< ଦ୍ୱିତୀୟ ଶାମୁୟେଲ 14 >
1 ଏଥିଉତ୍ତାରେ ସରୁୟାର ପୁତ୍ର ଯୋୟାବ ଦେଖିଲା ଯେ, ରାଜାଙ୍କର ହୃଦୟ ଅବଶାଲୋମ ଆଡ଼େ ଅଛି।
१अबशालोमच्या ओढीमुळे राजा बेचैन झालेला आहे हे सरुवेचा मुलगा यवाब याला कळले.
2 ଏଣୁ ଯୋୟାବ ତକୋୟକୁ ଲୋକ ପଠାଇ ସେଠାରୁ ଏକ ଜ୍ଞାନବତୀ ସ୍ତ୍ରୀକୁ ଅଣାଇ ତାହାକୁ କହିଲା, “ଆଗୋ, ବିନୟ କରୁଅଛି, ତୁମ୍ଭେ ଶୋକକାରିଣୀର ବେଶ ଧର ଓ ଶୋକସୂଚକ ବସ୍ତ୍ର ପିନ୍ଧ, ତୁମ୍ଭେ ତେଲ ଲଗାଅ ନାହିଁ, ମାତ୍ର ମୃତ ଲୋକ ପାଇଁ ବହୁ କାଳରୁ ଶୋକକାରିଣୀ ସ୍ତ୍ରୀ ପରି ହୁଅ;
२तेव्हा तकोवा शहरात निरोप्याला पाठवून त्याने तेथील एका चतुर स्त्रीला बोलावणे पाठवले. तिला तो म्हणाला, तू खूप दु: खात असल्याचे ढोंग कर. त्यास शोभेसे कपडे कर. नटू सजू नको. अनेक दिवस मृताचा शोक करीत असलेल्या स्त्रीसारखी तू दिसली पाहिजेस.
3 ପୁଣି ରାଜାଙ୍କ ନିକଟକୁ ଯାଇ ଏହି ପ୍ରକାରେ ତାଙ୍କୁ କୁହ।” ଆଉ ଯୋୟାବ ତାହାକୁ ବକ୍ତବ୍ୟ କଥା ଶିଖାଇଲା।
३राजाकडे जा आणि मी सांगतो तसे त्याच्याशी बोल. यवाबाने मग तिला काय बोलायचे ते सांगितले.
4 ତହୁଁ ତକୋୟର ସେହି ସ୍ତ୍ରୀ ରାଜାଙ୍କୁ କଥା କହିବା ବେଳେ ଭୂମିରେ ମୁହଁ ମାଡ଼ି ପ୍ରଣାମ କରି କହିଲା, “ମହାରାଜ, ରକ୍ଷା କରନ୍ତୁ।”
४मग तकोवा येथील स्त्री राजाशी बोलली. तिने स्वत: ला जमिनीवर लवून व राजापुढे नतमस्तक होऊन ती म्हणाली, कृपाकरून मला मदत करा.
5 ତହିଁରେ ରାଜା ତାହାକୁ କହିଲେ, “ତୁମ୍ଭର କଅଣ ହେଲା?” ସେ ଉତ୍ତର କଲା, “ମୁଁ ସତ୍ୟ କହୁଛି, ମୁଁ ବିଧବା ସ୍ତ୍ରୀ, ମୋʼ ସ୍ୱାମୀ ମରିଯାଇଅଛି।
५राजाने तिची विचारपूस करून तिची अडचण जाणून घेतली. ती म्हणाली, मी एक विधवा स्त्री आहे.
6 ଆପଣଙ୍କ ଏହି ଦାସୀର ଦୁଇ ପୁତ୍ର ଥିଲେ, ସେ ଦୁହେଁ କ୍ଷେତ୍ରରେ ଝଗଡା କଲେ, ସେତେବେଳେ ସେମାନଙ୍କୁ ଛଡ଼ାଇ ଦେବାକୁ କେହି ନ ଥିବାରୁ ଜଣେ ଅନ୍ୟ ଜଣକୁ ମାରି ବଧ କଲା।
६मला दोन पुत्र होते. एकदा शेतात त्यांचे भांडण लागले त्यांना थांबवायलाही कोणी नव्हते. तेव्हा एकाने दुसऱ्याचा जीव घेतला.
7 ଏବେ ଦେଖନ୍ତୁ, ସମୁଦାୟ ଗୋଷ୍ଠୀ ଆପଣଙ୍କ ଦାସୀ ବିରୁଦ୍ଧରେ ଉଠି କହୁଛନ୍ତି, ‘ଆପଣା ଭାଇକୁ ଯେ ମାରିଲା, ତାହାକୁ ସମର୍ପଣ କର, ତହିଁରେ ଆମ୍ଭେମାନେ ତାହାର ହତ ଭାଇର ପ୍ରାଣ ବଦଳେ ତାହାର ପ୍ରାଣ ନେବୁ,’ ପୁଣି ଉତ୍ତରାଧିକାରୀଙ୍କୁ ମଧ୍ୟ ଉଚ୍ଛିନ୍ନ କରିବୁ; ଏହା କଲେ ସେମାନେ ମୋର ବାକି ଥିବା ନିଆଁ ଲିଭାଇ ଦେବେ ଓ ପୃଥିବୀରୁ ମୋʼ ସ୍ୱାମୀର ନାମ ଓ ଅବଶିଷ୍ଟ କିଛି ରଖିବେ ନାହିଁ।”
७आता सगळे घर माझ्याविरूद्ध उठले आहे. सगळे मला म्हणतात, आपल्या भावाचा जीव घेणाऱ्या त्या मुलाला आमच्या स्वाधीन कर. त्यास आम्ही मारून टाकतो कारण त्याने आपल्या भावाला मारले. माझा पुत्र हा आगीतल्या शेवटच्या ठिणगी सारखा आहे. त्यांनी माझ्या पुत्राचा जीव घेतला. तर ती आग नष्ट होईल. आपल्या वडिलांच्या मालमत्तेचा तो एकुलता एक वारस आहे. तोही गेला तर माझ्या मृत पतीची मालमत्ता दुसरा कोणी हडप करील. आणि या भूमीवर नावनिशाणीही राहणार नाही.
8 ଏଥିରେ ରାଜା ସେହି ସ୍ତ୍ରୀଙ୍କୁ କହିଲେ, “ଘରକୁ ଯାଅ, ମୁଁ ତୁମ୍ଭ ବିଷୟରେ ଆଜ୍ଞା ଦେବି।”
८हे ऐकून राजा तिला म्हणाला, मी यामध्ये लक्ष घालतो तू घरी जा.
9 ତହୁଁ ତକୋୟର ସେହି ସ୍ତ୍ରୀ ରାଜାଙ୍କୁ କହିଲା, “ହେ ମୋହର ପ୍ରଭୋ, ମହାରାଜ, ଏ ଅପରାଧଟି ମୋʼ ଉପରେ ଓ ମୋʼ ପିତୃଗୃହ ଉପରେ ଥାଉ; ମାତ୍ର ମହାରାଜ ଓ ତାଙ୍କ ସିଂହାସନ ଦୋଷରହିତ ହେଉନ୍ତୁ।”
९तेव्हा ती तकोवा येथील स्त्री राजाला म्हणाली, माझे स्वामी या सगळ्याला मी जबाबदार आहे. मी दोषी आहे. तुम्ही आणि तुमचे आसन निर्दोष आहेत.
10 ତହିଁରେ ରାଜା କହିଲେ, “କେହି ଯେବେ ତୁମ୍ଭକୁ କିଛି କହେ, ତାଙ୍କୁ ମୋʼ ନିକଟକୁ ଆଣ, ତେବେ ସେ ତୁମ୍ଭକୁ ଆଉ ଛୁଇଁବ ନାହିଁ।”
१०राजा दावीद म्हणाला, तुझ्याविरूद्ध कोणी काही बोलले तर त्यास माझ्याकडे आण. तुला पुन्हा कोणी त्रास देणार नाही.
11 ତହିଁରେ ସେ ସ୍ତ୍ରୀ କହିଲେ, “ରକ୍ତର ପ୍ରତିହନ୍ତା (ନାଶକ) ଯେପରି ଆଉ ବିନାଶ ନ କରେ, ଏଥିପାଇଁ ମହାରାଜ ଆପଣା ସଦାପ୍ରଭୁ ପରମେଶ୍ୱରଙ୍କୁ ସ୍ମରଣ କରନ୍ତୁ, ନୋହିଲେ, ସେମାନେ ମୋʼ ପୁତ୍ରକୁ ଉଚ୍ଛିନ୍ନ କରିବେ।” ତହୁଁ ରାଜା କହିଲେ, “ସଦାପ୍ରଭୁ ଜୀବିତ ଥିବା ପ୍ରମାଣେ ତୁମ୍ଭ ପୁତ୍ରର ଏକ କେଶ ହିଁ ତଳେ ପଡ଼ିବ ନାହିଁ।”
११ती तकोवा येथील स्त्री पुन्हा राजाला म्हणाली, परमेश्वर देवाच्या नावाची शपथ वाहून सांगा की, या लोकांचा तुम्ही बंदोबस्त कराल. त्यांना भावाचा खून केल्याबद्दल माझ्या मुलाला शासन करायचे आहे. तेव्हा त्यास धक्का पोहचणार नाही याचे मला आश्वासन द्या. दावीद म्हणाला, परमेश्वर जिवंत असेपर्यंत कोणीही तुझ्या पुत्राला इजा करणार नाही. त्याच्या केसालाही धक्का पोचणार नाही.
12 ସେତେବେଳେ ସେହି ସ୍ତ୍ରୀ କହିଲା, “ଆପଣଙ୍କ ଦାସୀଙ୍କୁ ମୋର ପ୍ରଭୁ ମହାରାଜଙ୍କ ନିକଟରେ ଗୋଟିଏ କଥା କହିବାକୁ ଦେଉନ୍ତୁ;” ସେ କହିଲେ, “କୁହ।”
१२मग ती म्हणाली, माझे स्वामी, मला तुमच्याशी आणखी काही बोलायचे आहे, परवानगी असावी. राजा म्हणाला, बोल.
13 ତହୁଁ ସେହି ସ୍ତ୍ରୀ କହିଲା, “ତେବେ ଆପଣ କାହିଁକି ପରମେଶ୍ୱରଙ୍କ ଲୋକମାନଙ୍କ ବିରୁଦ୍ଧରେ ଏରୂପ ସଂକଳ୍ପ କରିଅଛନ୍ତି? ମହାରାଜ ଯାହା କହିଲେ, ତଦ୍ଦ୍ୱାରା ଦୋଷୀ ଲୋକ ପରି ହୋଇଅଛନ୍ତି, କାରଣ ମହାରାଜ ଆପଣା ନିର୍ବାସିତ ଲୋକଙ୍କୁ ଫେରାଇ ଆଣୁ ନାହାନ୍ତି।
१३त्यावर ती म्हणाली, तुम्ही देवाच्या लोकांच्या विरूद्ध योजना का केली आहे? होय, तुम्ही असे म्हणालात तेव्हा तुम्ही स्वत: दोषी ठरता. कारण राजाने आपल्या घराबाहेर घालवलेल्या पुत्राला पुन्हा परत आणलेले नाही.
14 ଆମ୍ଭେମାନେ ତ ନିତାନ୍ତ ମରିବା, ପୁଣି ଭୂମିରେ ଢଳାଗଲା ଉତ୍ତାରେ ଯାହା ପୁନର୍ବାର ସଂଗୃହୀତ ହୋଇ ନ ପାରେ, ଏପରି ଜଳ ତୁଲ୍ୟ ହେବା; କିନ୍ତୁ ପରମେଶ୍ୱର ଜୀବନ ହରଣ କରନ୍ତି ନାହିଁ; ମାତ୍ର ନିର୍ବାସିତ ଲୋକ ଯେପରି ତାହାଙ୍କଠାରୁ ନିର୍ବାସିତ ନ ହୁଏ, ଏପରି ଉପାୟର ସଂକଳ୍ପ କରନ୍ତି।
१४आपण सर्वच कधीतरी मरण पावणार आहोत. जमिनीवर पडलेल्या पाण्यासारखी आपली स्थिती होणार आहे. सांडलेले पाणी पुन्हा भरता येत नाही. देव क्षमाशील आहे हे तुम्ही जाणता. स्वसंरक्षणासाठी पळालेल्याच्या बाबतीतही देवाची काही योजना असते. देव त्यास आपल्यापासून पळायला लावत नाही.
15 ଏବେ ମୁଁ ଯେ ମୋର ପ୍ରଭୁ ମହାରାଜଙ୍କ ନିକଟରେ ଏହି କଥା ନିବେଦନ କରିବାକୁ ଆସିଲି, ତହିଁର କାରଣ ଏହି ଯେ, ଲୋକମାନେ ମୋର ଭୟ ଜନ୍ମାଇଲେ; ତହିଁରେ ଆପଣଙ୍କ ଦାସୀ କହିଲା, ‘ମୁଁ ଏବେ ମହାରାଜଙ୍କୁ କହିବି; ହୋଇପାରେ, ମହାରାଜ ଆପଣା ଦାସୀର ନିବେଦନାନୁସାରେ କରିବେ।
१५स्वामी, हेच सांगायला मी येथपर्यंत आले. लोकांमुळे मी भयभीत झाले होते. मी मनाशी म्हणाले, राजाशी मी बोलेन कदाचित् तोच मला मदत करील.
16 ଯେଉଁ ଲୋକ ମୋତେ ଓ ମୋʼ ପୁତ୍ରକୁ ଏକତ୍ର ପରମେଶ୍ୱରଙ୍କ ଅଧିକାରରୁ ଉଚ୍ଛିନ୍ନ କରିବାକୁ ଇଚ୍ଛା କରେ, ତାହା ହସ୍ତରୁ ମହାରାଜ ଆପଣା ଦାସୀଙ୍କୁ ରକ୍ଷା କରିବାକୁ ମନୋଯୋଗ କରିବେ।’
१६तो माझे ऐकून घेईल. मला आणि माझ्या मुलाला मारायला निघालेल्या मनुष्यापासून माझा बचाव करील. देवाने आपल्याला जो वारसा दिला त्यापासून हा मनुष्य आम्हास वंचित करू पाहत आहे.
17 ଆପଣଙ୍କ ଦାସୀ ଆହୁରି କହିଲା, ‘ମୋର ପ୍ରଭୁ ମହାରାଜଙ୍କ ବାକ୍ୟ ଅବଶ୍ୟ ଶାନ୍ତିଦାୟକ ହେବ, କାରଣ ଭଲ ମନ୍ଦ ଶୁଣିବାକୁ ମୋର ପ୍ରଭୁ ମହାରାଜ ପରମେଶ୍ୱରଙ୍କ ଦୂତ ତୁଲ୍ୟ,’ ପୁଣି ସଦାପ୍ରଭୁ ଆପଣଙ୍କ ପରମେଶ୍ୱର ଆପଣଙ୍କ ସଙ୍ଗେ ଥାଉନ୍ତୁ।”
१७स्वामी, तुमच्या शब्दांनी मला दिलासा मिळेल हे मी जाणून होते. कारण तुम्ही देवदूतासारखेच आहात. बरे वाईट तुम्ही जाणता आणि देव परमेश्वराची तुम्हास साथ आहे.
18 ଏଥିରେ ରାଜା ଉତ୍ତର ଦେଇ ସେହି ସ୍ତ୍ରୀକୁ କହିଲେ, “ଭଲ, ମୁଁ ତୁମ୍ଭକୁ ଯାହା ପଚାରିବି, ତାହା ମୋʼ ଠାରୁ ଗୋପନ କରିବ ନାହିଁ।” ତହୁଁ ସେହି ସ୍ତ୍ରୀ କହିଲା, “ମୋର ପ୍ରଭୁ ମହାରାଜ କହନ୍ତୁ।”
१८राजा दावीद त्या स्त्रीला म्हणाला, आता मी विचारतो त्याचे उत्तर दे. माझ्यापासून काही लपवून ठेवू नकोस. ती म्हणाली माझे स्वामी, विचारा.
19 ଏଥିରେ ରାଜା କହିଲେ, “ଏସମସ୍ତ କଥାରେ କି ତୁମ୍ଭ ସଙ୍ଗେ ଯୋୟାବର ହାତ ନାହିଁ?” ସେହି ସ୍ତ୍ରୀ ଉତ୍ତର ଦେଇ କହିଲା, “ହେ ମୋର ପ୍ରଭୋ, ମହାରାଜ, ଆପଣଙ୍କ ପ୍ରାଣ ଜୀବିତ ଥିବା ପ୍ରମାଣେ କହୁଛି, ମୋʼ ପ୍ରଭୁ ମହାରାଜ ଯାହା କହିଅଛନ୍ତି, ତହିଁର ଡାହାଣକୁ କି ବାମକୁ ଫେରିବାକୁ କାହାରି ଆୟତ୍ତ ନାହିଁ; କାରଣ ଆପଣଙ୍କ ଦାସ ଯୋୟାବ ମୋତେ ଆଦେଶ କରି ଆପଣଙ୍କ ଦାସୀଙ୍କୁ ଏହି ସମସ୍ତ କଥା ଶିଖାଇଅଛନ୍ତି।
१९राजा म्हणाला, तुला हे सर्व बोलायला यवाबाने सांगितले ना? ती म्हणाली, होय महाराज, तुमचे सेवक यवाब यांनीच मला हे सर्व बोलायला सांगितले.
20 କଥାକୁ ଏପରି ବୁଲାଇ କହିବାକୁ ଆପଣଙ୍କ ଦାସ ଯୋୟାବ ଏହା କରିଅଛନ୍ତି; ଯାହାହେଉ, ମୋର ପ୍ରଭୁ ପୃଥିବୀର ସମସ୍ତ ବିଷୟ ଜାଣିବା ପାଇଁ ପରମେଶ୍ୱରଙ୍କ ଦୂତଙ୍କ ଜ୍ଞାନ ପ୍ରମାଣେ ଜ୍ଞାନବାନ ଅଟନ୍ତି।”
२०अलिप्तपणे सर्व गोष्टी न्याहाळता याव्यात म्हणूनच स्वरूप बदलून सांगायची युक्ती यवाबाने केली. स्वामी तुम्ही देवदूता सारखेच ज्ञानी आहात. तुम्हास या पृथ्वीवरील सर्व घटना समजतात.
21 ଏଥିଉତ୍ତାରେ ରାଜା ଯୋୟାବକୁ କହିଲେ, “ଆଚ୍ଛା, ଦେଖ, ମୁଁ ଏହି କଥା କରିବି, ଏଣୁ ଯାଅ, ସେ ଯୁବା ଅବଶାଲୋମଙ୍କୁ ପୁନର୍ବାର ଆଣ।”
२१राजा यवाबाला म्हणाला, माझे वचन मी खरे करीन. आता अबशालोमला परत आणा.
22 ତହିଁରେ ଯୋୟାବ ମୁହଁ ମାଡ଼ି ପ୍ରଣାମ କରି ରାଜାଙ୍କର ଧନ୍ୟବାଦ କଲା; ଆଉ ଯୋୟାବ କହିଲା, “ହେ ମୋହର ପ୍ରଭୋ, ମହାରାଜ, ମୁଁ ଯେ ଆପଣଙ୍କ ଦୃଷ୍ଟିରେ ଅନୁଗ୍ରହ ପାଇଅଛି, ଏହା ଆପଣଙ୍କ ଦାସ ଆଜି ଜାଣିଲା, ଯେହେତୁ ମହାରାଜ ଆପଣା ଦାସର ନିବେଦନାନୁସାରେ କଲେ।”
२२यवाबाने राजाला वाकून अभिवादन केले राजाचे अभीष्ट चिंतून तो म्हणाला, तुम्ही माझ्यावर प्रसन्न आहात हे मी जाणतो. माझी विनंती तुम्ही मान्य केलीत यावरुन मी हे ताडले.
23 ତହୁଁ ଯୋୟାବ ଉଠି ଗଶୂରକୁ ଯାଇ ଅବଶାଲୋମଙ୍କୁ ଯିରୂଶାଲମକୁ ଆଣିଲା।
२३मग यवाब गशूर येथे गेला आणि अबशालोमला यरूशलेमेला घेऊन आला.
24 ଆଉ ରାଜା କହିଲେ, “ସେ ଫେରି ଆପଣା ଘରକୁ ଯାଉ, ମାତ୍ର ସେ ମୋହର ମୁଖ ନ ଦେଖୁ।” ତହିଁରେ ଅବଶାଲୋମ ଆପଣା ଗୃହକୁ ଫେରିଗଲା ଓ ରାଜାଙ୍କର ମୁଖ ଦେଖିଲା ନାହିଁ।
२४पण राजा दावीद म्हणाला, अबशालोमला त्याच्या घरी जाऊ दे त्यास मला भेटता मात्र येणार नाही. तेव्हा राजाचे तोंड न पाहताच अबशालोम आपल्या घरी परतला.
25 ସମୁଦାୟ ଇସ୍ରାଏଲ ମଧ୍ୟରେ ଅବଶାଲୋମ ପରି ଅତି ପ୍ରଶଂସନୀୟ ସୌନ୍ଦର୍ଯ୍ୟ ପୁରୁଷ କେହି ନ ଥିଲା; ତାହାର ତଳିପାରୁ ମସ୍ତକର ଅଗ୍ରଭାଗ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ତାହାଠାରେ କୌଣସି ଖୁଣ ନ ଥିଲା।
२५अबशालोमच्या देखणेपणाची लोक तोंड भरून प्रशंसा करत होते. इस्राएलमध्ये त्याचा रुपाला तोड नव्हती. त्याच्या पायाच्या तळव्यापासून तर डोक्यापर्यंत त्याच्यात कोणताही दोष नव्हता.
26 ତାହାର ମସ୍ତକର କେଶ ଭାରୀ ହେବାରୁ ପ୍ରତି ବର୍ଷର ଶେଷରେ ସେ ତାହା କଟାଏ। ପୁଣି ସେ ଆପଣା ମସ୍ତକର କେଶ କଟାଇବା ବେଳେ ରାଜପରିମାଣାନୁସାରେ ତାହା ଦୁଇ ଶହ ଶେକଲ ପରିମିତ ହୁଏ।
२६प्रत्येक वर्षाच्या अखेरीस अबशालोम आपल्या माथ्यावरील केस कापून त्याचे वजन करीत, केसांचे ओझे होत असल्यामुळे तो ते करीत असे, ते केस राजाच्या वजनाप्रमाणे दोनशे शेकेल भरत असत.
27 ସେହି ଅବଶାଲୋମର ତିନି ପୁତ୍ର ଓ ଗୋଟିଏ କନ୍ୟା ଜାତ ହୋଇଥିଲେ; କନ୍ୟାର ନାମ ତାମର ଥିଲା, ସେ ପରମାସୁନ୍ଦରୀ।
२७त्यास तीन पुत्र आणि एक कन्या होती, त्या कन्येचे नाव तामार होते. तामार दिसायला सुंदर होती.
28 ଅବଶାଲୋମ ଯିରୂଶାଲମରେ ସମ୍ପୂର୍ଣ୍ଣ ଦୁଇ ବର୍ଷ ବାସ କଲା; ମାତ୍ର ରାଜାଙ୍କର ମୁଖ ଦେଖିଲା ନାହିଁ।
२८यरूशलेमेमध्ये अबशालोम पूर्ण दोन वर्षे राहिला. पण त्या कालावधीत दावीद राजाला मात्र तो एकदाही भेटू शकला नाही.
29 ଏଣୁ ଅବଶାଲୋମ ରାଜାଙ୍କ ନିକଟକୁ ପଠାଇବା ପାଇଁ ଯୋୟାବଙ୍କୁ ଡକାଇଲା; ମାତ୍ର ସେ ଆସିଲା ନାହିଁ; ତହୁଁ ସେ ଦ୍ୱିତୀୟ ଥର ପୁଣି ଲୋକ ପଠାଇଲା, ମାତ୍ର ସେ ଆସିଲା ନାହିଁ।
२९तेव्हा अबशालोमने यवाबाकडे आपल्या सेवकाला पाठवले. आपली राजाशी भेट घडवून आणावी असा निरोप दूतांकरवी यवाबाला दिला. पण यवाब अबशालोमकडे आला नाही. अबशालोमने त्यास पुन्हा बोलावणे पाठवले, तरीही तो येईना.
30 ଏହେତୁ ସେ ଆପଣା ଦାସମାନଙ୍କୁ କହିଲା, “ଦେଖ, ଆମ୍ଭ କ୍ଷେତ୍ର ପାଖରେ ଯୋୟାବର କ୍ଷେତ୍ର ଅଛି, ସେ ତହିଁରେ ଯବ କରିଅଛି; ଯାଅ, ତହିଁରେ ନିଆଁ ଲଗାଇ ଦିଅ।” ତହୁଁ ଅବଶାଲୋମର ଦାସମାନେ ସେହି କ୍ଷେତ୍ରରେ ନିଆଁ ଲଗାଇଦେଲେ।
३०तेव्हा मात्र अबशालोम आपल्या सेवकांना म्हणाला, माझ्या शेताला लागूनच यवाबाचे शेत आहे. त्यामध्ये जवाचे पीक आले आहे ते पेटवून द्या अबशालोमच्या सेवकांनी त्याप्रमाणे यवाबाच्या शेतात आग लावली.
31 ଏଥିରେ ଯୋୟାବ ଉଠି ଅବଶାଲୋମ ପାଖକୁ ତାହାର ଗୃହକୁ ଆସି ତାହାକୁ କହିଲା, “ତୁମ୍ଭ ଦାସମାନେ କାହିଁକି ମୋʼ କ୍ଷେତ୍ରରେ ନିଆଁ ଲଗାଇଲେ?”
३१तेव्हा यवाब उठून अबशालोमकडे आला, आणि त्यास म्हणाला “तुझ्या सेवकांनी माझ्या शेतात जाळपोळ का केली?”
32 ତହୁଁ ଅବଶାଲୋମ ଯୋୟାବଙ୍କୁ ଉତ୍ତର କଲା, “ଦେଖ ମୁଁ ତୁମ୍ଭ ନିକଟକୁ ଲୋକ ପଠାଇ କହିଲି, ତୁମ୍ଭେ ଏଠାକୁ ଆସ, ମୁଁ କାହିଁକି ଗଶୂରରୁ ଆସିଲି? ଏ କଥା ପଚାରିବା ପାଇଁ ମୁଁ ରାଜାଙ୍କ ନିକଟକୁ ତୁମ୍ଭକୁ ପଠାଇବି। ଆଜି ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ସେଠାରେ ଥିଲେ, ମୋହର ଭଲ ହୋଇଥାʼନ୍ତା; ଏବେ ମୋତେ ରାଜାଙ୍କ ମୁଖ ଦେଖିବାକୁ ଦିଅ, ଯେବେ ମୋʼ ଠାରେ ଅପରାଧ ଥାଏ, ତେବେ ସେ ମୋତେ ବଧ କରନ୍ତୁ।”
३२अबशालोम यवाबाला म्हणाला, “मी निरोप पाठवून तुला बोलावणे धाडले होते. तुला मी राजाकडे पाठवणार होतो. गशूरहून त्याने मला का बोलावले ते मी तुला त्यास विचारायला सांगणार होतो. मी त्याचे दर्शन घेऊ शकत नसेन तर गशूरहून मी इथे का आलो? तेव्हा मला त्यास भेटू दे. माझा काही अपराध असला तर त्याने मला मारून टाकावे.
33 ତହୁଁ ଯୋୟାବ ଯାଇ ରାଜାଙ୍କୁ ଏହା ଜଣାଇଲା; ତହିଁରେ ରାଜା ଅବଶାଲୋମଙ୍କୁ ଡକାନ୍ତେ, ସେ ରାଜାଙ୍କ ନିକଟକୁ ଆସି ତାଙ୍କ ସମ୍ମୁଖରେ ଭୂମିରେ ମୁହଁ ମାଡ଼ି ପ୍ରଣାମ କଲା, ପୁଣି ରାଜା ଅବଶାଲୋମଙ୍କୁ ଚୁମ୍ବନ କଲେ।
३३तेव्हा यवाब राजाकडे आला आणि त्याने अबशालोमचे मनोगत राजाला सांगितले राजाने अबशालोमला बोलावले, अबशालोम आला त्याने राजाला वाकून अभिवादन केले, राजाने त्याचे चुंबन घेतले.”