< स्तोत्रसंहिता 15 >
1 १ दाविदाचे स्तोत्र. हे परमेश्वरा, तुझ्या पवित्र तंबूत कोण राहू शकेल? तुझ्या पवित्र डोंगरावर कोण राहील?
ଦାଉଦଙ୍କର ଗୀତ। ହେ ସଦାପ୍ରଭୋ, ତୁମ୍ଭ ଆବାସରେ କିଏ ପ୍ରବାସ କରି ପାରିବ? ତୁମ୍ଭ ପବିତ୍ର ପର୍ବତରେ କିଏ ବାସ କରି ପାରିବ?
2 २ जो निर्दोषपणे चालतो आणि जे चांगले ते करतो, आणि आपल्या हृदयात सत्य बोलतो तो.
ଯେଉଁ ଜନ ସରଳାଚରଣ, ଧର୍ମକର୍ମ କରେ ଓ ଆପଣା ଅନ୍ତଃକରଣରେ ସତ୍ୟ କହେ।
3 ३ जो आपल्या जीभेने चुगली करत नाही, किंवा दुसऱ्यांची हानी करत नाही, किंवा आपल्या शेजाऱ्याचा अपमान करत नाही.
ଯେ ଆପଣା ଜିହ୍ୱାରେ ଗ୍ଳାନି କରେ ନାହିଁ, ଅବା ଆପଣା ମିତ୍ରର ଅନିଷ୍ଟ କରେ ନାହିଁ, କିଅବା ଆପଣା ପ୍ରତିବାସୀ ବିରୁଦ୍ଧରେ ନିନ୍ଦା ପ୍ରକଟ କରେ ନାହିଁ।
4 ४ अधमाचा तिरस्कार करतो, परंतु जे परमेश्वराचे भय धरतात त्यांचा सन्मान करतो, जो वचन देऊन आपले अहीत झाले तरी मागे हटत नाही,
ଯାହାର ଦୃଷ୍ଟିରେ ପାମର ତୁଚ୍ଛୀକୃତ ହୁଏ; ମାତ୍ର ଯେ ସଦାପ୍ରଭୁଙ୍କ ଭୟକାରୀମାନଙ୍କୁ ସମାଦର କରେ। ଯେ ଶପଥ କରି ଆପଣାର କ୍ଷତି ହେଲେ ହେଁ ତାହା ଅନ୍ୟଥା କରେ ନାହିଁ।
5 ५ जेव्हा तो पैसे उधार देतो तेव्हा व्याज घेत नाही, जो निर्दोष लोकांविरूद्ध साक्ष देण्यासाठी लाच घेत नाही. तो, जो या गोष्टी करतो तो कधीही ढळणार नाही.
ଯେ ସୁଧ ପାଇଁ ଟଙ୍କା ଋଣ ଦିଏ ନାହିଁ, କିଅବା ନିର୍ଦ୍ଦୋଷ ବିରୁଦ୍ଧରେ ଲାଞ୍ଚ ନିଏ ନାହିଁ। ଯେ ଏହି ସକଳ କର୍ମ କରେ, ସେ କେବେ ଘୁଞ୍ଚା ଯିବ ନାହିଁ।