोई न था, इसलिए एक ने दूसरे को ऐसा मारा कि वह मर गया।
واینک تمامی قبیله بر کنیز تو برخاسته، و میگویندقاتل برادر خود را بسپار تا او را به عوض جان برادرش که کشته شده است، به قتل برسانیم، ووارث را نیز هلاک کنیم. و به اینطور اخگر مرا که باقیمانده است، خاموش خواهند کرد، و برای شوهرم نه اسم و نه اعقاب بر روی زمین واخواهند گذاشت.» | ۷ 7 |
७अब सुन, सब कुल के लोग तेरी दासी के विरुद्ध उठकर यह कहते हैं, ‘जिसने अपने भाई को घात किया उसको हमें सौंप दे, कि उसके मारे हुए भाई के प्राण के बदले में उसको प्राणदण्ड दें;’ और इस प्रकार वे वारिस को भी नष्ट करेंगे। इस तरह वे मेरे अंगारे को जो बच गया है बुझाएँगे, और मेरे पति का नाम और सन्तान धरती पर से मिटा डालेंगे।”
پادشاه به زن فرمود: «به خانه ات برو و من درباره ات حکم خواهم نمود.» | ۸ 8 |
८राजा ने स्त्री से कहा, “अपने घर जा, और मैं तेरे विषय आज्ञा दूँगा।”
و زن تقوعیه به پادشاه عرض کرد: «ای آقایم پادشاه، تقصیر بر من و بر خاندان من باشد و پادشاه و کرسی اوبی تقصیر باشند.» | ۹ 9 |
९तब तकोआ की उस स्त्री ने राजा से कहा, “हे मेरे प्रभु, हे राजा, दोष मुझी को और मेरे पिता के घराने ही को लगे; और राजा अपनी गद्दी समेत निर्दोष ठहरे।”
و پادشاه گفت: «هرکه با توسخن گوید، او را نزد من بیاور، و دیگر به تو ضررنخواهد رسانید.» | ۱۰ 10 |
१०राजा ने कहा, “जो कोई तुझ से कुछ बोले उसको मेरे पास ला, तब वह फिर तुझे छूने न पाएगा।”
پس زن گفت: «ای پادشاه، یهوه، خدای خود را به یاد آور تا ولی مقتول، دیگر هلاک نکند، مبادا پسر مرا تلف سازند.» پادشاه گفت: «به حیات خداوند قسم که مویی ازسر پسرت به زمین نخواهد افتاد.» | ۱۱ 11 |
११उसने कहा, “राजा अपने परमेश्वर यहोवा को स्मरण करे, कि खून का पलटा लेनेवाला और नाश करने न पाए, और मेरे बेटे का नाश न होने पाए।” उसने कहा, “यहोवा के जीवन की शपथ, तेरे बेटे का एक बाल भी भूमि पर गिरने न पाएगा।”
پس زن گفت: «مستدعی آنکه کنیزت باآقای خود پادشاه سخنی گوید.» گفت: «بگو.» | ۱۲ 12 |
१२स्त्री बोली, “तेरी दासी अपने प्रभु राजा से एक बात कहने पाए।”
زن گفت: «پس چرا درباره قوم خدا مثل این تدبیر کردهای و پادشاه در گفتن این سخن مثل تقصیرکار است، چونکه پادشاه آواره شده خود راباز نیاورده است. | ۱۳ 13 |
१३उसने कहा, “कहे जा।” स्त्री कहने लगी, “फिर तूने परमेश्वर की प्रजा की हानि के लिये ऐसी ही युक्ति क्यों की है? राजा ने जो यह वचन कहा है, इससे वह दोषी सा ठहरता है, क्योंकि राजा अपने निकाले हुए को लौटा नहीं लाता।
زیرا ما باید البته بمیریم ومثل آب هستیم که به زمین ریخته شود، و آن رانتوان جمع کرد، و خدا جان را نمی گیرد بلکه تدبیرها میکند تا آواره شدهای از او آواره نشود. | ۱۴ 14 |
१४हमको तो मरना ही है, और भूमि पर गिरे हुए जल के समान ठहरेंगे, जो फिर उठाया नहीं जाता; तो भी परमेश्वर प्राण नहीं लेता, वरन् ऐसी युक्ति करता है कि निकाला हुआ उसके पास से निकाला हुआ न रहे।
و حال که به قصد عرض کردن این سخن، نزدآقای خود، پادشاه، آمدم، سبب این بود که خلق، مرا ترسانیدند، و کنیزت فکر کرد که چون به پادشاه عرض کنم، احتمال دارد که پادشاه عرض کنیز خود را به انجام خواهد رسانید. | ۱۵ 15 |
१५और अब मैं जो अपने प्रभु राजा से यह बात कहने को आई हूँ, इसका कारण यह है, कि लोगों ने मुझे डरा दिया था; इसलिए तेरी दासी ने सोचा, ‘मैं राजा से बोलूँगी, कदाचित् राजा अपनी दासी की विनती को पूरी करे।
زیراپادشاه اجابت خواهد نمود که کنیز خود را ازدست کسیکه میخواهد مرا و پسرم را با هم ازمیراث خدا هلاک سازد، برهاند. | ۱۶ 16 |
१६निःसन्देह राजा सुनकर अवश्य अपनी दासी को उस मनुष्य के हाथ से बचाएगा, जो मुझे और मेरे बेटे दोनों को परमेश्वर के भाग में से नष्ट करना चाहता है।’
و کنیز تو فکرکرد که کلام آقایم، پادشاه، باعث تسلی خواهدبود، زیرا که آقایم، پادشاه، مثل فرشته خداست تانیک و بد را تشخیص کند، و یهوه، خدای توهمراه تو باشد.» | ۱۷ 17 |
१७अतः तेरी दासी ने सोचा, ‘मेरे प्रभु राजा के वचन से शान्ति मिले;’ क्योंकि मेरा प्रभु राजा परमेश्वर के किसी दूत के समान भले बुरे में भेद कर सकता है; इसलिए तेरा परमेश्वर यहोवा तेरे संग रहे।”
پس پادشاه در جواب زن فرمود: «چیزی راکه از تو سوال میکنم، از من مخفی مدار.» زن عرض کرد «آقایم پادشاه، بفرماید.» | ۱۸ 18 |
१८राजा ने उत्तर देकर उस स्त्री से कहा, “जो बात मैं तुझ से पूछता हूँ उसे मुझसे न छिपा।” स्त्री ने कहा, “मेरा प्रभु राजा कहे जाए।”
پادشاه گفت: «آیا دست یوآب در همه این کار با تونیست؟» زن در جواب عرض کرد: «به حیات جان تو، ای آقایم پادشاه که هیچکس از هرچه آقایم پادشاه بفرماید به طرف راست یا چپ نمی تواندانحراف ورزد، زیرا که بنده تو یوآب، اوست که مرا امر فرموده است، و اوست که تمامی این سخنان را به دهان کنیزت گذاشته است. | ۱۹ 19 |
१९राजा ने पूछा, “इस बात में क्या योआब तेरा संगी है?” स्त्री ने उत्तर देकर कहा, “हे मेरे प्रभु, हे राजा, तेरे प्राण की शपथ, जो कुछ मेरे प्रभु राजा ने कहा है, उससे कोई न दाहिनी ओर मुड़ सकता है और न बाईं ओर। तेरे दास योआब ही ने मुझे आज्ञा दी, और ये सब बातें उसी ने तेरी दासी को सिखाई हैं।
برای تبدیل صورت این امر، بنده تو، یوآب، این کار راکرده است، اما حکمت آقایم، مثل حکمت فرشته خدا میباشد تا هرچه بر روی زمین است، بداند.» | ۲۰ 20 |
२०तेरे दास योआब ने यह काम इसलिए किया कि बात का रंग बदले। और मेरा प्रभु परमेश्वर के एक दूत के तुल्य बुद्धिमान है, यहाँ तक कि धरती पर जो कुछ होता है उन सब को वह जानता है।”
پس پادشاه به یوآب گفت: «اینک این کار راکردهام. حال برو و ابشالوم جوان را باز آور.» | ۲۱ 21 |
२१तब राजा ने योआब से कहा, “सुन, मैंने यह बात मानी है; तू जाकर उस जवान अबशालोम को लौटा ला।”
آنگاه یوآب به روی خود به زمین افتاده، تعظیم نمود، و پادشاه را تحسین کرد و یوآب گفت: «ای آقایم پادشاه امروز بنده ات میداند که در نظر تو التفات یافتهام چونکه پادشاه کار بنده خود را به انجام رسانیده است.» | ۲۲ 22 |
२२तब योआब ने भूमि पर मुँह के बल गिर दण्डवत् कर राजा को आशीर्वाद दिया; और योआब कहने लगा, “हे मेरे प्रभु, हे राजा, आज तेरा दास जान गया कि मुझ पर तेरी अनुग्रह की दृष्टि है, क्योंकि राजा ने अपने दास की विनती सुनी है।”
پس یوآب برخاسته، به جشور رفت و ابشالوم را به اورشلیم بازآورد. | ۲۳ 23 |
२३अतः योआब उठकर गशूर को गया, और अबशालोम को यरूशलेम ले आया।
و پادشاه فرمود که به خانه خودبرگردد و روی مرا نبیند. پس ابشالوم به خانه خودرفت و روی پادشاه را ندید. | ۲۴ 24 |
२४तब राजा ने कहा, “वह अपने घर जाकर रहे; और मेरा दर्शन न पाए।” तब अबशालोम अपने घर चला गया, और राजा का दर्शन न पाया।
و در تمامی اسرائیل کسی نیکو منظر وبسیار ممدوح مثل ابشالوم نبود که از کف پا تا فرق سرش در او عیبی نبود. | ۲۵ 25 |
२५समस्त इस्राएल में सुन्दरता के कारण बहुत प्रशंसा योग्य अबशालोम के तुल्य और कोई न था; वरन् उसमें नख से सिख तक कुछ दोष न था।
و هنگامی که موی سرخود را میچید، (زیرا آن را در آخر هر سال میچید، چونکه بر او سنگین میشد و از آن سبب آن را میچید) موی سر خود را وزن نموده، دویست مثقال به وزن شاه مییافت. | ۲۶ 26 |
२६वह वर्ष के अन्त में अपना सिर मुँण्डवाता था; (उसके बाल उसको भारी जान पड़ते थे, इस कारण वह उसे मुँड़ाता था) और जब जब वह उसे मुँड़ाता तब-तब अपने सिर के बाल तौलकर राजा के तौल के अनुसार दो सौ शेकेल भर पाता था।
و برای ابشالوم سه پسر و یک دختر مسمی به تامارزاییده شدند. و او دختری نیکو صورت بود. | ۲۷ 27 |
२७अबशालोम के तीन बेटे, और तामार नामक एक बेटी उत्पन्न हुई थी; और यह रूपवती स्त्री थी।
و ابشالوم دو سال تمام در اورشلیم مانده، روی پادشاه را ندید. | ۲۸ 28 |
२८अतः अबशालोम राजा का दर्शन बिना पाए यरूशलेम में दो वर्ष रहा।
پس ابشالوم، یوآب راطلبید تا او را نزد پادشاه بفرستد. اما نخواست که نزد وی بیاید. و باز بار دیگر فرستاد و نخواست که بیاید. | ۲۹ 29 |
२९तब अबशालोम ने योआब को बुलवा भेजा कि उसे राजा के पास भेजे; परन्तु योआब ने उसके पास आने से इन्कार किया। और उसने उसे दूसरी बार बुलवा भेजा, परन्तु तब भी उसने आने से इन्कार किया।
پس به خادمان خود گفت: «ببینید، مزرعه یوآب نزد مزرعه من است و در آنجا جودارد. بروید و آن را به آتش بسوزانید.» پس خادمان ابشالوم مزرعه را به آتش سوزانیدند. | ۳۰ 30 |
३०तब उसने अपने सेवकों से कहा, “सुनो, योआब का एक खेत मेरी भूमि के निकट है, और उसमें उसका जौ खड़ा है; तुम जाकर उसमें आग लगाओ।” और अबशालोम के सेवकों ने उस खेत में आग लगा दी।
آنگاه یوآب برخاسته، نزد ابشالوم به خانهاش رفته، وی را گفت که «چرا خادمان تو مزرعه مراآتش زدهاند؟» | ۳۱ 31 |
३१तब योआब उठा, और अबशालोम के घर में उसके पास जाकर उससे पूछने लगा, “तेरे सेवकों ने मेरे खेत में क्यों आग लगाई है?”
ابشالوم به یوآب گفت: «اینک نزد تو فرستاده، گفتم: اینجا بیا تا تو را نزد پادشاه بفرستم تا بگویی برای چه از جشور آمدهام؟ مرابهتر میبود که تابحال در آنجا مانده باشم، پس حال روی پادشاه را ببینم و اگر گناهی در من باشد، مرا بکشد.» | ۳۲ 32 |
३२अबशालोम ने योआब से कहा, “मैंने तो तेरे पास यह कहला भेजा था, ‘यहाँ आना कि मैं तुझे राजा के पास यह कहने को भेजूँ, “मैं गशूर से क्यों आया? मैं अब तक वहाँ रहता तो अच्छा होता।” इसलिए अब राजा मुझे दर्शन दे; और यदि मैं दोषी हूँ, तो वह मुझे मार डाले।’”
پس یوآب نزد پادشاه رفته، او را مخبر ساخت. و او ابشالوم را طلبید که پیش پادشاه آمد و به حضور پادشاه رو به زمین افتاده، تعظیم کرده و پادشاه، ابشالوم را بوسید. | ۳۳ 33 |
३३तब योआब ने राजा के पास जाकर उसको यह बात सुनाई; और राजा ने अबशालोम को बुलवाया। अतः वह उसके पास गया, और उसके सम्मुख भूमि पर मुँह के बल गिरकर दण्डवत् की; और राजा ने अबशालोम को चूमा।