< ମୋଶାଙ୍କ ଲିଖିତ ଚତୁର୍ଥ ପୁସ୍ତକ 5 >

1 ଏଥିଉତ୍ତାରେ ସଦାପ୍ରଭୁ ମୋଶାଙ୍କୁ କହିଲେ,
परमेश्वर मोशेशी बोलला. तो म्हणाला,
2 “ପ୍ରତ୍ୟେକ କୁଷ୍ଠୀକୁ ଓ ପ୍ରତ୍ୟେକ ପ୍ରମେହୀକୁ ଓ ଶବ ଛୁଇଁ ଅଶୁଚି ହେବା ପ୍ରତ୍ୟେକ ପ୍ରାଣୀକୁ ଛାଉଣିରୁ ବାହାର କରିବା ପାଇଁ ତୁମ୍ଭେ ଇସ୍ରାଏଲ-ସନ୍ତାନଗଣକୁ ଆଜ୍ଞା ଦିଅ।
“इस्राएल लोकांस अशी आज्ञा कर की, प्रत्येक महारोगी, व कोणाला कसल्याही प्रकारचा स्त्राव होत असेल व कोणी प्रेताला शिवल्यामुळे अशुद्ध झालेला असल्यास अशा लोकांस त्यांनी छावणीच्या बाहेर घालवून द्यावे;
3 ତୁମ୍ଭେମାନେ ପୁରୁଷ ଓ ସ୍ତ୍ରୀ ଦୁହିଁଙ୍କୁ ବାହାର କରିବ, ତୁମ୍ଭେମାନେ ଛାଉଣିର ବାହାରେ ସେମାନଙ୍କୁ ରଖିବ; ସେମାନଙ୍କର ଯେଉଁ ଛାଉଣି ମଧ୍ୟରେ ଆମ୍ଭେ ବାସ କରୁ, ତାହା ସେମାନେ ଅଶୁଚି ନ କରନ୍ତୁ।”
मग तो पुरुष असो किंवा ती स्त्री असो त्यांना छावणीच्या बाहेर काढावे म्हणजे मग छावणी आजार व विटाळापासून शुद्ध स्वच्छ राहील; कारण मी छावणीत तुमच्याबरोबर राहत आहे.”
4 ତହିଁରେ ଇସ୍ରାଏଲ-ସନ୍ତାନଗଣ ସେହିରୂପ କଲେ, ପୁଣି, ଛାଉଣିର ବାହାରେ ସେମାନଙ୍କୁ ରଖିଲେ; ସଦାପ୍ରଭୁ ମୋଶାଙ୍କୁ ଯେପରି କହିଲେ, ଇସ୍ରାଏଲ-ସନ୍ତାନଗଣ ସେପରି କଲେ।
तेव्हा परमेश्वराने मोशेला आज्ञा दिल्याप्रमाणे इस्राएल लोकांनी परमेश्वराची आज्ञा मानून त्या लोकांस छावणीबाहेर काढून टाकले.
5 ଏଉତ୍ତାରେ ସଦାପ୍ରଭୁ ମୋଶାଙ୍କୁ କହିଲେ,
परमेश्वर पुन्हा मोशेशी बोलला. तो म्हणाला,
6 “ତୁମ୍ଭେ ଇସ୍ରାଏଲ-ସନ୍ତାନଗଣକୁ କୁହ, କୌଣସି ପୁରୁଷ କିମ୍ବା ସ୍ତ୍ରୀ ଯଦି ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ବିରୁଦ୍ଧରେ ସତ୍ୟ-ଲଙ୍ଘନ କରି ମନୁଷ୍ୟମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ପ୍ରଚଳିତ କୌଣସି ପାପ କରେ ଓ ସେହି ପ୍ରାଣୀ ଦଣ୍ଡନୀୟ ହୁଏ,
इस्राएल लोकांस हे सांग की एखादा पुरुष वा स्त्री दुसऱ्याचा अपराध करील तर खरे पाहता तो परमेश्वराविरूद्धच पाप करील व म्हणून तो दोषी ठरेल.
7 ତେବେ ସେ ଆପଣା କୃତ ପାପ ସ୍ୱୀକାର କରିବ ଓ ସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ ରୂପେ ଆପଣା ଦୋଷ ସକାଶୁ କ୍ଷତିପୂରଣ ଦେବ ଓ ତହିଁର ପଞ୍ଚମାଂଶ ଅଧିକ ମିଶାଇ ଯାହା ବିରୁଦ୍ଧରେ ଦୋଷ କରିଅଛି, ତାହାକୁ ଦେବ।
तेव्हा त्या मनुष्याने आपला अपराध कबूल करावा. मग ज्याचा त्याने अपराध केला आहे त्याची त्याने पूर्णपणे भरपाई करावी व त्या भरपाईत आणखी एक पंचमांशाची भर घालून ज्याचा त्याने अपराध केला आहे त्यास ती सर्व द्यावी.
8 ମାତ୍ର ଯାହାକୁ ଦୋଷ ନିମନ୍ତେ କ୍ଷତିପୂରଣ ଦିଆଯାଇ ପାରେ, ଏପରି ମୁକ୍ତିକର୍ତ୍ତା ଜ୍ଞାତି ଯଦି ସେହି ଲୋକର ନ ଥାଏ, ତେବେ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟରେ ଯେଉଁ ଦୋଷାର୍ଥକ କ୍ଷତିପୂରଣ ଦିଆଯାଏ, ତାହା ଯାଜକର ହେବ; ତାହା ବ୍ୟତୀତ ଯଦ୍ଦ୍ୱାରା ତାହା ପାଇଁ ପ୍ରାୟଶ୍ଚିତ୍ତ କରାଯିବ, ସେହି ପ୍ରାୟଶ୍ଚିତ୍ତାର୍ଥକ ମେଷବଳି ହିଁ ଦେବାକୁ ହେବ।
पण ज्याच्यावर अपराध घडला आहे तो मेला आणि अपराधाबद्दलची भरपाई घेण्यास त्याचे जवळचे कोणी नातलग नसतील तर त्या अपराधी मनुष्याने ती भरपाई परमेश्वरास अर्पण करावी. त्याने ती पूर्ण भरपाई याजकाकडे द्यावी. याजकाने त्या अपराध्याच्या प्रायश्चितासाठी प्रायश्चिताचा मेंढा अर्पण करावा परंतु राहिलेली भरपाई याजकाने ठेवावी.
9 ପୁଣି, ଇସ୍ରାଏଲ-ସନ୍ତାନଗଣ ଆପଣାମାନଙ୍କ ପବିତ୍ର ବସ୍ତୁ ମଧ୍ୟରୁ ଯେତେ ଉତ୍ତୋଳନୀୟ ଉପହାର ଯାଜକ ନିକଟକୁ ଆଣନ୍ତି, ତାହାସବୁ ତାହାର ହେବ।
“जर कोणी इस्राएली लोकांमधून परमेश्वरास समर्पित करण्याकरिता काही विशेष देणगी याजकाकडे देईल तर ती याजकाने ठेवून घ्यावी; ती त्याचीच होईल.
10 ପ୍ରତ୍ୟେକ ମନୁଷ୍ୟର ଉତ୍ସର୍ଗିତ ପବିତ୍ର ବସ୍ତୁ ତାହାର ହେବ; ମନୁଷ୍ୟ ଯେକୌଣସି ବସ୍ତୁ ଯାଜକକୁ ଦିଏ, ତାହା ତାହାର ହେବ।”
१०प्रत्येक मनुष्याने पवित्र केलेल्या वस्तू त्या याजकाच्याच होत. याजकाला कोणी काही दिले तर ते त्याचेच होईल.”
11 ଏଥିଉତ୍ତାରେ ସଦାପ୍ରଭୁ ମୋଶାଙ୍କୁ କହିଲେ,
११मग परमेश्वर पुन्हा मोशेशी बोलला. तो म्हणाला,
12 “ତୁମ୍ଭେ ଇସ୍ରାଏଲ-ସନ୍ତାନଗଣକୁ କୁହ, କୌଣସି ମନୁଷ୍ୟର ଭାର୍ଯ୍ୟା ଯଦି ବିପଥଗାମିନୀ ହୋଇ ତାହା ବିରୁଦ୍ଧରେ ସତ୍ୟ-ଲଙ୍ଘନ କରେ,
१२इस्राएल लोकांस असे सांग की एखाद्या मनुष्याच्या पत्नीने त्याचा विश्वासघात केला.
13 ଅର୍ଥାତ୍‍, ଯଦି କୌଣସି ପୁରୁଷ ତାହା ସହିତ ସହବାସ କରେ ଓ ତାହା ତାହାର ସ୍ୱାମୀର ଦୃଷ୍ଟିରୁ ଅଗୋଚର ହୋଇ ଗୁପ୍ତ ହୁଏ ଓ ସେ ଅଶୁଚି ହୁଏ, ପୁଣି, ତାହା ବିରୁଦ୍ଧରେ କେହି ସାକ୍ଷୀ ନ ଥାଏ, କିଅବା ସେ କର୍ମ ସମୟରେ ଧରା ପଡ଼ି ନ ଥାଏ;
१३म्हणजे तिने दुसऱ्या मनुष्याशी कुकर्म केले व ही गोष्ट तिने आपल्या नवऱ्यापासून लपवून ठेवली तर कोणी साक्षीदार नसल्यामुळे हे कुकर्म तिच्या नवऱ्याला कधीच कळणार नाही; ती स्वत: तर आपल्या नवऱ्याला ही गोष्ट सांगणारच नाही;
14 ଆଉ ଯଦି ସ୍ୱାମୀ ଈର୍ଷାଜନକ ଆତ୍ମାରେ ଆବିଷ୍ଟ ହୁଏ ଓ ଭାର୍ଯ୍ୟା ଅଶୁଚି ହେବାରୁ ତାହା ପ୍ରତି ଈର୍ଷାରେ ଜ୍ୱଳେ; ଅବା ଭାର୍ଯ୍ୟା ଅଶୁଚି ନୋହିଲେ ହେଁ ଯଦି ସ୍ୱାମୀ ଈର୍ଷାଜନକ ଆତ୍ମାରେ ଆବିଷ୍ଟ ହୋଇ ତାହା ପ୍ରତି ଈର୍ଷାରେ ଜ୍ୱଳେ;
१४आणि तिच्या पतीच्या मनात प्रेमशंका उदभवली आणि आपल्या स्त्रीच्या पातिव्रत्याबद्दल त्यास संशय येऊन ती जर खरोखर भ्रष्ट झालेली असली अथवा तिच्या पतीच्या मनात प्रेमशंका उदभवून आपल्या स्त्रीच्या पातिव्रत्याबद्दल त्यास संशय आला आणि ती वास्तविक भ्रष्ट झालेली नसली.
15 ତେବେ ସେହି ପୁରୁଷ ଆପଣା ଭାର୍ଯ୍ୟାକୁ ଯାଜକ ନିକଟକୁ ଆଣିବ ଓ ତାହା ନିମନ୍ତେ ଐଫାର ଦଶମାଂଶ ଯବ ମଇଦା ଉପହାର ଆଣିବ; ସେ ତହିଁ ଉପରେ ତୈଳ ଢାଳିବ ନାହିଁ ଅବା କୁନ୍ଦୁରୁ ଦେବ ନାହିଁ, କାରଣ ତାହା ଈର୍ଷାର ଭକ୍ଷ୍ୟ ନୈବେଦ୍ୟ, ଅର୍ଥାତ୍‍ ଅପରାଧ-ସ୍ମରଣକାରୀ ସ୍ମରଣାର୍ଥକ ଭକ୍ଷ୍ୟ ନୈବେଦ୍ୟ।
१५जर असे झाले, तर त्या मनुष्याने आपल्या पत्नीला याजकाकडे घेऊन जावे. तसेच त्याने अर्पण म्हणून एक दशमांश एफा जवाचे पीठ अर्पावे; त्याच्यावर त्याने तेल ओतू नये किंवा धूप ठेवू नये; कारण परप्रेमशंकेमुळे केलेले म्हणजे अनीतीचे स्मरण करून देणारे हे अन्नार्पण होय.
16 ଏଉତ୍ତାରେ ଯାଜକ ସେହି ସ୍ତ୍ରୀକୁ ନିକଟକୁ ଆଣି ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ସମ୍ମୁଖରେ ଉପସ୍ଥିତ କରିବ।
१६याजकाने त्या स्त्रीला परमेश्वरासमोर उभे करावे.
17 ପୁଣି, ଯାଜକ ମୃତ୍ତିକା ପାତ୍ରରେ ପବିତ୍ର ଜଳ ନେବ ଓ ଯାଜକ ଆବାସର ଚଟାଣରୁ ଧୂଳି ନେଇ ସେହି ଜଳରେ ପକାଇବ।
१७मग याजकाने मातीच्या पात्रात पवित्र पाणी घ्यावे व पवित्र निवासमंडपाच्या जमिनीवरील थोडीशी धूळ त्यामध्ये टाकावी.
18 ତହୁଁ ଯାଜକ ସେହି ସ୍ତ୍ରୀକୁ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ସମ୍ମୁଖରେ ଉପସ୍ଥିତ କରିବ ଓ ସେହି ସ୍ତ୍ରୀର ମସ୍ତକର କେଶ ମୁକୁଳା କରି ସେହି ସ୍ମରଣାର୍ଥକ ଭକ୍ଷ୍ୟ ନୈବେଦ୍ୟ, ଅର୍ଥାତ୍‍ ଈର୍ଷାର ଭକ୍ଷ୍ୟ ନୈବେଦ୍ୟ ତାହାର ହସ୍ତରେ ଦେବ; ପୁଣି, ଯାଜକ ଆପଣା ହସ୍ତରେ ଅଭିଶାପଜନକ ତିକ୍ତ ଜଳ ରଖିବ।
१८याजकाने त्या स्त्रीला परमेश्वरासमोर उभे रहावयास सांगावे. मग त्याने तिच्या डोक्याचे केस सोडावे, आणि द्वेषामुळे अर्पण करण्यासाठी आणिलेले जवाचे पीठ तिच्या हातावर ठेवावे. त्याचवेळी याजकाने शाप आणणारे जे कडू पाणी आपल्या हातात घ्यावे;
19 ଆଉ ଯାଜକ ସେହି ସ୍ତ୍ରୀକୁ ଶପଥ କରାଇ କହିବ, ଯଦି କୌଣସି ପୁରୁଷ ତୁମ୍ଭ ସହିତ ଶୟନ କରି ନ ଥାଏ ଓ ତୁମ୍ଭେ ଆପଣା ସ୍ୱାମୀର ଅଧୀନରେ ଥାଉ ଥାଉ ବିପଥଗାମିନୀ ହୋଇ ଅଶୁଚି କ୍ରିୟା କରି ନ ଥାଅ, ତେବେ ତୁମ୍ଭେ ଏହି ଅଭିଶାପଜନକ ତିକ୍ତ ଜଳରୁ ମୁକ୍ତ ହୁଅ।
१९मग त्या याजकाने त्या स्त्रीला खोटे न बोलण्याबद्दल सूचना द्यावी. तसेच तिने खरे सांगण्याचे वचन द्यावे. याजकाने तिला म्हणावे; तू लग्न झालेल्या तुझ्या नवऱ्याविरूद्ध पाप करून दुसऱ्या पुरुषाबरोबर कुकर्म केले नसेल तर मग या शाप देणाऱ्या कडू पाण्यापासून मुक्त हो.
20 ମାତ୍ର ଯଦି ତୁମ୍ଭେ ଆପଣା ସ୍ୱାମୀର ଅଧୀନରେ ଥାଉ ଥାଉ ବିପଥଗାମିନୀ ହୋଇଥାଅ ଓ ତୁମ୍ଭେ ଅଶୁଚି ହୋଇଥାଅ, ପୁଣି, ତୁମ୍ଭ ସ୍ୱାମୀ ବ୍ୟତୀତ ଅନ୍ୟ କୌଣସି ପୁରୁଷ ତୁମ୍ଭ ସହିତ ଶୟନ କରିଥାଏ;
२०परंतु तू जर तुझ्या नवऱ्या विरूद्ध पाप केले असेल, तू दुसऱ्या पुरुषाबरोबर संबंध केला असशील तर मग तू भ्रष्ट झाली आहेस.
21 ତେବେ ସଦାପ୍ରଭୁ ତୁମ୍ଭର ଊରୁ ଅବଶ କରାଇ ଓ ତୁମ୍ଭର ଉଦର ଫୁଲାଇ ତୁମ୍ଭ ଲୋକମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ତୁମ୍ଭଙ୍କୁ ଶପଥ ଓ ରାଣର ଫଳ ଭୋଗ କରାଉନ୍ତୁ;
२१मग याजकाने त्या स्त्रीला परमेश्वरापुढे शापाची शपथ घ्यावयास सांगावे; परमेश्वर तुझी मांडी सडवील व तुझे पोट फुगविल तेव्हा परमेश्वर तुला लोकांच्या शापाला व तिरस्काराला पात्र करो.
22 ତହିଁରେ ଏହି ଅଭିଶାପଜନକ ଜଳ ତୁମ୍ଭ ଉଦର ଫୁଲାଇବାକୁ ଓ ଊରୁ ଅବଶ କରାଇବାକୁ ତୁମ୍ଭ ଉଦରରେ ପ୍ରବେଶ କରୁ; ଏହି ସକଳ କଥା କହି ଯାଜକ ରାଣଯୁକ୍ତ ଶପଥ ଦ୍ୱାରା ସେହି ସ୍ତ୍ରୀକୁ ଶପଥ କରାଇବ; ତହିଁରେ ସେହି ସ୍ତ୍ରୀ ଆମେନ୍‍ କହିବ।
२२याजकाने म्हणावे, म्हणजे तुझे पोट फुगविण्यासाठी व मांडी सडविण्यासाठी हे शापजनक पाणी तुझ्या आतड्यात शिरेल. मग त्या स्त्रीने आमेन, आमेन असे म्हणावे.
23 ପୁଣି, ଯାଜକ ସେହି ଅଭିଶାପର କଥା ନଳାକାର ପୁସ୍ତକରେ ଲେଖିବ ଓ ତାହା ପୋଛି ତିକ୍ତ ଜଳରେ ପକାଇବ।
२३मग याजकाने हे शापशब्द पुस्तकात लिहून ते कडू पाण्यात धुवावे.
24 ତହୁଁ ସେ ସେହି ସ୍ତ୍ରୀକୁ ଅଭିଶାପଜନକ ତିକ୍ତ ଜଳ ପିଆଇବ; ତହିଁରେ ସେହି ଅଭିଶାପଜନକ ଜଳ ତାହା ଉଦରରେ ପ୍ରବେଶ କରି ତିକ୍ତ ହେବ।
२४मग ते शापित कडू पाणी त्या स्त्रीने प्यावे. हे पाणी तिच्या पोटात जाईल आणि तिच्या पोटात कडूपणा उत्पन्न करील.
25 ଆଉ ଯାଜକ ସେହି ସ୍ତ୍ରୀର ହସ୍ତରୁ ସେହି ଈର୍ଷାର ଭକ୍ଷ୍ୟ ନୈବେଦ୍ୟ ନେଇ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ସମ୍ମୁଖରେ ଦୋଳାଇବ, ପୁଣି, ବେଦି ଉପରକୁ ଆଣିବ;
२५नंतर याजकाने ते द्वेषाबद्दलचे अन्नार्पण त्या स्त्रीच्या हातातून घ्यावे व परमेश्वरासमोर उंच धरावे आणि मग ते वेदीजवळ घेऊन जावे.
26 ତହୁଁ ଯାଜକ ସେହି ଭକ୍ଷ୍ୟ ନୈବେଦ୍ୟରୁ ମୁଠିଏ ତହିଁର ସ୍ମରଣାର୍ଥକ ଅଂଶ ରୂପେ ନେଇ ବେଦି ଉପରେ ଦଗ୍ଧ କରିବ ଓ ତହିଁ ଉତ୍ତାରେ ସେହି ସ୍ତ୍ରୀକୁ ସେହି ଜଳ ପାନ କରାଇବ।
२६मग त्यातील मूठभर अन्नार्पण घेऊन त्याचे स्मारक म्हणून ते वेदीवर जाळावे. त्यानंतर याजकाने त्या स्त्रीला हे पाणी पिण्यास सांगावे.
27 ପୁଣି, ସେ ସେହି ସ୍ତ୍ରୀକୁ ଜଳ ପାନ କରାଇଲେ ଏପରି ହେବ, ଯଦି ସେହି ସ୍ତ୍ରୀ ଆପଣା ସ୍ୱାମୀ ବିରୁଦ୍ଧରେ ସତ୍ୟ-ଲଙ୍ଘନ କରି ଅଶୁଚି ହୋଇଥାଏ, ତେବେ ସେହି ଅଭିଶାପଜନକ ଜଳ ତାହା ମଧ୍ୟରେ ପ୍ରବେଶ କରି ତିକ୍ତ ହେବ ଓ ତାହାର ଉଦର ଫୁଲିବ ଓ ତାହାର ଊରୁ ଅବଶ ହେବ; ଆଉ ସେହି ସ୍ତ୍ରୀ ଆପଣା ଲୋକଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ଅଭିଶାପ ସ୍ୱରୂପ ହେବ।
२७जर त्या स्त्रीने आपल्या नवऱ्याविरूद्ध अपराध केला असेल तर शापजनक पाणी पाजल्यावर ते तिच्या पोटात जाईल व कडूपणा उत्पन्न करील. तिचे पोट फुगेल, तिची मांडी सडेल तिच्या लोकात तिचे नाव शापित होईल.
28 ଆଉ ଯଦି ସେହି ସ୍ତ୍ରୀ ଅଶୁଚି ନ ହୋଇ ଶୁଚି ଥାଏ, ତେବେ ସେ ମୁକ୍ତ ହେବ ଓ ଗର୍ଭଧାରଣ କରିବ।
२८परंतु त्या स्त्रीने आपल्या नवऱ्याविरूद्ध पाप केले नसेल व ती शुद्ध असेल तर ती स्त्री अपराधी नाही असे याजकाने तिला सांगावे. मग ती मुक्त होईल व गर्भधारणेस पात्र ठरेल.
29 ଏହା ଈର୍ଷା ବିଷୟକ ବ୍ୟବସ୍ଥା, ଯଥା, ଭାର୍ଯ୍ୟା ସ୍ୱାମୀର ଅଧୀନରେ ଥାଉ ଥାଉ ବିପଥଗାମିନୀ ହୋଇ ଅଶୁଚି ହେଲେ,
२९तेव्हा द्वेषासंबंधी हा नियम आहे. एखाद्या स्त्रीने आपल्या नवऱ्याविरूद्ध जर पाप केले तर तू ही अशी कारवाई करावी.
30 ଅବା କୌଣସି ପୁରୁଷ ଈର୍ଷାଜନକ ଆତ୍ମାରେ ଆବିଷ୍ଟ ହୋଇ ଆପଣା ଭାର୍ଯ୍ୟା ପ୍ରତି ଈର୍ଷାରେ ଜ୍ୱଳିଲେ, ସେ ସେହି ସ୍ତ୍ରୀକୁ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ସମ୍ମୁଖରେ ଉପସ୍ଥିତ କରାଇବ, ପୁଣି, ଯାଜକ ସେହି ସ୍ତ୍ରୀ ପ୍ରତି ଏହି ସମସ୍ତ ବ୍ୟବସ୍ଥା ପାଳନ କରିବ।
३०किंवा एखाद्या पुरुषाने आपल्या पत्नीने आपल्या विरूद्ध पाप केले आहे असा संशय व द्वेष, धरला तर त्या मनुष्याने अशी कारवाई करावी; त्या मनुष्याने स्त्रीला परमेश्वरासमोर उभे करावे व सांगितलेल्या नियमाप्रमाणे तिच्याविरूद्ध कारवाई करावी.
31 ତହିଁରେ ସେହି ପୁରୁଷ ଅପରାଧରୁ ମୁକ୍ତ ହେବ ଓ ସେହି ସ୍ତ୍ରୀ ଆପଣା ଆପଣା ଅପରାଧ ବୋହିବ।”
३१मग पती अधर्म करण्यापासून मुक्त होईल परंतु जर स्त्रीने पाप केले असेल तर तिला त्रास भोगावा लागेल.

< ମୋଶାଙ୍କ ଲିଖିତ ଚତୁର୍ଥ ପୁସ୍ତକ 5 >