< Esekiel 19 >

1 Og du, stem i en klagesang over Israels fyrster
“इस्राएल के प्रधानों के विषय तू यह विलापगीत सुना:
2 og si: Hvad er din mor? En løvinne. Mellem løver hvilte hun; blandt unge løver opfødde hun sine unger.
तेरी माता एक कैसी सिंहनी थी! वह सिंहों के बीच बैठा करती और अपने बच्चों को जवान सिंहों के बीच पालती पोसती थी।
3 Og hun opfostret en av sine unger; han blev en ung løve, og han lærte å rane og røve, han åt mennesker.
अपने बच्चों में से उसने एक को पाला और वह जवान सिंह हो गया, और अहेर पकड़ना सीख गया; उसने मनुष्यों को भी फाड़ खाया।
4 Men hedningefolk fikk høre om ham; i deres grav blev han fanget, og de førte ham med neseringer til Egyptens land.
जाति-जाति के लोगों ने उसकी चर्चा सुनी, और उसे अपने खोदे हुए गड्ढे में फँसाया; और उसके नकेल डालकर उसे मिस्र देश में ले गए।
5 Da hun så at hun hadde ventet forgjeves, at hennes håp var gått til grunne, tok hun en annen av sine unger og gjorde ham til en ung løve.
जब उसकी माँ ने देखा कि वह धीरज धरे रही तो भी उसकी आशा टूट गई, तब अपने एक और बच्चे को लेकर उसे जवान सिंह कर दिया।
6 Han gikk omkring blandt løver; han blev en ung løve, og han lærte å rane og røve, han åt mennesker.
तब वह जवान सिंह होकर सिंहों के बीच चलने फिरने लगा, और वह भी अहेर पकड़ना सीख गया; और मनुष्यों को भी फाड़ खाया।
7 Han voldtok deres enker og ødela deres byer, og landet og alt det der var, blev forferdet ved lyden av hans brøl.
उसने उनके भवनों को बिगाड़ा, और उनके नगरों को उजाड़ा वरन् उसके गरजने के डर के मारे देश और जो कुछ उसमें था सब उजड़ गया।
8 Da satte folkene fra landskapene rundt omkring sitt garn op imot ham og spente det ut over ham; han blev fanget i den grav de hadde gravd.
तब चारों ओर के जाति-जाति के लोग अपने-अपने प्रान्त से उसके विरुद्ध निकल आए, और उसके लिये जाल लगाया; और वह उनके खोदे हुए गड्ढे में फँस गया।
9 Så satte de ham med krok i nesen i et bur og førte ham til kongen i Babel; der satte de ham i en fast borg, forat hans røst ikke mere skulde høres på Israels fjell.
तब वे उसके नकेल डालकर और कठघरे में बन्द करके बाबेल के राजा के पास ले गए, और गढ़ में बन्द किया, कि उसका बोल इस्राएल के पहाड़ी देश में फिर सुनाई न दे।
10 Mens du levde i ro, var din mor som et vintre plantet ved vann; fruktbart og fullt av grener var det, fordi det hadde meget vann.
१०“तेरी माता जिससे तू उत्पन्न हुआ, वह तट पर लगी हुई दाखलता के समान थी, और गहरे जल के कारण फलों और शाखाओं से भरी हुई थी।
11 Og det fikk sterke grener, tjenlige til herskerspir, og hevet sig høit op mellem skyene, og det falt i øinene ved sin høide og sine mange ranker.
११प्रभुता करनेवालों के राजदण्डों के लिये उसमें मोटी-मोटी टहनियाँ थीं; और उसकी ऊँचाई इतनी हुई कि वह बादलों के बीच तक पहुँची; और अपनी बहुत सी डालियों समेत बहुत ही लम्बी दिखाई पड़ी।
12 Da blev det rykket op i harme og kastet til jorden, og østenvinden tørket bort dets frukt; dets sterke grener blev revet av og tørket bort; ild fortærte dem.
१२तो भी वह जलजलाहट के साथ उखाड़कर भूमि पर गिराई गई, और उसके फल पुरवाई हवा के लगने से सूख गए; और उसकी मोटी टहनियाँ टूटकर सूख गई; और वे आग से भस्म हो गई।
13 Og nu er det plantet i ørkenen, i et tørt og tørstende land.
१३अब वह जंगल में, वरन् निर्जल देश में लगाई गई है।
14 Og det gikk ut ild fra dets kvistede gren; den fortærte dets frukt, og det er ikke mere nogen sterk gren på det til herskerspir. Dette er en klagesang, og til en klagesang skal det bli.
१४उसकी शाखाओं की टहनियों में से आग निकली, जिससे उसके फल भस्म हो गए, और प्रभुता करने के योग्य राजदण्ड के लिये उसमें अब कोई मोटी टहनी न रही।” यही विलापगीत है, और यह विलापगीत बना रहेगा।

< Esekiel 19 >