< ମୋଶାଙ୍କ ଲିଖିତ ପ୍ରଥମ ପୁସ୍ତକ 26 >

1 ପୂର୍ବେ ଅବ୍ରହାମଙ୍କର, ବର୍ତ୍ତମାନ ସମୟରେ ଯେରୂପ ଦୁର୍ଭିକ୍ଷ ହୋଇଥିଲା, ସେହି ଦେଶରେ ଆଉ ଥରେ ସେରୂପ ଦୁର୍ଭିକ୍ଷ ଉପସ୍ଥିତ ହୁଅନ୍ତେ, ଇସ୍‌ହାକ ଗରାରରେ ପଲେଷ୍ଟୀୟମାନଙ୍କ ରାଜା ଅବିମେଲକ ନିକଟକୁ ଗଲେ।
अब्राहामाच्या दिवसात जो पहिला दुष्काळ पडला होता त्यासारखा दुसरा दुष्काळ त्या देशात पडला. तेव्हा इसहाक पलिष्ट्यांचा राजा अबीमलेख याजकडे गरार नगरामध्ये गेला.
2 ସେତେବେଳେ ସଦାପ୍ରଭୁ ତାଙ୍କୁ ଦର୍ଶନ ଦେଇ କହିଲେ, “ତୁମ୍ଭେ ମିସର ଦେଶକୁ ଯାଅ ନାହିଁ; ଆମ୍ଭେ ତୁମ୍ଭକୁ ଯେଉଁ ଦେଶ କହିବା, ସେଠାରେ ବାସ କର।
परमेश्वराने त्यास दर्शन देऊन म्हटले, “तू मिसर देशात खाली जाऊ नकोस; जो देश मी तुला सांगेन त्यामध्येच राहा.
3 ତୁମ୍ଭେ ଏହି ଦେଶରେ ପ୍ରବାସ କର, ତହିଁରେ ଆମ୍ଭେ ତୁମ୍ଭର ସହାୟ ହୋଇ ତୁମ୍ଭକୁ ଆଶୀର୍ବାଦ କରିବା, ପୁଣି, ତୁମ୍ଭକୁ ଓ ତୁମ୍ଭ ବଂଶକୁ ଏହି ସମସ୍ତ ଦେଶ ଦେବା ଓ ତୁମ୍ଭ ପିତା ଅବ୍ରହାମ ନିକଟରେ ଆପଣା କୃତ ଶପଥର ନିୟମ ସଫଳ କରିବା।
या देशात उपरी म्हणून राहा आणि मी तुझ्याबरोबर असेन आणि मी तुला आशीर्वाद देईन; कारण हे सर्व देश मी तुझ्या वंशजाला देईन, आणि तुझ्या बाप अब्राहाम याला शपथ घेऊन जे वचन दिले आहे ते सर्व मी पूर्ण करीन.
4 ଆମ୍ଭେ ଆକାଶର ତାରାଗଣ ପରି ତୁମ୍ଭର ବଂଶ ବୃଦ୍ଧି କରି ସେମାନଙ୍କୁ ଏହିସବୁ ଦେଶ ଦେବା ଓ ତୁମ୍ଭର ବଂଶ ଦ୍ୱାରା ପୃଥିବୀସ୍ଥ ଯାବତୀୟ ଜାତି ଆଶୀର୍ବାଦ ପ୍ରାପ୍ତ ହେବେ।
मी तुझे वंशज आकाशातील ताऱ्यांइतके बहुगुणित करीन आणि हे सर्व देश मी तुझ्या वंशजांना देईन. तुझ्या वंशजांद्वारे पृथ्वीवरील सर्व राष्ट्रे आशीर्वादित होतील.
5 ଯେହେତୁ ଅବ୍ରହାମ ଆମ୍ଭର ବାକ୍ୟ ମାନି ଆମ୍ଭର ରକ୍ଷଣୀୟ ବିଷୟ ଆମ୍ଭର ଆଜ୍ଞା ଓ ବିଧି ଓ ବ୍ୟବସ୍ଥା ପାଳନ କରିଅଛି।”
मी हे करीन कारण अब्राहामाने माझा शब्द पाळला आणि माझे विधी, माझ्या आज्ञा, माझे नियम व माझे कायदे पाळले.”
6 ତହିଁରେ ଇସ୍‌ହାକ ଗରାରଠାରେ ବାସ କଲେ।
म्हणून मग इसहाक गरारातच राहिला.
7 ତହିଁରେ ସେହି ସ୍ଥାନର ଲୋକମାନେ ତାଙ୍କର ଭାର୍ଯ୍ୟା ବିଷୟରେ ପଚାରନ୍ତେ, ସେ କହିଲେ, “ସେ ମୋହର ଭଗିନୀ,” ଯେହେତୁ ସେହି ସ୍ଥାନର ଲୋକମାନେ ରିବିକା ଲାଗି ମୋତେ ଅବା ବଧ କରିବେ, ଏହା ଭାବି ସେ ତାହାକୁ ଆପଣାର ଭାର୍ଯ୍ୟା ବୋଲି କହିବାକୁ ଭୟ କଲେ; ଯେହେତୁ ସେ ପରମସୁନ୍ଦରୀ ଥିଲା।
जेव्हा तेथील लोकांनी त्याच्या पत्नीविषयी त्यास विचारले, तेव्हा तो म्हणाला, “ती माझी बहीण आहे.” “ती माझी पत्नी आहे,” असे म्हणण्यास तो घाबरला. कारण त्याने विचार केला की, “रिबकेला मिळविण्यासाठी या ठिकाणचे लोक माझा घात करतील, कारण ती दिसायला इतकी सुंदर आहे.”
8 ପୁଣି, ସେହି ସ୍ଥାନରେ ବହୁ କାଳ ବାସ କଲା ଉତ୍ତାରେ ଏକ ସମୟରେ ପଲେଷ୍ଟୀୟ ରାଜା ଅବିମେଲକ ଝରକା ବାଟେ ନିରୀକ୍ଷଣ କରି ଇସ୍‌ହାକଙ୍କୁ ଆପଣା ଭାର୍ଯ୍ୟା ରିବିକା ସହିତ କୌତୁକ କରୁଥିବାର ଦେଖିଲେ।
इसहाक बराच काळ तेथे राहिल्यावर, पलिष्ट्यांचा राजा अबीमलेख ह्याने एकदा खिडकीतून बाहेर पाहताना पाहिले की, इसहाक त्याच्या पत्नीला रिबकेला प्रेमाने कुरवाळत आहे.
9 ତେଣୁ ଅବିମେଲକ ଇସ୍‌ହାକଙ୍କୁ ଡକାଇ କହିଲେ, “ସେ ସ୍ତ୍ରୀ ଅବଶ୍ୟ ତୁମ୍ଭର ଭାର୍ଯ୍ୟା; ତେବେ ‘ତୁମ୍ଭେ ତାହାକୁ ଆପଣା ଭଗିନୀ’ ବୋଲି କିପରି କହିଲ?” ସେତେବେଳେ ଇସ୍‌ହାକ ଉତ୍ତର କଲେ, “ମୁଁ ଭାବିଲି, କେଜାଣି ତାହା ଲାଗି ମୋହର ମୃତ୍ୟୁୁ ହେବ।”
अबीमलेखाने इसहाकाला बोलावले आणि म्हणाला, “पाहा नक्कीच ही तुझी पत्नी आहे. मग, ‘ती तुझी बहीण आहे’ असे तू का सांगितलेस?” इसहाक त्यास म्हणाला, “कारण मला वाटले की, तिला मिळविण्यासाठी कोणीही मला मारून टाकेल.”
10 ତହିଁରେ ଅବିମେଲକ କହିଲେ, “ତୁମ୍ଭେ ଆମ୍ଭମାନଙ୍କ ସହିତ ଏ କି ବ୍ୟବହାର କଲ? କୌଣସି ଲୋକ ତୁମ୍ଭ ଭାର୍ଯ୍ୟା ସଙ୍ଗେ ଅନାୟାସରେ ଶୟନ କରି ପାରନ୍ତା, ତାହାହେଲେ ତୁମ୍ଭେ ଆମ୍ଭମାନଙ୍କୁ ଦୋଷଗ୍ରସ୍ତ କରନ୍ତ।”
१०अबीमलेख म्हणाला, “तू आम्हांला हे काय केलेस? कारण आमच्या लोकांतून कोणीही तुझ्या पत्नीबरोबर सहज लैंगिक संबंध केला असता, आणि त्यामुळे तू आमच्यावर दोष आणला असतास.”
11 ଏଥିଉତ୍ତାରେ ଅବିମେଲକ ସବୁ ଲୋକଙ୍କୁ ଏହି ଆଜ୍ଞା ଦେଲେ, “ଯେକେହି ସେହି ମନୁଷ୍ୟକୁ କିଅବା ତାହାର ଭାର୍ଯ୍ୟାକୁ ସ୍ପର୍ଶ କରିବ, ତାହାର ପ୍ରାଣଦଣ୍ଡ ଅବଶ୍ୟ ହେବ।”
११म्हणून अबीमलेखाने सर्व लोकांस ताकीद दिली आणि म्हणाला, “जो कोणी या मनुष्यास किंवा याच्या पत्नीला हात लावेल त्यास खचित जिवे मारण्यात येईल.”
12 ଏଥିଉତ୍ତାରେ ଇସ୍‌ହାକ ସେହି ଦେଶରେ କୃଷିକର୍ମ କରି ସେହି ବର୍ଷ ଶହେ ଗୁଣ ଲାଭ କଲେ; ପୁଣି, ସଦାପ୍ରଭୁ ତାଙ୍କୁ ଆଶୀର୍ବାଦ କଲେ।
१२इसहाकाने त्या देशात धान्य पेरले आणि त्याच वर्षी त्यास शंभरपट पीक मिळाले, कारण परमेश्वराने त्यास आशीर्वाद दिला.
13 ଏନିମନ୍ତେ ସେ ବର୍ଦ୍ଧିଷ୍ଣୁ ହେଲେ, ପୁଣି, ସେ ଆହୁରି ଆହୁରି ବୃଦ୍ଧି ପାଇ ଅତି ମହାନ ହେଲେ
१३इसहाक धनवान झाला, तो अधिकाधिक वाढत गेला आणि खूप महान होईपर्यंत वाढत गेला.
14 ଏବଂ ତାଙ୍କର ମେଷଧନ ଓ ଗୋଧନ, ପୁଣି, ଅନେକ ଦାସଦାସୀ ହେଲେ; ତେଣୁ ପଲେଷ୍ଟୀୟ ଲୋକମାନେ ତାଙ୍କ ପ୍ରତି ଈର୍ଷା କରିବାକୁ ଲାଗିଲେ।
१४त्याच्याकडे पुष्कळ मेंढरे व गुरेढोरे, मोठा कुटुंबकबिला होता. त्यावरून पलिष्टी त्याचा हेवा करू लागले;
15 ଏଣୁ ତାଙ୍କର ପିତା ଅବ୍ରହାମଙ୍କ ସମୟରେ ତାଙ୍କ ପିତାଙ୍କ ଦାସମାନେ ଯେଉଁ ଯେଉଁ କୂପ ଖୋଳିଥିଲେ, ପଲେଷ୍ଟୀୟ ଲୋକମାନେ ମୃତ୍ତିକା ଦ୍ୱାରା ସେହି ସବୁ ପୋତି ପକାଇଲେ।
१५म्हणून त्याच्या वडिलाच्या हयातीत पूर्वी त्याच्या नोकरांनी खणलेल्या सर्व विहिरी पलिष्ट्यांनी मातीने बुजवल्या होत्या.
16 ଏଥିଉତ୍ତାରେ ଅବିମେଲକ ଇସ୍‌ହାକଙ୍କୁ କହିଲେ, “ତୁମ୍ଭେ ଆମ୍ଭମାନଙ୍କ ନିକଟରୁ ପ୍ରସ୍ଥାନ କର, ଯେହେତୁ ତୁମ୍ଭେ ଆମ୍ଭମାନଙ୍କଠାରୁ ଅଧିକ ବଳବାନ ହୋଇଅଛ।”
१६तेव्हा अबीमलेख इसहाकास म्हणाला, “तू आमचा देश सोडून निघून जा कारण आमच्यापेक्षा तू अधिक शक्तीमान झाला आहेस.”
17 ତହିଁରେ ଇସ୍‌ହାକ ସେହି ସ୍ଥାନରୁ ଯାତ୍ରା କରି ଗରାର ଉପତ୍ୟକାରେ ତମ୍ବୁ ସ୍ଥାପନ କରି ସେହିଠାରେ ବାସ କଲେ।
१७म्हणून इसहाकाने तो देश सोडला व गराराच्या खोऱ्यात त्याने तळ दिला आणि तेथेच राहिला.
18 ପୁଣି, ଆପଣା ପିତା ଅବ୍ରହାମଙ୍କର ବର୍ତ୍ତମାନ ସମୟରେ ଖୋଦିତ ଯେଉଁ ଯେଉଁ ସଜଳ କୂପ ଅବ୍ରହାମଙ୍କ ମୃତ୍ୟୁୁ ଉତ୍ତାରେ ପଲେଷ୍ଟୀୟମାନେ ପୋତି ପକାଇଥିଲେ, ସେହି ସମସ୍ତ ଇସ୍‌ହାକ ପୁନର୍ବାର ଖୋଳି ଆପଣା ପିତୃଦତ୍ତ ନାମ ପୁନରପି ରଖିଲେ।
१८अब्राहामाने आपल्या दिवसात ज्या पाण्याच्या विहिरी खणल्या होत्या, परंतु अब्राहामाच्या मरणानंतर त्या पलिष्टी लोकांनी मातीने बुजविल्या होत्या त्या पुन्हा एकदा इसहाकाने खणून घेतल्या, आणि त्याच्या वडिलाने दिलेली नावेच पुन्हा त्याने दिली.
19 ଆଉ ଇସ୍‌ହାକଙ୍କର ଦାସମାନେ ସେହି ଉପତ୍ୟକା ଖୋଳି ସ୍ରୋତବାହୀ କୂପ ପ୍ରାପ୍ତ ହେଲେ।
१९जेव्हा इसहाकाच्या नोकरांनी एक विहीर खोऱ्यात खणली, तेव्हा त्या विहिरीत त्यांना एक जिवंत पाण्याचा झरा लगला.
20 ତହିଁରେ ଗରାରଦେଶୀୟ ପଶୁପାଳକମାନେ ଇସ୍‌ହାକଙ୍କର ପଶୁପାଳକମାନଙ୍କ ସହିତ ବିବାଦ କରି କହିଲେ, “ଏହି ଜଳ ଆମ୍ଭମାନଙ୍କର,” ଏଣୁ ସେ ସେହି କୂପର ନାମ “ଏଷକ” (ବିବାଦ) ରଖିଲେ, ଯେହେତୁ ସେମାନେ ତାଙ୍କ ସହିତ ବିବାଦ କଲେ।
२०गरार खोऱ्यातील गुराख्यांनी इसहाकाच्या गुराख्यांशी भांडणे केली, ते म्हणाले, “हे पाणी आमचे आहे.” ते त्याच्याशी भांडले म्हणून इसहाकाने त्या विहिरीचे नाव “एसेक” ठेवले.
21 ଏଥିଉତ୍ତାରେ ତାଙ୍କର ଦାସମାନେ ଆଉ ଏକ କୂପ ଖୋଳନ୍ତେ, ସେମାନେ ତହିଁ ପାଇଁ ମଧ୍ୟ ବିବାଦ କଲେ; ତହୁଁ ଇସ୍‌ହାକ ତହିଁର ନାମ “ସିଟ୍ନା” (ଶତ୍ରୁତା) ରଖିଲେ।
२१मग त्यांनी दुसरी विहीर खणली, आणि तिच्यावरूनही ते भांडले म्हणून त्याने तिचे नाव “सितना” ठेवले.
22 ପୁଣି, ସେ ସେଠାରୁ ପ୍ରସ୍ଥାନ କରି ଅନ୍ୟ ଏକ କୂପ ଖୋଳିଲେ। ତହିଁ ନିମିତ୍ତ ସେମାନେ ବିବାଦ ନ କରିବାରୁ ତହିଁର ନାମ ରହୋବୋତ୍‍ (ପ୍ରଶସ୍ତ ସ୍ଥାନ) ରଖିଲେ; କାରଣ ସେ କହିଲେ, “ଏବେ ସଦାପ୍ରଭୁ ଆମ୍ଭମାନଙ୍କୁ ସ୍ଥାନ ଦେଲେ, ଆମ୍ଭେମାନେ ଦେଶରେ ବର୍ଦ୍ଧିଷ୍ଣୁ ହେବା।”
२२तो तेथून निघाला आणि त्याने आणखी एक विहीर खणली, परंतु तिच्यासाठी ते भांडले नाहीत म्हणून त्याने तिचे नाव रहोबोथ ठेवले. आणि तो म्हणाला, “आता परमेश्वरने आम्हासाठी जागा शोधून दिली आहे, आणि देशात आमची भरभराट होईल.”
23 ଏଥିଉତ୍ତାରେ ସେ ସେହି ସ୍ଥାନରୁ ବେର୍‍ଶେବାକୁ ଗଲେ।
२३नंतर तेथून इसहाक बैर-शेबा येथे गेला.
24 ସେହି ରାତ୍ରରେ ସଦାପ୍ରଭୁ ତାଙ୍କୁ ଦର୍ଶନ ଦେଇ କହିଲେ, “ଆମ୍ଭେ ତୁମ୍ଭ ପିତା ଅବ୍ରହାମର ପରମେଶ୍ୱର ଅଟୁ; ଭୟ କର ନାହିଁ, କାରଣ ଆମ୍ଭେ ଆପଣା ଦାସ ଅବ୍ରହାମ ସକାଶୁ ତୁମ୍ଭର ସହାୟ ଅଟୁ ଓ ତୁମ୍ଭକୁ ଆଶୀର୍ବାଦ କରି ତୁମ୍ଭର ବଂଶ ବୃଦ୍ଧି କରିବା।”
२४त्याच रात्री परमेश्वराने इसहाकाला दर्शन देऊन म्हटले, “मी तुझा बाप अब्राहाम याचा देव आहे. भिऊ नकोस, कारण मी तुझ्याबरोबर आहे आणि माझा सेवक अब्राहाम याच्यासाठी मी तुला आशीर्वादित करीन व तुझे वंशज बहुतपट करीन.”
25 ଏଥିଉତ୍ତାରେ ଇସ୍‌ହାକ ସେହି ସ୍ଥାନରେ ଯଜ୍ଞବେଦି ନିର୍ମାଣ କରି ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ନାମରେ ପ୍ରାର୍ଥନା କଲେ। ଏଥିଉତ୍ତାରେ ସେ ସେହି ସ୍ଥାନରେ ତମ୍ବୁ ସ୍ଥାପନ କରନ୍ତେ, ତାଙ୍କର ଦାସମାନେ ଗୋଟିଏ କୂପ ଖୋଳିଲେ।
२५तेव्हा इसहाकाने तेथे वेदी बांधली व परमेश्वराच्या नावाने प्रार्थना केली. त्याने तेथे आपला तंबू ठोकला आणि त्याच्या नोकरांनी एक विहीर खणली.
26 ଏଥିଉତ୍ତାରେ ଅବିମେଲକ ଅହୁଷତ୍‍ ନାମକ ଆପଣା ମିତ୍ରକୁ ଓ ଫୀଖୋଲ ନାମକ ସେନାପତିକୁ ସଙ୍ଗରେ ଘେନି ଗରାରଠାରୁ ଇସ୍‌ହାକଙ୍କ ନିକଟକୁ ଗଲେ।
२६नंतर गराराहून अबीमलेख, त्याचा मित्र अहुज्जाथ व त्याच्या सैन्याचा सेनापती पिकोल हे त्याच्याकडे गेले.
27 ତହିଁରେ ଇସ୍‌ହାକ ସେମାନଙ୍କୁ କହିଲେ, “ତୁମ୍ଭେମାନେ ତ ମୋତେ ଘୃଣା କରୁଅଛ, ପୁଣି, ଆପଣାମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରୁ ମୋତେ ଦୂର କରି ଦେଇଥିଲ, ଏବେ ମୋʼ ନିକଟକୁ କାହିଁକି ଆସିଅଛ?”
२७इसहाकाने त्यांना विचारले, “तुम्ही माझा द्वेष करता व मला तुम्ही आपणापासून दूर केलेत; तर आता तुम्ही माझ्याकडे का आलात?”
28 ତହିଁରେ ସେମାନେ ଉତ୍ତର କଲେ, “ସଦାପ୍ରଭୁ ତୁମ୍ଭର ସହାୟ ଅଟନ୍ତି, ଏହା ଆମ୍ଭେମାନେ ସ୍ପଷ୍ଟ ଦେଖିଲୁ; ଏହେତୁ କହିଲୁ, ଆମ୍ଭମାନଙ୍କ ମଧ୍ୟରେ ଗୋଟିଏ ରାଣ ଥାଉ ଓ ଆମ୍ଭମାନଙ୍କ ସହିତ ତୁମ୍ଭର ଏହି ଏକ ନିୟମ ହେଉ;
२८आणि ते म्हणाले, “परमेश्वर तुझ्याबरोबर आहे हे आम्हांला स्पष्टपणे दिसून आले आहे. म्हणून आम्ही ठरवले आहे की, आपणांमध्ये म्हणजे आम्हामध्ये व तुझ्यामध्ये तह असावा. म्हणून तू आम्हाबरोबर करार कर,
29 ଆମ୍ଭେମାନେ ଯେପରି ତୁମ୍ଭକୁ ସ୍ପର୍ଶ କରି ନାହୁଁ ଓ ତୁମ୍ଭର ମଙ୍ଗଳ ବିନୁ ଆଉ କିଛି କରି ନାହୁଁ, ବରଞ୍ଚ ତୁମ୍ଭକୁ ଶାନ୍ତିରେ ବିଦାୟ କରିଅଛୁ, ସେପରି ତୁମ୍ଭେ ଆମ୍ଭମାନଙ୍କୁ ହିଂସା କରିବ ନାହିଁ; ତୁମ୍ଭେ ତ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କର ଆଶୀର୍ବାଦ-ପାତ୍ର।”
२९जसे आम्ही तुझी हानी केली नाही, आणि आम्ही तुझ्याशी चांगले वागलो आणि तुला शांतीने पाठवले, तशी तू आम्हास हानी करू नको. खरोखर परमेश्वराने तुला आशीर्वादित केले आहे.”
30 ସେତେବେଳେ ଇସ୍‌ହାକ ସେମାନଙ୍କ ପାଇଁ ଭୋଜ ପ୍ରସ୍ତୁତ କରନ୍ତେ, ସେମାନେ ଭୋଜନପାନ କଲେ।
३०तेव्हा इसहाकाने त्यांना मेजवानी दिली, त्यांनी आनंदाने खाणे पिणे केले.
31 ଏଥିଉତ୍ତାରେ ସେମାନେ ଶୀଘ୍ର ପ୍ରଭାତରେ ଉଠି ପରସ୍ପର ଶପଥ କଲେ। ପୁଣି, ଇସ୍‌ହାକ ସେମାନଙ୍କୁ ବିଦାୟ କରନ୍ତେ, ସେମାନେ କୁଶଳରେ ତାଙ୍କ ନିକଟରୁ ପ୍ରସ୍ଥାନ କଲେ।
३१दुसऱ्या दिवशी सकाळी लवकर उठून एकमेकांशी शपथ वाहिली. नंतर इसहाकाने त्यांना रवाना केले आणि ते शांतीने त्याच्यापासून गेले.
32 ସେହି ଦିନ ଇସ୍‌ହାକଙ୍କର ଦାସମାନେ ଆସି ଆପଣାମାନଙ୍କ ଖୋଦିତ କୂପ ବିଷୟରେ ସମ୍ବାଦ ଦେଇ ତାଙ୍କୁ କହିଲେ, “ଆମ୍ଭେମାନେ ଜଳ ପାଇଅଛୁ।”
३२त्याच दिवशी इसहाकाच्या नोकरांनी येऊन त्यांनी खणलेल्या विहिरीविषयी त्यास सांगितले. ते म्हणाले, “त्या विहिरीत आम्हांस पाणी मिळाले आहे.”
33 ଏହେତୁ ସେ ସେହି କୂପର ନାମ ଶୀବା ରଖିଲେ, ପୁଣି, ଆଜି ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ସେହି ସ୍ଥାନର ନଗର ବେର୍‍ଶେବା ନାମରେ ଖ୍ୟାତ ଅଟେ।
३३तेव्हा इसहाकाने त्या विहिरीचे नाव शेबा ठेवले, आणि त्या नगराला अजूनही बैर-शेबा नाव आहे.
34 ଏଥିଉତ୍ତାରେ ଏଷୌ ଚାଳିଶ ବର୍ଷ ବୟସରେ ହିତ୍ତୀୟ ବେରିର ଯିହୁଦୀତ୍‍ ନାମ୍ନୀ କନ୍ୟାକୁ ଓ ହିତ୍ତୀୟ ଏଲୋନ୍‍ର ବାସମତ୍‍ ନାମ୍ନୀ କନ୍ୟାକୁ ବିବାହ କଲେ।
३४एसाव चाळीस वर्षांचा झाल्यावर त्याने हेथी स्त्रियांशी लग्ने केली, एकीचे नाव होते यहूदीथ, ही बैरी हित्तीची मुलगी, आणि दुसरीचे नाव होते बासमथ, ही एलोन हित्तीची मुलगी होती.
35 ମାତ୍ର ସେମାନେ ଇସ୍‌ହାକ ଓ ରିବିକାଙ୍କ ମନର ଦୁଃଖଦାୟିନୀ ହେଲେ।
३५त्यामुळे इसहाक व रिबका दुःखीत झाले.

< ମୋଶାଙ୍କ ଲିଖିତ ପ୍ରଥମ ପୁସ୍ତକ 26 >