< ଦ୍ବିତୀୟ ବଂଶାବଳୀ 9 >

1 ଏଥିଉତ୍ତାରେ ଶିବା ଦେଶର ରାଣୀ ଶଲୋମନଙ୍କର ସୁଖ୍ୟାତି ଶୁଣି ନିଗୂଢ଼ ପ୍ରଶ୍ନ ଦ୍ୱାରା ଯିରୂଶାଲମରେ ଶଲୋମନଙ୍କର ପରୀକ୍ଷା କରିବା ପାଇଁ ସୁଗନ୍ଧି ଦ୍ରବ୍ୟ ଓ ବିସ୍ତର ସୁବର୍ଣ୍ଣ ଓ ମଣିବାହକ ଉଷ୍ଟ୍ରଗଣ ସଙ୍ଗେ ନେଇ ମହାସମାରୋହରେ ଆସିଲା; ପୁଣି ସେ ଶଲୋମନଙ୍କ ନିକଟକୁ ଆସି ଆପଣା ମନରେ ଯାହା ଯାହା ଥିଲା, ସେସବୁ ବିଷୟରେ ତାଙ୍କ ସଙ୍ଗେ କଥାବାର୍ତ୍ତା କଲା।
शलमोनाची कीर्ती शबाच्या राणीच्या कानावर गेली तेव्हा त्याची कठीण परीक्षा घेण्यासाठी ती यरूशलेमास आली. तिच्याबरोबर मोठा लवाजमा होता. मसाल्याचे पदार्थ, सोनेनाणे, मौल्यवान रत्ने या गोष्टी उंटांवर लादून तिने सोबत आणल्या होत्या शलमोनाची भेट घेऊन ती त्याच्याशी मनातल्या गोष्टी बोलली. तिला शलमोनाला बरेच प्रश्न विचारायचे होते.
2 ତହିଁରେ ଶଲୋମନ ତାହାର ସମସ୍ତ ପ୍ରଶ୍ନର ଉତ୍ତର କଲେ ଓ ଶଲୋମନଙ୍କର ବୋଧାଗମ୍ୟ କୌଣସି ବିଷୟ ନ ଥିଲା, ଯାହା ସେ ତାହାକୁ କହିଲେ ନାହିଁ।
शलमोनाने तिच्या सर्व प्रश्नांची उत्तरे दिली. त्यास त्यातले काहीच अवघड वाटले नाही. त्याने उत्तर दिले नाही असा कोणताच प्रश्न उरला नाही.
3 ପୁଣି ଶିବାର ରାଣୀ ଶଲୋମନଙ୍କର ଜ୍ଞାନ ଓ ତାଙ୍କ ନିର୍ମିତ ଗୃହ
शबाच्या राणीने त्याच्या सूज्ञपणाचा प्रत्यय घेतला, त्याचा महाल पाहिला.
4 ଓ ତାଙ୍କର ମେଜର ଖାଦ୍ୟଦ୍ରବ୍ୟ ଓ ତାଙ୍କର ଭୃତ୍ୟମାନଙ୍କର ଆସନ ଓ ତାଙ୍କର ମନ୍ତ୍ରୀମାନଙ୍କର ସେବା ଓ ସେମାନଙ୍କର ବସ୍ତ୍ର ଓ ତାଙ୍କର ପାତ୍ରବାହକଗଣ ଓ ସେମାନଙ୍କର ବସ୍ତ୍ର ଓ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ଗୃହକୁ ଉଠି ଯିବା ପାଇଁ ତାହାର ପାବଚ୍ଛ, ଏହିସବୁ ଦେଖି ହତଜ୍ଞାନ ହେଲା।
त्याच्या मेजावरील अन्नपदार्थ तिने पाहिले, त्याच्या प्रमुख कारभाऱ्याची बैठक पाहिली. त्यांची कार्यपध्दती आणि त्यांचे पोशाख पाहिले. शलमोनाचे प्यालेबरदार आणि त्यांचे पोशाख, परमेश्वराच्या मंदिरातील शलमोनाने केलेली होमार्पणे हे सर्व तिने पाहिली आणि या दर्शनाने ती थक्क झाली.
5 ତହୁଁ ସେ ରାଜାଙ୍କୁ କହିଲା, “ଆମ୍ଭେ ଆପଣା ଦେଶରେ ଥାଇ ଆପଣଙ୍କ କାର୍ଯ୍ୟ ଓ ଆପଣଙ୍କ ଜ୍ଞାନ ବିଷୟରେ ଯେଉଁ ସମ୍ବାଦ ପାଇଥିଲୁ, ତାହା ସତ୍ୟ।
मग ती राजा शलमोनाला म्हणाली, “तुझ्या कामगिरीची आणि शहाणपणाची जी वर्णने मी माझ्या देशात ऐकली ती खरीच आहेत.
6 ତଥାପି ଆମ୍ଭେ ଆସି ଆପଣା ଚକ୍ଷୁରେ ନ ଦେଖିବା ଯାଏ ଲୋକମାନଙ୍କର କଥା ବିଶ୍ୱାସ କଲୁ ନାହିଁ; ଆଉ ଦେଖନ୍ତୁ, ଆପଣଙ୍କ ଜ୍ଞାନର ଅର୍ଦ୍ଧେକ ମାହାତ୍ମ୍ୟ ଆମ୍ଭକୁ କୁହାଯାଇ ନ ଥିଲା; ଆମ୍ଭ ଶୁଣିବାର ଅପେକ୍ଷା ଆପଣଙ୍କ ସୁଖ୍ୟାତି ଅଧିକ।
इथे येऊन स्वतः अनुभव घेईपर्यंत मला या गोष्टींवर विश्वास बसत नव्हता. आता मी प्रत्यक्ष माझ्या डोळ्यांनी पाहीले आहे. खरे तर तुझ्या सूज्ञपणाची थोरवी निम्म्यानेही माझ्यापर्यंत पोचली नव्हती. तुझ्याबद्दल जे ऐकले त्यापेक्षाही तू महान आहेस.
7 ଆପଣଙ୍କ ଲୋକମାନେ ଧନ୍ୟ, ଆପଣଙ୍କର ଏହି ଦାସମାନେ ଧନ୍ୟ, ସେମାନେ ନିତ୍ୟ ଆପଣଙ୍କ ସମ୍ମୁଖରେ ଠିଆ ହୋଇ ଆପଣଙ୍କ ଜ୍ଞାନର କଥା ଶୁଣନ୍ତି।
तुझे लोक व तुझ्या सेवेत सदैव तत्पर असलेले तुझे सेवक, तुझी माणसे आणि अधिकारी फार धन्य आहेत. तुझ्या सेवेत असतानाच त्यांना तुझ्या शहाणपणाचा लाभ होतो.
8 ସଦାପ୍ରଭୁ ଆପଣଙ୍କ ପରମେଶ୍ୱର ଧନ୍ୟ, ଯେ ଆପଣଙ୍କ ପ୍ରତି ସନ୍ତୁଷ୍ଟ ହୋଇ ସଦାପ୍ରଭୁ ଆପଣଙ୍କ ପରମେଶ୍ୱରଙ୍କ ପକ୍ଷରେ ରାଜା ହେବାକୁ ଆପଣା ସିଂହାସନରେ ଆପଣଙ୍କୁ ବସାଇ ଅଛନ୍ତି; ଯେଣୁ ଆପଣଙ୍କ ପରମେଶ୍ୱର ଇସ୍ରାଏଲକୁ ଅନନ୍ତକାଳସ୍ଥାୟୀ କରିବା ନିମନ୍ତେ ସେମାନଙ୍କୁ ପ୍ରେମ କରନ୍ତି; ଏହି ହେତୁରୁ ବିଚାର ଓ ନ୍ୟାୟ କରିବାକୁ ସେ ସେମାନଙ୍କ ଉପରେ ଆପଣଙ୍କୁ ରାଜା କଲେ।”
तुझा देव परमेश्वर ह्याची स्तुती असो. तो तुझ्यावर प्रसन्न आहे आणि आपल्या वतीने त्याने तुला राजा म्हणून सिंहासनावर बसवले आहे. परमेश्वराचे इस्राएलावर प्रेम आहे आणि इस्राएलावर त्याचा कायमचा वरदहस्त आहे जे उचित आणि न्याय्य ते करण्यासाठी त्याने तुला राजा केले आहे.”
9 ଏଉତ୍ତାରେ ସେ ରାଜାଙ୍କୁ ଏକ ଶହ କୋଡ଼ିଏ ତାଳନ୍ତ ସୁନା ଓ ଅତି ବିସ୍ତର ସୁଗନ୍ଧି ଦ୍ରବ୍ୟ ଓ ମଣି ଦେଲା; ଶିବାର ରାଣୀ ଶଲୋମନ ରାଜାଙ୍କୁ ଯେଉଁ ପ୍ରକାର ସୁଗନ୍ଧି ଦ୍ରବ୍ୟ ଦେଲା, ସେପ୍ରକାର ସୁଗନ୍ଧି ଦ୍ରବ୍ୟ ଆଉ ନ ଥିଲା।
शबाच्या राणीने मग राजा शलमोन याला एकशेवीस किक्कार सोने, अनेक मसाल्यांचे पदार्थ आणि मौल्यवान रत्ने यांचा नजराणा दिला. तिने दिले तसे मसाल्यांचे पदार्थ व वस्तू शलमोनाला कधीच कोणाकडून मिळाले नव्हते.
10 ପୁଣି ହୂରମ୍‍ର ଯେଉଁ ଦାସମାନେ ଓ ଶଲୋମନଙ୍କର ଯେଉଁ ଦାସମାନେ ଓଫୀରରୁ ସୁବର୍ଣ୍ଣ ଆଣିଲେ, ସେମାନେ ମଧ୍ୟ ଚନ୍ଦନ କାଷ୍ଠ ଓ ମଣି ଆଣିଲେ।
१०हिराम आणि शलमोन यांच्या सेवकांनी ओफिर येथून सोने आणले. रक्तचंदनाचे लाकूड आणि मौल्यवान रत्नेही त्यांनी आणली.
11 ଆଉ ରାଜା ସେହି ଚନ୍ଦନ କାଷ୍ଠ ଦ୍ୱାରା ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ଗୃହ ଓ ରାଜଗୃହ ପାଇଁ ସୋପାନ ଓ ଗାୟକମାନଙ୍କ ନିମନ୍ତେ ବୀଣା ଓ ନେବଲ ପ୍ରସ୍ତୁତ କଲେ; ଏପରି ଚନ୍ଦନ କାଷ୍ଠ ପୂର୍ବରେ ଯିହୁଦା ଦେଶରେ ଦେଖାଯାଇ ନ ଥିଲା।
११परमेश्वराच्या मंदिराच्या आणि राजमहालाच्या पायऱ्या तसेच गायकांच्या वीणा व सतारी यासाठी शलमोनाने हे रक्तचंदन वापरले. रक्तचंदनाचा वापर करून बनवलेल्या इतक्या सुंदर वस्तू यापूर्वी यहूदात कधी कोणी पाहिल्या नव्हत्या.
12 ପୁଣି ଶିବାର ରାଣୀ ଯାହା ଯାହା ମାଗିଲା, ତାହାର ମନୋବାଞ୍ଛାନୁସାରେ ଶଲୋମନ ରାଜା ତାହାସବୁ ତାହାକୁ ଦେଲେ, (ତାହା ଛଡ଼ା ରାଜାଙ୍କ ନିକଟକୁ ତାହାର ଆନୀତ ଦ୍ରବ୍ୟର ପ୍ରତିଦାନ କଲେ) ଏଥିଉତ୍ତାରେ ରାଣୀ ଓ ତାହାର ଦାସମାନେ ଫେରି ଆପଣା ଦେଶକୁ ଗଲେ।
१२शबाच्या राणीला जे हवे ते राजा शलमोनाने देऊ केले. त्याने जे देऊ केले ते तिने आणलेल्या नजराण्यापेक्षा जास्तच होते मग शबाची राणी आपल्या लव्याजम्यासाहित आपल्या देशात परतली.
13 ବର୍ଷକ ମଧ୍ୟରେ ଶଲୋମନଙ୍କ ନିକଟକୁ ଛଅ ଶହ ଛଷଠି ତାଳନ୍ତ ପରିମିତ ସୁନା ଆସେ;
१३शलमोनाला वर्षभरात जेवढे सोने मिळे त्याचे वजन सहाशे सहासष्ट किक्कार एवढे असे.
14 ତାହା ଛଡ଼ା ପାଇକର ଓ ବଣିକମାନେ ସୁନା ଆଣିଲେ; ପୁଣି ଆରବୀୟ ସମସ୍ତ ରାଜା ଓ ଦେଶାଧ୍ୟକ୍ଷମାନେ ଶଲୋମନଙ୍କ ନିକଟକୁ ସୁନା ଓ ରୂପା ଆଣିଲେ।
१४याखेरीज, फिरस्ते व्यापारी आणि विक्रेते खूप सोने आणत. अरबस्तानचे राजे आणि वेगवेगळ्या प्रदेशांचे सुभेदार सोने चांदी आणत, ते वेगळेच
15 ତହିଁରେ ଶଲୋମନ ରାଜା ପିଟାସୁନାରେ ଦୁଇ ଶହ ବଡ଼ ଢ଼ାଲ ପ୍ରସ୍ତୁତ କଲେ; ପ୍ରତ୍ୟେକ ଢାଳରେ ଛଅ ଶହ ଶେକଲ ସୁନା ଲାଗିଲା।
१५सोन्याचे पत्रे ठोकून दोनशे मोठ्या ढाली राजा शलमोनाने केल्या. अशा प्रत्येक ढालीला सहाशे शेकेल वजनाचा सोन्याचा पत्रा लागला.
16 ପୁଣି, ସେ ପିଟାସୁନାରେ ତିନି ଶହ ଢାଲ ପ୍ରସ୍ତୁତ କଲେ; ପ୍ରତ୍ୟେକ ଢାଲରେ ତିନି ମିନାସ୍ ସୁନା ଲାଗିଲା; ଆଉ, ରାଜା ଲିବାନୋନ-ଅରଣ୍ୟ ଗୃହରେ ତାହାସବୁ ରଖିଲେ।
१६याखेरीज अशा घडीव सोन्याच्या तीनशे ढाली त्याने केल्या. त्यांना प्रत्येकी तिनशे शेकले सोने लागले. या सोन्याच्या ढाली त्याने लबानोनाच्या अरण्यमहालात ठेवल्या.
17 ଆହୁରି, ରାଜା ହସ୍ତୀଦନ୍ତର ଗୋଟିଏ ବୃହତ ସିଂହାସନ ନିର୍ମାଣ କରି ନିର୍ମଳ ସୁବର୍ଣ୍ଣରେ ମଡ଼ାଇଲେ।
१७राजा शलमोनाने हस्तिदंताचे मोठे सिंहासन बनवले व सिंहासनाच्या वरचा भाग मागे गोलाकार होता. ते शुद्ध सोन्याने मढवले.
18 ସେହି ସିଂହାସନରେ ଏକ ସ୍ୱର୍ଣ୍ଣମୟ ପାଦପୀଠ ସହିତ ଛଅ ପାହାଚ ସିଂହାସନ ସଂଯୁକ୍ତ ହୋଇଥିଲା, ଆଉ ଆସନର ଦୁଇ ପାର୍ଶ୍ଵରେ ଦୁଇ ହସ୍ତାବଲମ୍ବନ ଥିଲା ଓ ସେହି ହସ୍ତାବଲମ୍ବନ ନିକଟରେ ଦୁଇ ସିଂହମୂର୍ତ୍ତି ଛିଡ଼ା ହୋଇଥିଲେ।
१८या सिंहासनाला सहा पायऱ्या होत्या. बैठकीच्या दोन्ही बाजूला हात टेकवता येतील अशी सिंहासनाला सोय होती. आणि त्यास लागून प्रत्येकी एक सिंहाचा पुतळा होता.
19 ସେହି ଛଅ ପାହାଚ ଉପରେ ଦୁଇପାଖେ ବାର ସିଂହମୂର୍ତ୍ତି ଛିଡ଼ା ହୋଇଥିଲେ; ଏରୂପ ସିଂହାସନ କୌଣସି ରାଜ୍ୟରେ ପ୍ରସ୍ତୁତ ନୋହିଲା।
१९सहा पायऱ्यांपैकी प्रत्येक पायरीच्या दोन्ही बाजूला एकेक असे एकंदर बारा सिंह होते. दुसऱ्या कोणत्याही राज्यात असे सिंहासन नव्हते.
20 ଶଲୋମନ ରାଜାଙ୍କର ପାନପାତ୍ରସବୁ ସୁନାର ଥିଲା ଓ ଲିବାନୋନ-ଅରଣ୍ୟ ଗୃହର ସମସ୍ତ ପାତ୍ର ଶୁଦ୍ଧ ସୁବର୍ଣ୍ଣର ଥିଲା; ଶଲୋମନଙ୍କ ସମୟରେ ରୂପା କିଛି ବୋଲି ଗଣା ନୋହିଲା।
२०राजाची सर्व पेयपात्रे सोन्याची होती लबानोनाच्या अरण्यमहालातील सर्व घरगुती वापरायच्या वस्तू शुद्ध सोन्याने घडवलेल्या होत्या. शलमोनाच्या काळात चांदी फारशी मौल्यवान मानली जात नसे.
21 କାରଣ ହୂରମ୍‍ର ଦାସମାନଙ୍କ ସଙ୍ଗେ ରାଜାଙ୍କର ତର୍ଶୀଶଗାମୀ ଜାହାଜମାନ ଥିଲେ; ସେହି ତର୍ଶୀଶର ଜାହାଜମାନ ତିନି ବର୍ଷରେ ଥରେ ସୁନା ଓ ରୂପା ଓ ହସ୍ତୀଦନ୍ତ, ପୁଣି ବାନର ଓ ମୟୂର ନେଇ ଆସନ୍ତି।
२१राजाकडे समुद्रांवर गलबतांचा ताफा हिरामाच्या ताफ्यासोबत होता. तीन वर्षातून एकदा हा ताफा सोने, चांदी व हस्तीदंत ह्याप्रमाणे मोर व वानरे आणत.
22 ଏହିରୂପେ ଶଲୋମନ ରାଜା ଐଶ୍ୱର୍ଯ୍ୟରେ ଓ ଜ୍ଞାନରେ ପୃଥିବୀସ୍ଥ ସମସ୍ତ ରାଜାଙ୍କ ଅପେକ୍ଷା ମହାନ ହେଲେ।
२२वैभव आणि ज्ञान याबाबतीत पृथ्वीच्या पाठीवरील कोणत्याही राजापेक्षा शलमोन महान झाला.
23 ଆଉ ପରମେଶ୍ୱର ଶଲୋମନଙ୍କର ହୃଦୟରେ ଯେଉଁ ଜ୍ଞାନ ଦେଇଥିଲେ, ତହିଁର କଥା ଶୁଣିବାକୁ ପୃଥିବୀସ୍ଥ ସମସ୍ତ ରାଜା ତାଙ୍କର ସାକ୍ଷାତ କରିବାକୁ ଚାହିଁଲେ।
२३त्याच्या सल्लामसलतीचा लाभ घ्यायला सर्व ठिकाणचे राजे शलमोनाकडे येऊ लागले. परमेश्वरानेच शलमोनाला जो सूज्ञपणा दिला होता तो पहावयास ते येत असत.
24 ପୁଣି, ପ୍ରତ୍ୟେକ ଲୋକ ନିରୂପଣାନୁସାରେ ବର୍ଷକୁ ବର୍ଷ ଆପଣା ଆପଣାର ଭେଟି ରୂପେ ରୂପାପାତ୍ର ଓ ସୁନାପାତ୍ର ଓ ବସ୍ତ୍ର, ଅସ୍ତ୍ରଶସ୍ତ୍ର ଓ ସୁଗନ୍ଧି ଦ୍ରବ୍ୟ, ଅଶ୍ୱ ଓ ଖଚର ଆଣିଲେ।
२४हे राजे दरवर्षी येताना शलमोनासाठी नजराणे घेऊन येत. त्यामध्ये सोन्यारुप्याच्या वस्तू, कपडे, चिलखते, मसाले, घोडे आणि खेचरे ह्यांचा समावेश असे.
25 ଆଉ ଶଲୋମନଙ୍କର ଅଶ୍ୱ ଓ ରଥ ନିମନ୍ତେ ଚାରି ହଜାର ଶାଳା ଥିଲା ଓ ବାର ହଜାର ଅଶ୍ୱାରୂଢ଼ ଥିଲେ, ଏସବୁକୁ ସେ ରଥ-ନଗରମାନରେ ଓ ଯିରୂଶାଲମରେ ରାଜାଙ୍କ ନିକଟରେ ରଖିଲେ।
२५घोडे आणि रथ यांच्यासाठी शलमोनाकडे चार हजार बस्थाने होती. त्याच्यापदरी बारा हजार स्वार होते. त्यांची सोय त्याने मुद्दाम वसवलेल्या नगरात आणि स्वत: ला लागतील तेवढ्याची यरूशलेमामध्ये केली होती.
26 ଆଉ, ସେ (ଫରାତ୍‍) ନଦୀଠାରୁ ପଲେଷ୍ଟୀୟମାନଙ୍କର ଦେଶ ଓ ମିସରର ସୀମା ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ ସମସ୍ତ ରାଜା ଉପରେ ରାଜତ୍ୱ କଲେ।
२६फरात नदीपासून पलिष्ट्यांच्या देशापर्यंत आणि मिसरची सीमा येथपर्यंतच्या सर्व राजावर शलमोनाचा अधिकार होता.
27 ପୁଣି ରାଜା ଯିରୂଶାଲମରେ ରୂପାକୁ ପଥର ପରି ଓ ବାହୁଲ୍ୟ ହେତୁରୁ ଏରସ କାଷ୍ଠକୁ ତଳଭୂମିସ୍ଥ ଡିମ୍ବିରିବୃକ୍ଷ ପରି କଲେ।
२७यरूशलेमचा राजा शलमोनाकडे चांदी ही दगडधोंडे असावे इतकी आणि गंधसरूची झाडे, खोऱ्यातल्या उंबराच्या झाडांइतकी विपुल होती.
28 ଆଉ ଲୋକମାନେ ମିସରରୁ ଓ ସମସ୍ତ ଦେଶରୁ ଶଲୋମନଙ୍କ ପାଇଁ ଅଶ୍ୱ ଆଣିଲେ।
२८मिसर आणि इतर देशामधून लोक शलमोनासाठी घोडे आणत.
29 ଶଲୋମନଙ୍କର ଅବଶିଷ୍ଟ ବୃତ୍ତାନ୍ତ, ଆରମ୍ଭରୁ ଶେଷ ପର୍ଯ୍ୟନ୍ତ, ନାଥନ ଭବିଷ୍ୟଦ୍‍ବକ୍ତାଙ୍କର ଇତିହାସ ପୁସ୍ତକରେ ଓ ଶୀଲୋନୀୟ ଅହୀୟର ଭବିଷ୍ୟଦ୍‍ବାକ୍ୟରେ ଓ ନବାଟର ପୁତ୍ର ଯାରବୀୟାମଙ୍କ ବିଷୟକ ଇଦ୍ଦୋ ଦର୍ଶକର ଦର୍ଶନ ମଧ୍ୟରେ କʼଣ ଲେଖା ନାହିଁ?
२९शलमोनाने सुरुवातीपासून शेवटपर्यंत ज्या सर्व गोष्टी केल्या त्या नाथान या संदेष्ट्याच्या इतिहासात तसेच, अहीया शिलोनी याच्या संदेशलेखात आणि इद्दो या भविष्यावादयाच्या इद्दोची दर्शने यामध्ये नोंदवलेल्या आहेत. नबाटाचा पुत्र यराबाम याविषयीही इद्दोने लिहिलेले आहे.
30 ଶଲୋମନ ଯିରୂଶାଲମରେ ଚାଳିଶ ବର୍ଷ କାଳ ସମଗ୍ର ଇସ୍ରାଏଲ ଉପରେ ରାଜତ୍ୱ କଲେ।
३०शलमोनाने यरूशलेमेत इस्राएलवर चाळीस वर्षे राज्य केले.
31 ପୁଣି ଶଲୋମନ ଆପଣା ପିତୃଲୋକଙ୍କ ସହିତ ଶୟନ କରି ଆପଣା ପିତା ଦାଉଦଙ୍କର ନଗରରେ କବରପ୍ରାପ୍ତ ହେଲେ; ତହୁଁ ତାଙ୍କର ପୁତ୍ର ରିହବୀୟାମ ତାଙ୍କର ପଦରେ ରାଜ୍ୟ କଲେ।
३१मग तो आपल्या पूर्वजांना मिळाला. लोकांनी त्याचे दावीद नगरात दफन केले. शलमोनाचा पुत्र रहबाम हा पुढे शलमोनाच्या जागी राज्य करु लागला.

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