< دوم پادشاهان 4 >

و زنی از زنان پسران انبیا نزد الیشع تضرع نموده، گفت: «بنده ات، شوهرم مرد و تومی دانی که بنده ات از خداوند می‌ترسید، وطلبکار او آمده است تا دو پسر مرا برای بندگی خود ببرد.» ۱ 1
भविष्यद्वक्ता मंडल के भविष्यवक्ताओं में से एक की पत्नी ने एलीशा की दोहाई दी, “आपके सेवक, मेरे पति की मृत्यु हो चुकी है. आपको मालूम ही है कि आपके सेवक के मन में याहवेह के लिए कितना भय था. अब हालत यह है कि जिसका वह कर्ज़दार था वह मेरे दोनों पुत्रों को अपने दास बनाने के लिए आ खड़ा हुआ है.”
الیشع وی را گفت: «بگو برای تو چه کنم؟ و در خانه چه داری؟ او گفت: «کنیزت را درخانه چیزی سوای ظرفی از روغن نیست.» ۲ 2
एलीशा ने उससे पूछा, “मैं तुम्हारे लिए क्या करूं? बताओ क्या-क्या बाकी रह गया है तुम्हारे घर में?” उस स्त्री ने उत्तर दिया, “आपकी सेविका के घर में अब तेल का एक पात्र के अलावा कुछ भी बचा नहीं रह गया है.”
اوگفت برو و ظرفها از بیرون از تمامی همسایگان خود طلب کن، ظرفهای خالی و بسیار بخواه. ۳ 3
एलीशा ने उससे कहा, “जाओ और अपने सभी पड़ोसियों से खाली बर्तन मांग लाओ और ध्यान रहे कि ये बर्तन गिनती में कम न हों.
و داخل شده، در را بر خودت و پسرانت ببندو در تمامی آن ظرفها بریز و هرچه پر شود به کناربگذار.» ۴ 4
तब उन्हें ले तुम अपने पुत्रों के साथ कमरे में चली जाना और दरवाजा बंद कर लेना. तब इन सभी बर्तनों में तेल उण्डेलना शुरू करना. जो जो बर्तन भर जाएं उन्हें अलग रखते जाना.”
پس از نزد وی رفته، در را بر خود وپسرانش بست و ایشان ظرفها نزد وی آورده، اومی ریخت. ۵ 5
तब वह वहां से चली गई. अपने पुत्रों के साथ कमरे में जाकर उसने दरवाजा बंद कर लिया. वह बर्तनों में तेल उंडेलती गई और पुत्र उसके सामने खाली बर्तन लाते गए.
و چون ظرفها را پر کرده بود به یکی از پسران خود گفت: «ظرفی دیگر نزد من بیاور.» او وی را گفت: «ظرفی دیگر نیست.» و روغن بازایستاد. ۶ 6
जब सारे बर्तन भर चुके, उसने अपने पुत्र से कहा, “और बर्तन ले आओ!” पुत्र ने इसके उत्तर में कहा, “अब कोई बर्तन नहीं है.” तब तेल की धार थम गई.
پس رفته، آن مرد خدا را خبر داد. واو وی را گفت: «برو و روغن را بفروش و قرض خود را ادا کرده، تو و پسرانت از باقی‌مانده گذران کنید.» ۷ 7
उसने परमेश्वर के जन को इस बात की ख़बर दे दी. और परमेश्वर के जन ने उस स्त्री को आदेश दिया, “जाओ, यह तेल बेचकर अपना कर्ज़ भर दो.” जो बाकी रह जाए, उससे तुम और तुम्हारे पुत्र गुज़ारा करें.
و روزی واقع شد که الیشع به شونیم رفت ودر آنجا زنی بزرگ بود که بر او ابرام نمود که طعام بخورد و هرگاه عبور می‌نمود، به آنجا به جهت نان خوردن میل می‌کرد. ۸ 8
एक दिन एलीशा शूनेम नाम के स्थान पर गए. वहां एक धनी स्त्री रहती थी. उसने एलीशा को विनती करके भोजन पर बुलाया. इसके बाद जब कभी एलीशा वहां से जाते थे, वहीं रुक कर भोजन कर लेते थे.
پس آن زن به شوهرخود گفت: «اینک فهمیده‌ام که این مرد مقدس خداست که همیشه از نزد ما می‌گذرد. ۹ 9
उस स्त्री ने अपने पति से कहा, “सुनिए, अब तो मैं यह समझ गई हूं कि यह व्यक्ति, जो हमेशा इसी मार्ग से जाया करते हैं, परमेश्वर के पवित्र जन हैं.
پس برای وی بالاخانه‌ای کوچک بر دیوار بسازیم و بستر و خوان و کرسی و شمعدانی درآن برای وی بگذرانیم که چون نزد ما آید، در آنجا فرودآید.» ۱۰ 10
हम छत पर दीवारें उठाकर एक छोटा कमरा बना लें, उनके लिए वहां एक बिछौना, एक मेज़ एक कुर्सी और एक दीपक रख दें, कि जब कभी वह यहां आएं, वहां ठहर सकें.”
پس روزی آنجا آمد و به آن بالاخانه فرودآمده، در آنجا خوابید. ۱۱ 11
एक दिन एलीशा वहां आए और उन्होंने उस कमरे में जाकर आराम किया.
و به خادم خود، جیحزی گفت: «این زن شونمی را بخوان.» و چون او را خواند، او به حضور وی ایستاد. ۱۲ 12
उन्होंने अपने सेवक गेहज़ी से कहा, “शूनामी स्त्री को बुला लाओ.” वह आकर उनके सामने खड़ी हो गई.
و او به خادم گفت: «به او بگو که اینک تمامی این زحمت را برای ما کشیده‌ای پس برای تو چه شود؟ آیا باپادشاه یا سردار لشکر کاری داری؟ او گفت: «نی، من در میان قوم خود ساکن هستم.» ۱۳ 13
एलीशा ने गेहज़ी को आदेश दिया, “उससे कहो, ‘देखिए, आपने हम दोनों का ध्यान रखने के लिए यह सब कष्ट किया है; आपके लिए क्या किया जा सकता है? क्या आप चाहती हैं कि किसी विषय में राजा के सामने आपकी कोई बात रखी जाए, या सेनापति से कोई विनती की जाए?’” उस स्त्री ने उत्तर दिया, “मैं तो अपनों ही के बीच में रह रही हूं!”
و او گفت: «پس برای این زن چه باید کرد؟» جیحزی عرض کرد: «یقین که پسری ندارد و شوهرش سالخورده است.» ۱۴ 14
तब उन्होंने पूछा, “तब इस स्त्री के लिए क्या किया जा सकता है?” गेहज़ी ने उत्तर दिया, “उसके कोई पुत्र नहीं है, और उसके पति ढलती उम्र के व्यक्ति हैं.”
آنگاه الیشع گفت: «او را بخوان.» پس وی را خوانده، او نزد در ایستاد. ۱۵ 15
एलीशा ने कहा, “उसे यहां बुलाओ.” जब वह स्त्री आकर द्वार पर खड़ी हो गई,
و گفت: «دراین وقت موافق زمان حیات، پسری در آغوش خواهی گرفت.» و او گفت: «نی‌ای آقایم؛ ای مردخدا به کنیز خود دروغ مگو.» ۱۶ 16
एलीशा ने उससे कहा, “अगले साल इसी मौसम में लगभग इसी समय तुम्हारी गोद में एक पुत्र होगा.” वह स्त्री कहने लगी, “नहीं, मेरे स्वामी! परमेश्वर के जन, अपनी सेविका को झूठी आशा न दीजिए.”
پس آن زن حامله شده، در آن وقت موافق زمان حیات به موجب کلامی که الیشع به او گفته بود، پسری زایید. ۱۷ 17
उस स्त्री ने गर्भधारण किया और अगले साल उसी समय वसन्त के मौसम में उसने एक पुत्र को जन्म दिया—ठीक जैसा एलीशा ने उससे कहा था.
و چون آن پسر بزرگ شد روزی اتفاق افتادکه نزد پدر خود نزد دروگران رفت. ۱۸ 18
बड़ा होता हुआ वह बालक, एक दिन कटनी कर रहे मजदूरों के बीच अपने पिता के पास चला गया.
و به پدرش گفت: «آه سر من! آه سر من! و او به خادم خودگفت: «وی را نزد مادرش ببر.» ۱۹ 19
अचानक उसने अपने पिता से कहा, “अरे, मेरा सिर! मेरा सिर!” पिता ने अपने सेवक को आदेश दिया, “इसे इसकी माता के पास ले जाओ.”
پس او رابرداشته، نزد مادرش برد و او به زانوهایش تا ظهرنشست و مرد. ۲۰ 20
सेवक ने उस बालक को उठाया और उसकी माता के पास ले गया. वह बालक दोपहर तक अपनी माता की गोद में ही बैठा रहा और वहीं उसकी मृत्यु हो गई.
پس مادرش بالا رفته، او را بربستر مرد خدا خوابانید و در را بر او بسته، بیرون رفت. ۲۱ 21
उस स्त्री ने बालक को ऊपर ले जाकर उस परमेश्वर के जन के बिछौने पर लिटा दिया और दरवाजा बंद करके चली गई.
و شوهر خود را آواز داده، گفت: «تمنااینکه یکی از جوانان و الاغی از الاغها بفرستی تانزد مرد خدا بشتابم و برگردم. ۲۲ 22
तब उसने अपने पति को यह संदेश भेजा, “मेरे पास अपना एक सेवक और गधा भेज दीजिए कि मैं जल्दी ही परमेश्वर के जन से भेंटकर लौट आऊं.”
او گفت: «امروز چرا نزد او بروی، نه غره ماه و نه سبت است.» گفت: «سلامتی است.» ۲۳ 23
पति ने प्रश्न किया, “तुम आज ही क्यों जाना चाह रही हो? आज न तो नया चांद है, और न ही शब्बाथ.” उसका उत्तर था, “सब कुछ कुशल ही होगा.”
پس الاغ را آراسته، به خادم خود گفت: «بران و برو و تا تو را نگویم درراندن کوتاهی منما.» ۲۴ 24
तब उसने गधे को तैयार किया और अपने सेवक को आदेश दिया, “गधे को तेज हांको! मेरे लिए रफ़्तार धीमी न होने पाए, जब तक मैं इसके लिए आदेश न दूं.”
پس رفته، نزد مرد خدا به کوه کرمل رسید. ۲۵ 25
वह चल पड़ी और कर्मेल पर्वत पर परमेश्वर के जन के घर तक पहुंच गई. जब परमेश्वर के जन ने उसे अपनी ओर आते देखा, उन्होंने अपने सेवक गेहज़ी से कहा, “वह देखो! शूनामी स्त्री!
پس حال به استقبال وی بشتاب و وی را بگو: آیا تو را سلامتی است و آیا شوهرت سالم وپسرت سالم است؟» او گفت: «سلامتی است.» ۲۶ 26
तुरंत उससे मिलने के लिए दौड़ो और उससे पूछो, ‘क्या आप सकुशल हैं? क्या आपके पति सकुशल हैं? क्या आपका पुत्र सकुशल है?’” उसने उसे उत्तर दिया, “सभी कुछ सकुशल है.”
و چون نزد مرد خدا به کوه رسید، به پایهایش چسبید. و جیحزی نزدیک آمد تا او را دور کنداما مرد خدا گفت: «او را واگذار زیرا که جانش دروی تلخ است و خداوند این را از من مخفی داشته، مرا خبر نداده است.» ۲۷ 27
तब, जैसे ही वह पर्वत पर परमेश्वर के जन के पास पहुंची, उसने एलीशा के पैर पकड़ लिए. जब गेहज़ी उसे हटाने वहां पहुंचा, परमेश्वर के जन ने उससे कहा, “ऐसा कुछ न करो, क्योंकि इसका मन भारी दर्द से भरा हुआ है. इसके बारे में मुझे याहवेह ने कोई सूचना नहीं दी है, इसे गुप्‍त ही रखा है.”
و زن گفت: «آیا پسری ازآقایم درخواست نمودم، مگر نگفتم مرا فریب مده؟» ۲۸ 28
तब उस स्त्री ने कहना शुरू किया, “क्या अपने स्वामी से पुत्र की विनती मैंने की थी? क्या मैंने न कहा था, ‘मुझे झूठी आशा न दीजिए?’”
پس او به جیحزی گفت: «کمر خود راببند و عصای مرا به‌دستت گرفته، برو و اگر کسی را ملاقات کنی، او را تحیت مگو و اگر کسی تو راتحیت گوید، جوابش مده و عصای مرا بر روی طفل بگذار.» ۲۹ 29
एलीशा ने गेहज़ी को आदेश दिया, “कमर कस लो और अपने साथ मेरी लाठी ले लो और चल पड़ो! मार्ग में अगर कोई मिले तो उससे हाल-चाल जानने के लिए न रुकना. यदि तुम्हें कोई नमस्कार करे तो उसका उत्तर न देना. जाकर मेरी लाठी उस बालक के मुंह पर रख देना.”
اما مادر طفل گفت: «به حیات یهوه و به حیات خودت قسم که تو را ترک نکنم.» پس او برخاسته، در عقب زن روانه شد. ۳۰ 30
तब बालक की माता ने एलीशा से कहा, “जीवित याहवेह की शपथ और आपकी शपथ, मैं आपके बिना न लौटूंगी!” तब एलीशा उठे और उस स्त्री के साथ चल दिए.
وجیحزی از ایشان پیش رفته، عصا را بر روی طفل نهاد اما نه آواز داد و نه اعتنا نمود، پس به استقبال وی برگشته، او را خبر داد و گفت که طفل بیدارنشد. ۳۱ 31
गेहज़ी ने आगे-आगे जाकर बालक के मुंह पर लाठी टिका दी, मगर वहां न तो कोई आवाज सुनाई दिया गया और न ही उसमें जीवन का कोई लक्षण दिखाई दिया. तब गेहज़ी ने लौटकर एलीशा को ख़बर दी, “बालक तो जागा ही नहीं!”
پس الیشع به خانه داخل شده، دید که طفل مرده و بر بستر او خوابیده است. ۳۲ 32
जब एलीशा ने घर में प्रवेश किया, वह मरा हुआ बालक उनके ही बिछौने पर ही लिटाया हुआ था.
و چون داخل شد، در را بر هر دو بست و نزد خداوند دعا نمود. ۳۳ 33
तब एलीशा कमरे के भीतर चले गए और दरवाजा बंद कर लिया, वे दोनों बाहर ही थे. एलीशा ने याहवेह से प्रार्थना की.
و برآمده بر طفل دراز شد و دهان خود را بردهان وی و چشم خود را بر چشم او و دست خودرا بر دست او گذاشته، بر وی خم گشت و گوشت پسر گرم شد. ۳۴ 34
तब वह जाकर बालक के ऊपर लेट गए. उन्होंने अपना मुख बालक के मुख पर रखा, उनकी आंखें बालक की आंखों पर थी और उनके हाथ बालक के हाथों पर. जब वह उस बालक पर लेट गए, तब बालक के शरीर में गर्मी आने लगी.
و برگشته، درخانه یک مرتبه این طرف و آن طرف بخرامید و برآمده، بر وی خم شد که طفل هفت مرتبه عطسه کرد، پس طفل چشمان خود را باز کرد. ۳۵ 35
फिर वह नीचे उतरे और घर के भीतर ही टहलते रहे. तब वह दोबारा बिछौने पर चढ़ गए और बालक पर लेट गए. इससे उस बालक को सात बार छींक आई और उसने आंखें खोल दीं.
و جیحزی را آوازداده، گفت: «این زن شونمی را بخوان.» پس او راخواند و چون نزد او داخل شد، او وی را گفت: «پسر خود را بردار.» ۳۶ 36
एलीशा ने गेहज़ी को पुकारा और आदेश दिया, “शूनामी स्त्री को बुलाओ.” तब गेहज़ी ने उसे पुकारा. जब वह भीतर आई, उन्होंने उस स्त्री से कहा, “उठा लो अपने पुत्र को.”
پس آن زن داخل شده، نزد پایهایش افتاد و رو به زمین خم شد و پسرخود را برداشته، بیرون رفت. ۳۷ 37
वह आई और भूमि की ओर झुककर एलीशा के पैरों पर गिर पड़ी. इसके बाद उसने अपने पुत्र को गोद में उठाया और वहां से चली गई.
و الیشع به جلجال برگشت و قحطی درزمین بود و پسران انبیا به حضور وی نشسته بودند. و او به خادم خود گفت: «دیگ بزرگ رابگذار و آش به جهت پسران انبیا بپز.» ۳۸ 38
एलीशा दोबारा गिलगाल नगर को लौट गए. इस समय देश में अकाल फैला था. भविष्यद्वक्ता मंडल इस समय उनके सामने बैठा हुआ था. एलीशा ने अपने सेवक को आदेश दिया, “एक बड़े बर्तन में भविष्यद्वक्ता मंडल के लिए भोजन तैयार करो!”
و کسی به صحرا رفت تا سبزیها بچیند و بوته بری یافت وخیارهای بری از آن چیده، دامن خود را پرساخت و آمده، آنها را در دیگ آش خرد کردزیرا که آنها را نشناختند. ۳۹ 39
एक भविष्यद्वक्ता ने बाहर जाकर खेतों में से कुछ साग-पात इकट्ठा किया. वहीं उसे एक जंगली लता भी दिखाई दी, जिससे उसने बड़ी संख्या में जंगली फल इकट्ठा कर लिए. उसने इन्हें काटकर पकाने के बर्तन में डाल दिया. उसे यह मालूम न था कि ये फल क्या थे.
پس برای آن مردمان ریختند تا بخورند و چون قدری آش خوردند، صدا زده، گفتند: «ای مرد خدا مرگ در دیگ است.» و نتوانستند بخورند. ۴۰ 40
जब परोसने के लिए भोजन निकाला गया और जैसे ही उन्होंने भोजन खाना शुरू किया, वे चिल्ला उठे, “परमेश्वर के जन, इस हांड़ी में मौत है!” वे भोजन न कर सके.
او گفت: «آردبیاورید.» پس آن را در دیگ انداخت و گفت: «برای مردم بریز تا بخورند.» پس هیچ‌چیز مضردر دیگ نبود. ۴۱ 41
एलीशा ने आदेश दिया, “थोड़ा आटा ले आओ.” उन्होंने उस आटे को उस बर्तन में डाला और कहा, “अब इसे इन्हें परोस दो, कि वे इसे खा सके.” बर्तन का भोजन खाने योग्य हो चुका था.
و کسی از بعل شلیشه آمده، برای مرد خداخوراک نوبر، یعنی بیست قرص نان جو و خوشه‌ها در کیسه خود آورد. پس او گفت: «به مردم بده تا بخورند.» ۴۲ 42
बाल-शालीशाह नामक स्थान से एक व्यक्ति ने आकर परमेश्वर के जन को उपज के प्रथम फल से बनाई गई बीस जौ की रोटियां और बोरे में कुछ बालें लाकर भेंट में दीं. एलीशा ने आदेश दिया, “यह सब भविष्यद्वक्ता मंडल के भविष्यवक्ताओं में बांट दिया जाए कि वे भोजन कर लें.”
خادمش گفت: «اینقدر راچگونه پیش صد نفر بگذارم؟» او گفت: «به مردمان بده تا بخورند، زیرا خداوند چنین می‌گوید که خواهند خورد و از ایشان باقی خواهد ماند.» ۴۳ 43
सेवक ने प्रश्न किया, “यह भोजन सौ व्यक्तियों के सामने कैसे रखा जाए?” एलीशा ने अपना आदेश दोहराया, “यह भोजन भविष्यद्वक्ता मंडल के भविष्यवक्ताओं को परोस दो, कि वे इसे खा सकें, क्योंकि यह याहवेह का संदेश है, ‘उनके खा चुकने के बाद भी कुछ भोजन बाकी रह जाएगा.’”
پس پیش ایشان گذاشت و به موجب کلام خداوند خوردند و از ایشان باقی ماند. ۴۴ 44
तब सेवक ने भोजन परोस दिया. वे खाकर तृप्‍त हुए और कुछ भोजन बाकी भी रह गया; जैसा याहवेह ने कहा था.

< دوم پادشاهان 4 >