< ମୋଶାଙ୍କ ଲିଖିତ ତୃତୀୟ ପୁସ୍ତକ 7 >
1 “ଆଉ, ଦୋଷାର୍ଥକ ବଳିର ବ୍ୟବସ୍ଥା ଏହି; ତାହା ମହାପବିତ୍ର।
१दोषार्पणाविषयीचा विधी असा आहे: हे अर्पण परमपवित्र आहे.
2 ଯେଉଁ ସ୍ଥାନରେ ଲୋକମାନେ ହୋମବଳି ବଧ କରନ୍ତି, ସେହି ସ୍ଥାନରେ ସେମାନେ ଦୋଷାର୍ଥକ ବଳି ବଧ କରିବେ; ପୁଣି, ଯାଜକ ବେଦି ଉପରେ ଚାରିଆଡ଼େ ତାହାର ରକ୍ତ ଛିଞ୍ଚିବ।
२ज्या स्थानी होमबलीचा वध करावयाचा त्याच स्थानी दोषार्पणाच्या बलीचा वध करावा, आणि याजकाने त्या बलीचे रक्त वेदीवर सभोवती टाकावे.
3 ଆଉ, ସେ ତାହାର ସବୁ ମେଦ, ଅର୍ଥାତ୍, ମେଦମୟ ଲାଙ୍ଗୁଳ, ଅନ୍ତ ଆଚ୍ଛାଦକ ମେଦ, ଦୁଇ ଗୁର୍ଦା
३त्याची सर्व चरबी त्याने अर्पावी; त्याचे चरबीदार शेपूट, आतड्यावरील चरबी,
4 ଓ ତହିଁ ଉପରିସ୍ଥ ପାର୍ଶ୍ୱବର୍ତ୍ତୀ ମେଦ ଓ ଦୁଇ ଗୁର୍ଦା ସହିତ ଯକୃତର ଉପରିସ୍ଥ ଅନ୍ତପ୍ଲାବକ ନେଇ ଉତ୍ସର୍ଗ କରିବ।
४दोन्ही गुरदे, त्याच्यावरील कमरेजवळील चरबी व गुरद्यापर्यंतचा काळजावरील चरबीचा पडदा वेगळे करावेत.
5 ପୁଣି, ଯାଜକ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟରେ ଅଗ୍ନିକୃତ ଉପହାରାର୍ଥେ ବେଦି ଉପରେ ତାହାସବୁ ଦଗ୍ଧ କରିବ; ଏହା ଦୋଷାର୍ଥକ ବଳି।
५या सर्वांचा याजकाने होम करावा; हे परमेश्वरासाठी होमार्पण आहे. हेच दोषार्पण होय.
6 ଯାଜକଗଣ ମଧ୍ୟରେ ପ୍ରତ୍ୟେକ ପୁରୁଷ ତାହା ଭୋଜନ କରିବେ; କୌଣସି ପବିତ୍ର ସ୍ଥାନରେ ତାହା ଭୋଜନ କରାଯିବ; ତାହା ମହାପବିତ୍ର।
६याजक वर्गातील प्रत्येक पुरुषाला हे दोषार्पण बली खाण्याचा हक्क आहे; ते परमपवित्र आहे, ते पवित्र स्थानी बसून खावे.
7 ଯେପରି ପାପାର୍ଥକ ବଳି, ସେପରି ଦୋଷାର୍ଥକ ବଳି; ଯେଉଁ ଯାଜକ ତଦ୍ଦ୍ୱାରା ପ୍ରାୟଶ୍ଚିତ୍ତ କରେ, ତାହା ତାହାରି ହେବ; ଦୁଇଟିର ବ୍ୟବସ୍ଥା ଏକ।
७दोषार्पण पापार्पणासारखेच आहे; त्या दोघांचे विधी एकच आहेत; जो याजक ह्याच्याद्वारे प्रायश्चित करील त्याचा त्या अर्पणावर हक्क आहे.
8 ପୁଣି ଯାଜକ ଯେଉଁ ଲୋକର ହୋମବଳି ଉତ୍ସର୍ଗ କରେ, ତାହାର ସେହି ଉତ୍ସର୍ଗିତ ହୋମବଳି ପଶୁର ଚର୍ମ ସେହି ଯାଜକର ନିଜ ପାଇଁ ହେବ।
८प्रायश्चित करणाऱ्या याजकाचा त्या होमार्पणाच्या बलीच्या कातड्यावरही हक्क असेल.
9 ପୁଣି, ତନ୍ଦୁରରେ ବା କରେଇରେ ଅବା ପଲମରେ ରନ୍ଧନ ହୋଇଥିବା ଯେତେ ଭକ୍ଷ୍ୟ ନୈବେଦ୍ୟ, ତାହାସବୁ ଉତ୍ସର୍ଗକାରୀ ଯାଜକର ହେବ।
९भट्टीत भाजलेले कढईत किंवा तव्यावर तळलेले सर्व अन्नार्पण, ते अर्पण करणाऱ्या याजकाचे होईल.
10 ମାତ୍ର ତୈଳ ମିଶ୍ରିତ ବା ଶୁଷ୍କ ଭକ୍ଷ୍ୟ ନୈବେଦ୍ୟସବୁ ହାରୋଣଙ୍କର ପୁତ୍ରଗଣ ମଧ୍ୟରେ ପ୍ରତ୍ୟେକଙ୍କର ସମାନ ଅଂଶ ହେବ।”
१०प्रत्येक अन्नार्पण तेल मिश्रित किंवा कोरडे, ते अर्पण करणाऱ्या अहरोनाच्या मुलांचे आहे; त्या सर्वाचा त्यांच्यावर सारखाच हक्क आहे.
11 “ଆଉ, ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟରେ ଉତ୍ସର୍ଗିତ ମଙ୍ଗଳାର୍ଥକ ଉପହାର ବଳିର ବ୍ୟବସ୍ଥା ଏହି।
११परमेश्वरासाठी कोणाला शांत्यर्पणाचा यज्ञ करावयाचा असेल तर त्याचा विधी असा:
12 କେହି ଯଦି ପ୍ରଶଂସାର୍ଥକ ବଳି ଆଣେ, ତେବେ ସେ ପ୍ରଶଂସାର୍ଥକ ବଳି ସହିତ ତୈଳ ମିଶ୍ରିତ ତାଡ଼ିଶୂନ୍ୟ ପିଠା, ତୈଳଲେପିତ ତାଡ଼ିଶୂନ୍ୟ ଚକୁଳି ଓ ସରୁ ମଇଦାର ତୈଳ ମିଶ୍ରିତ ରନ୍ଧନ ହୋଇଥିବା ପିଠା ଉତ୍ସର୍ଗ କରିବ।
१२त्यास तो शांत्यर्पणाचा यज्ञ उपकारस्तुतीसाठी करावयाचा असेल तर त्याने तेलात मळलेल्या, बेखमीर पोळ्या, तेल लावलेल्या बेखमीर चपात्या आणि तेलात मळलेल्या सपिठाच्या तळलेल्या पोळया उपकारस्तुतीच्या यज्ञासोबत अर्पाव्या.
13 ଆଉ, ସେ ମଙ୍ଗଳାର୍ଥକ ପ୍ରଶଂସା ବଳି ସହିତ ତାଡ଼ିଯୁକ୍ତ ରୁଟିର ପିଠା ଦେଇ ଆପଣା ଉପହାର ଆଣିବ।
१३त्याच्या उपकारस्तुतीच्या शांत्यर्पणाच्या यज्ञासोबत त्याने खमिर घातलेल्या भाकरीही अर्पाव्या
14 ତହୁଁ ସେ ପ୍ରତ୍ୟେକ ଉପହାରରୁ ଏକ ଏକ ପିଠା ନେଇ ଉତ୍ତୋଳନୀୟ ନୈବେଦ୍ୟ ରୂପେ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟରେ ଉତ୍ସର୍ଗ କରିବ; ଯେଉଁ ଯାଜକ ମଙ୍ଗଳାର୍ଥକ ବଳିର ରକ୍ତ ଛିଞ୍ଚିବ, ତାହା ତାହାରି ହେବ।
१४या प्रत्येक अर्पणातून परमेश्वरासाठी प्रत्येकी एक पोळी अर्पावी; शांत्यर्पणाचे रक्त शिंपडणाऱ्या याजकाचा त्या पोळीवर हक्क आहे.
15 ପୁଣି, ମଙ୍ଗଳାର୍ଥକ ପ୍ରଶଂସା ବଳିର ମାଂସ ତାହାର ଉତ୍ସର୍ଗ ଦିନରେ ଭୋଜନ କରାଯିବ; ସେ ପ୍ରାତଃକାଳ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ତହିଁରୁ କିଛି ରଖିବ ନାହିଁ।
१५त्याने उपकारस्तुतीसाठी केलेल्या शांत्यर्पणाच्या यज्ञबलीचे मांस, अर्पण करण्याच्या दिवशीच खावे; त्यातील काही सकाळपर्यंत ठेवू नये.
16 ମାତ୍ର ଯଦି ସେହି ଉପହାର ବଳି ତାହାର ମାନତ ବା ସ୍ୱେଚ୍ଛାଦତ୍ତ ନୈବେଦ୍ୟ ହୁଏ, ତେବେ ତାହାର ସେହି ବଳି ଉତ୍ସର୍ଗ କରିବା ଦିନରେ ତାହା ଭୋଜନ କରାଯିବ; ପୁଣି ତହିଁରୁ ଯାହା ଅବଶିଷ୍ଟ ରହିବ, ତାହା ଆରଦିନ ପ୍ରାତଃକାଳରେ ଭୋଜନ କରାଯିବ।
१६यज्ञबलीचे अर्पण नवसाचे किंवा स्वखुशीचे असेल तर ज्या दिवशी तो ते अर्पील त्यादिवशीच त्याने ते खावे आणि जर त्यातून काही उरेल तर त्याने दुसऱ्या दिवशीही खावे.
17 ମାତ୍ର ତୃତୀୟ ଦିନରେ ବଳିର ଅବଶିଷ୍ଟ ମାଂସ ଅଗ୍ନିରେ ଦଗ୍ଧ କରାଯିବ।
१७त्या यज्ञबलीचे काही मांस तिसऱ्या दिवसापर्यंत उरले तर ते अग्नीत जाळूत टाकावे.
18 ଯଦି ତୃତୀୟ ଦିନରେ ତାହାର ସେହି ମଙ୍ଗଳାର୍ଥକ ଉପହାର ବଳିରୁ କିଛିମାତ୍ର ଭୋଜନ କରାଯାଏ, ତେବେ ତାହା ଗ୍ରାହ୍ୟ ହେବ ନାହିଁ, କିଅବା ତହିଁର ଉତ୍ସର୍ଗକାରୀ ପକ୍ଷରେ ତାହା ଗଣାଯିବ ନାହିଁ; ତାହା ଘୃଣାଯୋଗ୍ୟ ହେବ, ପୁଣି ଯେଉଁ ପ୍ରାଣୀ ତାହା ଭୋଜନ କରେ, ସେ ଆପଣା ଅପରାଧ ବୋହିବ।
१८जर कोणी शांत्यर्पणाच्या यज्ञबलीच्या मांसातून तिसऱ्या दिवशी मांस खाईल तर परमेश्वरास ते आवडणार नाही, व तो ते अर्पण मान्य करणार नाही; ते अर्पण अमंगळ होईल; त्या पापाबद्दल भोगाव्या लागणाऱ्या शिक्षेस तो स्वत: जबाबदार राहील.
19 ଆଉ, ସେହି ମାଂସ କୌଣସି ଅଶୁଚି ବସ୍ତୁରେ ଲାଗିଲେ, ତାହା ଭୋଜନ କରାଯିବ ନାହିଁ; ତାହା ଅଗ୍ନିରେ ଦଗ୍ଧ ହେବ। ଆଉ, ସେହି ଶୁଚି ମାଂସ ପ୍ରତ୍ୟେକ ଶୁଚି ଲୋକ ଭୋଜନ କରିବ।
१९ज्या मांसास कोणत्याही अशुद्ध वस्तूचा स्पर्श झाला असेल ते खाऊ नये; ते अग्नीत जाळून टाकावे. शुद्ध असणाऱ्यानेच यज्ञबलीचे मांस खावे;
20 ମାତ୍ର ଯେଉଁ ପ୍ରାଣୀ ଆପଣା ଶରୀରରେ ଅଶୁଚିତା ଥାଉ ଥାଉ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ସମ୍ବନ୍ଧୀୟ ମଙ୍ଗଳାର୍ଥକ ବଳିର ମାଂସ ଭୋଜନ କରେ, ସେହି ପ୍ରାଣୀ ଆପଣା ଲୋକମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରୁ ଉଚ୍ଛିନ୍ନ ହେବ।
२०परंतु जर कोणी अशुद्ध असून परमेश्वरास अर्पिलेल्या शांत्यर्पणाच्या यज्ञबलीचे मांस खाईल तर त्यास आपल्या लोकांतून बाहेर काढावे.
21 ଯେବେ କେହି କୌଣସି ବସ୍ତୁ, ଅର୍ଥାତ୍, ମନୁଷ୍ୟର ଅଶୁଚିତା, କି ଅଶୁଚି ପଶୁ, କିଅବା କୌଣସି ଘୃଣାଯୋଗ୍ୟ ଅଶୁଚି ବସ୍ତୁ ସ୍ପର୍ଶ କରି ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ସମ୍ବନ୍ଧୀୟ ମଙ୍ଗଳାର୍ଥକ ବଳିର ମାଂସ ଭୋଜନ କରେ, ତେବେ ସେହି ଭୋଜନକାରୀ ପ୍ରାଣୀ ଆପଣା ଲୋକମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରୁ ଉଚ୍ଛିନ୍ନ ହେବ।”
२१एखादा मनुष्य जर एखाद्या अशुद्ध वस्तुला स्पर्श करेल मग ती अशुद्धता मनुष्याची, पशूची किंवा दुसऱ्या कोणत्या अमंगळ पदार्थाची असो, तर तो अशुद्ध होईल आणि परमेश्वरास अर्पण केलेल्या शांत्यर्पणाच्या यज्ञबलीचे जर तो मांस खाईल तर त्यास आपल्या लोकांतून बाहेर काढावे.
22 ଆହୁରି, ସଦାପ୍ରଭୁ ମୋଶାଙ୍କୁ କହିଲେ
२२परमेश्वर मोशेला म्हणाला,
23 “ତୁମ୍ଭେ ଇସ୍ରାଏଲ-ସନ୍ତାନଗଣକୁ କୁହ, ‘ତୁମ୍ଭେମାନେ ଗୋରୁର, କି ମେଷର କି ଛେଳିର ମେଦ ଭୋଜନ କରିବ ନାହିଁ।
२३सर्व इस्राएल लोकांस असे सांग: तुम्ही बैलाची मेंढराची किंवा बकऱ्याची चरबी खाऊ नये.
24 ପୁଣି ସ୍ୱୟଂମୃତ ବା ପଶୁ ଦ୍ୱାରା ବିଦୀର୍ଣ୍ଣ ପଶୁର ମେଦ ଅନ୍ୟ କୌଣସି କାର୍ଯ୍ୟରେ ବ୍ୟବହାର କରାଯାଇପାରେ; ମାତ୍ର ତୁମ୍ଭେମାନେ କୌଣସିମତେ ତାହା ଭୋଜନ କରିବ ନାହିଁ।
२४मरण पावलेल्या जनावराची चरबी किंवा इतर पशूंनी फाडून टाकलेल्या जनावराची चरबी तुम्ही इतर कामासाठी वापरावी पण ती मुळीच खाऊ नये.
25 କାରଣ ମନୁଷ୍ୟମାନେ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟରେ ଅଗ୍ନିକୃତ ଉପହାର ରୂପେ ଯେଉଁ ପଶୁ ଉତ୍ସର୍ଗ କରନ୍ତି, ତାହାର ମେଦ ଯେବେ କେହି ଭୋଜନ କରେ; ତେବେ ତାହା ଭୋଜନକାରୀ ସେହି ପ୍ରାଣୀ ଆପଣା ଲୋକମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରୁ ଉଚ୍ଛିନ୍ନ ହେବ।
२५परमेश्वरास होमाद्ववारे अर्पिलेल्या पशूची चरबी जर कोणी खाईल तर त्यास आपल्या लोकांतून बाहेर काढावे
26 ପୁଣି, ତୁମ୍ଭମାନଙ୍କର କୌଣସି ବାସ ସ୍ଥାନରେ ତୁମ୍ଭେମାନେ କୌଣସି ପକ୍ଷୀର କି ପଶୁର ରକ୍ତ ଭୋଜନ କରିବ ନାହିଁ।
२६“तुम्ही कोठेही राहत असला तरी आपल्या घरात पक्ष्याचे किंवा जनावराचे रक्त तुम्ही कधीही खाऊ नये.
27 ଯେକୌଣସି ରକ୍ତ ଯିଏ ଭୋଜନ କରେ, ସେ ଯିଏ ହେଉ, ସେହି ପ୍ରାଣୀ ଆପଣା ଲୋକମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରୁ ଉଚ୍ଛିନ୍ନ ହେବ।’”
२७जर कोणी कोणतेही रक्त खाईल तर त्यास आपल्या लोकांतून बाहेर काढावे.”
28 ଆଉ, ସଦାପ୍ରଭୁ ମୋଶାଙ୍କୁ କହିଲେ, ଇସ୍ରାଏଲ-ସନ୍ତାନଗଣକୁ କୁହ,
२८परमेश्वर मोशेला म्हणाला,
29 “ଯେକେହି ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟରେ ମଙ୍ଗଳାର୍ଥକ ବଳି ଉତ୍ସର୍ଗ କରେ, ସେ ଆପଣା ମଙ୍ଗଳାର୍ଥକ ବଳିରୁ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ନିକଟକୁ ଆପଣା ନୈବେଦ୍ୟ ଆଣିବ।
२९“इस्राएल लोकांस असे सांग: जर कोणी परमेश्वरासमोर आपल्या शांत्यर्पणाचा यज्ञबली अर्पील तर त्याने त्या अर्पणातून काही भाग परमेश्वराकडे आणावा.
30 ତାହାର ନିଜ ହସ୍ତ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟରେ ଅଗ୍ନିକୃତ ଉପହାର ଆଣିବ; ସେ ବକ୍ଷ ସହିତ ମେଦ ଆଣିବ, ତହିଁରେ ସେହି ବକ୍ଷ ଦୋଳନୀୟ ନୈବେଦ୍ୟାର୍ଥେ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ସାକ୍ଷାତରେ ଦୋଳାୟିତ ହେବ।
३०त्याने आपल्या हाताने परमेश्वरासाठी अर्पणे आणावी; त्याने चरबी व ऊर याजकाकडे आणावा; ते ऊर परमेश्वरासमोर ओवाळले जाईल; हे ओवाळणीचे अर्पण होय.
31 ପୁଣି ଯାଜକ ବେଦି ଉପରେ ସେହି ମେଦ ଦଗ୍ଧ କରିବ, ମାତ୍ର ବକ୍ଷ ହାରୋଣର ଓ ତାହାର ପୁତ୍ରଗଣଙ୍କର ହେବ।
३१मग याजकाने त्या चरबीचा होम करावा परंतु ऊर अहरोन व त्याचे पुत्र ह्यांचा होईल.
32 ପୁଣି, ତୁମ୍ଭେମାନେ ଆପଣା ଆପଣା ମଙ୍ଗଳାର୍ଥକ ବଳିରୁ ଡାହାଣ ଜଙ୍ଘ ଉତ୍ତୋଳନୀୟ ଉପହାର ରୂପେ ଯାଜକକୁ ଦେବ।
३२तसेच तुम्ही आपल्या शांत्यर्पणाच्या यज्ञबलीची उजवी मांडीही समर्पित केलेला अंश म्हणून याजकाला द्यावी.
33 ହାରୋଣର ପୁତ୍ରଗଣଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ଯେକେହି ମଙ୍ଗଳାର୍ଥକ ବଳିର ରକ୍ତ ଓ ମେଦ ଉତ୍ସର୍ଗ କରେ, ସେ ଆପଣା ଅଂଶ ରୂପେ ମଙ୍ଗଳାର୍ଥକ ବଳିର ଡାହାଣ ଜଙ୍ଘ ପାଇବ।
३३अहरोनाच्या मुलांपैकी जो कोणी शांत्यर्पणाचे रक्त व चरबी अर्पील त्याचा त्या मांडीवर हक्क असावा.
34 ଯେହେତୁ ଆମ୍ଭେ ଇସ୍ରାଏଲ-ସନ୍ତାନଗଣର ମଙ୍ଗଳାର୍ଥକ ବଳିରୁ ଦୋଳନୀୟ ନୈବେଦ୍ୟର ବକ୍ଷ ଓ ଉତ୍ତୋଳନୀୟ ଉପହାରର ଜଙ୍ଘ ନେଇ ଇସ୍ରାଏଲ-ସନ୍ତାନଗଣର ଅନନ୍ତକାଳୀନ ଦେୟ ରୂପେ ହାରୋଣ ଯାଜକକୁ ଓ ତାହାର ପୁତ୍ରଗଣଙ୍କୁ ଦେଇଅଛୁ।
३४मी परमेश्वर इस्राएल लोकांच्या शांत्यर्पणाच्या यज्ञबलीतून ओवाळणीचा ऊर व उजवी मांडी काढून घेऊन अहरोन याजक व त्याचे पुत्र ह्याना दिली आहे; हा इस्राएल लोकांकडून त्यांना मिळणारा नेहमीचा हिस्सा आहे. इस्राएल लोकांनी हा निरंतरचा विधी म्हणून पिढ्यानपिढया पाळावा.”
35 ଯେଉଁ ଦିନ ମୋଶା ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ଛାମୁରେ ଯାଜକ କର୍ମ କରିବା ନିମନ୍ତେ ହାରୋଣଙ୍କୁ ଓ ତାହାର ପୁତ୍ରଗଣଙ୍କୁ ଉପସ୍ଥିତ କରାଇଲେ, ସେହି ଦିନଠାରୁ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ଅଗ୍ନିକୃତ ଉପହାର ମଧ୍ୟରୁ ଏହା ହିଁ ସେମାନଙ୍କର ଅଭିଷେକ ଅଂଶ;
३५परमेश्वराकरिता अर्पिलेल्या अर्पणातून हे भाग अहरोन व त्याचे पुत्र ह्यांना देण्यात आलेले आहेत; जेव्हा जेव्हा ते याजक म्हणून परमेश्वराची सेवा करतात तेव्हा तेव्हा त्या समर्पणातून ते भाग त्यांना मिळावेत. देवाची सेवा करणारे याजक म्हणून ज्या दिवशी त्यांची नेमणूक करण्यात आली त्याच दिवसापासून असे ठरले आहे.
36 ସେ ସେମାନଙ୍କୁ ଅଭିଷେକ କରିବା ଦିନ ସଦାପ୍ରଭୁ ଇସ୍ରାଏଲ-ସନ୍ତାନଗଣଠାରୁ ତାହା ଦତ୍ତ ହେବା ନିମନ୍ତେ ଆଜ୍ଞା ଦେଲେ। ତାହା ସେମାନଙ୍କର ପୁରୁଷାନୁକ୍ରମେ ଅନନ୍ତକାଳୀନ ଦେୟ।”
३६परमेश्वराने ज्या दिवशी त्यांना अभिषेक केला त्यादिवशी त्याने इस्राएल लोकांकडून हा भाग त्यांना मिळावा अशी आज्ञा दिली व हा त्यांचा पिढ्यानपिढ्या कायमचा हक्क ठरला आहे.
37 ହୋମବଳି, ଭକ୍ଷ୍ୟ ନୈବେଦ୍ୟ, ପାପାର୍ଥକ ବଳି, ଦୋଷାର୍ଥକ ବଳି ଓ ପଦନିଯୋଗାର୍ଥକ; ପୁଣି ମଙ୍ଗଳାର୍ଥକ ବଳିର ଏହି ବ୍ୟବସ୍ଥା।
३७हे विधी होमार्पण, अन्नार्पण, पापार्पण, दोषार्पण, याजकाच्या समर्पणाच्या वेळचे अर्पण आणि शांत्यर्पण या विषयीचे आहे;
38 ସଦାପ୍ରଭୁ ଯେଉଁ ଦିନ ସୀନୟ ପ୍ରାନ୍ତରସ୍ଥିତ ଇସ୍ରାଏଲ-ସନ୍ତାନଗଣକୁ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ଉଦ୍ଦେଶ୍ୟରେ ଆପଣା ଆପଣା ଉପହାର ଦେବାକୁ ଆଜ୍ଞା ଦେଲେ, ସେହି ଦିନ ସୀନୟ ପର୍ବତରେ ମୋଶାଙ୍କୁ ଆଜ୍ଞା ଦେଲେ।
३८इस्राएल लोकांनी परमेश्वराकरिता काय अर्पणे आणावीत या विषयी त्याने त्यांना सीनाय रानात आज्ञा दिली त्यावेळी त्याने मोशेला ह्याप्रमाणे सीनाय पर्वतावर हे विधी लावून दिले.