< ମୋଶାଙ୍କ ଲିଖିତ ପ୍ରଥମ ପୁସ୍ତକ 7 >

1 ଏଥିଉତ୍ତାରେ ସଦାପ୍ରଭୁ ନୋହଙ୍କୁ କହିଲେ, “ତୁମ୍ଭେ ସପରିବାରରେ ଜାହାଜରେ ପ୍ରବେଶ କର; କାରଣ ଏହି କାଳର ଲୋକମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ଆମ୍ଭେ ଆପଣା ସାକ୍ଷାତରେ ତୁମ୍ଭକୁ ଧାର୍ମିକ ଦେଖିଅଛୁ।
नंतर परमेश्वर नोहाला म्हणाला, “चल, तू आणि तुझ्या कुटुंबातील सर्वांनी तारवात यावे, कारण या पिढीमध्ये तूच मला नीतिमान दिसला आहेस.
2 ଆଉ ପୃଥିବୀରେ ବଂଶ ରକ୍ଷା କରିବା ପାଇଁ ପ୍ରତ୍ୟେକ ଶୁଚି ପଶୁଜାତିର ସାତ ସାତ ଦମ୍ପତି ଓ ପ୍ରତ୍ୟେକ ଅଶୁଚି ପଶୁଜାତିର ଏକ ଏକ ଦମ୍ପତି;
प्रत्येक शुद्ध जातीच्या प्राण्यांपैकी नर व माद्यांच्या सात सात जोड्या घे, इतर शुद्ध नाहीत त्या प्राण्यापैकी, नर व मादी अशी दोन दोन घे.
3 ପ୍ରତ୍ୟେକ ଖେଚର ପକ୍ଷୀଜାତିର ସାତ ସାତ ଦମ୍ପତି ଆପଣା ସଙ୍ଗରେ ନିଅ।
आणि आकाशातल्या पक्षांच्या नर व मादी अशा सात जोड्या तुझ्याबरोबर तारवात ने. अशाने पृथ्वीवर त्यांचे बीज राहील.
4 ଯେହେତୁ ସାତ ଦିନ ଉତ୍ତାରେ ଆମ୍ଭେ ଚାଳିଶ ଦିବାରାତ୍ର ପୃଥିବୀରେ ବୃଷ୍ଟି କରାଇ ପୃଥିବୀସ୍ଥିତ ଆମ୍ଭର ନିର୍ମିତ ସମସ୍ତ ପ୍ରାଣୀକୁ ଲୁପ୍ତ କରିବା।”
आतापासून सात दिवसानी मी पृथ्वीवर चाळीस दिवस व चाळीस रात्र पाऊस पाडीन. मी निर्माण केलेल्या प्रत्येक जिवंत गोष्टींचा मी पृथ्वीवरून नाश करीन.”
5 ନୋହ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ଆଜ୍ଞାନୁସାରେ ସବୁ କର୍ମ କଲେ।
परमेश्वराने आज्ञा दिल्याप्रमाणे नोहाने सर्वकाही केले.
6 ନୋହଙ୍କର ଛଅ ଶହ ବର୍ଷ ବୟସରେ ପୃଥିବୀ ଉପରେ ଜଳପ୍ଳାବନ ହେଲା।
जलप्रलय आला तेव्हा नोहा सहाशे वर्षांचा होता.
7 ତହୁଁ ଜଳପ୍ଳାବନରୁ ରକ୍ଷା ପାଇବା ନିମନ୍ତେ ନୋହ ଓ ତାଙ୍କର ଭାର୍ଯ୍ୟା ଆଉ ପୁତ୍ରଗଣ ଓ ପୁତ୍ରବଧୂଗଣ ଜାହାଜରେ ପ୍ରବେଶ କଲେ।
नोहा, त्याची मुले, त्याची पत्नी, आणि त्याच्या मुलांच्या स्त्रिया, हे सर्व जलप्रलयामुळे तारवात गेले.
8 ପୁଣି, ନୋହଙ୍କ ପ୍ରତି ପରମେଶ୍ୱରଙ୍କ ଆଜ୍ଞାନୁସାରେ ଶୁଚି ଓ ଅଶୁଚି ପଶୁପକ୍ଷୀବର୍ଗ ଓ ଭୂଚର ଉରୋଗାମୀ ଜନ୍ତୁବର୍ଗ ଯୋଡ଼ା ଯୋଡ଼ା ହୋଇ
पृथ्वीवरील शुद्ध व अशुद्ध पशुतून, पक्षी आणि जमिनीवर रांगणारे सर्वकाही,
9 ନୋହଙ୍କ ନିକଟକୁ ଯାଇ ଜାହାଜରେ ପ୍ରବେଶ କଲେ।
देवाने नोहाला सांगितल्याप्रमाणे दोन-दोन नर व मादी असे ते नोहाकडे आले आणि तारवात गेले.
10 ଆଉ ସେହି ସାତ ଦିନ ଉତ୍ତାରେ ପୃଥିବୀରେ ଜଳପ୍ଳାବନର ଆରମ୍ଭ ହେଲା।
१०मग सात दिवसानंतर पृथ्वीवर पाऊस पडण्यास व जलप्रलय येण्यास सुरुवात झाली.
11 ନୋହଙ୍କର ବୟସର ଛଅ ଶହ ବର୍ଷ ଦ୍ୱିତୀୟ ମାସର ସପ୍ତଦଶ ଦିନରେ ମହାସମୁଦ୍ରର ସମସ୍ତ ଜଳାକର ଭାଙ୍ଗିଗଲା, ପୁଣି, ଆକାଶସ୍ଥ ଦ୍ୱାରସବୁ ମୁକ୍ତ ହେଲା।
११नोहाच्या जीवनातील सहाशाव्या वर्षाच्या दुसऱ्या महिन्याच्या सतराव्या दिवशी पृथ्वीतील पाण्याचे सर्व झरे फुटले व पाणी उफाळून वर आले व जमिनीवरुन वाहू लागले. त्याच दिवशी मुसळधार पाऊस पडण्यास सुरुवात झाली. आणि आकाशाच्या खिडक्या उघडल्या.
12 ତହିଁରେ ଚାଳିଶ ଦିବାରାତ୍ର ପୃଥିବୀରେ ବୃଷ୍ଟି ହେଲା।
१२पावसास सुरुवात झाली आणि चाळीस दिवस व चाळीस रात्र पृथ्वीवर पाऊस पडत होता.
13 ସେହି ଦିନରେ ନୋହ, ପୁଣି, ଶେମ ଓ ହାମ ଓ ଯେଫତ୍‍ ନାମକ ନୋହଙ୍କର ପୁତ୍ରମାନେ, ଆଉ ସେମାନଙ୍କ ସହିତ ନୋହଙ୍କର ଭାର୍ଯ୍ୟା ଓ ତିନି ପୁତ୍ରବଧୂ ଜାହାଜରେ ପ୍ରବେଶ କଲେ।
१३त्याच दिवशी नोहा आणि त्याची मुले शेम, हाम आणि याफेथ आणि नोहाची पत्नी व त्यांच्या बरोबर त्याच्या मुलांच्या तीन बायकांनीही तारवात प्रवेश केला.
14 ପୁଣି, ସବୁ ଜାତୀୟ ଗ୍ରାମ୍ୟ ଓ ବନ୍ୟ ପଶୁ ଓ ସବୁ ଜାତୀୟ ଉରୋଗାମୀ ଓ ସବୁ ଜାତୀୟ ଭୂଚର ଓ ଖେଚର ପକ୍ଷୀ;
१४त्यांच्याबरोबर प्रत्येक रानटी प्राणी त्याच्या जातीप्रमाणे आणि प्रत्येक पाळीव प्राणी त्याच्या जातीच्या प्रकाराप्रमाणे आणि पृथ्वीवर रांगणारी प्रत्येक गोष्ट तिच्या जातीच्या प्रकाराप्रमाणे, आणि प्रत्येक पक्षी त्याच्या जातीच्या प्रकाराप्रमाणे, प्रत्येक प्रकारचा पंख असलेला प्राणी, यांनी तारवात प्रवेश केला.
15 ଅର୍ଥାତ୍‍, ପ୍ରାଣବାୟୁ ବିଶିଷ୍ଟ ସର୍ବପ୍ରକାର ଜୀବଜନ୍ତୁ ଯୋଡ଼ା ଯୋଡ଼ା ହୋଇ ନୋହଙ୍କ ନିକଟକୁ ଯାଇ ଜାହାଜରେ ପ୍ରବେଶ କଲେ।
१५ज्यांच्या शरीरात जीवनाचा श्वास आहे असे सर्व दोन दोन तारवात नोहाकडे आले आणि त्यांनी तारवात प्रवेश केला.
16 ପରମେଶ୍ୱରଙ୍କ ଆଜ୍ଞାନୁସାରେ ସର୍ବପ୍ରକାର ପ୍ରାଣୀ ଦମ୍ପତିକ୍ରମେ ପ୍ରବେଶ କଲେ; ତହୁଁ ସଦାପ୍ରଭୁ ତାହାର ପାର୍ଶ୍ୱ-ଦ୍ୱାର ବନ୍ଦ କଲେ।
१६देवाने त्यास आज्ञा दिल्याप्रमाणे सर्व प्रकारचे देहधारी प्राणी नर व मादी असे तारवात गेले. मग परमेश्वराने दार बंद केले.
17 ଏଥିଉତ୍ତାରେ ଚାଳିଶ ଦିନ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ପୃଥିବୀରେ ଜଳପ୍ଳାବନ ହେଲା; ପୁଣି, ଜଳ ବଢ଼ୁ ବଢ଼ୁ ଜାହାଜ ଭୂମିକୁ ଛାଡ଼ି ଭାସି ଉଠିଲା।
१७मग पृथ्वीवर चाळीस दिवस पूर आला आणि पाणी वाढले आणि तारू जमिनीपासून उचलले गेले.
18 ଆଉ ପୃଥିବୀରେ କ୍ରମଶଃ ଜଳ ପ୍ରବଳ ହୋଇ ଅତିଶୟ ବଢ଼ୁ ବଢ଼ୁ ଜାହାଜ ଜଳ ଉପରେ ଭାସିଲା।
१८मुसळधार पावसाचा जोर वाढत गेला आणि पृथ्वीवर पाण्याचा जोर खूप वाढत गेला, आणि तारू पाण्यावर तरंगू लागले.
19 ପୃଥିବୀ ଉପରେ ଜଳ ଅତିଶୟ ବଢ଼ି ଆକାଶ ତଳସ୍ଥ ସବୁ ଉଚ୍ଚ ପର୍ବତ ମଗ୍ନ କଲା।
१९पृथ्वीवरील पाणी जोराने उंच आणि उंच वाढत गेले. आकाशाखालील सर्व उंच पर्वत पूर्णपणे त्याखाली झाकून गेले;
20 ତହିଁ ଉପରେ ପନ୍ଦର ହାତ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଜଳ ଉଠିଲା; ତହୁଁ ପର୍ବତମାନ ମଗ୍ନ ହେଲେ।
२०पाणी पर्वत शिखरावर पंधरा हातापेक्षा अधिक उंच इतके वर चढले.
21 ତେଣୁ ସମଗ୍ର ଭୂଚର ପ୍ରାଣୀ ପ୍ରାଣତ୍ୟାଗ କଲେ, ଅର୍ଥାତ୍‍, ପକ୍ଷୀ, ଗ୍ରାମ୍ୟ ଓ ବନ୍ୟ ପଶୁ ଓ ପୃଥିବୀରେ ଗମନଶୀଳ ଉରୋଗାମୀ ଜନ୍ତୁ ଓ ପ୍ରତ୍ୟେକ ମନୁଷ୍ୟ,
२१पृथ्वीवरील हालचाल करणारे सर्व जिवंत प्राणी, सर्व पक्षी, गुरेढोरे, वनपशू, थव्याने राहणारे प्राणी, आणि सर्व मानवजात मरून गेले.
22 ଆଉ ଶୁଷ୍କଭୂମିସ୍ଥ ଯେତେ ପ୍ରାଣୀର ନାସିକାରେ ପ୍ରାଣବାୟୁ ଥିଲା, ସମସ୍ତେ ମଲେ।
२२ज्यांच्या नाकपुड्यात जीवनाचा श्वास होता असे, कोरड्या जमिनीवरील सर्वजण मरण पावले.
23 ଏହିରୂପେ ପୃଥିବୀର ଉପରିସ୍ଥ ସମୁଦାୟ ପ୍ରାଣୀ ଲୁପ୍ତ ହେଲେ, ଅର୍ଥାତ୍‍, ମନୁଷ୍ୟ, ପଶୁ, ଉରୋଗାମୀ ଜନ୍ତୁ, ଖେଚର ପକ୍ଷୀ, ସମସ୍ତେ ପୃଥିବୀରୁ ଲୁପ୍ତ ହେଲେ; କେବଳ ନୋହ ଓ ଜାହାଜସ୍ଥ ତାଙ୍କର ସଙ୍ଗୀ ସମସ୍ତେ ବଞ୍ଚିଲେ।
२३अशा रीतीने देवाने सर्वकाही म्हणजे मानव, पशू, सरपटणारे प्राणी आणि आकाशातील पक्षी अशा सर्व मोठ्या जीवधारी प्राण्यांचा नाश केला. पृथ्वीच्या पाठीवरून त्या सर्वांचा नाश करण्यात आला. केवळ नोहा आणि तारवात त्याच्या सोबत जे होते तेच फक्त वाचले.
24 ଏହିରୂପେ ପୃଥିବୀ ଏକ ଶହ ପଚାଶ ଦିନ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ଜଳରେ ବୁଡ଼ି ରହିଲା।
२४एकशे पन्नास दिवस पृथ्वीवर पाण्याचा जोर होता.

< ମୋଶାଙ୍କ ଲିଖିତ ପ୍ରଥମ ପୁସ୍ତକ 7 >

The Great Flood
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