< स्तोत्रसंहिता 2 >

1 राष्ट्रे का बंडखोर झाली आहेत, आणि लोक व्यर्थच का कट रचत आहेत?
কেন জাতিরা চক্রান্ত করে আর লোকেরা কেন বৃথাই সংকল্প করে?
2 पृथ्वीचे राजे परमेश्वराविरूद्ध व त्याच्या अभिषिक्त्याविरूद्ध एकत्र उभे झाले आहेत, आणि राज्यकर्ते एकत्र मिळून कट रचत आहेत, ते म्हणतात.
পৃথিবীর রাজারা উদিত হয় এবং শাসকেরা সংঘবদ্ধ হয় সদাপ্রভুর বিরুদ্ধে ও তাঁর অভিষিক্ত ব্যক্তির বিরুদ্ধে, এই বলে,
3 चला, आपण त्यांच्या बेड्या तोडून टाकू, जे त्यांनी आपणावर लादल्या होत्या. आणि त्यांचे साखळदंड फेकून देऊ.
“এসো আমরা তাদের শিকল ভেঙে ফেলি ও তাদের হাতকড়া ফেলে দিই।”
4 परंतु तो जो आकाशांत बसलेला आहे तो हसेल, प्रभू त्यांचा उपहास करेल.
যিনি স্বর্গের সিংহাসনে উপবিষ্ট তিনি হাসেন; প্রভু তাদের প্রতি বিদ্রুপ করেন।
5 तेव्हा तो आपल्या रागात त्यांच्याशी बोलेल, आणि आपल्या संतापाने त्यांना घाबरे करील.
রাগে তিনি তাদের তিরস্কার করেন ও তাঁর ক্রোধে তিনি তাদের আতঙ্কিত করেন।
6 मी माझ्या पवित्र डोंगरावर, सीयोनावर, माझ्या राजास अभिषेक केला आहे.
কারণ প্রভু ঘোষণা করেন, “আমার পবিত্র সিয়োন পর্বতে আমি আমার রাজাকে প্রতিষ্ঠিত করেছি।”
7 मी परमेश्वराचा फर्मान घोषीत करीन, तो मला म्हणाला, “तू माझा पुत्र आहेस.” या दिवशी मी तुझा पिता झालो आहे.
আমি সদাপ্রভুর আদেশ ঘোষণা করব: তিনি আমায় বললেন, “তুমি আমার পুত্র; আজ আমি তোমার পিতা হয়েছি।
8 मला माग, आणि मी तुला राष्ट्रे तुझे वतन आणि पृथ्वीच्या सीमा तुझ्या ताब्यात देईल.
আমাকে জিজ্ঞাসা করো, আর আমি জাতিদের তোমার অধিকার করব, পৃথিবীর শেষ প্রান্ত তোমার অধীনস্থ হবে।
9 लोखंडी दंडाने तू त्यांना तोडशील, कुंभाराच्या भांड्यासारखा तू त्यांना फोडशील.
তুমি তাদের লোহার দণ্ড দিয়ে চূর্ণ করবে; মাটির পাত্রের মতো তুমি তাদের ভেঙে টুকরো করবে।”
10 १० म्हणून आता, अहो राजांनो, सावध व्हा; पृथ्वीच्या राज्यकर्त्यांनो, चूक दुरुस्त करा.
অতএব, হে রাজারা, তোমরা বিচক্ষণ হও; হে পৃথিবীর শাসকবর্গ, সাবধান হও।
11 ११ भय धरून परमेश्वराची स्तुती करा आणि थरथर कापून हर्ष करा.
সম্ভ্রমে সদাপ্রভুর আরাধনা করো আর কম্পিত হৃদয়ে তাঁর শাসন উদ্‌যাপন করো।
12 १२ आणि तो तुमच्यावर रागावू नये, ह्यासाठी देवाच्या पुत्रास खरी निष्ठा द्या, म्हणजे तुम्ही मरणार नाही. कारण देवाचा क्रोध त्वरीत पेटेल. जे सर्व त्याच्याठायी आश्रय घेतात ते आशीर्वादीत आहेत.
তাঁর পুত্রকে চুম্বন করো, নতুবা তিনি ক্রুদ্ধ হবেন এবং তোমার পথ তোমাকে ধ্বংসের দিকে নিয়ে যাবে, কারণ তাঁর ক্রোধ মুহূর্তে জ্বলে উঠতে পারে। ধন্য তারা, যারা তাঁর শরণাপন্ন।

< स्तोत्रसंहिता 2 >