< मार्क 7 >

1 काही परूशी आणि नियमशास्त्राचे शिक्षक जे यरूशलेम शहराहून आले होते, ते येशूभोवती जमले.
ଅନନ୍ତରଂ ଯିରୂଶାଲମ ଆଗତାଃ ଫିରୂଶିନୋଽଧ୍ୟାପକାଶ୍ଚ ଯୀଶୋଃ ସମୀପମ୍ ଆଗତାଃ|
2 आणि त्यांनी त्याच्या काही शिष्यांना अशुद्ध, म्हणजे विधीग्रंथ हात न धुता जेवताना पाहिले.
ତେ ତସ୍ୟ କିଯତଃ ଶିଷ୍ୟାନ୍ ଅଶୁଚିକରୈରର୍ଥାଦ ଅପ୍ରକ୍ଷାଲିତହସ୍ତୈ ର୍ଭୁଞ୍ଜତୋ ଦୃଷ୍ଟ୍ୱା ତାନଦୂଷଯନ୍|
3 कारण परूशी व इतर सर्व यहूदी वाडवडिलांचे नियम पाळून विशिष्ट रीतीने नीट हात धुतल्याशिवाय जेवत नाहीत.
ଯତଃ ଫିରୂଶିନଃ ସର୍ୱ୍ୱଯିହୂଦୀଯାଶ୍ଚ ପ୍ରାଚାଂ ପରମ୍ପରାଗତୱାକ୍ୟଂ ସମ୍ମନ୍ୟ ପ୍ରତଲେନ ହସ୍ତାନ୍ ଅପ୍ରକ୍ଷାଲ୍ୟ ନ ଭୁଞ୍ଜତେ|
4 बाजारातून आणलेली कुठलीही वस्तू धुतल्याशिवाय ते खात नाहीत. त्यांच्या पूर्वजांच्या इतर अनेक चालारीती ते पाळतात आणि प्याले, घागरी, तांब्याची भांडी धुणे अशा दुसरे इतर नियमही पाळतात.
ଆପନାଦାଗତ୍ୟ ମଜ୍ଜନଂ ୱିନା ନ ଖାଦନ୍ତି; ତଥା ପାନପାତ୍ରାଣାଂ ଜଲପାତ୍ରାଣାଂ ପିତ୍ତଲପାତ୍ରାଣାମ୍ ଆସନାନାଞ୍ଚ ଜଲେ ମଜ୍ଜନମ୍ ଇତ୍ୟାଦଯୋନ୍ୟେପି ବହୱସ୍ତେଷାମାଚାରାଃ ସନ୍ତି|
5 मग परूशी व नियमशास्त्राचे शिक्षक यांनी येशूला विचारले, “तुझे शिष्य वाडवडिलांच्या नियम प्रमाणे का जगत नाहीत? हात न धुता का जेवतात?”
ତେ ଫିରୂଶିନୋଽଧ୍ୟାପକାଶ୍ଚ ଯୀଶୁଂ ପପ୍ରଚ୍ଛୁଃ, ତୱ ଶିଷ୍ୟାଃ ପ୍ରାଚାଂ ପରମ୍ପରାଗତୱାକ୍ୟାନୁସାରେଣ ନାଚରନ୍ତୋଽପ୍ରକ୍ଷାଲିତକରୈଃ କୁତୋ ଭୁଜଂତେ?
6 येशू त्यांना म्हणाला, “यशयाने जेव्हा तुम्हा ढोंगी लोकांविषयी भविष्य केले तेव्हा त्याचे बरोबरच होते. यशया लिहितो, ‘हे लोक ओठांनी माझा सन्मान करतात परंतु त्याची अंतःकरणे माझ्यापासून दूर आहेत.
ତତଃ ସ ପ୍ରତ୍ୟୁୱାଚ କପଟିନୋ ଯୁଷ୍ମାନ୍ ଉଦ୍ଦିଶ୍ୟ ଯିଶଯିଯଭୱିଷ୍ୟଦ୍ୱାଦୀ ଯୁକ୍ତମୱାଦୀତ୍| ଯଥା ସ୍ୱକୀଯୈରଧରୈରେତେ ସମ୍ମନ୍ୟନତେ ସଦୈୱ ମାଂ| କିନ୍ତୁ ମତ୍ତୋ ୱିପ୍ରକର୍ଷେ ସନ୍ତି ତେଷାଂ ମନାଂସି ଚ|
7 ते व्यर्थ माझी उपासना करतात कारण ते लोकांस शास्त्र म्हणून जे शिकवतात ते मनुष्यांनी केलेले नियम असतात.’
ଶିକ୍ଷଯନ୍ତୋ ବିଧୀନ୍ ନ୍ନାଜ୍ଞା ଭଜନ୍ତେ ମାଂ ମୁଧୈୱ ତେ|
8 तुम्ही देवाच्या आज्ञांचा त्याग केला असून, आता तुम्ही मनुष्याची परंपरा पाळत आहात.”
ଯୂଯଂ ଜଲପାତ୍ରପାନପାତ୍ରାଦୀନି ମଜ୍ଜଯନ୍ତୋ ମନୁଜପରମ୍ପରାଗତୱାକ୍ୟଂ ରକ୍ଷଥ କିନ୍ତୁ ଈଶ୍ୱରାଜ୍ଞାଂ ଲଂଘଧ୍ୱେ; ଅପରା ଈଦୃଶ୍ୟୋନେକାଃ କ୍ରିଯା ଅପି କୁରୁଧ୍ୱେ|
9 आणखी तो त्यांना म्हणाला, “तुम्ही आपल्या परंपरा पाळण्याकरता देवाची आज्ञा मोडण्यासाठी सोयीस्कर पद्धत शोधून काढली आहे.
ଅନ୍ୟଞ୍ଚାକଥଯତ୍ ଯୂଯଂ ସ୍ୱପରମ୍ପରାଗତୱାକ୍ୟସ୍ୟ ରକ୍ଷାର୍ଥଂ ସ୍ପଷ୍ଟରୂପେଣ ଈଶ୍ୱରାଜ୍ଞାଂ ଲୋପଯଥ|
10 १० मोशेने सांगितले आहे की, ‘तू आपल्या आई-वडीलांचा सन्मान कर आणि जो मनुष्य आपल्या वडिलांबद्दल किंवा आईबद्दल वाईट बोलतो, त्यास ठार मारलेच पाहिजे.’
ଯତୋ ମୂସାଦ୍ୱାରା ପ୍ରୋକ୍ତମସ୍ତି ସ୍ୱପିତରୌ ସମ୍ମନ୍ୟଧ୍ୱଂ ଯସ୍ତୁ ମାତରଂ ପିତରଂ ୱା ଦୁର୍ୱ୍ୱାକ୍ୟଂ ୱକ୍ତି ସ ନିତାନ୍ତଂ ହନ୍ୟତାଂ|
11 ११ परंतु तुम्ही शिकविता, एखादा मनुष्य आपल्या वडिलांना व आईला असे म्हणू शकतो की, ‘तुम्हास मदत करण्यासाठी माझ्याकडे थोडे फार आहे, परंतु तुम्हास मदत करण्यासाठी मी ते वापरणार नाही, मी ते देवाला अर्पण करण्याचे ठरवले आहे.’
କିନ୍ତୁ ମଦୀଯେନ ଯେନ ଦ୍ରୱ୍ୟେଣ ତୱୋପକାରୋଭୱତ୍ ତତ୍ କର୍ବ୍ବାଣମର୍ଥାଦ୍ ଈଶ୍ୱରାଯ ନିୱେଦିତମ୍ ଇଦଂ ୱାକ୍ୟଂ ଯଦି କୋପି ପିତରଂ ମାତରଂ ୱା ୱକ୍ତି
12 १२ तर तुम्ही त्यास त्याच्या वडिलांसाठी किंवा आईसाठी पुढे काहीच करू देत नाही.
ତର୍ହି ଯୂଯଂ ମାତୁଃ ପିତୁ ର୍ୱୋପକାରଂ କର୍ତ୍ତାଂ ତଂ ୱାରଯଥ|
13 १३ अशाप्रकारे तुम्ही आपला संप्रदाय चालू ठेवून देवाचे वचन रद्द करता आणि यासारख्या पुष्कळ गोष्टी करता.”
ଇତ୍ଥଂ ସ୍ୱପ୍ରଚାରିତପରମ୍ପରାଗତୱାକ୍ୟେନ ଯୂଯମ୍ ଈଶ୍ୱରାଜ୍ଞାଂ ମୁଧା ୱିଧଦ୍ୱ୍ୱେ, ଈଦୃଶାନ୍ୟନ୍ୟାନ୍ୟନେକାନି କର୍ମ୍ମାଣି କୁରୁଧ୍ୱେ|
14 १४ तेव्हा येशूने लोकसमुदायाला पुन्हा बोलावून म्हटले, “प्रत्येकाने माझे ऐका व हे समजून घ्या.
ଅଥ ସ ଲୋକାନାହୂଯ ବଭାଷେ ଯୂଯଂ ସର୍ୱ୍ୱେ ମଦ୍ୱାକ୍ୟଂ ଶୃଣୁତ ବୁଧ୍ୟଧ୍ୱଞ୍ଚ|
15 १५ बाहेरून मनुष्याच्या आत जाऊन त्यास अपवित्र करील असे काही नाही, तर मनुष्याच्या आतून जे निघते तेच त्यास अपवित्र करते. ज्या कोणाला ऐकण्यास कान आहेत तो ऐको.”
ବାହ୍ୟାଦନ୍ତରଂ ପ୍ରୱିଶ୍ୟ ନରମମେଧ୍ୟଂ କର୍ତ୍ତାଂ ଶକ୍ନୋତି ଈଦୃଶଂ କିମପି ୱସ୍ତୁ ନାସ୍ତି, ୱରମ୍ ଅନ୍ତରାଦ୍ ବହିର୍ଗତଂ ଯଦ୍ୱସ୍ତୁ ତନ୍ମନୁଜମ୍ ଅମେଧ୍ୟଂ କରୋତି|
16 १६
ଯସ୍ୟ ଶ୍ରୋତୁଂ ଶ୍ରୋତ୍ରେ ସ୍ତଃ ସ ଶୃଣୋତୁ|
17 १७ लोकसमुदायाला सोडून येशू घरात गेला तेव्हा शिष्यांनी त्यास या दाखल्याविषयी विचारले,
ତତଃ ସ ଲୋକାନ୍ ହିତ୍ୱା ଗୃହମଧ୍ୟଂ ପ୍ରୱିଷ୍ଟସ୍ତଦା ଶିଷ୍ୟାସ୍ତଦୃଷ୍ଟାନ୍ତୱାକ୍ୟାର୍ଥଂ ପପ୍ରଚ୍ଛୁଃ|
18 १८ तो त्यांना म्हणाला, “तुम्हास देखील हे समजत नाही काय? जे बाहेरून मनुष्याच्या आत जाते ते त्यास अपवित्र करीत नाही हे तुम्हास समजत नाही का?
ତସ୍ମାତ୍ ସ ତାନ୍ ଜଗାଦ ଯୂଯମପି କିମେତାଦୃଗବୋଧାଃ? କିମପି ଦ୍ରୱ୍ୟଂ ବାହ୍ୟାଦନ୍ତରଂ ପ୍ରୱିଶ୍ୟ ନରମମେଧ୍ୟଂ କର୍ତ୍ତାଂ ନ ଶକ୍ନୋତି କଥାମିମାଂ କିଂ ନ ବୁଧ୍ୟଧ୍ୱେ?
19 १९ कारण ते त्याच्या अंतःकरणात जात नाही तर त्याच्या पोटात जाते नंतर ते विष्ठेद्वारे शरीराबाहेर पडते.” असे सांगून सर्वप्रकारचे अन्न त्याने शुद्ध घोषित केले.
ତତ୍ ତଦନ୍ତର୍ନ ପ୍ରୱିଶତି କିନ୍ତୁ କୁକ୍ଷିମଧ୍ୟଂ ପ୍ରୱିଶତି ଶେଷେ ସର୍ୱ୍ୱଭୁକ୍ତୱସ୍ତୁଗ୍ରାହିଣି ବହିର୍ଦେଶେ ନିର୍ୟାତି|
20 २० आणखी तो म्हणाला, “जे मनुष्याच्या अंतःकरणातून बाहेर पडते ते मनुष्यास अपवित्र करते.
ଅପରମପ୍ୟୱାଦୀଦ୍ ଯନ୍ନରାନ୍ନିରେତି ତଦେୱ ନରମମେଧ୍ୟଂ କରୋତି|
21 २१ कारण आतून म्हणजे अंतःकरणातून वाईट विचार बाहेर पडतात. जारकर्म, चोरी, खून,
ଯତୋଽନ୍ତରାଦ୍ ଅର୍ଥାନ୍ ମାନୱାନାଂ ମନୋଭ୍ୟଃ କୁଚିନ୍ତା ପରସ୍ତ୍ରୀୱେଶ୍ୟାଗମନଂ
22 २२ व्यभिचार, लोभ, वाईटपणा, कपट, असभ्यता, मत्सर, शिव्यागाळी, अहंकार आणि मूर्खपणा,
ନରୱଧଶ୍ଚୌର୍ୟ୍ୟଂ ଲୋଭୋ ଦୁଷ୍ଟତା ପ୍ରୱଞ୍ଚନା କାମୁକତା କୁଦୃଷ୍ଟିରୀଶ୍ୱରନିନ୍ଦା ଗର୍ୱ୍ୱସ୍ତମ ଇତ୍ୟାଦୀନି ନିର୍ଗଚ୍ଛନ୍ତି|
23 २३ या सर्व वाईट गोष्टी आतून बाहेर पडतात आणि मनुष्यास अपवित्र करतात.”
ଏତାନି ସର୍ୱ୍ୱାଣି ଦୁରିତାନ୍ୟନ୍ତରାଦେତ୍ୟ ନରମମେଧ୍ୟଂ କୁର୍ୱ୍ୱନ୍ତି|
24 २४ येशू त्या ठिकाणाहून निघून सोर आणि सिदोन प्रांतात गेला. तेथे तो एका घरात गेला व हे कोणाला कळू नये अशी त्याची इच्छा होती. तरी त्यास गुप्त राहणे शक्य नव्हते.
ଅଥ ସ ଉତ୍ଥାଯ ତତ୍ସ୍ଥାନାତ୍ ସୋରସୀଦୋନ୍ପୁରପ୍ରଦେଶଂ ଜଗାମ ତତ୍ର କିମପି ନିୱେଶନଂ ପ୍ରୱିଶ୍ୟ ସର୍ୱ୍ୱୈରଜ୍ଞାତଃ ସ୍ଥାତୁଂ ମତିଞ୍ଚକ୍ରେ କିନ୍ତୁ ଗୁପ୍ତଃ ସ୍ଥାତୁଂ ନ ଶଶାକ|
25 २५ पण जिच्या लहान मुलीला अशुद्ध आत्मा लागला होता अशा एका स्त्रीने त्याच्याविषयी लगेच ऐकले व ती येऊन त्याच्या पाया पडली.
ଯତଃ ସୁରଫୈନିକୀଦେଶୀଯଯୂନାନୀୱଂଶୋଦ୍ଭୱସ୍ତ୍ରିଯାଃ କନ୍ୟା ଭୂତଗ୍ରସ୍ତାସୀତ୍| ସା ସ୍ତ୍ରୀ ତଦ୍ୱାର୍ତ୍ତାଂ ପ୍ରାପ୍ୟ ତତ୍ସମୀପମାଗତ୍ୟ ତଚ୍ଚରଣଯୋଃ ପତିତ୍ୱା
26 २६ ती स्त्री ग्रीक होती व सिरीयातील फिनीशिया येथे जन्मली होती. तिने येशूला आपल्या मुलीतून भूत काढण्याची विनंती केली.
ସ୍ୱକନ୍ୟାତୋ ଭୂତଂ ନିରାକର୍ତ୍ତାଂ ତସ୍ମିନ୍ ୱିନଯଂ କୃତୱତୀ|
27 २७ तो तिला म्हणाला, “प्रथम मुलांना तृप्त होऊ दे कारण मुलांची भाकरी घेऊन कुत्र्याला टाकणे योग्य नव्हे.”
କିନ୍ତୁ ଯୀଶୁସ୍ତାମୱଦତ୍ ପ୍ରଥମଂ ବାଲକାସ୍ତୃପ୍ୟନ୍ତୁ ଯତୋ ବାଲକାନାଂ ଖାଦ୍ୟଂ ଗୃହୀତ୍ୱା କୁକ୍କୁରେଭ୍ୟୋ ନିକ୍ଷେପୋଽନୁଚିତଃ|
28 २८ परंतु ती त्यास म्हणाली, “प्रभू, कुत्रीसुद्धा मुलांच्या हातून मेजाखाली पडलेला चुरा खातात.”
ତଦା ସା ସ୍ତ୍ରୀ ତମୱାଦୀତ୍ ଭୋଃ ପ୍ରଭୋ ତତ୍ ସତ୍ୟଂ ତଥାପି ମଞ୍ଚାଧଃସ୍ଥାଃ କୁକ୍କୁରା ବାଲାନାଂ କରପତିତାନି ଖାଦ୍ୟଖଣ୍ଡାନି ଖାଦନ୍ତି|
29 २९ तो त्या स्त्रीला म्हणाला, “तुझ्या या बोलण्यामुळे जा, तुझ्या मुलीतून भूत निघून गेले आहे.”
ତତଃ ସୋଽକଥଯଦ୍ ଏତତ୍କଥାହେତୋଃ ସକୁଶଲା ଯାହି ତୱ କନ୍ୟାଂ ତ୍ୟକ୍ତ୍ୱା ଭୂତୋ ଗତଃ|
30 ३० मग ती घरी आली तेव्हा तिची मुलगी अंथरूणावर पडली आहे व तिच्यातून भूत निघून गेले आहे. असे तिने पाहिले.
ଅଥ ସା ସ୍ତ୍ରୀ ଗୃହଂ ଗତ୍ୱା କନ୍ୟାଂ ଭୂତତ୍ୟକ୍ତାଂ ଶଯ୍ୟାସ୍ଥିତାଂ ଦଦର୍ଶ|
31 ३१ येशू सोर भोवतालच्या प्रदेशातून परतला आणि सिदोनाहून दकापलीसच्या वाटेने गालीलच्या सरोवराकडे आला.
ପୁନଶ୍ଚ ସ ସୋରସୀଦୋନ୍ପୁରପ୍ରଦେଶାତ୍ ପ୍ରସ୍ଥାଯ ଦିକାପଲିଦେଶସ୍ୟ ପ୍ରାନ୍ତରଭାଗେନ ଗାଲୀଲ୍ଜଲଧେଃ ସମୀପଂ ଗତୱାନ୍|
32 ३२ तेथे काही लोकांनी एका बहिऱ्या-तोतऱ्या मनुष्यास येशूकडे आणले व आपण त्याच्यावर हात ठेवावा अशी विनंती केली.
ତଦା ଲୋକୈରେକଂ ବଧିରଂ କଦ୍ୱଦଞ୍ଚ ନରଂ ତନ୍ନିକଟମାନୀଯ ତସ୍ୟ ଗାତ୍ରେ ହସ୍ତମର୍ପଯିତୁଂ ୱିନଯଃ କୃତଃ|
33 ३३ येशूने त्यास लोकांपासून एका बाजूस घेऊन त्याच्या कानात आपली बोटे घातली व थुंकून त्याच्या जीभेला स्पर्श केला.
ତତୋ ଯୀଶୁ ର୍ଲୋକାରଣ୍ୟାତ୍ ତଂ ନିର୍ଜନମାନୀଯ ତସ୍ୟ କର୍ଣଯୋଙ୍ଗୁଲୀ ର୍ଦଦୌ ନିଷ୍ଠୀୱଂ ଦତ୍ତ୍ୱା ଚ ତଜ୍ଜିହ୍ୱାଂ ପସ୍ପର୍ଶ|
34 ३४ त्याने स्वर्गाकडे पाहून उसासा टाकला व तो म्हणाला, “इफ्फाथा.” म्हणजे, “मोकळा हो.”
ଅନନ୍ତରଂ ସ୍ୱର୍ଗଂ ନିରୀକ୍ଷ୍ୟ ଦୀର୍ଘଂ ନିଶ୍ୱସ୍ୟ ତମୱଦତ୍ ଇତଫତଃ ଅର୍ଥାନ୍ ମୁକ୍ତୋ ଭୂଯାତ୍|
35 ३५ आणि त्याच क्षणी त्याचे कान मोकळे झाले आणि जीभेचा बंद सुटला व त्यास बोलता येऊ लागले.
ତତସ୍ତତ୍କ୍ଷଣଂ ତସ୍ୟ କର୍ଣୌ ମୁକ୍ତୌ ଜିହ୍ୱାଯାଶ୍ଚ ଜାଡ୍ୟାପଗମାତ୍ ସ ସୁସ୍ପଷ୍ଟୱାକ୍ୟମକଥଯତ୍|
36 ३६ तेव्हा हे कोणाला सांगू नका असे त्याने त्यांना निक्षून सांगितले. परंतु तो त्यांना जसजसे सांगत गेला, तसतसे ते अधिकच जाहीर करत गेले.
ଅଥ ସ ତାନ୍ ୱାଢମିତ୍ୟାଦିଦେଶ ଯୂଯମିମାଂ କଥାଂ କସ୍ମୈଚିଦପି ମା କଥଯତ, କିନ୍ତୁ ସ ଯତି ନ୍ୟଷେଧତ୍ ତେ ତତି ବାହୁଲ୍ୟେନ ପ୍ରାଚାରଯନ୍;
37 ३७ ते लोक फारच आश्चर्यचकित झाले व म्हणाले, “त्याने सर्वकाही चांगले केले आहे. तो बहिऱ्यांना ऐकण्यास आणि मुक्यांना बोलावयास लावतो.”
ତେଽତିଚମତ୍କୃତ୍ୟ ପରସ୍ପରଂ କଥଯାମାସୁଃ ସ ବଧିରାଯ ଶ୍ରୱଣଶକ୍ତିଂ ମୂକାଯ ଚ କଥନଶକ୍ତିଂ ଦତ୍ତ୍ୱା ସର୍ୱ୍ୱଂ କର୍ମ୍ମୋତ୍ତମରୂପେଣ ଚକାର|

< मार्क 7 >