< लेवीहरू 7 >
1 दोषबलिको विधि यस्तो रहेको छ । यो अति पवित्र हो ।
“और जुर्म की क़ुर्बानी के बारे में शरा' यह है। वह बहुत पाक है।
2 दोषबलिलाई मार्ने स्थानमा नै तिनीहरूले त्यो मारून्, र वेदी वरिपरिको सबै ठाउँमा त्यसको रगत छर्कून् ।
जिस जगह सोख़्तनी क़ुर्बानी के जानवर को ज़बह करते हैं, वहीं वह जुर्म की क़ुर्बानी के जानवर को भी ज़बह करें; और वह उसके ख़ून को मज़बह के चारों तरफ़ छिड़के।
3 त्यसभित्र भएका सबै बोसो अर्पण गरिने छः अर्थात् बोसे पुच्छर, भित्री अङ्गहरू ढाक्ने बोसो,
और वह उसकी सब चर्बी को चढ़ाए, या'नी उसकी मोटी दुम को, और उस चर्बी को जिससे अंतड़ियाँ ढकी रहती हैं
4 दुवै मृगौला र तिनलाई ढाक्ने बोसो, कम्मरनेरको बोसो, र मृगौलासँगै कलेजोलाई ढाक्ने बोसो सबै झिक्नू ।
और दोनों गुर्दे और उनके ऊपर की चर्बी जो कमर के पास रहती है, और जिगर पर की झिल्ली गुर्दों के साथः इन सबको वह अलग करे।
5 पुजारीले आगोद्वारा चढाइने बलिको रूपमा यी सबै भागहरूलाई वेदीमा जलाओस् । यो दोषबलि हो ।
और काहिन उनको मज़बह पर ख़ुदावन्द के सामने आतिशीन क़ुर्बानी के तौर पर जलाए, यह जुर्म की क़ुर्बानी है।
6 पुजारीहरूमध्ये सबै पुरुषले यस बलिबाट केही भाग खान सक्छन् । यो कुनै पवित्र ठाउँमा खानू किनभने यो अति पवित्र हो ।
और काहिनों में से हर मर्द उसे खाए और किसी पाक जगह में उसे खाएँ; वह बहुत पाक है।
7 पापबलि पनि दोषबलिजस्तै हो । यी दुवैका एउटै विधि छन् । तिनीहरूका निम्ति प्रायश्चित्त गर्ने पुजारीकै ती हुने छन् ।
जुर्म की क़ुर्बानी वैसी ही है जैसी ख़ता की क़ुर्बानी है और उनके लिए एक ही शरा' है, और उन्हें वही काहिन ले जो उनसे कफ़्फ़ारा देता है
8 अरूको होमबलिलाई अर्पण गर्ने पुजारीले त्यस होमबलिको छाला आफ्नो निम्ति राख्न सक्छ ।
और जो काहिन किसी शख़्स की तरफ़ से सोख़्तनी क़ुर्बानी पेश करता हैं वही काहिन उस सोख़्तनी क़ुर्बानी की खाल को जो उसने पेश कीं, अपने लिए ले — ले।
9 चुलोमा बनाइएका सबै अन्नबलि र ताइताप्के वा ताउमा पकाइएका सबै बलि अर्पण गर्ने पुजारीकै हुने छ ।
और हर एक नज़्र की क़ुर्बानी जो तनूर में पकाई जाए, और वह भी जी कड़ाही में तैयार की जाए, और तवे की पकी हुई भी उसी काहिन की है जो उसे पेश करे।
10 सुक्खा वा तेलसँग मिसाइएका सबै अन्नबलि समान रूपमा हारूनका वंशको हुने छ ।
और हर एक नज़्र की क़ुर्बानी चाहे उसमे तेल मिला हुआ हो या वह ख़ुश्क हो, बराबर — बराबर हारून के सब बेटों के लिए हो।
11 परमप्रभुलाई मानिसहरूले अर्पण गर्ने मेलबलिको भेटीको विधि यस्तो रहेको छ ।
'और सलामती के ज़बीहे के बारे में जिसे कोई ख़ुदावन्द के सामने चढ़ाए शरा' यह है,
12 यदि कसैले त्यो धन्यवाद दिनको निम्ति अर्पण गर्दछ भने, त्यसले त्यो खमिर नराखी तेलमा मिसाएर बनाइएको रोटी, खमिर नराखी माथिबाट तेल लगाइएको रोटी, र मसिनो पिठोलाई तेलमा मिसाएर बनाइएको रोटीको भेटीद्वारा अर्पण गरोस् ।
कि वह अगर शुक्राने के तौर पर उसे अदा करे तो वह शुक्राने के ज़बीहे के साथ, तेल मिले हुए बे — ख़मीरी कुल्चे और तेल चुपड़ी हुई बे — ख़मीरी चपातियाँ और तेल मिले हुए मैदे के तर कुल्चे भी पेश करे।
13 साथै, धन्यवाद दिनको निम्ति, आफ्नो मेलबलिसित त्यसले खमिर राखेर बनाइएको रोटी पनि अर्पण गरोस् ।
और सलामती के ज़बीहे की क़ुर्बानी के साथ जो शुक्राने के लिए होगी, वह ख़मीरी रोटी के गिर्द अपने हदिये पर पेश करे।
14 परमप्रभुको निम्ति अर्पण गरिएको भेटीस्वरूप यी बलिहरूका हरेक प्रकारबाट एउटा-एउटा त्यसले अर्पण गरोस् । यो भेटी मेलबलिको रगतलाई वेदीमा छर्कने पुजारीकै हुने छ ।
और हर हदिये में से वह एक को लेकर उसे ख़ुदावन्द के सामने हिलाने की क़ुर्बानी के तौर पर अदा करे; और यह उस काहिन का ही जो सलामती के ज़बीहे का ख़ून छिड़कता है।
15 धन्यवाद दिनको निम्ति मेलबलि अर्पण गर्ने मानिसले आफ्नो बलिदानको मासु बलिकै दिनमा खानू । त्यसबाट कत्ति पनि अर्को बिहानीको निम्ति त्यसले नछोडोस् ।
और सलामती के ज़बीहों की उस क़ुर्बानी का गोश्त, जो उस की तरफ़ से शुक्राने के तौर पर होगी, क़ुर्बानी अदा करने के दिन ही खा लिया जाए; वह उसमें से कुछ सुबह तक बाक़ी न छोड़े।
16 तर यदि त्यसको भेटी प्रतिज्ञाको निम्ति बलिदान भएमा, त्यसले बलिदानलाई अर्पण गर्ने दिनमा नै त्यो खाइयोस्, तर त्यसबाट बाँकी रहेको जति अर्को दिन खान सकिने छ ।
लेकिन अगर उसके चढ़ावे की क़ुर्बानी मिन्नत का या रज़ा का हदिया हो, तो वह उस दिन खाई जाए जिस दिन वह अपनी क़ुर्बानी पेश करे; और जो कुछ उस में से बच रहे, वह दूसरे दिन खाया जाए।
17 तर तेस्रो दिनसम्म बलिदानको जे जति मासु बाँकी रहन्छ, त्योचाहिँ जलाइयोस् ।
लेकिन जो कुछ उस क़ुर्बानी के गोश्त में से तीसरे दिन तक रह जाए वह आग में जला दिया जाए।
18 यदि कसैको मेलबलिको मासु तेस्रो दिनमा खाइयो भने, त्यो स्वीकारिने छैन, न त त्यो अर्पण गर्नेको निम्ति अर्पण गरिएको गनिने छ । यो अति घृणित कुरो हो, र यो खाने मानिसले आफ्नो पापको दोष बोकिरहने छ ।
और उसके सलामती के ज़बीहों की क़ुर्बानी के गोश्त में से अगर कुछ तीसरे दिन खाया जाए तो वह मंजूर न होगा, और न उस का सवाब क़ुर्बानी देने वाले की तरफ़ मन्सूब होगा, बल्कि यह मकरूह बात होगी; और जो उस में से खाए उस का गुनाह उसी के सिर लगेगा।
19 कुनै पनि अशुद्ध कुरा छोएको मासु नखानू । त्यो जलाइयोस् । अरू मासुचाहिँ जुन शुद्ध छ, त्यसले खाओस् ।
“और जो गोश्त किसी नापाक चीज़ से छू जाए, खाया न जाए; वह आग में जलाया जाए। और ज़बीहे के गोश्त को, जो पाक है वह तो खाए,
20 तर यदि परमप्रभुको मेलबलिको भेटीबाट कुनै अशुद्ध मानिसले खान्छ भने, त्यो व्यक्ति आफ्ना मानिसहरूबाट बहिष्कार गरियोस् ।
लेकिन जो शख़्स नापाकी की हालत में ख़ुदावन्द की सलामती के ज़बीहे का गोश्त खाए, वह अपने लोगों में से काट डाला जाए।
21 यदि कसैले कुनै अशुद्ध कुरा जस्तै कुनै मानिस वा अशुद्ध पशु, वा कुनै अशुद्ध र तुच्छ वस्तुको अशुद्धतालाई छोएर परमप्रभुको मेलबलिको भेटीको मासु खायो भने, त्यो व्यक्ति आफ्ना मानिसहरूबाट बहिष्कार गरियोस् ।’”
और जो कोई किसी नापाक चीज़ को छुए, चाहे वह इंसान की नापाकी हो या नापाक जानवर हो या कोई नजिस मकरूह शय हो, और फिर ख़ुदावन्द के सलामती के ज़बीहे के गोश्त में से खाए, वह भी अपने लोगों में से काट डाला जाए।”
22 अनि परमप्रभु यसो भनेर मोशासँग बोल्नुभयो,
और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा,
23 “इस्राएलका मानिसहरूलाई यस्तो भन्, ‘तिमीहरूले कुनै गोरु, वा भेडा वा बोकोको बोसो नखानू ।
“बनी — इस्राईल से कह, कि तुम लोग न तो बैल की न भेड़ की और न बकरी की कुछ चर्बी खाना।
24 बलिको रूपमा अर्पण नगरी मरेको पशुको बोसो, वा वन-पशुहरूले मारेको पशुको बोसो अरू कामको निम्ति प्रयोग गर्न मिल्छ, तर निश्चय नै त्यो नखानू ।
जो जानवर ख़ुद — ब — ख़ुद मर गया हो और जिस को दरिन्दों ने फाड़ा हो, उनकी चर्बी और — और काम में लाओ तो लाओ पर उसे तुम किसी हाल में न खाना।
25 परमप्रभुको निम्ति आगोद्वारा चढाइने बलिको निम्ति मानिसहरूद्वारा अर्पण गर्न बाँकी पशुको बोसो जसले खान्छ, त्यो व्यक्ति आफ्ना मानिसहरूबाट बहिष्कार गरियोस् ।
क्यूँकि जो कोई ऐसे चौपाये की चर्बी खाए, जिसे लोग आतिशी क़ुर्बानी के तौर पर ख़ुदावन्द के सामने चढ़ाते हैं, वह खाने वाला आदमी अपने लोगों में से काट डाला जाए।
26 तिमीहरूका घरहरूमा कुनै पक्षी वा पशुको रगत नखानू ।
और तुम अपनी सुकूनतगाहों में कहीं भी किसी तरह का ख़ून चाहे परिन्दे का हो या चौपाये का, हरगिज़ न खाना।
27 जसले रगत खान्छ, त्यो आफ्ना मानिसहरूबाट बहिष्कार गरियोस्’ ।”
जो कोई किसी तरह का ख़ून खाए, वह शख़्स अपने लोगों में से काट डाला जाए।”
28 परमप्रभु मोशासँग यसरी बोल्नुभयो,
और ख़ुदावन्द ने मूसा से कहा,
29 “इस्राएलका मानिसहरूलाई यस्तो भन्, ‘परमप्रभुलाई मेलबलिको भेटी अर्पण गर्ने मानिसले आफ्नो बलिदानको भाग परमप्रभुकहाँ ल्याओस् ।
“बनी — इस्राईल से कह कि जो कोई अपना सलामती का ज़बीहा ख़ुदावन्द के सामने पेश करे, वह ख़ुद ही अपने सलामती के ज़बीहे की क़ुर्बानी में से अपना हदिया ख़ुदावन्द के सामने लाए।”
30 आगोद्वारा परमप्रभुलाई अर्पण गरिने बलिदानचाहिँ त्यस मानिसको आफ्नै हातबाट ल्याइयोस् । त्यसले बलिको छातीसित त्यसको बोसो पनि ल्याओस्, र छातीचाहिँ परमप्रभुको अगि डोलाइने बलिको रूपमा डोलाइयोस् ।
वह अपने ही हाथों में ख़ुदावन्द की आतिशी क़ुर्बानी को लाए, या'नी चर्बी को सीने के साथ लाए कि सीना हिलाने की क़ुर्बानी के तौर पर हिलाया जाए।
31 पुजारीले बोसोलाई वेदीमा जलाओस्, तर छातीचाहिँ हारून र त्यसका वंशको हुने छ ।
और काहिन चर्बी को मज़बह पर जलाए, लेकिन सीना हारून और उसके बेटों का हो।
32 तैँले पुजारीलाई तेरा मेलबलिहरूबाट बलिदानको रूपमा दाहिने फिला भेटी दिनू ।
और तुम सलामती के ज़बीहों की दहनी रान उठाने की क़ुर्बानी के तौर पर काहिन को देना।
33 हारूनका सन्तानहरूमध्ये मेलबलिहरूको रगत र बोसोलाई अर्पण गर्ने पुजारीले बलिदानबाट दाहिने फिला हिस्साको रूपमा लिओस् ।
हारून के बेटों में से जो सलामती के ज़बीहों का ख़ून और चर्बी पेश करे, वही वह दहनी रान अपना हिस्सा ले।
34 किनभने मैले इस्राएलका मानिसहरूबाट डोलाइने बलिको छाती र योगदानको रूपमा फिला लिएको छु, र ती पुजारी हारून र त्यसका छोराहरूलाई सदाको निम्ति हिस्सास्वरूप दिइएको छ ।
क्यूँकि बनी इस्राईल के सलामती के ज़बीहों में से हिलाने की क़ुर्बानी का सीना और उठाने की क़ुर्बानी की रान को लेकर, मैंने हारून काहिन और उसके बेटों को दिया है, कि यह हमेशा बनी इस्राईल की तरफ़ से उन का हक़ हो।
35 पुजारीको कार्यमा परमप्रभुको निम्ति सेवा पुर्याउनलाई हारून र त्यसका सन्तानलाई मोशाले अर्पण गरेको दिनमा परमप्रभुको निम्ति आगोद्वारा चढाइएको बलिदानबाट तिनीहरूका निम्ति हिस्सा यही नै हो ।
“यह ख़ुदावन्द की आतिशी क़ुर्बानियों में से हारून के मम्सूह होने का और उसके बेटों के मम्सूह होने का हिस्सा है, जो उस दिन मुक़र्रर हुआ जब वह ख़ुदावन्द के सामने काहिन की ख़िदमत को अंजाम देने के लिए हाज़िर किए गए।
36 परमप्रभुले पुजारीहरूलाई अभिषेक गर्नुभएको दिनमा इस्राएलका मानिसहरूबाट तिनीहरूलाई दिनको निम्ति उहाँले आज्ञा गर्नुभएको हिस्सा यही नै हो । सबै पुस्ताहरूमा यो तिनीहरूकै हिस्सा हुने छ ।
या'नी जिस दिन ख़ुदावन्द ने उन्हें मसह किया, उस दिन उसने यह हुक्म दिया कि बनी — इस्राईल की तरफ़ से उन्हें यह मिला करे; इसलिए उन की नसल — दर — नसल यह उन का हक़ रहेगा।”
37 होमबलि, अन्नबलि, पापबलि, दोषबलि, अभिषेकको बलि र मेलबलिका विधि यी नै हुन्,
सोख़्तनी क़ुर्बानी, और नज़्र की क़ुर्बानी, और ख़ता की क़ुर्बानी, और जुर्म की क़ुर्बानी, और तख़्सीस और सलामती के ज़बीहे के बारे में शरा' यह है।
38 जुन परमप्रभुले सीनैको मरुभूमिमा इस्राएलका मानिसहरूलाई आफ्ना बलिदानहरू परमप्रभुलाई अर्पण गर्नू भनी आज्ञा दिनुभएको दिनमा सीनै पर्वतमा मोशालाई आज्ञा गर्नुभयो’ ।”
जिसका हुक्म ख़ुदावन्द ने मूसा को उस दिन कोह-ए-सीना पर दिया जिस दिन उसने बनी — इस्राईल को फ़रमाया, कि सीना के वीराने में ख़ुदावन्द के सामने अपनी क़ुर्बानी पेश करें।