< लूक 9 >

1 मग त्याने त्या बारा शिष्यांस एकत्र बोलावून त्यांना सर्व भूतांवर आणि रोग बरे करायला, सामर्थ्य व अधिकार दिला,
ତତଃ ପରଂ ସ ଦ୍ୱାଦଶଶିଷ୍ୟାନାହୂଯ ଭୂତାନ୍ ତ୍ୟାଜଯିତୁଂ ରୋଗାନ୍ ପ୍ରତିକର୍ତ୍ତୁଞ୍ଚ ତେଭ୍ୟଃ ଶକ୍ତିମାଧିପତ୍ୟଞ୍ଚ ଦଦୌ|
2 आणि त्याने त्यांना देवाच्या राज्याविषयीचा संदेश जाहीर करायला व रोग्यांना बरे करायला पाठवले.
ଅପରଞ୍ଚ ଈଶ୍ୱରୀଯରାଜ୍ୟସ୍ୟ ସୁସଂୱାଦଂ ପ୍ରକାଶଯିତୁମ୍ ରୋଗିଣାମାରୋଗ୍ୟଂ କର୍ତ୍ତୁଞ୍ଚ ପ୍ରେରଣକାଲେ ତାନ୍ ଜଗାଦ|
3 तो त्यांना म्हणाला, “वाटेसाठी काही घेऊ नका; काठी किंवा झोळी किंवा भाकर किंवा पैसा घेऊ नका आणि दोन दोन अंगरखेही घेवू नका.
ଯାତ୍ରାର୍ଥଂ ଯଷ୍ଟି ର୍ୱସ୍ତ୍ରପୁଟକଂ ଭକ୍ଷ୍ୟଂ ମୁଦ୍ରା ଦ୍ୱିତୀଯୱସ୍ତ୍ରମ୍, ଏଷାଂ କିମପି ମା ଗୃହ୍ଲୀତ|
4 आणि ज्या कोणत्याही घरात तुम्ही जाल, तेथेच राहा व तेथूनच निघून जा.
ଯୂଯଞ୍ଚ ଯନ୍ନିୱେଶନଂ ପ୍ରୱିଶଥ ନଗରତ୍ୟାଗପର୍ୟ୍ୟନତଂ ତନ୍ନିୱେଶନେ ତିଷ୍ଠତ|
5 जितके तुम्हास अंगीकारीत नाहीत तितक्यांच्याविरुद्ध साक्ष व्हावी म्हणून तुम्ही त्या नगरातून निघते वेळी आपल्या पायांची धूळ झाडून टाका.”
ତତ୍ର ଯଦି କସ୍ୟଚିତ୍ ପୁରସ୍ୟ ଲୋକା ଯୁଷ୍ମାକମାତିଥ୍ୟଂ ନ କୁର୍ୱ୍ୱନ୍ତି ତର୍ହି ତସ୍ମାନ୍ନଗରାଦ୍ ଗମନକାଲେ ତେଷାଂ ୱିରୁଦ୍ଧଂ ସାକ୍ଷ୍ୟାର୍ଥଂ ଯୁଷ୍ମାକଂ ପଦଧୂଲୀଃ ସମ୍ପାତଯତ|
6 तेव्हा ते निघाले आणि सर्व ठिकाणी सुवार्ता सांगत व रोग बरे करीत गांवोगांवी फिरत गेले.
ଅଥ ତେ ପ୍ରସ୍ଥାଯ ସର୍ୱ୍ୱତ୍ର ସୁସଂୱାଦଂ ପ୍ରଚାରଯିତୁଂ ପୀଡିତାନ୍ ସ୍ୱସ୍ଥାନ୍ କର୍ତ୍ତୁଞ୍ଚ ଗ୍ରାମେଷୁ ଭ୍ରମିତୁଂ ପ୍ରାରେଭିରେ|
7 घडत असलेल्या सर्व गोष्टी ऐकून हेरोद राजा फार घोटाळ्यात पडला, कारण “योहान मरण पावलेल्यांमधून उठला आहे.” असे कित्येक म्हणत होते;
ଏତର୍ହି ହେରୋଦ୍ ରାଜା ଯୀଶୋଃ ସର୍ୱ୍ୱକର୍ମ୍ମଣାଂ ୱାର୍ତ୍ତାଂ ଶ୍ରୁତ୍ୱା ଭୃଶମୁଦ୍ୱିୱିଜେ
8 आणि कित्येक म्हणत होते की “एलीया प्रकट झाला आहे” आणि दुसरे म्हणत होते की “पुरातन संदेष्ट्यातील कोणीएक उठला आहे.”
ଯତଃ କେଚିଦୂଚୁର୍ୟୋହନ୍ ଶ୍ମଶାନାଦୁଦତିଷ୍ଠତ୍| କେଚିଦୂଚୁଃ, ଏଲିଯୋ ଦର୍ଶନଂ ଦତ୍ତୱାନ୍; ଏୱମନ୍ୟଲୋକା ଊଚୁଃ ପୂର୍ୱ୍ୱୀଯଃ କଶ୍ଚିଦ୍ ଭୱିଷ୍ୟଦ୍ୱାଦୀ ସମୁତ୍ଥିତଃ|
9 तेव्हा हेरोद म्हणाला, “योहानाचे शीर मी तोडले, पण ज्याच्याविषयी अशा गोष्टी मी ऐकतो तो हा कोण आहे?” आणि तो त्यास भेटायला पाहत होता.
କିନ୍ତୁ ହେରୋଦୁୱାଚ ଯୋହନଃ ଶିରୋଽହମଛିନଦମ୍ ଇଦାନୀଂ ଯସ୍ୟେଦୃକ୍କର୍ମ୍ମଣାଂ ୱାର୍ତ୍ତାଂ ପ୍ରାପ୍ନୋମି ସ କଃ? ଅଥ ସ ତଂ ଦ୍ରଷ୍ଟୁମ୍ ଐଚ୍ଛତ୍|
10 १० मग प्रेषितांनी परत येऊन आपण जे काही केले होते ते त्यास सविस्तर सांगितले. मग तो त्यांना बरोबर घेऊन बेथसैदा नावाच्या नगराकडे एकीकडे गेला.
ଅନନ୍ତରଂ ପ୍ରେରିତାଃ ପ୍ରତ୍ୟାଗତ୍ୟ ଯାନି ଯାନି କର୍ମ୍ମାଣି ଚକ୍ରୁସ୍ତାନି ଯୀଶୱେ କଥଯାମାସୁଃ ତତଃ ସ ତାନ୍ ବୈତ୍ସୈଦାନାମକନଗରସ୍ୟ ୱିଜନଂ ସ୍ଥାନଂ ନୀତ୍ୱା ଗୁପ୍ତଂ ଜଗାମ|
11 ११ परंतु याविषयी लोकांनी ऐकल्यावर ते त्याच्यामागे गेले. तेव्हा तो त्यांचे स्वागत करून त्यांच्याशी देवाच्या राज्याविषयी बोलू लागला आणि ज्यांना बरे होण्याची गरज होती त्यांना त्याने बरे केले.
ପଶ୍ଚାଲ୍ ଲୋକାସ୍ତଦ୍ ୱିଦିତ୍ୱା ତସ୍ୟ ପଶ୍ଚାଦ୍ ଯଯୁଃ; ତତଃ ସ ତାନ୍ ନଯନ୍ ଈଶ୍ୱରୀଯରାଜ୍ୟସ୍ୟ ପ୍ରସଙ୍ଗମୁକ୍ତୱାନ୍, ଯେଷାଂ ଚିକିତ୍ସଯା ପ୍ରଯୋଜନମ୍ ଆସୀତ୍ ତାନ୍ ସ୍ୱସ୍ଥାନ୍ ଚକାର ଚ|
12 १२ दिवस संपत आला, तेव्हा बारा जण जवळ येऊन त्यास म्हणाले, “समुदायाला निरोप दे, म्हणजे ते आसपासच्या गावांत व खेड्यांत जाऊन उतरतील व खाण्याची सोय करतील; कारण आपण येथे रानातल्या ठिकाणी आहो.”
ଅପରଞ୍ଚ ଦିୱାୱସନ୍ନେ ସତି ଦ୍ୱାଦଶଶିଷ୍ୟା ଯୀଶୋରନ୍ତିକମ୍ ଏତ୍ୟ କଥଯାମାସୁଃ, ୱଯମତ୍ର ପ୍ରାନ୍ତରସ୍ଥାନେ ତିଷ୍ଠାମଃ, ତତୋ ନଗରାଣି ଗ୍ରାମାଣି ଗତ୍ୱା ୱାସସ୍ଥାନାନି ପ୍ରାପ୍ୟ ଭକ୍ଷ୍ୟଦ୍ରୱ୍ୟାଣି କ୍ରେତୁଂ ଜନନିୱହଂ ଭୱାନ୍ ୱିସୃଜତୁ|
13 १३ पण तो त्यांना म्हणाला, “तुम्हीच त्यांना खायला द्या.” ते म्हणाले, “आम्ही जाऊन या लोकांसाठी अन्न विकत आणले नाही, तर पाच भाकरी व दोन मासे एवढ्याशिवाय आम्हाजवळ काही नाही.”
ତଦା ସ ଉୱାଚ, ଯୂଯମେୱ ତାନ୍ ଭେଜଯଧ୍ୱଂ; ତତସ୍ତେ ପ୍ରୋଚୁରସ୍ମାକଂ ନିକଟେ କେୱଲଂ ପଞ୍ଚ ପୂପା ଦ୍ୱୌ ମତ୍ସ୍ୟୌ ଚ ୱିଦ୍ୟନ୍ତେ, ଅତଏୱ ସ୍ଥାନାନ୍ତରମ୍ ଇତ୍ୱା ନିମିତ୍ତମେତେଷାଂ ଭକ୍ଷ୍ୟଦ୍ରୱ୍ୟେଷୁ ନ କ୍ରୀତେଷୁ ନ ଭୱତି|
14 १४ कारण ते सुमारे पाच हजार पुरूष होते. तेव्हा त्याने आपल्या शिष्यांना सांगितले, “पन्नास पन्नास जणांच्या पंक्ती करून त्यास बसवा,”
ତତ୍ର ପ୍ରାଯେଣ ପଞ୍ଚସହସ୍ରାଣି ପୁରୁଷା ଆସନ୍|
15 १५ मग त्यांनी सांगितल्याप्रमाणे करून सर्वांस बसवले.
ତଦା ସ ଶିଷ୍ୟାନ୍ ଜଗାଦ ପଞ୍ଚାଶତ୍ ପଞ୍ଚାଶଜ୍ଜନୈଃ ପଂକ୍ତୀକୃତ୍ୟ ତାନୁପୱେଶଯତ, ତସ୍ମାତ୍ ତେ ତଦନୁସାରେଣ ସର୍ୱ୍ୱଲୋକାନୁପୱେଶଯାପାସୁଃ|
16 १६ त्याने त्या पांच भाकरी व ते दोन मासे घेतले आणि वर स्वर्गाकडे पाहून त्यास आशीर्वाद दिला आणि त्यांचे तुकडे करून ते लोकसमुदायाला वाढण्याकरता शिष्यांजवळ दिले.
ତତଃ ସ ତାନ୍ ପଞ୍ଚ ପୂପାନ୍ ମୀନଦ୍ୱଯଞ୍ଚ ଗୃହୀତ୍ୱା ସ୍ୱର୍ଗଂ ୱିଲୋକ୍ୟେଶ୍ୱରଗୁଣାନ୍ କୀର୍ତ୍ତଯାଞ୍ଚକ୍ରେ ଭଙ୍କ୍ତା ଚ ଲୋକେଭ୍ୟଃ ପରିୱେଷଣାର୍ଥଂ ଶିଷ୍ୟେଷୁ ସମର୍ପଯାମ୍ବଭୂୱ|
17 १७ तेव्हा ते सर्व जेवून तृप्त झाले; आणि त्यांनी मोडलेल्या तुकड्यांतले उरले ते बारा टोपल्या भरून त्यांनी उचलून घेतले.
ତତଃ ସର୍ୱ୍ୱେ ଭୁକ୍ତ୍ୱା ତୃପ୍ତିଂ ଗତା ଅୱଶିଷ୍ଟାନାଞ୍ଚ ଦ୍ୱାଦଶ ଡଲ୍ଲକାନ୍ ସଂଜଗୃହୁଃ|
18 १८ आणि असे झाले की तो एकांतात प्रार्थना करत असता शिष्य त्याच्याबरोबर होते, तेव्हा त्याने त्यांना विचारून म्हटले, “लोकसमुदाय मला कोण म्हणून म्हणतात?”
ଅଥୈକଦା ନିର୍ଜନେ ଶିଷ୍ୟୈଃ ସହ ପ୍ରାର୍ଥନାକାଲେ ତାନ୍ ପପ୍ରଚ୍ଛ, ଲୋକା ମାଂ କଂ ୱଦନ୍ତି?
19 १९ मग त्यांनी उत्तर देऊन म्हटले, “बाप्तिस्मा करणारा योहान, पण कित्येक म्हणतात ‘एलीया,’ व कित्येक म्हणतात की, पुरातन संदेष्ट्यातील कोणीएक पुन्हा उठला आहे.”
ତତସ୍ତେ ପ୍ରାଚୁଃ, ତ୍ୱାଂ ଯୋହନ୍ମଜ୍ଜକଂ ୱଦନ୍ତି; କେଚିତ୍ ତ୍ୱାମ୍ ଏଲିଯଂ ୱଦନ୍ତି, ପୂର୍ୱ୍ୱକାଲିକଃ କଶ୍ଚିଦ୍ ଭୱିଷ୍ୟଦ୍ୱାଦୀ ଶ୍ମଶାନାଦ୍ ଉଦତିଷ୍ଠଦ୍ ଇତ୍ୟପି କେଚିଦ୍ ୱଦନ୍ତି|
20 २० त्याने त्यांना म्हटले, “पण तुम्ही मला कोण म्हणून म्हणता?” तेव्हा पेत्राने उत्तर देऊन म्हटले, “देवाचा ख्रिस्त.”
ତଦା ସ ଉୱାଚ, ଯୂଯଂ ମାଂ କଂ ୱଦଥ? ତତଃ ପିତର ଉକ୍ତୱାନ୍ ତ୍ୱମ୍ ଈଶ୍ୱରାଭିଷିକ୍ତଃ ପୁରୁଷଃ|
21 २१ पण हे कोणाला सांगू नये अशी त्याने त्यांना निक्षून आज्ञा केली.
ତଦା ସ ତାନ୍ ଦୃଢମାଦିଦେଶ, କଥାମେତାଂ କସ୍ମୈଚିଦପି ମା କଥଯତ|
22 २२ आणि म्हटले, “मनुष्याच्या पुत्राने पुष्कळ दुःखे सोसावी आणि वडील व मुख्य याजक लोक व नियमशास्त्र शिक्षक यांच्याकडून नाकारले जावे व जीवे मारले जावे व तिसऱ्या दिवशी पुन्हा उठवले जावे, याचे अगत्य आहे.”
ସ ପୁନରୁୱାଚ, ମନୁଷ୍ୟପୁତ୍ରେଣ ୱହୁଯାତନା ଭୋକ୍ତୱ୍ୟାଃ ପ୍ରାଚୀନଲୋକୈଃ ପ୍ରଧାନଯାଜକୈରଧ୍ୟାପକୈଶ୍ଚ ସୋୱଜ୍ଞାଯ ହନ୍ତୱ୍ୟଃ କିନ୍ତୁ ତୃତୀଯଦିୱସେ ଶ୍ମଶାନାତ୍ ତେନୋତ୍ଥାତୱ୍ୟମ୍|
23 २३ आणि तो सर्वांना म्हणाला, “जर कोणी माझ्यामागे येऊ इच्छितो तर त्याने स्वतःला नाकारावे व दररोज आपला वधस्तंभ उचलून घ्यावा व माझ्यामागे चालावे.
ଅପରଂ ସ ସର୍ୱ୍ୱାନୁୱାଚ, କଶ୍ଚିଦ୍ ଯଦି ମମ ପଶ୍ଚାଦ୍ ଗନ୍ତୁଂ ୱାଞ୍ଛତି ତର୍ହି ସ ସ୍ୱଂ ଦାମ୍ୟତୁ, ଦିନେ ଦିନେ କ୍ରୁଶଂ ଗୃହୀତ୍ୱା ଚ ମମ ପଶ୍ଚାଦାଗଚ୍ଛତୁ|
24 २४ कारण जो कोणी आपला जीव वाचवू इच्छितो तो त्यास गमावील, परंतु जो कोणी माझ्याकरिता आपला जीव गमावील तो त्यास वाचवील.
ଯତୋ ଯଃ କଶ୍ଚିତ୍ ସ୍ୱପ୍ରାଣାନ୍ ରିରକ୍ଷିଷତି ସ ତାନ୍ ହାରଯିଷ୍ୟତି, ଯଃ କଶ୍ଚିନ୍ ମଦର୍ଥଂ ପ୍ରାଣାନ୍ ହାରଯିଷ୍ୟତି ସ ତାନ୍ ରକ୍ଷିଷ୍ୟତି|
25 २५ कारण मनुष्याने सगळे जग मिळवून स्वतःला गमावले किंवा स्वतःचा नाश करून घेतला तर त्यास काय लाभ होईल?
କଶ୍ଚିଦ୍ ଯଦି ସର୍ୱ୍ୱଂ ଜଗତ୍ ପ୍ରାପ୍ନୋତି କିନ୍ତୁ ସ୍ୱପ୍ରାଣାନ୍ ହାରଯତି ସ୍ୱଯଂ ୱିନଶ୍ୟତି ଚ ତର୍ହି ତସ୍ୟ କୋ ଲାଭଃ?
26 २६ जो कोणी माझ्याविषयीची व माझ्या वचनाविषयी लाज धरील त्यांच्याविषयीची लाज मनुष्याचा पुत्र जेव्हा आपल्या स्वतःच्या, पित्याच्या व पवित्र दूतांच्या गौरवाने येईल तेव्हा धरील.
ପୁନ ର୍ୟଃ କଶ୍ଚିନ୍ ମାଂ ମମ ୱାକ୍ୟଂ ୱା ଲଜ୍ଜାସ୍ପଦଂ ଜାନାତି ମନୁଷ୍ୟପୁତ୍ରୋ ଯଦା ସ୍ୱସ୍ୟ ପିତୁଶ୍ଚ ପୱିତ୍ରାଣାଂ ଦୂତାନାଞ୍ଚ ତେଜୋଭିଃ ପରିୱେଷ୍ଟିତ ଆଗମିଷ୍ୟତି ତଦା ସୋପି ତଂ ଲଜ୍ଜାସ୍ପଦଂ ଜ୍ଞାସ୍ୟତି|
27 २७ आणि मी तुम्हास खरे सांगतो की, येथे उभे राहणाऱ्यांतले काही असे आहेत की, ते देवाचे राज्य पाहतील तोपर्यंत त्यांना मरणाचा अनुभव येणारच नाही.”
କିନ୍ତୁ ଯୁଷ୍ମାନହଂ ଯଥାର୍ଥଂ ୱଦାମି, ଈଶ୍ୱରୀଯରାଜତ୍ୱଂ ନ ଦୃଷ୍ଟୱା ମୃତ୍ୟୁଂ ନାସ୍ୱାଦିଷ୍ୟନ୍ତେ, ଏତାଦୃଶାଃ କିଯନ୍ତୋ ଲୋକା ଅତ୍ର ସ୍ଥନେଽପି ଦଣ୍ଡାଯମାନାଃ ସନ୍ତି|
28 २८ आणि या गोष्टी सांगितल्यानंतर सुमारे आठ दिवसानी असे झाले की, पेत्र व योहान व याकोब यांना बरोबर घेऊन तो प्रार्थना करायला डोंगरावर गेला.
ଏତଦାଖ୍ୟାନକଥନାତ୍ ପରଂ ପ୍ରାଯେଣାଷ୍ଟସୁ ଦିନେଷୁ ଗତେଷୁ ସ ପିତରଂ ଯୋହନଂ ଯାକୂବଞ୍ଚ ଗୃହୀତ୍ୱା ପ୍ରାର୍ଥଯିତୁଂ ପର୍ୱ୍ୱତମେକଂ ସମାରୁରୋହ|
29 २९ तेव्हा तो प्रार्थना करीत असता त्याच्या मुखाचे रूप पालटले व त्याचे वस्त्र पांढरे शुभ्र लखलखीत झाले.
ଅଥ ତସ୍ୟ ପ୍ରାର୍ଥନକାଲେ ତସ୍ୟ ମୁଖାକୃତିରନ୍ୟରୂପା ଜାତା, ତଦୀଯଂ ୱସ୍ତ୍ରମୁଜ୍ଜ୍ୱଲଶୁକ୍ଲଂ ଜାତଂ|
30 ३० आणि पाहा, दोन पुरूष त्याच्याशी संभाषण करीत होते; हे मोशे व एलीया होते,
ଅପରଞ୍ଚ ମୂସା ଏଲିଯଶ୍ଚୋଭୌ ତେଜସ୍ୱିନୌ ଦୃଷ୍ଟୌ
31 ३१ ते तेजस्वी दिसत होते आणि जे त्याचे प्रयाण तो यरूशलेम शहरात पूर्ण करणार होता, त्याविषयी ते बोलत होते.
ତୌ ତେନ ଯିରୂଶାଲମ୍ପୁରେ ଯୋ ମୃତ୍ୟୁଃ ସାଧିଷ୍ୟତେ ତଦୀଯାଂ କଥାଂ ତେନ ସାର୍ଦ୍ଧଂ କଥଯିତୁମ୍ ଆରେଭାତେ|
32 ३२ तेव्हा पेत्र व त्याच्याबरोबर जे होते ते झोपेने भारावले होते, परंतु ते पूर्णपणे जागे झाले तेव्हा त्यांचे तेज आणि जे दोन पुरूष त्याच्याजवळ उभे राहिले होते त्यांनाही पहिले.
ତଦା ପିତରାଦଯଃ ସ୍ୱସ୍ୟ ସଙ୍ଗିନୋ ନିଦ୍ରଯାକୃଷ୍ଟା ଆସନ୍ କିନ୍ତୁ ଜାଗରିତ୍ୱା ତସ୍ୟ ତେଜସ୍ତେନ ସାର୍ଦ୍ଧମ୍ ଉତ୍ତିଷ୍ଠନ୍ତୌ ଜନୌ ଚ ଦଦୃଶୁଃ|
33 ३३ मग असे झाले की ते त्याच्यापासून दूर होत असता पेत्राने येशूला म्हटले, “हे गुरु, येथे असणे आम्हास बरे आहे; तर आम्ही तीन मंडप करू, तुझ्यासाठी एक व मोशेसाठी एक व एलीयासाठी एक.” आपण काय बोलत आहोत याचे त्यास भान नव्हते.
ଅଥ ତଯୋରୁଭଯୋ ର୍ଗମନକାଲେ ପିତରୋ ଯୀଶୁଂ ବଭାଷେ, ହେ ଗୁରୋଽସ୍ମାକଂ ସ୍ଥାନେଽସ୍ମିନ୍ ସ୍ଥିତିଃ ଶୁଭା, ତତ ଏକା ତ୍ୱଦର୍ଥା, ଏକା ମୂସାର୍ଥା, ଏକା ଏଲିଯାର୍ଥା, ଇତି ତିସ୍ରଃ କୁଟ୍ୟୋସ୍ମାଭି ର୍ନିର୍ମ୍ମୀଯନ୍ତାଂ, ଇମାଂ କଥାଂ ସ ନ ୱିୱିଚ୍ୟ କଥଯାମାସ|
34 ३४ तो या गोष्टी बोलत असता एक ढग येऊन त्यांच्यावर सावली करू लागला आणि ते ढगांत शिरले तेव्हा ते भ्याले.
ଅପରଞ୍ଚ ତଦ୍ୱାକ୍ୟୱଦନକାଲେ ପଯୋଦ ଏକ ଆଗତ୍ୟ ତେଷାମୁପରି ଛାଯାଂ ଚକାର, ତତସ୍ତନ୍ମଧ୍ୟେ ତଯୋଃ ପ୍ରୱେଶାତ୍ ତେ ଶଶଙ୍କିରେ|
35 ३५ आणि ढगांतून वाणी आली, ती म्हणाली, “हा माझा निवडलेला पुत्र आहे, याचे तुम्ही ऐका.”
ତଦା ତସ୍ମାତ୍ ପଯୋଦାଦ୍ ଇଯମାକାଶୀଯା ୱାଣୀ ନିର୍ଜଗାମ, ମମାଯଂ ପ୍ରିଯଃ ପୁତ୍ର ଏତସ୍ୟ କଥାଯାଂ ମନୋ ନିଧତ୍ତ|
36 ३६ ही वाणी झाल्यावर येशू एकटाच दिसला आणि ते उगेच राहिले व ज्या गोष्टी त्यांनी पहिल्या होत्या त्यांतले काहीच त्यांनी त्या दिवसांमध्ये कोणाला सांगितले नाही.
ଇତି ଶବ୍ଦେ ଜାତେ ତେ ଯୀଶୁମେକାକିନଂ ଦଦୃଶୁଃ କିନ୍ତୁ ତେ ତଦାନୀଂ ତସ୍ୟ ଦର୍ଶନସ୍ୟ ୱାଚମେକାମପି ନୋକ୍ତ୍ୱା ମନଃସୁ ସ୍ଥାପଯାମାସୁଃ|
37 ३७ आणि असे झाले की दुसऱ्या दिवशी ते डोंगरावरून खाली आल्यावर मोठा लोकसमुदाय त्यास भेटला.
ପରେଽହନି ତେଷୁ ତସ୍ମାଚ୍ଛୈଲାଦ୍ ଅୱରୂଢେଷୁ ତଂ ସାକ୍ଷାତ୍ କର୍ତ୍ତୁଂ ବହୱୋ ଲୋକା ଆଜଗ୍ମୁଃ|
38 ३८ तेव्हा पाहा, समुदायातील एक मनुष्य मोठ्याने ओरडून म्हणाला, हे गुरु, मी तुला विनंती करतो, माझ्या मुलाकडे पाहा, कारण तो माझे एकुलते मूल आहे.
ତେଷାଂ ମଧ୍ୟାଦ୍ ଏକୋ ଜନ ଉଚ୍ଚୈରୁୱାଚ, ହେ ଗୁରୋ ଅହଂ ୱିନଯଂ କରୋମି ମମ ପୁତ୍ରଂ ପ୍ରତି କୃପାଦୃଷ୍ଟିଂ କରୋତୁ, ମମ ସ ଏୱୈକଃ ପୁତ୍ରଃ|
39 ३९ आणि पाहा, कोणी आत्मा त्यास धरतो आणि हा एकाएकी ओरडतो, मग तो याला असा पिळतो की त्याच्या तोंडाला फेस येतो, तो याला पुष्कळ त्रास देतो व याला मोठ्या प्रयासाने सोडून जातो.
ଭୂତେନ ଧୃତଃ ସନ୍ ସଂ ପ୍ରସଭଂ ଚୀଚ୍ଛବ୍ଦଂ କରୋତି ତନ୍ମୁଖାତ୍ ଫେଣା ନିର୍ଗଚ୍ଛନ୍ତି ଚ, ଭୂତ ଇତ୍ଥଂ ୱିଦାର୍ୟ୍ୟ କ୍ଲିଷ୍ଟ୍ୱା ପ୍ରାଯଶସ୍ତଂ ନ ତ୍ୟଜତି|
40 ४० आणि तो काढावा म्हणून मी तुझ्या शिष्यांना विनंती केली, परंतु त्यांच्याने तो निघेना.
ତସ୍ମାତ୍ ତଂ ଭୂତଂ ତ୍ୟାଜଯିତୁଂ ତୱ ଶିଷ୍ୟସମୀପେ ନ୍ୟୱେଦଯଂ କିନ୍ତୁ ତେ ନ ଶେକୁଃ|
41 ४१ तेव्हा येशूने उत्तर देऊन म्हटले, “हे अविश्वासी व विपरीत पिढी, मी कोठेपर्यंत तुमच्याबरोबर राहू व तुमचे सोसू? तू आपल्या मुलाला इकडे आण.”
ତଦା ଯୀଶୁରୱାଦୀତ୍, ରେ ଆୱିଶ୍ୱାସିନ୍ ୱିପଥଗାମିନ୍ ୱଂଶ କତିକାଲାନ୍ ଯୁଷ୍ମାଭିଃ ସହ ସ୍ଥାସ୍ୟାମ୍ୟହଂ ଯୁଷ୍ମାକମ୍ ଆଚରଣାନି ଚ ସହିଷ୍ୟେ? ତୱ ପୁତ୍ରମିହାନଯ|
42 ४२ मग तो जवळ येत आहे इतक्यात भूताने त्यास खाली आपटले व भारी पिळून टाकले, पण येशूने त्या अशुद्ध आत्म्याला धमकावले व मुलाला बरे करून त्याच्या पित्याजवळ परत दिले.
ତତସ୍ତସ୍ମିନ୍ନାଗତମାତ୍ରେ ଭୂତସ୍ତଂ ଭୂମୌ ପାତଯିତ୍ୱା ୱିଦଦାର; ତଦା ଯୀଶୁସ୍ତମମେଧ୍ୟଂ ଭୂତଂ ତର୍ଜଯିତ୍ୱା ବାଲକଂ ସ୍ୱସ୍ଥଂ କୃତ୍ୱା ତସ୍ୟ ପିତରି ସମର୍ପଯାମାସ|
43 ४३ मग देवाचे हे महान सामर्थ्य पाहून सर्व लोक थक्क झाले आणि तो जी कामे करीत होता त्या सर्वांवरून सर्वजण आश्चर्य करीत असता तो आपल्या शिष्यांना म्हणाला,
ଈଶ୍ୱରସ୍ୟ ମହାଶକ୍ତିମ୍ ଇମାଂ ୱିଲୋକ୍ୟ ସର୍ୱ୍ୱେ ଚମଚ୍ଚକ୍ରୁଃ; ଇତ୍ଥଂ ଯୀଶୋଃ ସର୍ୱ୍ୱାଭିଃ କ୍ରିଯାଭିଃ ସର୍ୱ୍ୱୈର୍ଲୋକୈରାଶ୍ଚର୍ୟ୍ୟେ ମନ୍ୟମାନେ ସତି ସ ଶିଷ୍ୟାନ୍ ବଭାଷେ,
44 ४४ “या गोष्टी तुम्ही लक्षात ठेवा कारण मनुष्याचा पुत्र मनुष्यांच्या हाती दिला जाणार आहे.”
କଥେଯଂ ଯୁଷ୍ମାକଂ କର୍ଣେଷୁ ପ୍ରୱିଶତୁ, ମନୁଷ୍ୟପୁତ୍ରୋ ମନୁଷ୍ୟାଣାଂ କରେଷୁ ସମର୍ପଯିଷ୍ୟତେ|
45 ४५ परंतु हे बोलणे त्यांना समजले नाही व त्यांना ते समजू नये म्हणून ते त्यांच्यापासून गुप्त राखलेले होते; आणि ते या बोलण्याविषयी त्यास विचारायला भीत होते.
କିନ୍ତୁ ତେ ତାଂ କଥାଂ ନ ବୁବୁଧିରେ, ସ୍ପଷ୍ଟତ୍ୱାଭାୱାତ୍ ତସ୍ୟା ଅଭିପ୍ରାଯସ୍ତେଷାଂ ବୋଧଗମ୍ୟୋ ନ ବଭୂୱ; ତସ୍ୟା ଆଶଯଃ କ ଇତ୍ୟପି ତେ ଭଯାତ୍ ପ୍ରଷ୍ଟୁଂ ନ ଶେକୁଃ|
46 ४६ त्यानंतर आपणांमध्ये कोण मोठा आहे याविषयी त्यांच्यामध्ये वादविवाद उठला.
ତଦନନ୍ତରଂ ତେଷାଂ ମଧ୍ୟେ କଃ ଶ୍ରେଷ୍ଠଃ କଥାମେତାଂ ଗୃହୀତ୍ୱା ତେ ମିଥୋ ୱିୱାଦଂ ଚକ୍ରୁଃ|
47 ४७ तेव्हा येशूने त्यांच्या अंतःकरणाचे विचार जाणून एका बालकाला जवळ घेऊन त्यास आपल्यापाशी उभे केले,
ତତୋ ଯୀଶୁସ୍ତେଷାଂ ମନୋଭିପ୍ରାଯଂ ୱିଦିତ୍ୱା ବାଲକମେକଂ ଗୃହୀତ୍ୱା ସ୍ୱସ୍ୟ ନିକଟେ ସ୍ଥାପଯିତ୍ୱା ତାନ୍ ଜଗାଦ,
48 ४८ आणि त्यांना म्हटले, “जो कोणी माझ्या नावाने या बालकाला स्वीकारतो तो मला स्वीकारतो आणि जो कोणी माझा स्वीकार करतो तो ज्याने मला पाठवले त्याचा स्वीकार करतो; कारण तुम्हा सर्वांमध्ये जो सर्वांहून लहान आहे तोच मोठा आहे.”
ଯୋ ଜନୋ ମମ ନାମ୍ନାସ୍ୟ ବାଲାସ୍ୟାତିଥ୍ୟଂ ୱିଦଧାତି ସ ମମାତିଥ୍ୟଂ ୱିଦଧାତି, ଯଶ୍ଚ ମମାତିଥ୍ୟଂ ୱିଦଧାତି ସ ମମ ପ୍ରେରକସ୍ୟାତିଥ୍ୟଂ ୱିଦଧାତି, ଯୁଷ୍ମାକଂ ମଧ୍ୟେଯଃ ସ୍ୱଂ ସର୍ୱ୍ୱସ୍ମାତ୍ କ୍ଷୁଦ୍ରଂ ଜାନୀତେ ସ ଏୱ ଶ୍ରେଷ୍ଠୋ ଭୱିଷ୍ୟତି|
49 ४९ तेव्हा योहानाने उत्तर देऊन म्हटले, “हे गुरु, आम्ही कोण एकाला तुझ्या नावाने भूते काढतांना पाहिले आणि आम्ही त्यास मना केले, कारण तो आमच्याबरोबर तुझ्यामागे चालत नाही.”
ଅପରଞ୍ଚ ଯୋହନ୍ ୱ୍ୟାଜହାର ହେ ପ୍ରଭେ ତୱ ନାମ୍ନା ଭୂତାନ୍ ତ୍ୟାଜଯନ୍ତଂ ମାନୁଷମ୍ ଏକଂ ଦୃଷ୍ଟୱନ୍ତୋ ୱଯଂ, କିନ୍ତ୍ୱସ୍ମାକମ୍ ଅପଶ୍ଚାଦ୍ ଗାମିତ୍ୱାତ୍ ତଂ ନ୍ୟଷେଧାମ୍| ତଦାନୀଂ ଯୀଶୁରୁୱାଚ,
50 ५० तेव्हा येशूने त्यास म्हटले, “मना करू नका, कारण जो तुम्हास प्रतिकूल नाही तो तुम्हास अनुकूल आहे.”
ତଂ ମା ନିଷେଧତ, ଯତୋ ଯୋ ଜନୋସ୍ମାକଂ ନ ୱିପକ୍ଷଃ ସ ଏୱାସ୍ମାକଂ ସପକ୍ଷୋ ଭୱତି|
51 ५१ आणि असे झाले की त्यास वर घेतले जाण्याचा समय जवळ आला तेव्हा यरूशलेम शहरास जाण्याच्या दृढनिश्चयाने त्याने आपले तोंड वळवले.
ଅନନ୍ତରଂ ତସ୍ୟାରୋହଣସମଯ ଉପସ୍ଥିତେ ସ ସ୍ଥିରଚେତା ଯିରୂଶାଲମଂ ପ୍ରତି ଯାତ୍ରାଂ କର୍ତ୍ତୁଂ ନିଶ୍ଚିତ୍ୟାଗ୍ରେ ଦୂତାନ୍ ପ୍ରେଷଯାମାସ|
52 ५२ मग त्याने आपल्यापुढे निरोपे पाठवले, तेव्हा ते निघून त्याच्यासाठी तयारी करण्यास शोमरोन्यांच्या एका गावात गेले,
ତସ୍ମାତ୍ ତେ ଗତ୍ୱା ତସ୍ୟ ପ୍ରଯୋଜନୀଯଦ୍ରୱ୍ୟାଣି ସଂଗ୍ରହୀତୁଂ ଶୋମିରୋଣୀଯାନାଂ ଗ୍ରାମଂ ପ୍ରୱିୱିଶୁଃ|
53 ५३ पण त्यांनी त्यास अंगीकारले नाही, कारण यरूशलेम शहराकडे जाण्याचा त्याचा रोख होता.
କିନ୍ତୁ ସ ଯିରୂଶାଲମଂ ନଗରଂ ଯାତି ତତୋ ହେତୋ ର୍ଲୋକାସ୍ତସ୍ୟାତିଥ୍ୟଂ ନ ଚକ୍ରୁଃ|
54 ५४ तेव्हा त्याचे शिष्य याकोब व योहान हे पाहून म्हणाले, “हे प्रभू, एलीयाने केले होते तसेच आकाशांतून अग्नीने पडून त्याचा नाश करावा म्हणून आम्ही आज्ञा करावी, अशी तुझी इच्छा आहे काय?”
ଅତଏୱ ଯାକୂବ୍ୟୋହନୌ ତସ୍ୟ ଶିଷ୍ୟୌ ତଦ୍ ଦୃଷ୍ଟ୍ୱା ଜଗଦତୁଃ, ହେ ପ୍ରଭୋ ଏଲିଯୋ ଯଥା ଚକାର ତଥା ୱଯମପି କିଂ ଗଗଣାଦ୍ ଆଗନ୍ତୁମ୍ ଏତାନ୍ ଭସ୍ମୀକର୍ତ୍ତୁଞ୍ଚ ୱହ୍ନିମାଜ୍ଞାପଯାମଃ? ଭୱାନ୍ କିମିଚ୍ଛତି?
55 ५५ परंतु त्याने वळून त्यांना धमकावले आणि म्हटले, “तुम्ही कोणत्या आत्म्याचे आहात हे तुम्हास ठाऊक नाही;
କିନ୍ତୁ ସ ମୁଖଂ ପରାୱର୍ତ୍ୟ ତାନ୍ ତର୍ଜଯିତ୍ୱା ଗଦିତୱାନ୍ ଯୁଷ୍ମାକଂ ମନୋଭାୱଃ କଃ, ଇତି ଯୂଯଂ ନ ଜାନୀଥ|
56 ५६ कारण मनुष्याचा पुत्र मनुष्यांच्या जीवाचा नाश करायला नाही, तर त्यांना तारायला आला आहे.” मग ते दुसऱ्या गावाला गेले.
ମନୁଜସୁତୋ ମନୁଜାନାଂ ପ୍ରାଣାନ୍ ନାଶଯିତୁଂ ନାଗଚ୍ଛତ୍, କିନ୍ତୁ ରକ୍ଷିତୁମ୍ ଆଗଚ୍ଛତ୍| ପଶ୍ଚାଦ୍ ଇତରଗ୍ରାମଂ ତେ ଯଯୁଃ|
57 ५७ आणि ते वाटेने चालत असता कोणीएक त्यास म्हणाला, “जेथे कोठे तू जाशील तेथे मी तुझ्यामागे येईन.”
ତଦନନ୍ତରଂ ପଥି ଗମନକାଲେ ଜନ ଏକସ୍ତଂ ବଭାଷେ, ହେ ପ୍ରଭୋ ଭୱାନ୍ ଯତ୍ର ଯାତି ଭୱତା ସହାହମପି ତତ୍ର ଯାସ୍ୟାମି|
58 ५८ तेव्हा येशू त्यास म्हणाला, “खोकडांस बिळे व आकाशांतल्या पाखरांस घरटी आहेत, परंतु मनुष्याच्या पुत्राला आपले डोके टेकायला ठिकाण नाही.”
ତଦାନୀଂ ଯୀଶୁସ୍ତମୁୱାଚ, ଗୋମାଯୂନାଂ ଗର୍ତ୍ତା ଆସତେ, ୱିହାଯସୀଯୱିହଗାନାଂ ନୀଡାନି ଚ ସନ୍ତି, କିନ୍ତୁ ମାନୱତନଯସ୍ୟ ଶିରଃ ସ୍ଥାପଯିତୁଂ ସ୍ଥାନଂ ନାସ୍ତି|
59 ५९ मग त्याने दुसऱ्या एकाला म्हटले, “माझ्यामागे ये,” परंतु तो म्हणाला, “हे प्रभू, पहिल्याने मला जाऊ दे आणि माझ्या पित्याला पुरू दे,”
ତତଃ ପରଂ ସ ଇତରଜନଂ ଜଗାଦ, ତ୍ୱଂ ମମ ପଶ୍ଚାଦ୍ ଏହି; ତତଃ ସ ଉୱାଚ, ହେ ପ୍ରଭୋ ପୂର୍ୱ୍ୱଂ ପିତରଂ ଶ୍ମଶାନେ ସ୍ଥାପଯିତୁଂ ମାମାଦିଶତୁ|
60 ६० तेव्हा येशूने त्यास म्हटले, “मरण पावलेल्यांना आपल्या मरण पावलेल्यांस पुरू दे, परंतु तू जाऊन देवाच्या राज्याची घोषणा कर.”
ତଦା ଯୀଶୁରୁୱାଚ, ମୃତା ମୃତାନ୍ ଶ୍ମଶାନେ ସ୍ଥାପଯନ୍ତୁ କିନ୍ତୁ ତ୍ୱଂ ଗତ୍ୱେଶ୍ୱରୀଯରାଜ୍ୟସ୍ୟ କଥାଂ ପ୍ରଚାରଯ|
61 ६१ तेव्हा आणखी एकजण म्हणाला, हे प्रभू, मी तुझ्यामागे येईन, परंतु पहिल्याने मला माझ्या घरात जे आहे त्यांचा निरोप घेऊ दे.
ତତୋନ୍ୟଃ କଥଯାମାସ, ହେ ପ୍ରଭୋ ମଯାପି ଭୱତଃ ପଶ୍ଚାଦ୍ ଗଂସ୍ୟତେ, କିନ୍ତୁ ପୂର୍ୱ୍ୱଂ ମମ ନିୱେଶନସ୍ୟ ପରିଜନାନାମ୍ ଅନୁମତିଂ ଗ୍ରହୀତୁମ୍ ଅହମାଦିଶ୍ୟୈ ଭୱତା|
62 ६२ पण येशूने त्यास म्हटले, “जो कोणी नांगराला आपला हात घातल्यावर मागील गोष्टींकडे पाहत राहतो असा कोणीही देवाच्या राज्याला उपयोगी नाही.”
ତଦାନୀଂ ଯୀଶୁସ୍ତଂ ପ୍ରୋକ୍ତୱାନ୍, ଯୋ ଜନୋ ଲାଙ୍ଗଲେ କରମର୍ପଯିତ୍ୱା ପଶ୍ଚାତ୍ ପଶ୍ୟତି ସ ଈଶ୍ୱରୀଯରାଜ୍ୟଂ ନାର୍ହତି|

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