< ମାଥିଉ 22 >

1 ପୁଣି ଥରେ ଯୀଶୁ ଦୃଷ୍ଟାନ୍ତ ଦ୍ୱାରା ସେମାନଙ୍କୁ ଉତ୍ତର ଦେଲେ,
येशू त्यांच्याशी पुन्हा एकदा दाखल्यांनी बोलला, त्यास उत्तर देऊन म्हणाला,
2 “ସ୍ୱର୍ଗରାଜ୍ୟ ଏପରି ଜଣେ ରାଜାଙ୍କ ସଦୃଶ, ଯେ ଆପଣା ପୁତ୍ରଙ୍କ ବିବାହ-ଉତ୍ସବ ଆୟୋଜନ କଲେ,
“स्वर्गाचे राज्य एका राजासारखे आहे, त्याने त्याच्या मुलाच्या लग्नानिमित्त भोजनाचे आमंत्रण दिले.
3 ଆଉ ସେହି ଉତ୍ସବକୁ ନିମନ୍ତ୍ରିତ ଲୋକମାନଙ୍କୁ ଆହ୍ୱାନ କରିବା ପାଇଁ ସେ ଆପଣା ଦାସମାନଙ୍କୁ ପଠାଇଲେ, କିନ୍ତୁ ସେମାନେ ଆସିବାକୁ ଇଚ୍ଛା କଲେ ନାହିଁ।
त्याने त्याच्या चाकरांना पाठवून, ज्यांना लग्नाचे आमंत्रण होते अशांना बोलाविण्यास सांगितले. पण लोकांनी राजाच्या मेजवानीस येण्यास नकार दिला.
4 ପୁଣି, ଥରେ ସେ ଅନ୍ୟ ଦାସମାନଙ୍କୁ ପଠାଇ କହିଲେ, ‘ନିମନ୍ତ୍ରିତ ଲୋକମାନଙ୍କୁ କୁହ, ଦେଖନ୍ତୁ, ଆମ୍ଭେ ଆପଣା ଭୋଜ ପ୍ରସ୍ତୁତ କରିଅଛୁ, ଆମ୍ଭର ବୃଷ ଓ ହୃଷ୍ଟପୁଷ୍ଟ ପଶୁଗୁଡ଼ିକ ମରାଯାଇଅଛି, ସମସ୍ତ ହିଁ ପ୍ରସ୍ତୁତ, ଆପଣମାନେ ବିବାହ ଉତ୍ସବକୁ ଆସନ୍ତୁ,’
नंतर राजाने आणखी काही चाकरांना पाठवून दिले, राजा चाकरांना म्हणाला, मी त्या लोकांस अगोदरच आमंत्रण दिले आहे म्हणून आता जा आणि त्यांना सांगा, पाहा, मेजवानी तयार आहे, मी माझे चांगल्यातील चांगले बैल आणि वासरे कापली आहेत आणि सगळे तयार आहे, लग्नाच्या मेजवानीस या.
5 କିନ୍ତୁ ସେମାନେ ତାହା ଲଘୁ ଜ୍ଞାନ କରି କେହି ଆପଣା କ୍ଷେତକୁ, ଆଉ କେହି ଆପଣା ବାଣିଜ୍ୟ ବ୍ୟବସାୟକୁ ଚାଲିଗଲେ,
चाकर गेले आणि त्यांनी लोकांस येण्यास सांगितले, पण त्यांनी चाकरांकडे लक्ष दिले नाही. ते आपापल्या कामास निघून गेले. एक शेतात काम करायला गेला, तर दुसरा व्यापार करायला गेला.
6 ଆଉ ବଳକା ଲୋକ ତାହାଙ୍କ ଦାସମାନଙ୍କୁ ଧରି ଅତ୍ୟାଚାର ଓ ବଧ କଲେ।
काहीनी चाकरांना पकडून अपमान केला व त्यास जिवे मारले.
7 କିନ୍ତୁ ରାଜା ରାଗିଯାଇ ଆପଣା ସୈନ୍ୟମାନଙ୍କୁ ପଠାଇ ସେହି ହତ୍ୟାକାରୀମାନଙ୍କୁ ବିନାଶ କଲେ ଏବଂ ସେମାନଙ୍କ ନଗର ଭସ୍ମସାତ୍‍ କଲେ।
राजा फार रागावला. त्याने त्याचे सैन्य पाठवले आणि त्यांनी त्या खुन्यांना ठार मारले. त्यांनी त्यांचे शहर जाळले.
8 ସେଥିରେ ସେ ଆପଣା ଦାସମାନଙ୍କୁ କହିଲେ, ବିବାହ ଭୋଜ ତ ପ୍ରସ୍ତୁତ, ମାତ୍ର ନିମନ୍ତ୍ରିତ ଲୋକମାନେ ଅଯୋଗ୍ୟ।
मग राजा त्याच्या चाकरांना म्हणाला, मेजवानी तयार आहे, पण ज्यांना बोलावले होते ते लायक नव्हते,
9 ଏଣୁ ତୁମ୍ଭେମାନେ ରାଜଦାଣ୍ଡଗୁଡ଼ିକର ଛକେ ଛକେ ଯାଇ ଯେତେ ଲୋକଙ୍କର ଦେଖା ପାଅ, ସେମାନଙ୍କୁ ବିବାହ-ଉତ୍ସବକୁ ନିମନ୍ତ୍ରଣ କର।
म्हणून रस्त्यांच्या कोपऱ्यावर जा आणि तेथे तुम्हास जे भेटतील त्यांना लग्नाच्या मेजवानीला बोलवा.
10 ସେଥିରେ ସେହି ଦାସମାନେ ରାଜଦାଣ୍ଡଗୁଡ଼ିକୁ ବାହାରିଯାଇ ଦୁଷ୍ଟ ଓ ସନ୍ଥ ଯେତେ ଲୋକ ଦେଖାପାଇଲେ, ସେ ସମସ୍ତଙ୍କୁ ସଂଗ୍ରହ କରି ଆଣିଲେ, ଆଉ ନିମନ୍ତ୍ରିତ ଅତିଥି ଲୋକଙ୍କ ଦ୍ୱାରା ବିବାହଗୃହ ପରିପୂର୍ଣ୍ଣ ହେଲା।
१०मग ते चाकर रस्त्यावर गेले. त्यांना जे जे लोक भेटले त्यांना जमा केले. ज्याठिकाणी लग्नाची मेजवानी तयार होती तेथे चाकरांनी चांगल्या आणि वाईट लोकांस जमा केले आणि लग्नाचा मंडप पाहुण्यांनी भरून गेला.
11 କିନ୍ତୁ ରାଜା ନିମନ୍ତ୍ରିତ ଅତିଥିମାନଙ୍କୁ ଦେଖିବା ପାଇଁ ଭିତରକୁ ଆସି ସେଠାରେ ବିବାହ-ବସ୍ତ୍ର ପରିଧାନ କରି ନ ଥିବା ଜଣେ ଲୋକକୁ ଦେଖି ତାହାକୁ କହିଲେ,
११मग त्या सर्वांना भेटण्यास राजा तेथे आला. लग्नाचा पोशाख न केलेला एक मनुष्य राजाला तेथे आढळला.
12 ହେ ବନ୍ଧୁ, ତୁମ୍ଭେ ବିବାହ-ବସ୍ତ୍ର ପରିଧାନ ନ କରି କିପରି ଏ ସ୍ଥାନକୁ ଆସିଲ? ମାତ୍ର ସେ ନିରୁତ୍ତର ହୋଇ ରହିଲା।
१२राजा त्यास म्हणाला, मित्रा, तू लग्नाचा पोशाख न घालता तू येथे कसा आलास? पण त्यास काही उत्तर देता येईना.
13 ସେଥିରେ ରାଜା ପରିଚାରକମାନଙ୍କୁ କହିଲେ, ‘ଏହାର ହାତଗୋଡ଼ ବାନ୍ଧି ଏହାକୁ ବାହାର ଅନ୍ଧକାରରେ ପକାଇଦିଅ, ସେଠାରେ ରୋଦନ ଓ ଦନ୍ତର କିଡ଼ିମିଡ଼ି ହେବ।
१३तेव्हा राजाने चाकरांना सांगितले, या मनुष्याचे हात व पाय बांधा आणि त्यास बाहेर अंधारात टाका, तेथे रडणे आणि दात खाणे चालेल.
14 କାରଣ ଅନେକ ଆହୂତ, କିନ୍ତୁ ଅଳ୍ପ ମନୋନୀତ।’”
१४कारण बोलावलेले पुष्कळ आहेत पण निवडलेले थोडके आहेत.”
15 ସେତେବେଳେ ଫାରୂଶୀମାନେ ଯାଇ ତାହାଙ୍କୁ ବାକ୍ୟ ଦ୍ୱାରା ଫାନ୍ଦରେ ପକାଇବା ନିମନ୍ତେ ମନ୍ତ୍ରଣା କଲେ।
१५मग परूशी गेले आणि येशूला कसे पकडावे याचा कट करू लागले. त्यास शब्दात पकडण्याचा प्रयत्न करू लागले.
16 ଆଉ, ସେମାନେ ହେରୋଦୀୟମାନଙ୍କ ସହିତ ଆପଣା ଶିଷ୍ୟମାନଙ୍କୁ ତାହାଙ୍କ ନିକଟକୁ କହି ପଠାଇଲେ, ହେ ଗୁରୁ, ଆମ୍ଭେମାନେ ଜାଣୁ, ଆପଣ ସତ୍ୟ ଏବଂ ସତ୍ୟ ରୂପେ ଈଶ୍ବରଙ୍କ ମାର୍ଗ ଶିକ୍ଷା ଦିଅନ୍ତି ପୁଣି, କାହାରିକୁ ଭୟ କରନ୍ତି ନାହିଁ, କାରଣ ଆପଣ ମନୁଷ୍ୟର ମୁଖାପେକ୍ଷା କରନ୍ତି ନାହିଁ।
१६परूश्यांनी त्यांचे शिष्य हेरोद्यांसह त्याच्याकडे पाठवून. ते म्हणाले, “गुरुजी, आम्हास माहीत आहे की आपण खरे आहात आणि तुम्ही देवाचा मार्ग खरेपणाने शिकवता व दुसरे काय विचार करतात याची तुम्ही पर्वा करीत नाही आणि तुम्ही लोकांमध्ये पक्षपात दाखवत नाही.
17 ଅତଏବ ଆମ୍ଭମାନଙ୍କୁ କୁହନ୍ତୁ, ଆପଣଙ୍କର ମତ କଅଣ? କାଇସର ସମ୍ରାଟଙ୍କୁ କର ଦେବା ବିଧିସଙ୍ଗତ କି ନୁହେଁ?
१७म्हणून तुमचे मत आम्हास सांगा, कैसराला कर देणे योग्य आहे की नाही?”
18 କିନ୍ତୁ ଯୀଶୁ ସେମାନଙ୍କର ଦୁଷ୍ଟତା ଜାଣି କହିଲେ, “ରେ କପଟୀମାନେ, କାହିଁକି ମୋତେ ପରୀକ୍ଷା କରୁଅଛ?”
१८येशूला त्यांचा दुष्ट उद्देश माहीत होता, म्हणून तो म्हणाला, “ढोंग्यांनो, तुम्ही माझी परीक्षा का घेत आहात?
19 “ସେହି କରର ମୁଦ୍ରା ମୋତେ ଦେଖାଅ।” ତହିଁରେ ସେମାନେ ତାହାଙ୍କ ପାଖକୁ ଗୋଟିଏ ମୁଦ୍ରା ଆଣିଲେ।
१९कर भरण्यासाठी जे नाणे वापरले जाते ते मला दाखवा.” त्या लोकांनी येशूला चांदीचे एक नाणे दाखविले.
20 ସେ ସେମାନଙ୍କୁ ପଚାରିଲେ, ଏହି ମୂର୍ତ୍ତି ଓ ନାମ କାହାର?
२०तेव्हा येशूने विचारले, “या नाण्यावर कोणाचे चित्र आणि नाव लिहिलेले आहे?”
21 ସେମାନେ କହିଲେ, କାଇସରଙ୍କର। ସେଥିରେ ସେ ସେମାନଙ୍କୁ କହିଲେ, “ତେବେ କାଇସର ସମ୍ରାଟଙ୍କର ଯାହା, ତାହା କାଇସରଙ୍କୁ ଦିଅ; ପୁଣି, ଈଶ୍ବରଙ୍କର ଯାହା, ତାହା ଈଶ୍ବରଙ୍କୁ ଦିଅ।”
२१त्या लोकांनी उत्तर दिले, “कैसराचे.” यावर येशू त्यांना म्हणाला, “जे कैसराचे आहे ते कैसराला द्या आणि जे देवाचे आहे ते देवाला द्या.”
22 ସେମାନେ ଏହା ଶୁଣି ଚମତ୍କୃତ ହୋଇ ତାହାଙ୍କୁ ଛାଡ଼ି ଚାଲିଗଲେ।
२२येशू जे म्हणाला ते त्या लोकांनी ऐकले तेव्हा ते आश्चर्यचकित झाले आणि तेथून निघून गेले.
23 ପୁନରୁତ୍ଥାନ ନାସ୍ତି କରୁଥିବା ସାଦ୍ଦୂକୀମାନେ ସେହି ଦିନ ତାହାଙ୍କ ପାଖକୁ ଆସି ପଚାରିଲେ,
२३पुनरुत्थान होत नाही, असे म्हणणाऱ्या काही सदूक्यांनी त्याच दिवशी त्याच्याकडे येऊन त्यास विचारले,
24 ହେ ଗୁରୁ, ମୋଶା କହିଅଛନ୍ତି ଯେ, ଯଦି କେହି ନିଃସନ୍ତାନ ହୋଇ ମରେ, ତେବେ ତାହାର ଭାଇ ତାହାର ଭାର୍ଯ୍ୟାକୁ ବିବାହ କରି ଆପଣା ଭାଇ ନିମନ୍ତେ ବଂଶ ଉତ୍ପନ୍ନ କରିବ।
२४ते म्हणाले, “गुरूजी, मोशेने शिकविले की, जर एखादा मनुष्य मरण पावला आणि त्यास मूलबाळ नसेल, तर त्याच्या भावाने त्याच्या पत्नीशी लग्न करावे, म्हणजे मरण पावलेल्या भावाचा वंश चालेल.
25 ଦେଖନ୍ତୁ, ଆମ୍ଭମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ସାତ ଭାଇ ଥିଲେ; ପ୍ରଥମଟି ବିବାହ କରି ମରିଗଲା, ପୁଣି, ନିଃସନ୍ତାନ ଥିବାରୁ ଆପଣା ଭାଇ ପାଇଁ ନିଜ ଭାର୍ଯ୍ୟାକୁ ଛାଡ଼ିଗଲା;
२५आता, आमच्यामध्ये सात भाऊ होते. पहिल्याने लग्न केले आणि नंतर तो मरण पावला आणि त्यास मूल नसल्याने त्याच्या भावाने त्याच्या पत्नीशी लग्न केले.
26 ଦ୍ୱିତୀୟ, ତୃତୀୟ ଆଦି ସପ୍ତମ ଜଣ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ମଧ୍ୟ ସେହି ପ୍ରକାର କଲେ।
२६असेच दुसऱ्या व तिसऱ्या भावाच्या बाबतीतही घडले व सातही भावांनी तिच्याशी लग्न केले आणि मरण पावले.
27 ସମସ୍ତଙ୍କ ଶେଷରେ ସ୍ତ୍ରୀଟି ମରିଗଲା।
२७शेवटी ती स्त्री मरण पावली.
28 ତେବେ ପୁନରୁତ୍ଥାନରେ ସେହି ସାତ ଜଣଙ୍କ ମଧ୍ୟରୁ ସେ କାହାର ସ୍ତ୍ରୀ ହେବ? ସମସ୍ତେ ତ ତାହାକୁ ବିବାହ କରିଥିଲେ।
२८आता प्रश्न असा आहे की, पुनरुत्थानाच्या वेळेस ती कोणाची पत्नी असेल, कारण सर्व सातही भावांनी तिच्याशी लग्न केले होते.”
29 ଯୀଶୁ ସେମାନଙ୍କୁ ଉତ୍ତର ଦେଲେ, “ତୁମ୍ଭେମାନେ ଧର୍ମଶାସ୍ତ୍ର ପୁଣି, ଈଶ୍ବରଙ୍କ ଶକ୍ତି ମଧ୍ୟ ନ ଜାଣି ଭ୍ରାନ୍ତ ହେଉଅଛ।
२९येशूने त्यांना उत्तर देऊन म्हटले, “तुम्ही चुकीची समजूत करून घेत आहात, कारण तुम्हास शास्त्रलेख व देवाचे सामर्थ्य माहीत नाही.
30 କାରଣ ପୁନରୁତ୍ଥାନରେ ଲୋକେ ବିବାହ କରନ୍ତି ନାହିଁ, କିମ୍ବା ବିବାହିତ ହୁଅନ୍ତି ନାହିଁ, କିନ୍ତୁ ସ୍ୱର୍ଗସ୍ଥ ଦୂତମାନଙ୍କ ପରି ରୁହନ୍ତି।
३०तुम्हास समजले पाहिजे की, पुनरुत्थानानंतरच्या जीवनात लोक लग्न करणार नाहीत किंवा करून देणार नाहीत, उलट ते स्वर्गात देवदूतासारखे असतील.
31 ମାତ୍ର ମୃତମାନଙ୍କ ପୁନରୁତ୍ଥାନ ବିଷୟରେ ଈଶ୍ବର ତୁମ୍ଭମାନଙ୍କୁ ଯାହା କହିଅଛନ୍ତି, ତାହା କି ତୁମ୍ଭେମାନେ ପାଠ କରି ନାହଁ?
३१तरी, मरण पावलेल्यांच्या पुनरुत्थानाविषयी देवाने तुम्हास जे सांगितले ते तुम्ही अजूनपर्यंत वाचले नाही काय?
32 ‘ଆମ୍ଭେ ଅବ୍ରହାମଙ୍କ ଈଶ୍ବର, ଇସ୍‌ହାକଙ୍କ ଈଶ୍ବର ଓ ଯାକୁବଙ୍କ ଈଶ୍ବର।’ ସେ ମୃତମାନଙ୍କ ଈଶ୍ବର ନୁହଁନ୍ତି, ମାତ୍ର ଜୀବିତମାନଙ୍କର।”
३२ते असे की, ‘मी अब्राहामाचा देव, इसहाकाचा देव आणि याकोबाचा देव आहे,’ तो मरण पावलेल्यांचा देव नाही तर जिवंताचा देव आहे.”
33 ଲୋକମାନେ ଏହା ଶୁଣି ତାହାଙ୍କ ଶିକ୍ଷାରେ ଆଶ୍ଚର୍ଯ୍ୟାନ୍ୱିତ ହେଲେ।
३३जेव्हा जमावाने हे ऐकले तेव्हा त्याच्या शिकवणीने आश्चर्यचकित झाले.
34 ସେ ସାଦ୍ଦୂକୀମାନଙ୍କୁ ନିରୁତ୍ତର କରିଅଛନ୍ତି, ଏହା ଶୁଣି ଫାରୂଶୀମାନେ ଏକତ୍ର ହେଲେ,
३४येशूने सदूकी लोकांस निरूत्तर केले. असे ऐकून परूश्यांनी एकत्र येऊन मसलत केली.
35 ଆଉ ସେମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରୁ ଜଣେ ମୋଶାଙ୍କ ବ୍ୟବସ୍ଥାଶାସ୍ତ୍ରଜ୍ଞ ତାହାଙ୍କୁ ପରୀକ୍ଷା କରି ପଚାରିଲେ,
३५एक परूशी नियमशास्त्राचा जाणकार होत, त्याने त्याची परीक्षा पाहावी म्हणून प्रश्न केला.
36 ହେ ଗୁରୁ, ମୋଶାଙ୍କ ବ୍ୟବସ୍ଥା ମଧ୍ୟରେ କି ପ୍ରକାର ଆଜ୍ଞା ଶ୍ରେଷ୍ଠ?
३६त्याने विचारले, “गुरूजी, नियमशास्त्रातील कोणती आज्ञा सर्वांत महत्त्वाची आहे?”
37 ସେ ତାହାଙ୍କୁ କହିଲେ, “‘ତୁମ୍ଭେ ଆପଣାର ସମସ୍ତ ଅନ୍ତଃକରଣ, ସମସ୍ତ ପ୍ରାଣ ଓ ସମସ୍ତ ମନ ଦେଇ ପ୍ରଭୁ, ଆପଣା ଈଶ୍ବରଙ୍କୁ ପ୍ରେମ କର।’
३७येशूने उत्तर दिले, “‘प्रभू आपला देव याजवर तू आपल्या पूर्ण अंतःकरणाने, आपल्या पूर्ण जिवाने, आपल्या पूर्ण मनाने प्रीती कर.’
38 ଏହା ହିଁ ଶ୍ରେଷ୍ଠ ଓ ପ୍ରଥମ ଆଜ୍ଞା।
३८ही पहिली आणि मोठी आज्ञा आहे.
39 ଦ୍ୱିତୀୟଟି ଏହାର ସଦୃଶ, ‘ତୁମ୍ଭେ ଆପଣା ପ୍ରତିବାସୀକୁ ଆତ୍ମତୁଲ୍ୟ ପ୍ରେମ କର।’
३९हिच्यासारखी दुसरी एक आहे ‘जशी आपणावर तशी आपल्या शेजाऱ्यावर प्रीती कर.’
40 ଏହି ଦୁଇ ଆଜ୍ଞା ଉପରେ ସମସ୍ତ ମୋଶାଙ୍କ ବ୍ୟବସ୍ଥା ଓ ଭାବବାଦୀମାନଙ୍କର ଧର୍ମଶାସ୍ତ୍ର ନିର୍ଭର କରେ।”
४०सर्व नियमशास्त्र आणि संदेष्ट्यांचे लिखाण या दोन आज्ञांवरच अवलंबून आहे.”
41 ଫାରୂଶୀମାନେ ଏକତ୍ର ହୋଇଥିବା ସମୟରେ ଯୀଶୁ ସେମାନଙ୍କୁ ପଚାରିଲେ,
४१म्हणून परूशी एकत्र जमले असताना, येशूने त्यांना प्रश्न केला.
42 “ଖ୍ରୀଷ୍ଟଙ୍କ ବିଷୟରେ ତୁମ୍ଭମାନଙ୍କର ମତ କଅଣ? ସେ କାହାର ସନ୍ତାନ? ସେମାନେ ତାହାଙ୍କୁ କହିଲେ, ଦାଉଦଙ୍କର।”
४२येशू म्हणाला, “ख्रिस्ताविषयी तुमचे काय मत आहे? तो कोणाचा पुत्र आहे?” परूश्यांनी उत्तर दिले, “ख्रिस्त हा दाविदाचा पुत्र आहे.”
43 ଯୀଶୁ ସେମାନଙ୍କୁ କହିଲେ, “ତେବେ ଦାଉଦ କିପ୍ରକାରେ ଆତ୍ମାଙ୍କ ଦ୍ୱାରା ତାହାଙ୍କୁ ‘ପ୍ରଭୁ’ ବୋଲି କହନ୍ତି?
४३त्यावर येशू त्यांना म्हणाला, “तर दावीद देवाच्या आत्म्याद्वारे, त्याला प्रभू असे कसे म्हणतो? तो म्हणतो,
44 ‘ଯଥା, ପ୍ରଭୁ ମୋହର ପ୍ରଭୁଙ୍କୁ କହିଲେ, ଆମ୍ଭେ ଯେପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ତୁମ୍ଭର ଶତ୍ରୁମାନଙ୍କୁ ତୁମ୍ଭ ପାଦ ତଳେ ରଖି ନାହୁଁ, ସେପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଆମ୍ଭର ଦକ୍ଷିଣରେ ବସିଥାଅ।’
४४‘परमेश्वराने माझ्या प्रभूला सांगितले की, “मी तुझे वैरी तुझे पादासन करीपर्यंत, माझ्या उजव्या बाजूला बैस.”
45 ଅତଏବ, ଦାଉଦ ଯଦି ତାହାଙ୍କୁ ‘ପ୍ରଭୁ’ ବୋଲି କହନ୍ତି, ତେବେ ସେ କିପ୍ରକାରେ ତାହାଙ୍କର ସନ୍ତାନ?”
४५आता, मग जर दावीद त्यास प्रभू म्हणतो तर तो दाविदाचा पुत्र कसा होऊ शकतो?
46 ସେଥିରେ କେହି ତାହାଙ୍କୁ ପଦେ ହେଲେ ଉତ୍ତର ଦେଇ ପାରିଲେ ନାହିଁ, ପୁଣି, ସେହି ଦିନଠାରୁ କେହି ତାହାଙ୍କୁ ପ୍ରଶ୍ନ ପଚାରିବାକୁ ସାହସ କଲେ ନାହିଁ।
४६तेव्हा कोणाला एका शब्दानेही त्यास उत्तर देता येईना आणि त्या दिवसानंतर त्यास आणखी प्रश्न विचारण्याचे धाडस कोणीही केले नाही.

< ମାଥିଉ 22 >