< ଯିରିମୀୟଙ୍କ ବିଳାପ 3 >

1 ଯେ ତାହାଙ୍କ କ୍ରୋଧରୂପ ପାଞ୍ଚଣ ଦ୍ୱାରା କ୍ଳେଶ ଦେଖିଅଛି, ମୁଁ ସେହି ମନୁଷ୍ୟ।
तो पूरूष मीच आहे, ज्याने परमेश्वराच्या क्रोधाच्या काठीकडून संकटे पाहिली.
2 ସେ ମୋତେ ଆଲୁଅରେ ନୁହେଁ, ଅନ୍ଧକାରରେ ଚଳାଇ ଅଛନ୍ତି।
त्याने मला दूर करून प्रकाशाकडे न जाता अंधारात चालण्यास भाग पाडले.
3 ସେ ନିଶ୍ଚୟ ମୋʼ ବିରୁଦ୍ଧରେ ଦିନସାରା ଆପଣା ହସ୍ତ ପୁନଃ ପୁନଃ ଫେରାଉ ଅଛନ୍ତି।
खचितच तो माझ्याविरूद्ध झाला आहे; पूर्ण दिवस त्याने आपला हात माझ्यावर उगारला आहे.
4 ସେ ମୋହର ମାଂସ ଓ ମୋର ଚର୍ମ ଜୀର୍ଣ୍ଣ କରିଅଛନ୍ତି; ସେ ମୋହର ଅସ୍ଥିସବୁ ଭାଙ୍ଗି ପକାଇଅଛନ୍ତି।
त्यांने माझा देह व त्वचा जीर्ण केली आहे आणि माझी हाडे मोडली आहेत
5 ସେ ମୋତେ ଅବରୁଦ୍ଧ କରିଅଛନ୍ତି, ସେ ମୋତେ ତିକ୍ତତା ଓ ଶ୍ରାନ୍ତିରେ ବେଷ୍ଟିତ କରିଅଛନ୍ତି।
त्याने माझ्याविरूद्ध विष व दुःखाचे बांधकाम करून मला वेढले आहे.
6 ସେ ବହୁ କାଳରୁ ମୃତ ଲୋକମାନଙ୍କ ତୁଲ୍ୟ ମୋତେ ଅନ୍ଧକାର ସ୍ଥାନରେ ବାସ କରାଇଅଛନ୍ତି।
फार पूर्वी मृत्यू पावलेल्या मनुष्याप्रमाणे त्याने मला काळोखात रहावयास लावले आहे.
7 ସେ ମୋର ଚାରିଆଡ଼େ ସୁରକ୍ଷାର ବାଡ଼ ଦେଇଅଛନ୍ତି, ଯେପରି ମୁଁ ବାହାରିଯାଇ ନ ପାରେ; ସେ ମୋହର ଜଞ୍ଜିର ଭାରୀ କରିଅଛନ୍ତି।
त्याने माझ्याभोवती तटबंदी केल्याने त्यातून माझी सुटका होऊ शकत नाही. त्याने माझे बंध अधिक मजबूत केले आहेत.
8 ହଁ, ମୁଁ ସାହାଯ୍ୟ ପାଇଁ ଆର୍ତ୍ତସ୍ୱର କଲେ, ସେ ମୋହର ପ୍ରାର୍ଥନା ଅଗ୍ରାହ୍ୟ କରନ୍ତି।
मी मदतीसाठी आक्रोशाने धावा केला तेव्हाही तो माझ्या प्रार्थनांचा धिक्कार करतो.
9 ସେ କଟା ପଥରରେ ମୋହର ପଥ ଅବରୋଧ କରିଅଛନ୍ତି, ସେ ମୋର ପଥସବୁ ବକ୍ର କରିଅଛନ୍ତି।
त्याने माझा रस्ता दगडी चिऱ्यांच्या भिंतीने अडवला आहे. त्याने माझा मार्ग वाकडा केला आहे.
10 ସେ ମୋʼ ପ୍ରତି ଛକି ବସିଥିବା ଭାଲୁ ଓ ଅନ୍ତରାଳରେ ଥିବା ସିଂହ ପରି ଅଟନ୍ତି।
१०तो माझ्यावर हल्ला करण्यासाठी टपून बसलेल्या अस्वलासारखा आणि लपून बसलेल्या सिंहासारखा झाला आहे.
11 ସେ ମୋର ପଥ ବିପଥ କରି ମୋତେ ଟାଣି ଖଣ୍ଡ ଖଣ୍ଡ କରିଅଛନ୍ତି; ସେ ମୋତେ ଅନାଥ କରିଅଛନ୍ତି।
११त्याने माझ्या मार्गावरून मला बाजूला करून, फाडून माझे तुकडे तुकडे केले आहेत आणि मला उदास केले आहे.
12 ସେ ଆପଣା ଧନୁରେ ଗୁଣ ଦେଇଅଛନ୍ତି ଓ ମୋତେ ତୀର ଲକ୍ଷ୍ୟ କରି ରଖିଅଛନ୍ତି।
१२त्याने आपला धनुष्य वाकवला आहे आणि मला त्याच्या बाणांचे लक्ष्य बनविले आहे.
13 ସେ ଆପଣା ତୂଣର ଶର ମୋହର ହୃଦୟରେ ପ୍ରବେଶ କରାଇଅଛନ୍ତି।
१३त्याने आपले बाण माझ्या अंतःकरणात घुसवले आहेत.
14 ମୁଁ ନିଜ ଲୋକସକଳର ଉପହାସର ବିଷୟ ଓ ଦିନସାରା ସେମାନଙ୍କର ଗାୟନ ହୋଇଅଛି।
१४माझ्या स्वजनामध्येच मी चेष्टेचा विषय; प्रतिदिवशी त्यांचे हास्यास्पद गीत झालो आहे.
15 ସେ ମୋତେ ତିକ୍ତତାରେ ପୂର୍ଣ୍ଣ କରିଅଛନ୍ତି, ସେ ନାଗଦଅଣାରେ ମୋତେ ପୂରିତ କରିଅଛନ୍ତି।
१५त्याने मला कडूपणाने भरले आहे, त्याने मला कडू दवणा प्यायला भाग पाडले आहे.
16 ଆହୁରି, ସେ କଙ୍କରରେ ମୋର ଦନ୍ତ ଭାଙ୍ଗିଅଛନ୍ତି, ସେ ଭସ୍ମରେ ମୋତେ ଆଚ୍ଛାଦିତ କରିଅଛନ୍ତି।
१६त्याने खड्यांनी माझे दात तोडले आहेत. त्याने मला राखेत लोटले आहे.
17 ପୁଣି, ତୁମ୍ଭେ ମୋହର ପ୍ରାଣକୁ ଶାନ୍ତିରୁ ଦୂରରେ ରଖିଅଛ; ମୁଁ ଆନନ୍ଦ ପାସୋରି ଯାଇଅଛି।
१७माझ्या जीवनातील शांतीच तू काढून टाकली आहेस; कोणत्याही आनंदाचे मला स्मरण होत नाही.
18 ଏଣୁ ମୁଁ କହିଲି, “ମୋହର ବଳ ଓ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କଠାରେ ମୋର ପ୍ରତ୍ୟାଶା ନଷ୍ଟ ହୋଇଅଛି।”
१८मी म्हणालो, “माझे बल आणि परमेश्वरावरची माझी आशा नष्ट झाली आहे.”
19 ମୋହର ଦୁଃଖ ଓ ଦୁର୍ଗତି ସ୍ମରଣ କର, ତାହା ନାଗଦଅଣା ଓ ବିଷ ସ୍ୱରୂପ।
१९माझे दुःख, कष्ट, कडू दवणा आणि विष ह्याचे स्मरण कर.
20 ମୋହର ପ୍ରାଣ ଏପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ତାହା ସ୍ମରଣରେ ରଖୁଅଛି ଓ ମୋʼ ଅନ୍ତରରେ ଅବସନ୍ନ ହେଉଅଛି।
२०मला माझ्या सर्व त्रासांची आठवण आहे. म्हणूनच मी माझ्यामध्ये नमलो आहे.
21 ମୁଁ ଏହା ମନରେ ସ୍ମରଣ କରୁଥାଏ, ଏଥିପାଇଁ ମୋହର ଭରସା ଅଛି।
२१पण हे मी माझ्या मनात विचार करतो म्हणून मला आशा वाटते.
22 ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କର ବିବିଧ ଦୟା ସକାଶୁ ଆମ୍ଭେମାନେ ବିନଷ୍ଟ ହୋଇ ନାହୁଁ, କାରଣ ତାହାଙ୍କର କରୁଣା ଶେଷ ହୁଏ ନାହିଁ।
२२ही परमेश्वराची प्रेमदया आहे की आम्ही नाश नाही झालो. त्याची करुणा कधी न संपणारी आहे.
23 ସେହି ସବୁ ପ୍ରତି ପ୍ରଭାତରେ ନୂତନ ହୋଇଥାଏ; ଓ ତୁମ୍ଭର ବିଶ୍ୱସ୍ତତା ମହତ୍ ଅଟେ।
२३ती प्रत्येक दिवशी नवीन होते; तुझे विश्वासूपण महान आहे.
24 ମୋର ପ୍ରାଣ କୁହେ, “ସଦାପ୍ରଭୁ ମୋହର ବାଣ୍ଟ ସ୍ୱରୂପ; ଏଥିପାଇଁ ମୁଁ ତାହାଙ୍କଠାରେ ଭରସା ରଖିବି।”
२४माझा जीव म्हणतो, “परमेश्वर माझा वतनभाग आहे. म्हणूनच मी त्याच्यावर आशा ठेवीन.”
25 ଯେଉଁମାନେ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ପାଇଁ ଅପେକ୍ଷା କରନ୍ତି, ଯେଉଁ ପ୍ରାଣ ତାହାଙ୍କର ଅନ୍ୱେଷଣ କରେ, ତାହା ପ୍ରତି ସେ ମଙ୍ଗଳମୟ ଅଟନ୍ତି।
२५जे परमेश्वराची वाट पाहतात व जो जीव त्यास शोधतो, त्याला परमेश्वर चांगला आहे.
26 ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ପରିତ୍ରାଣର ପ୍ରତ୍ୟାଶା କରି ସୁସ୍ଥିର ଭାବରେ ଅପେକ୍ଷା କରିବାର ମନୁଷ୍ୟର ମଙ୍ଗଳ।
२६परमेश्वरापासून येणाऱ्या तारणाची मुकाट्याने वाट पाहणे हे चांगले आहे.
27 ଯୌବନ କାଳରେ ଯୁଆଳି ବୋହିବା ମନୁଷ୍ୟ ନିମନ୍ତେ ମଙ୍ଗଳ ଅଟେ।
२७पुरूषाने आपल्या तरूणपणांत जू वाहावे हे त्यास फार चांगले आहे.
28 ସେ ଏକାକୀ ବସି ନୀରବ ହୋଇ ରହୁ, କାରଣ ସେ ତାହାର ସ୍କନ୍ଧରେ ଯୁଆଳି ରଖିଅଛନ୍ତି।
२८ते परमेश्वराने त्याच्यावर ठेवले आहे म्हणून त्याने एकांती बसावे व स्वस्थ रहावे.
29 ସେ ଧୂଳିରେ ଆପଣା ମୁଖ ରଖୁ; ତାହାହେଲେ ଅବା ଭରସା ଥାଇପାରେ।
२९त्याने आपले मुख धुळीत घातल्यास, कदाचित त्यास आशा प्राप्त होईल.
30 ଯେ ତାହାକୁ ପ୍ରହାର କରେ, ସେ ତାହାକୁ ଆପଣା ଗାଲ ଦେଖାଇ ଦେଉ; ସେ ପୂର୍ଣ୍ଣ ଅପମାନରେ ପରିପୂର୍ଣ୍ଣ ହେଉ।
३०एखाद्यास मारण्यासाठी खुशाल आपला गाल पुढे करून त्यास पूर्ण खजील करावे;
31 କାରଣ ପ୍ରଭୁ ସଦାକାଳ ପରିତ୍ୟାଗ କରିବେ ନାହିଁ।
३१कारण परमेश्वर त्यांचा कायमचा त्याग करणार नाही.
32 କାରଣ ଯଦ୍ୟପି ସେ ଦୁଃଖ ଘଟାନ୍ତି, ତଥାପି ଆପଣାର ଅପାର ଦୟାନୁସାରେ ସେ କରୁଣା କରିବେ।
३२जरी त्याने दुःख दिले तरी तो आपल्या दयेच्या विपुलतेनूसार करुणा करील.
33 କାରଣ ସେ ମନୁଷ୍ୟ-ସନ୍ତାନଗଣକୁ ସ୍ୱେଚ୍ଛାରେ କ୍ଳେଶ କିଅବା ଦୁଃଖ ଦିଅନ୍ତି ନାହିଁ।
३३कारण तो आपल्या खुशीने कोणाचा छळ करत नाही आणि मनूष्य संतानास दुःख देत नाही.
34 ପୃଥିବୀର ବନ୍ଦୀସକଳ ପଦ ତଳେ ଦଳିତ ହେବାର,
३४पृथ्वीवरील सर्व बंदिवानांना पायाखाली तुडविणे,
35 ସର୍ବୋପରିସ୍ଥଙ୍କ ସମ୍ମୁଖରେ ମନୁଷ୍ୟର ସତ୍ତ୍ୱ ଅନ୍ୟଥା ହେବାର,
३५परात्पराच्या समोर मनुष्याचे हक्क बुडवणे,
36 ମନୁଷ୍ୟର ବିବାଦ ଅଯଥାର୍ଥ ରୂପେ ନିଷ୍ପତ୍ତି ହେବାର, ପ୍ରଭୁ ଭଲ ପାଆନ୍ତି ନାହିଁ।
३६एका व्यक्तीने दुसऱ्या व्यक्तीला फसविणे, या अशा गोष्टी परमेश्वराच्या दृष्टी आड आहेत काय?
37 ପ୍ରଭୁ ଆଜ୍ଞା ନ କଲେ, ଯେ କଥା କହେ ଓ ତାହା ସିଦ୍ଧ ହୁଏ, ଏପରି କିଏ ଅଛି?
३७परमेश्वराने आज्ञा केली नसता ज्याने काही बोलावे आणि ते घडून यावे असा कोणी आहे का?
38 ସର୍ବୋପରିସ୍ଥଙ୍କ ମୁଖରୁ ଅମଙ୍ଗଳ ଓ ମଙ୍ଗଳ କି ନିର୍ଗତ ହୁଏ ନାହିଁ?
३८इष्ट व अनिष्ट ही सर्वश्रेष्ठ देवाच्या मुखातून येत नाहीत काय?
39 ଜୀବିତ ମନୁଷ୍ୟ କାହିଁକି ଅସନ୍ତୋଷର କଥା କହେ, ଆପଣା ପାପର ଦଣ୍ଡ ସକାଶୁ ମନୁଷ୍ୟ କାହିଁକି ଅସନ୍ତୋଷର କଥା କହେ?
३९कोणत्याही जिवंत मनुष्याने व पुरूषाने आपल्या पापांच्या शिक्षेबद्दल कुरकुर का करावी?
40 ଆମ୍ଭେମାନେ ଆପଣା ଆପଣା ପଥ ଅନୁସନ୍ଧାନ ଓ ପରୀକ୍ଷା କରୁ, ପୁଣି ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ପ୍ରତି ଫେରୁ।
४०चला तर आपण आपले मार्ग शोधू आणि तपासू आणि परमेश्वराकडे परत फिरू.
41 ଆମ୍ଭେମାନେ ସ୍ୱର୍ଗ ନିବାସୀ ପରମେଶ୍ୱରଙ୍କ ଆଡ଼େ କୃତାଞ୍ଜଳିପୂର୍ବକ ଆପଣା ଆପଣା ହୃଦୟ ଉଠାଉ।
४१आपण आपले हृदय व आपले हात स्वर्गातील देवाकडे उंचावूया.
42 “ଆମ୍ଭେମାନେ ଆଜ୍ଞାଲଙ୍ଘନ ଓ ବିଦ୍ରୋହାଚରଣ କରିଅଛୁ; ତୁମ୍ଭେ କ୍ଷମା କରି ନାହଁ।
४२आम्ही पाप केले आहे, फितूरी केली आहे. म्हणूनच तू आम्हास क्षमा केली नाहीस.
43 ତୁମ୍ଭେ କ୍ରୋଧରେ ଆଚ୍ଛନ୍ନ ହୋଇ ଆମ୍ଭମାନଙ୍କ ପଛେ ପଛେ ଗୋଡ଼ାଇଅଛ; ତୁମ୍ଭେ ବଧ କରିଅଛ, ତୁମ୍ଭେ ଦୟା କରି ନାହଁ।
४३तू आपणाला क्रोधाने झाकून घेऊन आमचा पाठलाग केला आणि दया न दाखविता आम्हास ठार केलेस.
44 ଆମ୍ଭମାନଙ୍କର ପ୍ରାର୍ଥନା ଯେପରି ଭେଦ କରି ଯାଇ ନ ପାରେ, ଏଥିପାଇଁ ତୁମ୍ଭେ ଆପଣାକୁ ମେଘରେ ଆଚ୍ଛନ୍ନ କରିଅଛ।
४४कोणतीही प्रार्थना तुझ्यापर्यंत पोहोचू नये म्हणून तू स्वतःला अभ्रांनी वेढले आहेस.
45 ତୁମ୍ଭେ ଗୋଷ୍ଠୀଗଣ ମଧ୍ୟରେ ଆମ୍ଭମାନଙ୍କୁ ଝଟା ଅଳିଆ ଓ ଅଗ୍ରାହ୍ୟ ବସ୍ତୁ ତୁଲ୍ୟ କରିଅଛ।
४५लोकांमध्ये तू आम्हास कचरा व धूळ ह्यासारखे केलेस.
46 ଆମ୍ଭମାନଙ୍କର ଶତ୍ରୁ ସମସ୍ତେ ଆମ୍ଭମାନଙ୍କ ବିରୁଦ୍ଧରେ ଆପଣା ଆପଣା ମୁଖ ଫର୍ଚ୍ଚା କରି ମେଲାଇ ଅଛନ୍ତି।
४६आमच्या सर्व शत्रूंनी आम्हाविरूद्ध आपले तोंड वासले आहे.
47 ତ୍ରାସ ଓ ଖାତ, ଉଜାଡ଼ ଓ ବିନାଶ ଆମ୍ଭମାନଙ୍କ ପ୍ରତି ଘଟିଅଛି।
४७भय व खाच, नाश व विध्वंस ही आम्हावर आली आहे.
48 ମୋʼ ଲୋକଙ୍କ କନ୍ୟାର ବିନାଶ ସକାଶୁ ମୋʼ ଚକ୍ଷୁରୁ ଜଳଧାରା ବହୁଅଛି।
४८माझ्या लोकांच्या कन्येचा नाश झाला आहे, म्हणून माझ्या डोळयांना धारा लागल्या आहेत.
49 ଯେପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ସଦାପ୍ରଭୁ ସ୍ୱର୍ଗରୁ ଅନାଇ ନ ଦେଖନ୍ତି,
४९माझे डोळे गळत आहेत व थांबत नाही;
50 ସେଯାଏ, ମୋର ଚକ୍ଷୁ ଅବିଶ୍ରାନ୍ତ ଅଶ୍ରୁ ବର୍ଷାଉଅଛି, ନିବୃତ୍ତ ହେଉ ନାହିଁ।
५०परमेश्वर स्वर्गातून आपली नजर खाली लावून पाहीपर्यंत त्याचा अंत होणार नाही.
51 ମୋʼ ନଗରୀର ସକଳ କନ୍ୟାଙ୍କ ସକାଶୁ ମୋହର ଚକ୍ଷୁ ମୋʼ ପ୍ରାଣକୁ ଦୁଃଖ ଆଣେ।
५१माझ्या नगरातील सर्व कन्यांची स्थिती पाहून माझे डोळे मला दुःखी करतात.
52 ବିନା କାରଣରେ ଯେଉଁମାନେ ମୋହର ଶତ୍ରୁ, ସେମାନେ ମୋତେ ପକ୍ଷୀ ପରି ମୃଗୟା କରିଅଛନ୍ତି।
५२निष्कारण शत्रू बनलेल्या लोकांनी पाखरासारखा माझा पाठलाग केला आहे.
53 ସେମାନେ ଗର୍ତ୍ତରେ ମୋର ପ୍ରାଣ ସଂହାର କରି ମୋʼ ଉପରେ ପ୍ରସ୍ତର ପକାଇଅଛନ୍ତି।
५३गर्तेत ढकलून त्यांनी माझ्या जिवाचा अंत केला आहे. आणि माझ्यावर दगड लोटला आहे.
54 ମୋʼ ମସ୍ତକର ଉପର ଦେଇ ଜଳ ବହିଗଲା ମୁଁ କହିଲି, ମୁଁ ଉଚ୍ଛିନ୍ନ ହେଲି।
५४माझ्या डोक्यावरून पाणी गेले. मी मनाशी म्हणालो, “आता माझा अंत होत आहे.”
55 ହେ ସଦାପ୍ରଭୁ, ମୁଁ ଗଭୀରତମ କୂପ ମଧ୍ୟରୁ ତୁମ୍ଭ ନାମରେ ପ୍ରାର୍ଥନା କଲି।
५५परमेश्वरा मी खोल खाचेतून तुझ्या नावाचा धावा केला.
56 ତୁମ୍ଭେ ମୋହର ରବ ଶୁଣିଲ ମୋର ନିଶ୍ୱାସ, ମୋହର ଆର୍ତ୍ତନାଦ ପ୍ରତି ଆପଣା କର୍ଣ୍ଣ ଲୁଚାଅ ନାହିଁ।
५६तू माझा आवाज ऐकलास. माझे उसासे व माझ्या आरोळीला आपला कान बंद करू नको.
57 ଯେଉଁ ଦିନ ମୁଁ ତୁମ୍ଭ ଛାମୁରେ ପ୍ରାର୍ଥନା କଲି, ସେଦିନ ତୁମ୍ଭେ ନିକଟବର୍ତ୍ତୀ ହେଲ; ତୁମ୍ଭେ କହିଲ, ଭୟ କର ନାହିଁ।
५७मी तुझा धावा केला त्या दिवशी तू जवळ आलास व म्हणालास, “भिऊ नकोस.”
58 ହେ ପ୍ରଭୁ, ତୁମ୍ଭେ ମୋʼ ପ୍ରାଣର ବିବାଦସକଳର ସପକ୍ଷରେ ପ୍ରତିବାଦ କରିଅଛ; ତୁମ୍ଭେ ମୋହର ଜୀବନ ମୁକ୍ତ କରିଅଛ।
५८परमेश्वरा, माझ्या जीवनातील वादविवादाकरिता तू मध्यस्थी केलीस, तू खंडणी भरून माझा जीव सोडवलास.
59 ହେ ସଦାପ୍ରଭୁ, ମୋʼ ପ୍ରତି କୃତ ଅନ୍ୟାୟ ତୁମ୍ଭେ ଦେଖିଅଛ; ତୁମ୍ଭେ ମୋହର ବିଚାର ନିଷ୍ପତ୍ତି କର।
५९परमेश्वरा, माझ्याविषयी जो अन्याय झाला आहे, तो तू बघितला आहेस. तू मला न्याय दे.
60 ତୁମ୍ଭେ ସେମାନଙ୍କର ପ୍ରତିଶୋଧ ଓ ମୋʼ ବିରୁଦ୍ଧରେ ସେମାନଙ୍କର କୃତ ସଂକଳ୍ପସବୁ ଦେଖିଅଛ।
६०माझ्याविरूद्ध रचलेले सुडाचे सर्व कृत्ये; आणि त्यांच्या योजना तू पाहिल्यास.
61 ହେ ସଦାପ୍ରଭୁ, ତୁମ୍ଭେ ସେମାନଙ୍କ ତିରସ୍କାର ଓ ମୋʼ ବିରୁଦ୍ଧରେ ସେମାନଙ୍କର କୃତ ସଂକଳ୍ପସବୁ ଶୁଣିଅଛ;
६१त्यांनी केलेला माझा उपहास आणि माझ्याविरूध्द आखलेले बेत. परमेश्वरा, तू ऐकले आहेस.
62 ମୋʼ ବିରୁଦ୍ଧରେ ଉଠିଲା ଲୋକମାନଙ୍କ ଓଷ୍ଠାଧରର କଥା ଓ ଦିନଯାକ ମୋʼ ବିରୁଦ୍ଧରେ ସେମାନଙ୍କ କଳ୍ପନାସବୁ ତୁମ୍ଭେ ଶୁଣିଅଛ।
६२माझ्यावर उठलेले ओठ आणि सारा दिवस त्यांनी माझ्याविरुध्द केलेली योजना तू ऐकली आहे.
63 ତୁମ୍ଭେ ସେମାନଙ୍କର ବସିବାର ଓ ଉଠିବାର ନିରୀକ୍ଷଣ କର; ମୁଁ ସେମାନଙ୍କର ଗାୟନ ସ୍ୱରୂପ ହୋଇଅଛି।
६३परमेश्वरा, त्यांचे बसने व उठने तू पाहा, मी त्यांच्या थट्टेचा विषय झालो आहे.
64 ହେ ସଦାପ୍ରଭୁ, ତୁମ୍ଭେ ସେମାନଙ୍କ ହସ୍ତକୃତ କର୍ମାନୁସାରେ ସେମାନଙ୍କୁ ପ୍ରତିଫଳ ଦେବ।
६४परमेश्वरा, त्यांना योग्य ते फळ दे. त्यांच्या कार्मांची परतफेड कर.
65 ତୁମ୍ଭେ ସେମାନଙ୍କୁ ଚିତ୍ତର କଠିନତା, ତୁମ୍ଭର ଅଭିଶାପ ଦେବ।
६५तू त्यांना हृदयाची कठोरता देशील, तुझा शाप त्यांना देशील.
66 ତୁମ୍ଭେ କ୍ରୋଧରେ ସେମାନଙ୍କ ପଛେ ପଛେ ଗୋଡ଼ାଇବ ଓ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ଆକାଶମଣ୍ଡଳର ତଳୁ ସେମାନଙ୍କୁ ଉଚ୍ଛିନ୍ନ କରିବ।”
६६क्रोधाने तू त्यांचा पाठलाग करशील व परमेश्वराच्या आकाशाखाली तू त्यांचा विध्वंस करशील.

< ଯିରିମୀୟଙ୍କ ବିଳାପ 3 >