< Esekiel 24 >
1 Og Herrens ord kom til mig i det niende år, i den tiende måned, på den tiende dag i måneden, og det lød så:
१नवें वर्ष के दसवें महीने के दसवें दिन को, यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा:
2 Menneskesønn! Skriv op for dig navnet på denne dag, just denne dag! Babels konge har leiret sig mot Jerusalem just på denne dag.
२“हे मनुष्य के सन्तान, आज का दिन लिख ले, क्योंकि आज ही के दिन बाबेल के राजा ने यरूशलेम आ घेरा है।
3 Og sett frem en lignelse for den gjenstridige ætt og si til dem: Så sier Herren, Israels Gud: Sett gryten på, sett den på og øs så vann i den!
३इस विद्रोही घराने से यह दृष्टान्त कह, प्रभु यहोवा कहता है, हण्डे को आग पर रख दो; उसे रखकर उसमें पानी डाल दो;
4 Legg kjøttstykkene sammen i den, alle gode stykker, lår og bog! Fyll den med de beste ben!
४तब उसमें जाँघ, कंधा और सब अच्छे-अच्छे टुकड़े बटोरकर रखो; और उसे उत्तम-उत्तम हड्डियों से भर दो।
5 Ta det beste av småfeet og legg så et bål under den for å koke benene! La det koke til gagns! Benene koker allerede i den.
५झुण्ड में से सबसे अच्छे पशु लेकर उन हड्डियों को हण्डे के नीचे ढेर करो; और उनको भली भाँति पकाओ ताकि भीतर ही हड्डियाँ भी पक जाएँ।
6 Derfor sier Herren, Israels Gud, så: Ve blodstaden, den rustne gryte, som rusten ikke er gått av! Ta stykke for stykke ut av den! Det blir ikke kastet lodd derom.
६“इसलिए प्रभु यहोवा यह कहता है: हाय, उस हत्यारी नगरी पर! हाय उस हण्डे पर! जिसका मोर्चा उसमें बना है और छूटा नहीं; उसमें से टुकड़ा-टुकड़ा करके निकाल लो, उस पर चिट्ठी न डाली जाए।
7 For det blod den har utøst, er ennu i den; den har helt det ut på nakne berget, den har ikke utøst det på jorden, så mulden kunde dekke over det.
७क्योंकि उस नगरी में किया हुआ खून उसमें है; उसने उसे भूमि पर डालकर धूलि से नहीं ढाँपा, परन्तु नंगी चट्टान पर रख दिया।
8 For å la min harme ha fritt løp, for å ta hevn lot jeg dens blod komme på nakne berget, så det ikke skulde bli tildekket.
८इसलिए मैंने भी उसका खून नंगी चट्टान पर रखा है कि वह ढँप न सके और कि बदला लेने को जलजलाहट भड़के।
9 Derfor sier Herren, Israels Gud, så: Ve blodstaden! Også jeg vil gjøre bålet stort.
९प्रभु यहोवा यह कहता है: हाय, उस खूनी नगरी पर! मैं भी ढेर को बड़ा करूँगा।
10 Legg meget ved på, tend op ilden! La kjøttet bli mørt og suppen koke inn, så benene blir forbrent,
१०और अधिक लकड़ी डाल, आग को बहुत तेज कर, माँस को भली भाँति पका और मसाला मिला, और हड्डियाँ भी जला दो।
11 og la den bli stående tom på sine glør, forat den kan bli het, og dens kobber bli glødende, og dens urenhet smeltes bort og dens rust fortæres!
११तब हण्डे को छूछा करके अंगारों पर रख जिससे वह गर्म हो और उसका पीतल जले और उसमें का मैल गले, और उसका जंग नष्ट हो जाए।
12 Trettende arbeid har den voldt mig, og allikevel er dens tykke rust ikke gått av den. I ilden med dens rust!
१२मैं उसके कारण परिश्रम करते-करते थक गया, परन्तु उसका भारी जंग उससे छूटता नहीं, उसका जंग आग के द्वारा भी नहीं छूटता।
13 Din urenhet er en skam; fordi jeg har renset dig, men du ikke er blitt ren, skal du ikke mere bli fri for din urenhet før jeg får stilt min harme på dig.
१३हे नगरी तेरी अशुद्धता महापाप की है। मैं तो तुझे शुद्ध करना चाहता था, परन्तु तू शुद्ध नहीं हुई, इस कारण जब तक मैं अपनी जलजलाहट तुझ पर शान्त न कर लूँ, तब तक तू फिर शुद्ध न की जाएगी।
14 Jeg, Herren, har talt; det kommer, og jeg vil gjøre det; jeg lar det ikke være og sparer ikke og angrer ikke; efter din ferd og dine gjerninger skal du bli dømt, sier Herren, Israels Gud.
१४मुझ यहोवा ही ने यह कहा है; और वह हो जाएगा, मैं ऐसा ही करूँगा, मैं तुझे न छोड़ूँगा, न तुझ पर तरस खाऊँगा, न पछताऊँगा; तेरे चाल चलन और कामों ही के अनुसार तेरा न्याय किया जाएगा, प्रभु यहोवा की यही वाणी है।”
15 Og Herrens ord kom til mig, og det lød så:
१५यहोवा का यह भी वचन मेरे पास पहुँचा:
16 Menneskesønn! Se, jeg tar dine øines lyst fra dig ved en brå død; men du skal ikke klage og ikke gråte, og dine tårer skal ikke rinne.
१६“हे मनुष्य के सन्तान, देख, मैं तेरी आँखों की प्रिय को मारकर तेरे पास से ले लेने पर हूँ; परन्तु न तू रोना-पीटना और न आँसू बहाना।
17 Sukk i stillhet og hold ikke sørgefest som efter en død! Bind din hue på dig og ta dine sko på dine føtter og dekk ikke skjegget til og et ikke mat som folk sender dig!
१७लम्बी साँसें ले तो ले, परन्तु वे सुनाई न पड़ें; मरे हुओं के लिये भी विलाप न करना। सिर पर पगड़ी बाँधे और पाँवों में जूती पहने रहना; और न तो अपने होंठ को ढाँपना न शोक के योग्य रोटी खाना।”
18 Så talte jeg til folket om morgenen, og min hustru døde om aftenen; og morgenen efter gjorde jeg som det var sagt mig.
१८तब मैं सवेरे लोगों से बोला, और साँझ को मेरी स्त्री मर गई। तब सवेरे मैंने आज्ञा के अनुसार किया।
19 Da sa folket til mig: Vil du ikke si oss hvad det betyr at du gjør så?
१९तब लोग मुझसे कहने लगे, “क्या तू हमें न बताएगा कि यह जो तू करता है, इसका हम लोगों के लिये क्या अर्थ है?”
20 Jeg svarte dem: Herrens ord kom til mig, og det lød så:
२०मैंने उनको उत्तर दिया, “यहोवा का यह वचन मेरे पास पहुँचा,
21 Si til Israels hus: Så sier Herren, Israels Gud: Se, jeg vanhelliger min helligdom, eders herlige stolthet, eders øines lyst og eders sjels lengsel, og eders sønner og døtre, som I har latt tilbake, skal falle for sverdet.
२१‘तू इस्राएल के घराने से कह, प्रभु यहोवा यह कहता है: देखो, मैं अपने पवित्रस्थान को जिसके गढ़ होने पर तुम फूलते हो, और जो तुम्हारी आँखों का चाहा हुआ है, और जिसको तुम्हारा मन चाहता है, उसे मैं अपवित्र करने पर हूँ; और अपने जिन बेटे-बेटियों को तुम वहाँ छोड़ आए हो, वे तलवार से मारे जाएँगे।
22 Da skal I gjøre som jeg har gjort: Eders skjegg skal I ikke tildekke, og den mat som folk sender eder, skal I ikke ete;
२२जैसा मैंने किया है वैसा ही तुम लोग करोगे, तुम भी अपने होंठ न ढाँपोगे, न शोक के योग्य रोटी खाओगे।
23 eders huer skal I ha på hodet og eders sko på føttene; I skal ikke klage og ikke gråte; men I skal visne bort i eders misgjerninger og sukke med hverandre.
२३तुम सिर पर पगड़ी बाँधे और पाँवों में जूती पहने रहोगे, न तुम रोओगे, न छाती पीटोगे, वरन् अपने अधर्म के कामों में फँसे हुए गलते जाओगे और एक दूसरे की ओर कराहते रहोगे।
24 Esekiel skal være til et tegn for eder; aldeles som han har gjort, skal I gjøre. Når det kommer, da skal I kjenne at jeg er Herren, Israels Gud.
२४इस रीति यहेजकेल तुम्हारे लिये चिन्ह ठहरेगा; जैसा उसने किया, ठीक वैसा ही तुम भी करोगे। और जब यह हो जाए, तब तुम जान लोगे कि मैं परमेश्वर यहोवा हूँ।’
25 Og du menneskesønn! På den dag da jeg tar deres vern, deres herlige fryd, deres øines lyst og deres sjels lengsel, deres sønner og døtre, fra dem,
२५“हे मनुष्य के सन्तान, क्या यह सच नहीं, कि जिस दिन मैं उनका दृढ़ गढ़, उनकी शोभा, और हर्ष का कारण, और उनके बेटे-बेटियाँ जो उनकी शोभा, उनकी आँखों का आनन्द, और मन की चाह हैं, उनको मैं उनसे ले लूँगा,
26 på den dag skal det komme flyktninger til dig og forkynne det for folk.
२६उसी दिन जो भागकर बचेगा, वह तेरे पास आकर तुझे समाचार सुनाएगा।
27 Den dag skal din munn åpnes, når flyktningene er kommet, og du skal tale og ikke mere være målløs, og du skal være til et tegn for dem, og de skal kjenne at jeg er Herren.
२७उसी दिन तेरा मुँह खुलेगा, और तू फिर चुप न रहेगा परन्तु उस बचे हुए के साथ बातें करेगा। इस प्रकार तू इन लोगों के लिये चिन्ह ठहरेगा; और ये जान लेंगे कि मैं यहोवा हूँ।”